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Short Question Answers - प्रेमचंद के फटे जूते | Hindi Class 9 (Kritika and Kshitij) PDF Download

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1: प्रेमचंद जैसे साहित्यकार की फोटो में उनके फटे जूतों को देखकर परसाई जी की मनोदशा पर टिप्पणी कीजिए।                                                            
उत्तर: 

  • प्रेमचंद जैसे साहित्यकार की फोटो में उनके फटे जूते देखकर परसाई जी का मन रोने को करता है। उन्हें प्रेमचन्द जैसे महान साहित्यकार की बदहाली से बहुत दुःख होता है। 
  • उनवेळ पास विशेष अवसरों पर पहनने के लिए भी अच्छे कपड़े और जूते नहीं थे। उनकी आर्थिक दुरावस्था की कल्पना से लेखक बहुत अधिक दुःखी हो रहे थे।

Short Question Answers - प्रेमचंद के फटे जूते | Hindi Class 9 (Kritika and Kshitij)प्रश्न 2: ”सभी नदियाँ पहाड़ थोड़े ही फोड़ती हैं“ पंक्ति में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: सभी नदियाँ पहाड़ को फोड़कर रास्ता नहीं बनाती, अपितु रास्ता बदलकर निकल जाती हैं। समाज की बुराइयों और रूढ़िवादी परम्पराओं को देखकर भी बहुत से विचारवान लोग कुछ नहीं करते; वे चुप रहकर मूकदर्शक बने रहते हैं। प्रेमचंद जी ने ऐसे लोगों पर व्यंग्य किया है, यह उनका ठोकर मारना था।

प्रश्न 3: कुंभनदास कौन थे ? उनका प्रसंग किस संदर्भ में किया गया है ? समझाकर लिखिए।
उत्तर: कुंभनदास कृष्णभक्त कवि थे। एक बार सम्राट अकबर ने उन्हें फतेहपुर सीकरी बुलाकर पुरस्कार देने की बात की तब उन्होंने इस पद की रचना की-

संतन कौं कहा सीकरी सौ काम।
आवत जात पन्हइयाँ घिस गईं बिसरि गयौ हरिनाम।।

प्रेमचंद के फटे जूते के संदर्भ में कुंभनदास के प्रसंग का उल्लेख किया गया है। प्रेमचंद रूढ़िवादी परम्पराओं को ठोकर मारते थे इसलिए उनके जूते फट गए, परन्तु समाज नहीं बदला।

प्रश्न 4: प्रेमचंद साधारण किसानों की भाँति जीवन-यापन करते थे। यद्यपि वे राष्ट्रीय ख्याति के कथाकार थे फिर भी उनका रहन-सहन आडम्बरहीन था। वे साधारण धोती कुर्ता पहनते थे। उनके साधारण-से जूतों को देखकर उनके किन गुणों का परिचय मिलता है ?
व्याख्यात्मक हल-
प्रेमचंद के साधारण से जूतों को देखकर हमें बुराइयों को छोड़ने का, सभी के साथ समानता का व्यवहार करने का, कभी भी दिखावा न करने की प्रवृत्ति का और आडम्बर हीन जीवन-यापन करने जैसे गुणों का परिचय मिलता है।

प्रश्न 5: हरिशंकर परसाई ने प्रेमचन्द का जो शब्द चित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है, उससे प्रेमचन्द के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं ?
उत्तर: 
लेखक के अनुसार प्रेमचन्द के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:

  • लापरवाह व्यक्ति-प्रेमचन्द पोशाक के प्रति शौकीन नहीं थे। मोटे कपड़े की धोती, कुर्ता तथा टोपी पहनते थे। पैरों में कैनवास के जूते हैं परन्तु फीते बेढंगे हैं तथा एक पाँव के जूते में छेद है।
  • कष्टपूर्ण जीवन-प्रेमचन्द ने जीवन में अनेक कष्ट सहे। फोटो खिंचवाते समय भी मुस्कान बड़ी मुश्किल से आती थी।
  • महान् व्यक्तित्व-प्रेमचन्द ने अपनी कथा तथा उपन्यासों से एक नये युग की शुरुआत की। उनको युग-प्रवर्तक कहा जाता है।
  • अन्धविश्वासों के विरोधी-प्रेमचन्द ने सामाजिक विकास में बाधक परम्पराओं का विरोध किया है जैसे-‘कोई टीला जो रास्ते पर खड़ा हो गया था, उस पर तुमने अपना जूता आजमाया।’ अर्थात् वे कुरीतियों और रूढ़िवादी परम्पराओं रूपी टीलों को ठोकर मार कर उनका विरोध करते हैं। 

प्रश्न 6: ‘प्रेमचन्द के फटे जूते’ पाठ में निहित व्यंग्य को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: 

  • लेखक का यह व्यंग्य लेख पढ़कर पता चलता है कि लेखक स्पष्ट वक्ता है। वह सच को उजागर करने से डरता नहीं है। 
  • प्रेमचन्द की छोटी-छोटी बातें पाठकों के सामने रख दी हैं। प्रेमचन्द के चेहरे, व्यक्तित्व, फटे-जूते, गरीबी का यथार्थ चित्रण प्रस्तुत किया है। इससे लेखक की भाषा चतुराई का भी पता चलता है।

प्रश्न 7: हरिशंकर परसाई के अनुसार, प्रेमचंद का जूता घिसा नहीं था, फटा था, क्यों ? 
उत्तर: 

  • बनिये के तगादे से बचने के लिए प्रेमचंद ने मील-दो मील के चक्कर लगाकर घर पहुँचने का रास्ता बनाया होता तो जूता घिसता क्योंकि अधिक चलने से जूता घिसता है फटता नहीं। 
  • उनके फटे जूते से संकेत मिलता है कि उसकी यह दशा किसी कठोर चीज पर बार-बार ठोकर मारने से हुई अर्थात् कठोर कुरीतियों पर वे ठोकर जो मारते थे। 

प्रश्न 8: ”जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो“ इस पंक्ति में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।    
उत्तर: 

  • फटे जूते में से निकलने वाली अंगुली को देखकर लेखक को लगता है जैसे अंगुली लेखक और समाज पर व्यंग्य कर रही है और संकेत द्वारा उनके प्रति अपनी घृणा को प्रकट कर रही है। इस घृणा का कारण था कि समाज के लोग परिस्थितियों से जूझने के बदले उनसे समझौता करते रहे जबकि प्रेमचंद ने रास्ते में आने वाली बाधा रूपी चट्टानों से निरंतर संघर्ष किया, उन्हें लगातार ठोकर मारी। 
  • इसी प्रयास में उनके जूते भी फट गए। उन्होंने कभी भी झूठी मान्यताओं और आडम्बरों के प्रभाव में आकर समझौता नहीं किया। तभी वे हाथ की अंगुली की अपेक्षा पैर की अंगुली से इशारा करना पसंद करते हैं।

प्रश्न 9: पाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग किन सन्दर्भों को इंगित करने के लिए किया गया होगा ?
उत्तर: पाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग लेखक ने सामाजिक रीति-रिवाजों, परम्पराओं की तरफ इशारा करने के लिए किया है। समाज में किसानों का शोषण, गरीबों का शोषण, उच्च वर्ग का अहंकार, ताकत समाज में टीले के समान है। प्रेमचन्द उनको विकास की राह से हटा देना चाहते हैं।

Short Question Answers - प्रेमचंद के फटे जूते | Hindi Class 9 (Kritika and Kshitij)प्रश्न 10: आपकी दृष्टि से वेशभूषा के प्रति लोगों की सोच में आज क्या परिवर्तन आया है?
उत्तर: 

  • आज वेशभूषा के प्रति सोच में बड़ा परिवर्तन आया है। वेशभूषा से केवल व्यक्तित्व ही नहीं निखरता बल्कि, हमारी पृष्ठभूमि, हमारी रुचि और हमारी मानसिकता का भी पता चलता है। आजकल लोग अपनी वेशभूषा के प्रति अधिक सतर्क दिखाई देते हैं। 
  • यथासम्भव अच्छे और नई स्टाइल के कपड़े पहनना चाहते हैं। सम्पन्न लोग तो सदा नए से नए फैशन को सबसे पहले पकड़ लेना चाहते हैं। सामान्य लोग भी पहले की तरह फटे-पुराने से ही गुजारा करने पर विश्वास नहीं रखते। जितना सम्भव हो, वे भी नयापन चाहते हैं।

प्रश्न 11: ‘प्रेमचन्द के फटे जूते’ पाठ के अनुसार बताइए कि ‘तुम परदे का महत्त्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुरबान हो रहे हैं’ क्यों कहा गया है ?

उत्तर: आजकल पर्दा रखना अर्थात् छिपाव रखना आवश्यक हो गया है। हम जैसे साधारण लोग तो इस पर जान दे रहे हैं। प्रेमचन्द कुछ नहीं छिपाते। वे जैसे हैं वैसे ही दिखाई देते हैं। लेखक व्यंग्य करता है कि अब जमाना बदल गया है। अब पर्दें का जमाना है।

प्रश्न 12: ‘जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पच्चीसों टोपियाँ न्यौछावर होती है’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: 

  • सदा से ही जूते की कीमत ज्यादा रही है। शक्तिशाली व्यक्ति सदा श्रेष्ठ माने जाते हैं, वे लोगों के मान-सम्मान को पैरों से कुचल देते हैं। 
  • टोपी सम्मान की प्रतीक है और जूता अधिकार या सामथ्र्य का। व्यंग्य यह है कि आज शक्तिशाली व्यक्ति के चरणों में अनेक लोग झुकते हैं और अपना स्वाभिमान भूलकर दूसरों के जूतों पर कुर्बान होने को तैयार रहते हैं। 

प्रश्न 13: ‘प्रेमचंद के फटे जूते’ में लेखक को कौन-सी विडम्बना चुभी और क्यों ?
उत्तर: प्रेमचंद जैसे महान् साहित्यकार को, जिन्हें उपन्यास-सम्राट, युग-प्रवर्तक, और महान् कथाकार के रूप में जाना जाता है, के पास पहनने के लिए एक सही जूता भी नहीं था। यह स्थिति और उनकी गरीबी की विडम्बना लेखक को गहराई से चुभी।

प्रश्न 14: लेखक ने प्रेमचंद के जूते फटने का क्या कारण सोचा ? पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर: लेखक ने प्रेमचंद के जूते फटने का कारण यह सोचा कि उन्होंने किसी सख्त चट्टान को ठोकर मारी। इसका तात्पर्य यह है कि वे चट्टान से बचकर नहीं निकले, अर्थात् उन्होंने समाज की कुरीतियों से जूझते रहे। वे इन कुरीतियों से बचने का प्रयास नहीं कर पाए और इस कारण उनका जीवन कष्टमय व्यतीत हुआ। फिर भी, वे समाज से संघर्ष करते रहे।

प्रश्न 15: ”लेखक को फोटो में प्रेमचंद किस पर हँसते दिख रहे थे ?“ प्रेमचंद के फटे जूते’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: लेखक को फोटो में प्रेमचंद दिखावटी जीवन जीने वालों पर हँसते दिख रहे थे। जिन लोगों ने आत्मबल खो दिया है, वे आगे साहित्य लेखन कैसे कर सकते हैं? लेखन कार्य में आगे बढ़ने के लिए आत्मबल बनाए रखना चाहिए। स्वाभिमान से जीकर ही आगे बढ़ा जा सकता है।

प्रश्न 16: ‘गंदे से गंदे आदमी की फोटो भी खुशबू देती है’ का आशय सप्रसंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: गंदे से गंदे आदमी की फोटो भी खुशबू देती है। इसका आशय यह है कि फोटो में गंदे-से-गंदे आदमी की छवि भी सुन्दर बनाकर पेश की जाती है। सौंदर्य-प्रसाधनों का प्रयोग कर गंदगी को छिपाने का प्रयत्न किया जाता है। गंदे आदमी बुराई छिपाकर अपनी छवि अच्छी बनाए रखना चाहते हैं।

प्रश्न 17: क्या समझौता न करना प्रेमचंद की कमजोरी थी ? पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर: 

  • लेखक ने प्रेमचन्द की सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, जातीय आदि से सम्बन्धित कुप्रथाओं से समझौता न करने की कमजोरी की ओर संकेत किया है। 
  • वे धर्म-नियम को महत्त्व देते थे। इसी कारण इन बन्धनों से बँधे रहे। जबकि वास्तव में धर्म-नियम उनके लिए बन्धन नहीं था बल्कि मुक्ति थी। समझौता न करना प्रेमचन्द की कमजोरी नहीं ताकत थी। इसीलिए फटे जूते पहनकर फोटो खिंचाने में उन्हें शर्म नहीं आई।

प्रेमचंद के फटे जूते पाठ को इस वीडियो की मदद से समझें।
इस पाठ के NCERT Solutions यहाँ देखें।  

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FAQs on Short Question Answers - प्रेमचंद के फटे जूते - Hindi Class 9 (Kritika and Kshitij)

1. कहानी 'प्रेमचंद के फटे जूते' की कथा परिचय क्या है?
उत्तर: 'प्रेमचंद के फटे जूते' एक कहानी है जो एक गरीब और साधारण व्यक्ति के जीवन के बारे में है जो अपने नौकरी से निराश है।
2. कहानी में कौन-कौन से पात्र हैं और उनके किरदार कैसे हैं?
उत्तर: कहानी में मुख्य पात्र हैं प्रेमचंद, जो एक गरीब नौकर है और उसके बॉस जी के किरदार भी महत्वपूर्ण हैं। प्रेमचंद ने अपने बॉस के फटे जूते ठीक करने की कोशिश की है।
3. कहानी में क्या संदेश दिया गया है?
उत्तर: कहानी में एक संदेश है कि सफलता केवल पैसों और सामाजिक स्थिति से नहीं आती है, बल्कि मेहनत और अपने काम में ईमानदारी से लगने से मिलती है।
4. कहानी में कौन-कौन से मुद्दे उठाए गए हैं?
उत्तर: कहानी में गरीबी, मेहनत, नौकरी की सम्मानिता और सहयोग के महत्व जैसे मुद्दे उठाए गए हैं।
5. कहानी में कैसे प्रेमचंद के जीवन में परिवर्तन आया?
उत्तर: कहानी में दिखाया गया है कि प्रेमचंद ने मेहनत करके अपने काम में लगन दिखाई और उसने अपने नौकरी के माध्यम से समाज में सम्मान प्राप्त की।
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