अति लघु उत्तरीय प्रश्न
निम्नांकित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
1. निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
वह अपनी गूँज मिलाता आया है प्राचीनकाल से
गायक जब अंतरे की जटिल तानों के जंगल में
खो चुका होता है
या अपनी ही सरगम को लाँघकर
चला जाता है भटकता हुआ एक अनहद में
तब संगतकार ही स्थायी को सँभाले रहता हैजैसे समेटता हो मुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सामान
जैसे उसे याद दिलाता हो उसका बचपन
जब वह नौसिखिया था
प्रश्न (क)- ‘वह अपनी गूँज मिलाता आया है प्राचीनकाल से’ का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: पुराने समय से ही संगतकार मुख्य गायक के स्वर में अपनी गूँज मिलाता रहा है।
प्रश्न (ख)- मुख्य गायक के अंतरे की जटिल-तान में खो जाने पर संगतकार क्या करता है
उत्तर: मुख्य गायक के अंतरा की जटिल तान जब खो जाती हो तब संगतकार ही अपने स्वर से उसे साधता (संचालता) है।
प्रश्न (ग)- संगतकार, मुख्य गायक को क्या याद दिलाता है?
उत्तर: संगतकार मुख्य गायक को जैसे याद दिलाता है उसका बचपन जब वह नौसिखिया था।
2. निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
तार सप्तक में जब बैठने लगता है उसका गला
प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
आवाज़ से राख जैसा कुछ गिरता हुआ
तभी मुख्य गायक को ढाँढस बँधाता
कहीं से चला आता है संगतकार का स्वर
कभी-कभी वह यों ही दे देता है उसका साथ
प्रश्न (क)- ‘बैठने लगता है उसका गला’ का क्या आशय है?
उत्तर: जब मुख्य गायक का गला कमजोर पड़ने लगता है।
प्रश्न (ख)- मुख्य गायक को ढाँढस कौन बँधाता है और क्यों?
उत्तर: मुख्य गायक को संगतकार का सुर ही ढाँढस बँधाता है।
प्रश्न (ग)- तार सप्तक क्या है?
उत्तर: तार सप्तक संगीत में सात सुरों को कहते है।
3. मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्वर का साथ देती
वह आवाज सुंदर कमजोर काँपती हुई थी
वह मुख्य गायक का छोटा भाई है
या उसका शिष्य
या पैदल चलकर सीखने आने वाला दूर का कोई रिश्तेदार
मुख्य गायक की गरज में
वह अपनी गूँज मिलाता आया है प्राचीनकाल से
गायक जब अंतरे की जटिल तानों के जंगल में
खो चुका होता है
या अपने ही सरगम को लाँघकर
चला जाता है भटकता हुआ एक अनहद में
तब संगतकार ही स्थायी को सँभाले रहता है।
प्रश्न (क)- ‘मुख्य गायक की गरज में वह अपनी गूँज मिलाता आया है’: आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: मुख्य गायक का स्वर चट्टान जैसा भारी था।
प्रश्न (ख)- संगतकार मुख्य गायक को उसका बचपन किस प्रकार याद दिलाता है ?
उत्तर: संगतकार गायक को अपने सुर से भटकने नहीं देता और भटकाव की स्थिति होने पर मुख्य गायक को सही सुर पर लाकर उसे उसके बचपन की याद दिला देता है जब वह गीत गाते-गाते प्रायः सुर से भटक जाया करता था।
प्रश्न (ग)- ‘जटिल तानों के जंगल’ से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर: ‘जटिल तानों के जंगल’ से कवि का आशय है कि मुख्य गायक कभी-कभी किसी गीत के चरण को गाते हुए उसके अलापों और कठिन तानों में खो जाता है, सुर से भटक जाता है।
अथवा
प्रश्न (क)- मुख्य गायक का साथ देने वाला कौन हो सकता है?
उत्तर: मुख्य गायक का साथ देने वाला संगतकार उसका छोटा भाई है। शिष्य हो सकता है।
प्रश्न (ख)- किसी भी क्षेत्र में मुख्य व्यक्ति की भूमिका कब सार्थक होती है और क्यों?
उत्तर: जब गायक की आवाज़ संतोषी तानों के अतंर में खो जाता है तब संगतकार की भूमिका प्रारम्भ होती है।
प्रश्न (ग)- उपर्युक्त पंक्तियों में किस प्राचीन परंपरा की ओर संकेत किया गया है? वर्तमान में यह परंपरा किस रूप में मिलती है?
उत्तर: संगतकार अपनी आवाज़ की गूँज को मुख्य गायक के साथ मिलाकर उसकी आवाज़ को बल प्रदान करते हैं और ‘स्थायी’ (मूलपंक्ति) को खोने नहीं देते। जब मुख्य गायक का गला बैठने लगता है और आवाज टूटने लगती है तब वे अपनी आवाज़ मिलाकर मुख्य गायक को सहयोग देते हैं।
4. गायक जब अंतरे की जटिल तानों के जंगल में
खो चुका होता है
या अपने ही सरगम को लाँघकर
चला जाता है भटकता हुआ एक अनहद में
तब संगतकार ही स्थायी को सँभाले रहता है।
जैसे समेटता हो मुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सामान
जैसे उसे याद दिलाता हो उसका बचपन
जब वह नौसिखिया था।
प्रश्न (क)- संगतकार की भूमिका का महत्व कब सामने आता है ?
उत्तर: मुख्य गायक की कमज़ोर पड़ती आवाज़ को संगतकार बिना जताए सहारा देता है।
प्रश्न (ख)- यहाँ नौसिखिया किसे कहा गया है और किस संदर्भ में ?
उत्तर:
प्रश्न (ग)- भटके स्वर को संगतकार कब सँभालता है और मुख्य गायक पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
5. तार सप्तक में जब बैठने लगता है उसका गला
प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
आवाज में राख जैसा कुछ गिरता हुआ
तभी मुख्य गायक को ढाँढस बँधाताकहीं से चला आता है संगतकार का स्वर
कभी-कभी वह यों ही देता है उसका साथ
यह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं है
और यह कि फिर से गाया जा सकता है
गाया जा चुका राग।
प्रश्न (क)- ‘तार सप्तक’ से कवि का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर: ‘तार सप्तक’ का अर्थ है सरगम के ऊँचे स्वर ;किसी गीत को ऊँची आवाज में गाया जानाद्ध।
प्रश्न (ख)- कवि संगतकार के किस व्यवहार को उसकी मनुष्यता मानता है और क्यों ?
उत्तर: संगतकार में भी मुख्य गायक की तरह गायन-कौशल होता है, वह भी मुख्य गायक की तरह गा सकता है, परंतु गायक का साथ देने पर वह इस बात का विशेष ध्यान रखता है कि उसका सुर मुख्य गायक के सुर से नीचा ही रहे। ऊँचा गाने की प्रतिभा होने पर भी वह मुख्य गायक के स्वर से अपना स्वर नीचा रखकर उसका सम्मान करता है, इसे संगतकार की कमजोरी नहीं कहा जा सकता।
यह तो उसकी मनुष्यता है कि वह मुख्य गायक का सम्मान करता है तथा उसके सुर से ऊँचा नहीं गाता।
प्रश्न (ग)- संगतकार मुख्य गायक की सहायता कैसे करता है ?
उत्तर: संगतकार मुख्य गायक की बहुत सहायता करता है। सुर से भटकने पर उसे पुनः मूल सुर पर ले आता है। उसका गला बैठने पर जब मुख्य गायक की आवाज़ जवाब दे जाती है तथा वह निराश हो जाता है, तो संगतकार उसे निराशा से उबार लेता है, उसके सुर में अपना सुर मिलाकर उसे पुनः गाने की प्रेरणा देता है।
6.कभी-कभी वह यों ही दे देता है उसका साथ
यह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं है
और यह कि फिर से गाया जा सकता है
गाया जा चुका राग
और उसकी आवाज में जो हिचक साफ सुनाई देती है
या अपने स्वर को ऊंचा न उठाने की जो कोशिश है
उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
प्रश्न (क)- ‘यों ही’ में निहित अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: ‘यों ही’ का अर्थ है:बिना किसी प्रयोजन के।
प्रश्न (ख)- संसार में इस प्रकार की ‘मनुष्यता’ की क्या उपयोगिता है ?
उत्तर: संसार में तमाम लोग ऐसे हैं जो अवसर का लाभ उठाते हैं पर संगतकार ऐसा नहीं करता, यह उसकी मनुष्यता है। संसार में ऐसी मनुष्यता दूसरों को प्रेरणा देती है।
प्रश्न (ग)- आवाज़ की हिचक को विफलता क्यों नहीं कहा जा सकता ?
उत्तर: संगतकार की आवाज़ में जो हिचक है वह इसलिए कि वह स्वयं को महत्त्व न देकर मुख्य गायक को ही महत्त्व दिलाना चाहता है अतः यह उसकी विफलता नहीं अपितु मनुष्यता है।
प्रश्न 1. संगतकार कौन होता है और क्या करता है?
उत्तर: संगतकार मुख्य गायक का सहायक कलाकार होता है। प्राचीनकाल से उसका यही काम है कि वह अपनी आवाज़ की गूँज को मुख्य गायक की गरजदार आवाज़ में मिलाकर उसकी आवाज़ को बल प्रदान करें। उसकी आवाज की गूँज मुख्य गायक के स्वर को कोमलता प्रदान करती है।
प्रश्न 2. जब मुख्य गायक की ताने जटिल हो जाती है और वह उनमें खोने लगता है। तब संगतकार उसे किससे भटकने नहीं देता?
उत्तर: जब मुख्य गायक-स्थायी से गीत आरंभ करता है, तो अंतरा के शुरू होते ही ताने जटिल हो जाती हैं, आपस में उलझ जाती हैं तब तानों की जटिलता में मुख्य गायक खोने लगता है, तो संगतकार उसे सुर से भटकने नहीं देता उसे सहारा देता है।
प्रश्न 3. संगतकार मुख्य गायक को किसकी याद दिलाता हैं की टेक गाते हुए कैसे प्रतीत होते है?
उत्तर: संगतकार, मुख्य गायक को उसका बचपन याद दिलाता है, जब वह नौसिखिया था अर्थात् जब उसने संगीत सीखना आरम्भ किया था। संगतकार गीत की टेक को गाते हुए ऐसे प्रतीत होते हैं जैसे मुख्य गायक के द्वारा रास्ते में छोड़े हुए सामान को समेटते हुए वह आगे बढ़ रहा हो या मुख्य गायक को संगतकार उसके बचपन की याद दिलाता हैं।
प्रश्न 4. मुख्य गायक के साथ संगतकार की क्या भूमिका होती है ?
उत्तर: संगतकार दूसरों को शीर्ष पर पहुँचाने का कार्य करते हैं। संगतकार के बिना मुख्य कलाकार असफल ही रहता है। संगतकार के माध्यम से कवि, नाटक, संगीत, फिल्म तथा नृत्य आदि कलाओं में काम करने वाले सहायक कलाकारों तथा किसी भी क्षेत्र में कार्यरत सहायक कर्मचारियों की ओर संकेत करता है। ये अपने मानवतावादी दृष्टिकोण से मुख्य व्यक्ति की भूमिका को विशिष्ट बनाने का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं।
प्रश्न 5. ‘संगतकार’ कविता के आधार पर बताइए कि संगतकार किन-किन रूपों में मुख्य गायक-गायिकाओं की मदद करते हैं ?
अथवा
संगतकार किन-किन रूपों में मुख्य गायक-गायिकाओं की मदद करते हैं ?
उत्तर: संगतकार कभी वादक के रूप में कभी स्वर लहरियों को सँभालने में तो कभी मुख्य गायक के थके स्वर को विश्राम देने के लिए संगतकार मदद करता है।
प्रश्न 6. मुख्य गायक के साथ संगतकार का होना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर: मुख्य गायक को गायन के सुरताल के लिए वाद्य यंत्रों की आवश्यकता होती है। गायक को थकान के समय सुर की आरोह-अवरोह इत्यादि के लिए संगतकार की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 7. ‘संगतकार’ की आवाज को कमज़ोर, काँपती हुई आवाज़ क्यों कहा गया है ?
उत्तर: मुख्य गायक गायन कला में निपुण । मुख्य गायक के समक्ष अपनी लघुता का बोध ही उसमें हीन-भावना ले आता है तभी संगतकार की आवाज कमज़ोर और काँपती।
प्रश्न 8. ‘संगतकार’ कविता में कवि ने अंतरे को ‘जटिल तान का जंगल’ क्यों कहा है ? गायक उसमें कैसे खो जाता है ?
उत्तर: स्थायी से गीत आरम्भ, अंतरा शुरू होते ही सुर कठिन होने लगते हैं, तानें जटिल हो जाती हैं, आपस में उलझ जाती हैं। जब जटिल तानों में मुख्य गायक खोने लगता है तब संगतकार सहारा देता है।
प्रश्न 9. गायक सरगम को लाँघकर कहाँ चला जाता है ? वह वापस कैसे आता है ?
उत्तर: गायक अपने सरगम को लाँघकर अनहद में चला जाता है, एक अलग लोक में पहुँच जाता है। संगतकार स्थायी टेक के साथ उसे सहारा देकर उसका साथ देता है और तब मुख्य गायक वापस लौट आता है।
प्रश्न 10. संगतकार की आवाज़ में एक हिचक-सी क्यों प्रतीत होती है?
उत्तर: संगतकार निस्वार्थ रूप से स्वयं को पृष्ठभूमि में रखकर मुख्य गायक की सफलता में योगदान देता है। उसे अपने योगदान का श्रेय लेने की कोई इच्छा नहीं होती। इसी कारण स्वयं को पीछे रखने की कोशिश में उसकी आवाज़ में हिचक-सी प्रतीत होती है।
व्याख्यात्मक हल:
संगतकार अपनी आवाज़ को पूरा खोलकर नहीं गाता, क्योंकि वह यह नहीं चाहता कि मुख्य गायक के सामने उसकी आवाज़ तेज हो जाये। उसे मालूम है कि यदि उसकी आवाज़ तेज होगी तो मुख्य गायक की आवाज़ का प्रभाव कम हो जायेगा। मुख्य गायक के प्रति उसके मन में श्रद्धा भी है, इसलिए उसकी आवाज़ में एक हिचक-सी प्रतीत होती है।
प्रश्न 11. संगतकार द्वारा अपने स्वर को उळँचा न उठाने की कोशिश को कवि ने मनुष्यता क्यों रहा है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: संगतकार मुख्य गायक को प्रतिष्ठित करता है और स्वयं पृष्ठभूमि में रहता है उसका यह कार्य उसकी मनुष्यता का परिचायक है क्योंकि वह अपने साथी मुख्य गायक को ही प्रकाश में लाना चाहता है, स्वयं को नहीं अन्यथा उसका कार्य धोखा, छल, कपट कहा जाना जो इंसानियत के विरूद्ध है।
प्रश्न 12. सांसारिक जीवन में संगतकार जैसे व्यक्ति की सार्थकता पर विचार कीजिए।
अथवा
संगतकार जैसे व्यक्ति की जीवन में क्या उपयोगिता होती है, स्पष्ट रूप से समझाइए।
उत्तर: संगतकार जैसे व्यक्ति स्वयं पृष्ठभूमि में रहकर मुख्य गायक को प्रसिद्धि यश दिलवाते हैं। ऐसे व्यक्ति गायन का श्रेय (या श्रम का श्रेय) स्वयं नहीं लेते अपितु जिनका वह साथ देते हैं, उन्हें ही प्रकाश में लाना उनका ध्येय होता है अतः ऐसे समर्पित व्यक्ति जीवन में बहुत उपयोगी माने जाते हैं।
प्रश्न 13. मुख्य गायक की सफलता का श्रेय संगतकार को न दिया जाना समाज की किस प्रवृत्ति का परिचायक है ? इस प्रवृत्ति से क्या हानियाँ हैं ?
उत्तर: मुख्य गायक की सफलता का श्रेय संगतकार को न दिया जाना समाज की स्वार्थी प्रवृत्ति का परिचायक है। संगतकार कभी आगे नहीं बढ़ पाता। उसकी कला दूसरे के नाम से जानी जाती है। मन में हीन भावना जाग सकती है।
प्रश्न 14. ‘संगतकार’ कविता में ‘नौसिखिया’ से क्या अभिप्राय है ? उसका गला कब रुँध जाता है ?
उत्तर: नौसिखिया से आशय है- गायन को नया-नया सीखने वाला। जब उत्साह गिरने का प्रभाव उस पर पड़ता है तो उसका गला बंद हो जाता है।
व्याख्यात्मक हल:
सहयोगी गायक गीत की टेक को गाते हुए ऐसे लगते हैं जैसे गायक के द्वारा रास्ते में छोड़े हुए सामान को समेटते हुए आगे बढ़ रहे हों। या फिर ऐसे लगता है जैसे संगतकार मुख्य गायक को बचपन की वह याद दिलाते हैं जब उसने संगीत सीखना आरम्भ किया था।
प्रश्न 15. संगतकार जैसे व्यक्ति सर्वगुण-सम्पन्न होकर भी समाज की दृष्टि में महत्त्वपूर्ण क्यों नहीं माने जाते ? 2
उत्तर: सर्वगुण सम्पन्न होने पर भी मुख्य गायक के पीछे रहकर सहयोगी बने रहते हैं। प्रिय कलाकार की सफलता में अपनी सफलता देखते हैं। वे भी अत्यधिक प्रतिभाशाली, कर्तव्यनिष्ठ तथा परोपकारी होते हैं।
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1. संगतकार के मुख्य विचार क्या हैं ? |
2. संगतकार में किस प्रकार के चरित्रों का वर्णन किया गया है ? |
3. संगतकार का महत्व क्यों है ? |
4. संगतकार में किस प्रकार के उदाहरण दिए गए हैं ? |
5. संगतकार में दिए गए संदेश को हम अपने जीवन में कैसे लागू कर सकते हैं ? |
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