Class 10 Exam  >  Class 10 Notes  >  संस्कृत कक्षा 10 (Sanskrit Class 10)  >  अभ्यास - सौहार्दं प्रकृतेः शोभा | NCERT Solution

अभ्यास - सौहार्दं प्रकृतेः शोभा | NCERT Solution | संस्कृत कक्षा 10 (Sanskrit Class 10) PDF Download

प्रश्न.1. अधोलिखितप्रश्नानामुत्तराणि एकपदेन लिखत –
(क) वनराजः कैः दुरवस्थां प्राप्तः?

उत्तरम्- वानरेः

(ख) कः वातावरणं कर्कशध्वनिना आकुलीकरोति?
उत्तरम्- काक:

(ग) काकचेष्टः विद्यार्थी कीदृशः छात्रः मन्यते?
उत्तरम्- आदर्श

(घ) कः आत्मानं बलशाली, विशालकायः, पराक्रमी च कथयति।
उत्तरम्- गजः

(ङ) बकः कीदृशान् मीनान् क्रूरतया भक्षयति?
उत्तरम्- वराकान्

(च) मयूरः कथं नृत्यमुद्रायां स्थितः भवति?
उत्तरम्-
 पिच्छानुद्घाट्य

(छ) अन्ते सर्वे मिलित्वा कस्य राज्याभिषेकाय तत्पराः भवति?
उत्तरम्- उल्लूकस्य

(ज) अस्मिन्नाटके कति पात्राणि सन्ति?
उत्तरम्-  दश

प्रश्न.2. अधोलिखितप्रश्नानामुत्तराणि पूर्णवाक्येन लिखत –
(क) नि:संशयं कः कृतान्तः मन्यते?
उत्तरम्- नि:संशयं चन्तुवः कृतान्तः मन्यते।

(ख) बकः वन्यजन्तूनां रक्षोपायान् कथं चिन्तयितुं कथयति?
उत्तरम्- बकः वन्यजन्तूनां रक्षोपायान् चिन्तयितुं कथयति यत् सः ध्यानमग्नः स्थितप्रज्ञ इव स्थित्वा सर्वेषाम् रक्षायाः करिष्यति।

(ग) अन्ते प्रकृतिमाता प्रविश्य सर्वप्रथम किं वदति?
उत्तरम्- प्रकृतिमाता प्रविश्य सर्वप्रथम कथयति “भोः भोः प्राणिनः यूयम सर्वे एव में सन्ततिः। कथं मिथ: कलह कुर्वन्ति।

(घ) यदि राजा सम्यक् न भवति तदा प्रजा कथं विप्लवेत्?
उत्तरम्- यदि राजा सम्यक् न भवति तदा प्रजा नौकाइव विप्लवेत्।

प्रश्न.3. रेखांकितपदमाधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत –
(क) सिंहः वानराभ्यां स्वरक्षायाम् असमर्थः एवासीत्।
उत्तरम्- सिंहः वानराभ्यां किमर्थ असमर्थः एवासीत्?

(ख) गज; वन्यपशून् तुदन्तं शुण्डेन पोथयित्वा मारयति।
उत्तरम्- गजः वन्यपशून् तुदन्तं केन् पोथयित्वा मारयति?

(ग) वानरः आत्मानं वनराजपदाय योग्यः मन्यते।
उत्तरम्- वानरः आत्मानं कस्मै योग्यः मन्यते?

(घ) मयूरस्य नृत्यं प्रकृते: आराधना।
उत्तरम्- मयूरस्य नृत्यं कया आराधना?

(ङ) सर्वे प्रकृतिमातरं प्रणमन्ति।
उत्तरम्- सर्वे किम् प्रणमन्ति?

प्रश्न.4. शुद्धकथनानां समक्षम् आम् अशुद्धकथनानां च समक्षं न इति लिखत –
(क) सिंहः आत्मानं तुदन्तं वानरं मारयति।
(ख) का-का इति बकस्य ध्वनिः भवति।
(ग) काकपिकयोः वर्णः कृष्णः भवति।
(घ) गजः लघुकायः, निर्बल: च भवति।
(ङ) मयूरः बकस्य कारणात् पक्षिकुलम् अवमानित मन्यते।
(च) अन्योन्यसहयोगेन प्राणिनाम् लाभ: जायते।
उत्तरम्- 
(क) न
(ख) न
(ग) आम
(घ) न
(ङ) न
(च) आम्

प्रश्न.5. मञ्जूषातः समुचितं पदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत –
स्थितप्रज्ञः, यथासमयम्, मेध्यामध्यभक्षकः, अहिभुक्, आत्मश्लाघाहीनः, पिकः
(क) 
काक: ______ भवति।
उत्तरम्- मेध्यामध्यभक्षकः

(ख) ______ परभृत् अपि कथ्यते।
उत्तरम्- 
पिकः

(ग) बकः अविचल: ______ इव तिष्ठति।
उत्तरम्- स्थितप्रज्ञः

(घ) मयूरः ______ इति नाम्नाऽपि ज्ञायते।
उत्तरम्- अहिभुक्

(ङ) उलूक ______ पदनिर्लिप्तः चासीत्।
उत्तरम्- आत्मश्लाघीहीन:

(च) सर्वेषामेव महत्त्वं विद्यते ______ !
उत्तरम्- यथासमयमा

प्रश्न.6. परिचयं पठित्वा पात्रस्य नाम लिखत –
(क) अहं शुण्डेन कमपि पोथयित्वा मारयितुं समर्थः।

उत्तरम्- गजः

(ख) मम सत्यप्रियता सर्वेषां कृते उदाहरणस्वरूपा।
उत्तरम्- 
काक:

(ग) मम पिच्छानामपूर्व सौन्दर्यम्।।
उत्तरम्- 
मयूरः

(घ) अहं पराक्रमिणं भयंकर वापि जन्तुं पराजेतु समर्थः।
उत्तरम्- वानरः

(ङ) अहं वनराजः। कथं सर्वे मिलित्वा मां तुदन्ति?
उत्तरम्- सिंहः

(च) अहम् अगाधजलसञ्चारी अपि गर्व न करोमि?
उत्तरम्- प्रकृतिमाता

(छ) अहं सर्वेषां प्राणिनां जननी अस्मि।
उत्तरम्- 
प्रकृतिमाता

(ज) एषः तु करालवक्त्रः दिवान्धः चास्ति।
उत्तरम्- काकः

प्रश्न.7. वाच्यपरिवर्तनं कृत्वा लिखत उदाहरणम्- क्रुद्धः सिंहः इतस्ततः धावति गर्जति च। – क्रुधन सिंहेन इतस्ततः धाव्यते गय॑ते च।
(क) त्वया सत्यं कथितम्।
उत्तरम्- त्वं सत्यं कथितम्।

(ख) सिंहः सर्वजन्तून् पृच्छति।
उत्तरम्- सिहेन् सर्वजन्तून् पृच्छ।

(ग) काकः पिकस्य संतति पालयति।
उत्तरम्- काकेन् पिकस्य सन्ततिं पालयते।

(घ) मयूरः विधात्रा एवं पक्षिराज: वनराजः वा कृतः।
उत्तरम्- विधाता मयूरं एव पक्षिराज: वनराज: वा अकरोत।

(ङ) सर्वैः खगैः कोऽपि खगः एव वनराजः कर्तुमिष्यते
उत्तरम्- सर्वाः खगाः कोऽपि खगः एव वनराजः कर्तुम् इच्छाति स्म।

(च) सर्वे मिलित्वा प्रकृतिसौन्दर्याय प्रयत्नं कुर्वन्तु।
उत्तरम्- सर्वे मिलित्वा प्रकृति सौन्दर्याय प्रयत्नं कुर्वेयुः।

प्रश्न.8. समासविग्रह समस्तपदं वा लिखत –
(क) तुच्छजीवैः ______
(ख) वृक्षोपरि ______
(ग) पक्षिणां सम्राट् ______
(घ) स्थिता प्रज्ञा यस्य सः ______
(ङ) अपूर्वम् ______
(च) व्याघ्रचित्रका ______
उत्तर:

(क) तुच्छजीवैः तुच्छ जीवैः।
(ख) वृक्षोपरि वृक्षस्य उपरि।
(ग) पक्षिणां सम्राट् पक्षिसम्राट।
(घ) स्थिता प्रज्ञा यस्य सः स्थित प्रज्ञः।
(ङ) अपूर्वम् न पूर्वः।
(च) व्याघ्रचित्रका व्याघ्र च चित्रकाश्च।

प्रश्न.9. प्रकृतिप्रत्ययविभागं कुरुत/योजयित्वा वा पदं रचयत –
(क) क्रुध-क्त ______
(ख) आकृष्य ______
(ग) सत्यप्रियता ______
(घ) पराक्रमी ______
(ङ) कूर्द क्त्वा ______
(च) शृण्व न् ______
उत्तर:
(क) क्रुध्+क्त कुद्धः।
(ख) आकृष्य आ + कृष् + ल्यप्
(ग) सत्यप्रियता सत्यप्रिय तिल।
(घ) पराक्रमी पराक्रम + डीप।
(ङ) कू क्त्वा कुर्दयित्वा।
(च) शृण्वन् शुण + शत्।

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FAQs on अभ्यास - सौहार्दं प्रकृतेः शोभा - NCERT Solution - संस्कृत कक्षा 10 (Sanskrit Class 10)

1. अभ्यास - सौहार्दं प्रकृतेः शोभा के बारे में क्या हैं?
Ans. अभ्यास - सौहार्दं प्रकृतेः शोभा एक कक्षा 10 के NCERT समाधान है जो सौहार्द, प्रकृति और शोभा के बारे में बात करता है। यह एक लेख है जो हमें शिक्षा प्रदान करता है कि हमें प्रकृति के साथ सौहार्दिक रूप से कैसे रहना चाहिए।
2. सौहार्द और प्रकृति क्या हैं?
Ans. सौहार्द एक संगठनित मानसिक और भावनात्मक रूप होता है जिसमें लोग एक दूसरे के साथ मिलजुलकर रहते हैं। यह समृद्धि, सहभागिता और समरसता का प्रतीक है। प्रकृति विश्वास है जो हमें जीवन की संतुलन, सुंदरता और निर्माण की महत्वपूर्णता को समझाता है।
3. अभ्यास - सौहार्दं प्रकृतेः शोभा क्यों महत्वपूर्ण है?
Ans. अभ्यास - सौहार्दं प्रकृतेः शोभा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें प्रकृति की महत्वपूर्णता को समझाता है और हमें सौहार्दिक और समावेशी रूप से रहने के लिए प्रेरित करता है। यह हमें वातावरण के साथ सामंजस्य बनाए रखने की आवश्यकता को बताता है और हमें वनस्पति, पशु-पक्षी और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा करने की जरूरत को समझाता है।
4. प्रकृति के साथ सौहार्दिक रहने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
Ans. प्रकृति के साथ सौहार्दिक रहने के लिए हमें निम्नलिखित कार्यों को करना चाहिए: - प्रकृति के साथ समय बिताएं, जैसे कि जंगल में घूमना या नदी में स्नान करना। - प्रदूषण कम करने के लिए सबसे अच्छा तरीका चुनें, जैसे कि अपनी गाड़ी का उपयोग कम करना और पेड़ लगाना। - वनस्पतियों और पशु-पक्षियों की देखभाल करें और उन्हें सुरक्षित रखें। - बागवानी का प्रयास करें और पेड़ लगाएं ताकि हम अपने आस-पास के वातावरण को सुंदर और हरा-भरा बना सकें।
5. प्रकृति के साथ सौहार्दिक रहने के क्या लाभ हैं?
Ans. प्रकृति के साथ सौहार्दिक रहने के कई लाभ हैं, जैसे कि: - यह हमें स्वस्थ और स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। - यह हमें मानसिक शांति और सुख देता है। - यह हमें प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने की आदत देता है, जो हमारे लिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए महत्वपूर्ण है। - यह हमें जीवन की संतुलन को समझने और महत्वपूर्णता को समझने में मदद करता है। - यह हमें एक अनुभवपूर्ण और खुशहाल जीवन जीने का मौका देता है।
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