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Summary: भीष्म प्रतिज्ञा | Hindi (Bal Mahabharat Katha) Class 7 (Old NCERT) PDF Download

सार

राजा शांतनु देवव्रत को लेकर खुशी-खुशी नगर लौट आए और देवव्रत राजकुमार का कार्य संभालने लगे। चार वर्ष बीत गए।

एक दिन राजा शांतनु यमुना के तट पर घूमने गए, वहाँ उन्हें एक सुंदर कन्या दिखाई दी जिसका नाम सत्यवती था। उसने राजा शांतनु का मन मोह लिया। राजा ने सत्यवती से प्रेम-याचना की। सत्यवती ने बताया कि उसके पिता मल्लाहों के सरदार हैं और राजा को विवाह के लिए उनकी अनुमति लेनी होगी।

राजा शांतनु सत्यवती के पिता केवटराज के पास गए और सत्यवती से विवाह करने इच्छा बताई। केवटराज ने विवाह के बदले एक वचन माँगा कि राजा शांतनु के बाद हस्तिनापुर का उत्तराधिकारी सत्यवती का पुत्र ही होगा। केवटराज की यह शर्त राजा को अच्छी नहीं लगी और वह निराश मन से वहाँ से लौट आए।

राजा शांतनु चिंता से भरा जीवन बिताने लगे। देवव्रत को जब यह बात पता लगी तो वह केवटराज से मिलने गए और उन्हें सत्यवती विवाह राजा से करवाने को कहा। केवटराज ने अपनी वही शर्त दोहराई जिसपर शांतनु ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह राज्य का लोभ त्याग कर, सत्यवती के पुत्र को ही राजा बनने देंगे। परन्तु केवटराज इतने में संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने कहा कि अगर देवव्रत के पुत्र ऐसा न मानें और सत्यवती के पुत्र राज्य छीन लें तो। इसपर देवव्रत ने प्रतिज्ञा ली कि वह आजीवन शादी नहीं करेंगे, आजन्म ब्रह्मचारी रहेंगे। इस कठोर प्रतिज्ञा के कारण ही देवव्रत का नाम भीष्म पड़ गया।

केवटराज राजा शांतनु से अपनी पुत्री सत्यवती के विवाह करने  तैयार हो गए।


कुरुवंश का क्रम -

Summary: भीष्म प्रतिज्ञा | Hindi (Bal Mahabharat Katha) Class 7 (Old NCERT)

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FAQs on Summary: भीष्म प्रतिज्ञा - Hindi (Bal Mahabharat Katha) Class 7 (Old NCERT)

1. भीष्म प्रतिज्ञा का क्या अर्थ है?
उत्तर: "भीष्म प्रतिज्ञा" का अर्थ होता है भीष्म की वचनबद्धता या भीष्म का वचन। इसमें भीष्मपितामह ने अपने जीवन के आखिरी समय में अपनी मौनव्रत को तोड़कर भगवान कृष्ण का वचन मान्य किया था।
2. भीष्म प्रतिज्ञा कहां स्थित हुई थी?
उत्तर: भीष्म प्रतिज्ञा महाभारत युद्ध के पहले दिनों में कुरुक्षेत्र में भीष्मपितामह के द्वारा स्थित हुई थी।
3. भीष्म प्रतिज्ञा क्या है?
उत्तर: भीष्म प्रतिज्ञा एक प्रतिज्ञा थी जिसमें भीष्मपितामह ने अपने जीवन के आखिरी समय में भगवान कृष्ण का वचन मान्य किया और उनकी आदेशों का पालन करने का वचन दिया।
4. भीष्म प्रतिज्ञा क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: भीष्म प्रतिज्ञा महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे भीष्मपितामह ने अपनी मौनव्रत को तोड़कर धर्म के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया और अपने परिवार के लिए न्याय करने का वचन दिया। इससे उन्होंने धर्म के महत्व को साबित किया और महाभारत युद्ध की महत्वपूर्ण घटनाओं को प्रभावित किया।
5. भीष्म प्रतिज्ञा के क्या प्रकार हैं?
उत्तर: भीष्म प्रतिज्ञा के दो प्रकार हैं। पहला प्रकार है "वीथी प्रतिज्ञा" जिसमें भीष्मपितामह ने अपने मृत्यु के बाद की अवधि के दौरान किसी आक्रमण से बचाने का वचन दिया था। दूसरा प्रकार है "सूची प्रतिज्ञा" जिसमें भीष्मपितामह ने पांडवों के लिए केवल दंड-संबंधी नियमों का पालन करने का वचन दिया था।
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