युधिष्ठिर भाइयों को खोजते-खोजते तालाब के पास पहुँचे| वहाँ मृत पड़े भाइयों को देखकर वे विलाप करने
लगे। वे भी प्यास से व्याकुल होकर जैसे ही तालाब में उतरने लगे, उन्हें आवाज़ आई कि पहले मेरे प्रश्नों का उत्तर दो फिर पानी पियो। युधिष्ठिर ने कहा आप प्रश्न पूछिए। यक्ष ने कई प्रश्न किए, जिनके उत्तर युधिष्ठिर ने दिए|
प्रश्न: मनुष्य का साथ कौन देता है?
धैर्य ही मनुष्य का साथी होता है।
प्रश्न: कौन-सा शास्त्र (विद्या) है, जिसका अध्ययन करके मनुष्य बुद्धिमान बनता है?
कोई भी शास्त्र ऐसा नहीं। महान लोगों की संगति से ही मनुष्य बुद्धिमान बनता है।
प्रश्न: भूमि से भारी चीज़ क्या है?
संतान को कोख में धरने वाली माता भूमि से भी भारी होती है।
प्रश्न: आकाश से भी ऊँचा कौन है?
पिता
प्रश्न: हवा से भी तेज़ चलने वाला कौन है ?
मन
प्रश्न: घास से भो तुच्छ कौन-सी चीज़ होती है?
चिंता
प्रश्न: विदेश जाने वाले का कौन साथी होता है?
विद्या
प्रश्न: घर ही में रहने वाले का कौन साथी होता है ?
पत्नी
प्रश्न: मरणासन्न वृद्ध का मित्र कौन होता है?
दान, क्योंकि वही मृत्यु के बाद अकेले चलने वाले जीव के साथ-साथ चलता है।
प्रश्न: बर्तनों में सबसे बड़ा कौन-सा है?
भूमि ही सबसे बड़ा बरतन है जिसमें सब कुछ समा सकता है।
प्रश्न: सुख क्या है ?
सुख वह चीज़ है, जो शील और सच्चरित्रता पर स्थित है।
प्रश्न: किसके छूट जाने पर मनुष्य सर्वप्रिय बनता है?
अहंभाव के छूट जाने पर।
प्रश्न: किस चीज़ के खो जाने से दुःख नहीं होता?
क्रोध के खो जाने से।
प्रश्न: किस चीज़ को गँवाकर मनुष्य धनी बनता है?
लालच को।
प्रश्न: किसी का ब्राह्मण होना किस बात पर निर्भर करता है? उसके जन्म पर, विद्या पर या शील-स्वभाव पर?
ब्राह्मणत्व शील-स्वभाव पर ही निर्भर होता है।
प्रश्न: संसार में सबसे बड़े आश्चर्य की बात क्या है ?
हर रोज़ आँखों के सामने कितने ही प्राणियों को मृत्यु के मुँह में जाते देखकर भी बचे हुए प्राणी जो यह चाहते हैं कि हम अमर रहें, यही महान आश्चर्य की बात है।
इसी प्रकार युधिष्ठिर ने यक्ष के सभी प्रश्नों के उचित उत्तर दिए। यक्ष ने प्रसन्न होकर युधिष्ठिर से कहा कि वह किसी एक भाई को जीवित करवा सकता है। युधिष्ठिर ने कुछ सोचकर नकुल का नाम लिया। यक्ष ने पूछा कि उसने भीम और अर्जुन में से किसी एक को जीवित क्यों नहीं करवाया| इसपर युधिष्ठिर ने कहा कि कुंती के पुत्रों में से मैं जीवित हूँ। अतः माद्री के पुत्रों में से भी एक जीवित रहना चाहिए। इसलिए वह नकुल को जीवित देखना चाहता है।
यक्ष ने प्रसन्न होकर सभी पांडवों को जीवित कर दिया। यक्ष वास्तव में स्वयं धर्मराज ही थे। युधिष्ठिर ने धर्मराज के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त किया। इस प्रकार वनवास के बारह वर्ष पांडवों ने धैर्य से व्यतीत किए। अर्जुन ने इंद्रदेव से दिव्यास्त्र प्राप्त किए। भीम हनुमान से मिलकर दस गुना शक्तिशाली हो गया।
युधिष्ठिर ने ब्राह्मणों को परिवार सहित नगर लौट जाने को कहा। युधिष्ठिर की बात मानकर वे चले गए और नगर में जाकर कह दिया कि रात में उन्हें सोया हुआ छोड़कर पांडव न जाने कहाँ चले गए। पांडवों ने बारह महीने अज्ञातवास में व्यतीत करने के लिए मत्स्य देश में राजा विराट के नगर में जाकर छिप कर रहने का निश्चय किया।
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