प्रश्न 1: प्रेमचंद जैसे साहित्यकार की फोटो में उनके फटे जूतों को देखकर परसाई जी की मनोदशा पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 2: ”सभी नदियाँ पहाड़ थोड़े ही फोड़ती हैं“ पंक्ति में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: सभी नदियाँ पहाड़ को फोड़कर रास्ता नहीं बनाती, अपितु रास्ता बदलकर निकल जाती हैं। समाज की बुराइयों और रूढ़िवादी परम्पराओं को देखकर भी बहुत से विचारवान लोग कुछ नहीं करते; वे चुप रहकर मूकदर्शक बने रहते हैं। प्रेमचंद जी ने ऐसे लोगों पर व्यंग्य किया है, यह उनका ठोकर मारना था।
प्रश्न 3: कुंभनदास कौन थे ? उनका प्रसंग किस संदर्भ में किया गया है ? समझाकर लिखिए।
उत्तर: कुंभनदास कृष्णभक्त कवि थे। एक बार सम्राट अकबर ने उन्हें फतेहपुर सीकरी बुलाकर पुरस्कार देने की बात की तब उन्होंने इस पद की रचना की-
संतन कौं कहा सीकरी सौ काम।
आवत जात पन्हइयाँ घिस गईं बिसरि गयौ हरिनाम।।
प्रेमचंद के फटे जूते के संदर्भ में कुंभनदास के प्रसंग का उल्लेख किया गया है। प्रेमचंद रूढ़िवादी परम्पराओं को ठोकर मारते थे इसलिए उनके जूते फट गए, परन्तु समाज नहीं बदला।
प्रश्न 4: प्रेमचंद साधारण किसानों की भाँति जीवन-यापन करते थे। यद्यपि वे राष्ट्रीय ख्याति के कथाकार थे फिर भी उनका रहन-सहन आडम्बरहीन था। वे साधारण धोती कुर्ता पहनते थे। उनके साधारण-से जूतों को देखकर उनके किन गुणों का परिचय मिलता है ?
व्याख्यात्मक हल-
प्रेमचंद के साधारण से जूतों को देखकर हमें बुराइयों को छोड़ने का, सभी के साथ समानता का व्यवहार करने का, कभी भी दिखावा न करने की प्रवृत्ति का और आडम्बर हीन जीवन-यापन करने जैसे गुणों का परिचय मिलता है।
प्रश्न 5: हरिशंकर परसाई ने प्रेमचन्द का जो शब्द चित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है, उससे प्रेमचन्द के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं ?
उत्तर:
लेखक के अनुसार प्रेमचन्द के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:
प्रश्न 6: ‘प्रेमचन्द के फटे जूते’ पाठ में निहित व्यंग्य को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 7: हरिशंकर परसाई के अनुसार, प्रेमचंद का जूता घिसा नहीं था, फटा था, क्यों ?
उत्तर:
प्रश्न 8: ”जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो“ इस पंक्ति में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 9: पाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग किन सन्दर्भों को इंगित करने के लिए किया गया होगा ?
उत्तर: पाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग लेखक ने सामाजिक रीति-रिवाजों, परम्पराओं की तरफ इशारा करने के लिए किया है। समाज में किसानों का शोषण, गरीबों का शोषण, उच्च वर्ग का अहंकार, ताकत समाज में टीले के समान है। प्रेमचन्द उनको विकास की राह से हटा देना चाहते हैं।
प्रश्न 10: आपकी दृष्टि से वेशभूषा के प्रति लोगों की सोच में आज क्या परिवर्तन आया है?
उत्तर:
प्रश्न 11: ‘प्रेमचन्द के फटे जूते’ पाठ के अनुसार बताइए कि ‘तुम परदे का महत्त्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुरबान हो रहे हैं’ क्यों कहा गया है ?
उत्तर: आजकल पर्दा रखना अर्थात् छिपाव रखना आवश्यक हो गया है। हम जैसे साधारण लोग तो इस पर जान दे रहे हैं। प्रेमचन्द कुछ नहीं छिपाते। वे जैसे हैं वैसे ही दिखाई देते हैं। लेखक व्यंग्य करता है कि अब जमाना बदल गया है। अब पर्दें का जमाना है।
प्रश्न 12: ‘जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पच्चीसों टोपियाँ न्यौछावर होती है।’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 13: ‘प्रेमचंद के फटे जूते’ में लेखक को कौन-सी विडम्बना चुभी और क्यों ?
उत्तर: प्रेमचंद जैसे महान् साहित्यकार को, जिन्हें उपन्यास-सम्राट, युग-प्रवर्तक, और महान् कथाकार के रूप में जाना जाता है, के पास पहनने के लिए एक सही जूता भी नहीं था। यह स्थिति और उनकी गरीबी की विडम्बना लेखक को गहराई से चुभी।
प्रश्न 14: लेखक ने प्रेमचंद के जूते फटने का क्या कारण सोचा ? पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर: लेखक ने प्रेमचंद के जूते फटने का कारण यह सोचा कि उन्होंने किसी सख्त चट्टान को ठोकर मारी। इसका तात्पर्य यह है कि वे चट्टान से बचकर नहीं निकले, अर्थात् उन्होंने समाज की कुरीतियों से जूझते रहे। वे इन कुरीतियों से बचने का प्रयास नहीं कर पाए और इस कारण उनका जीवन कष्टमय व्यतीत हुआ। फिर भी, वे समाज से संघर्ष करते रहे।
प्रश्न 15: ”लेखक को फोटो में प्रेमचंद किस पर हँसते दिख रहे थे ?“ प्रेमचंद के फटे जूते’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: लेखक को फोटो में प्रेमचंद दिखावटी जीवन जीने वालों पर हँसते दिख रहे थे। जिन लोगों ने आत्मबल खो दिया है, वे आगे साहित्य लेखन कैसे कर सकते हैं? लेखन कार्य में आगे बढ़ने के लिए आत्मबल बनाए रखना चाहिए। स्वाभिमान से जीकर ही आगे बढ़ा जा सकता है।
प्रश्न 16: ‘गंदे से गंदे आदमी की फोटो भी खुशबू देती है’ का आशय सप्रसंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: गंदे से गंदे आदमी की फोटो भी खुशबू देती है। इसका आशय यह है कि फोटो में गंदे-से-गंदे आदमी की छवि भी सुन्दर बनाकर पेश की जाती है। सौंदर्य-प्रसाधनों का प्रयोग कर गंदगी को छिपाने का प्रयत्न किया जाता है। गंदे आदमी बुराई छिपाकर अपनी छवि अच्छी बनाए रखना चाहते हैं।
प्रश्न 17: क्या समझौता न करना प्रेमचंद की कमजोरी थी ? पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
प्रेमचंद के फटे जूते पाठ को इस वीडियो की मदद से समझें।
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1. कहानी 'प्रेमचंद के फटे जूते' की कथा परिचय क्या है? | ![]() |
2. कहानी में कौन-कौन से पात्र हैं और उनके किरदार कैसे हैं? | ![]() |
3. कहानी में क्या संदेश दिया गया है? | ![]() |
4. कहानी में कौन-कौन से मुद्दे उठाए गए हैं? | ![]() |
5. कहानी में कैसे प्रेमचंद के जीवन में परिवर्तन आया? | ![]() |