Class 7 Exam  >  Class 7 Notes  >  NCERT Textbooks & Solutions for Class 7  >  Summary: विराट का भ्रम

Summary: विराट का भ्रम | NCERT Textbooks & Solutions for Class 7 PDF Download

सार

राजा सुशर्मा पर विजय प्राप्त कर राजा विराट जब नगर में आए तो मालूम हुआ कि राजकुमार उत्तर कौरवों से लड़ने गए हैं तो वे चिंतित हो गए| तब कंक बने युधिष्ठिर ने उन्हें सांत्वना देते हुए कहा कि चिंता नहीं करें बृहन्नला सारथी बनकर उसके साथ है। तभी दूतों ने आकर बताया कि राजकुमार उत्तर ने कौरवों को हरा दिया है। यह सुनकर विराट हैरान रह गए क्योंकि उन्हें यह आशा नहीं थी कि उनका पुत्र अकेले कौरवों को हरा सकता है।

खुश होकर विराट ने सैरंध्री को चौपड़ बिछाने के लिए कहते हैं और कंक (युधिष्ठिर) के साथ चौपड़ खेलने लगे|खेलते समय भी बातें होने लगी। खेल में वे अपने पुत्र की वीरता की प्रशंसा करते हैं तो कंक बृहन्नला की बड़ाई करने लगते हैं। इस पर क्रोधित होकर विराट ने हाथ का पासा फेंककर कंक के मुँह पर दे मारा, जिससे कंक के मुँह से खून बहने लगा। इतने में द्वारपाल ने आकर खबर दी कि राजकुमार उत्तर व बृहन्नला द्वार पर खड़े हैं। कंक बने युधिष्ठिर ने द्वारपाल को केवल राजकुमार को लाने के लिए कहते हैं। उन्हें भय था कि उन्हें चोट लगी देखकर बृहन्नला बने अर्जुन को कहीं गुस्सा न आ जाए।

उत्तर ने पिता को नमस्कार किया। उसने जैसे ही युधिष्ठिर की ओर प्रणाम करने के लिए देखा| उत्तर ने पिता को नमस्कार किया। उसने जैसे ही युधिष्ठिर की ओर प्रणाम करने के लिए देखा तो उनके मुख पर से खून बहता आश्चर्यचकित रह गया| उसने अपने पिता सेपूछा कि उन्हें कैसे चोट लगी? पिता के द्वारा चोट पहुंचाने की बात सुनकर उसने पिता को कंक से क्षमा माँगने के लिए कहा और बताया कि मैं तो लड़ा भी नहीं। विराट ने कंक के पाँव पकड़कर क्षमा याचना की।

विराट ने कौरव-सेना को हराने वाले वीर को बुलाने को कहा। थोड़ी देर सोच-विचार कर अर्जुन ने पहले राजा विराट को और फिर सारी सभा को अपना असली परिचय दे दिया। विराट अपनी पुत्री उत्तरा का विवाह अर्जुन से करना चाहते हैं परंतु अर्जुन उसे अपनी बेटी जैसी मानते हैं| वे उत्तरा का विवाह अपने पुत्र अभिमन्यु से करने प्रस्ताव देते हैं| विराट इसे स्वीकार कर लेते हैं|

कुछ समय बाद दुर्योधन के दूत आकर युधिष्ठिर से आकर कहते हैं कि उतावली के कारण तेरहवाँ वर्ष पूरा होने से पहले ही अर्जुन पहचान लिए गए हैं। इसलिए शर्त के अनुसार पांडवों को फिर से वनवास करना होगा। युधिष्ठिर दूतों से कहते हैं कि दुर्योधन को जाकर बता देना कि अर्जुन ने जब अपने को प्रकट किया तब तेरहवें वर्ष की अवधि पूरी हो गई थी। मेरा यह दावा है कि तेरहवाँ वर्ष पूरा होने के बाद ही अर्जुन ने धनुष की टंकार की थी।

शब्दार्थ -

• हाल - समाचार

• शोकातुर - दुःखी

• दिलासा - तसल्ली

• आँखें फाड़कर देखना - आश्चर्यचकित होना

• फूला न समाना - अत्यधिक प्रसन्न होना

• शौर्य - वीरता

• विख्यात - प्रसिद्ध

• नि:संदेह - बिना किसी संदेह के

• उत्कंठा - उत्सुकता

• कोलाहल - शोर

• कृतज्ञता - किए गए उपकार को याद रखने का भाव

• तरंगित होना - लहरें उठना

• उतावली - जल्दबाजी

The document Summary: विराट का भ्रम | NCERT Textbooks & Solutions for Class 7 is a part of the Class 7 Course NCERT Textbooks & Solutions for Class 7.
All you need of Class 7 at this link: Class 7
375 docs

Top Courses for Class 7

375 docs
Download as PDF
Explore Courses for Class 7 exam

Top Courses for Class 7

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Summary

,

practice quizzes

,

Summary: विराट का भ्रम | NCERT Textbooks & Solutions for Class 7

,

Extra Questions

,

MCQs

,

Sample Paper

,

shortcuts and tricks

,

Important questions

,

Viva Questions

,

study material

,

Previous Year Questions with Solutions

,

video lectures

,

Free

,

Exam

,

Summary: विराट का भ्रम | NCERT Textbooks & Solutions for Class 7

,

Objective type Questions

,

pdf

,

Semester Notes

,

mock tests for examination

,

Summary: विराट का भ्रम | NCERT Textbooks & Solutions for Class 7

,

past year papers

,

ppt

;