प्रश्न.1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए
(क) नवाब साहब ने अपनी नवाबी शान का परिचय किस प्रकार दिया? 'लखनवी अन्दाज' पाठ के आधार पर लिखिए।
(ख) लेखक सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के अनुसार देवदार की छाया और फादर कामिल बुल्के के व्यक्तित्व में क्या समानता थी?
(ग) नवाब साहब का व्यवहार क्या दर्शाता है? 'लखनवी अन्दाज' पाठ के आधार पर लिखिए।
(घ) 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालिए।
(क) नवाब साहब ने अपनी नवाबी शान का परिचय देने के लिए खीरे खाने के बजाए उनकी फाँकों को सूंघ कर एक-एक करके खिड़की से बाहर फेंक दिया। फिर इस क्रियाकलाप में थकान का अनुभव करते हुए लेट गए। इतना ही नहीं उन्होंने लेखक को दिखाने के लिए पेट भर जाने का प्रमाण देते हुए डकार भी ली।
(ख) देवदार के सघन वृक्ष की छाया घनी, शीतल और मन को शांत करने वाली होती है। फादर कामिल बुल्के 'परिमल' के सभी सदस्यों से एक पारिवारिक रिश्ते में बंधे जैसे थे। वे सब के साथ हँसी मजाक में निर्लिप्त शामिल रहते। 'परिमल' के सदस्यों के घरों में होने वाले उत्सवों और संस्कार में वे बड़े भाई और पुरोहित जैसे खड़े होकर अपना आशीर्वाद देते थे। फादर की उपस्थिति में लेखक को शांति, सुरक्षा, संरक्षण और अपनत्व का अनुभव होता था। इसी कारण लेखक को फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगती थी।
(ग) नवाब साहब लखनऊ के तथाकथित नवाबों के खानदान से सम्बन्ध रखते थे। नवाबी चले जाने के बाद भी वे उसके प्रभाव से मुक्त नहीं हो पाए थे। उनका व्यवहार उनकी बनावटी जीवन शैली को दर्शाता है, इससे पता चलता है कि उनमें दिखावे की प्रवृत्ति है। वे रईस नहीं है केवल रईस होने का ढोंग कर के लेखक को छोटा दिखाना चाहते थे।
(घ) 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' संस्मरणात्मक लेख के माध्यम से लेखक सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने फादर कामिल बुल्के के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। फादर कामिल बुल्के मानवीय करुणा के प्रतीक थे। उनका हृदय सबके लिए प्रेम, अपनत्व और करुणा से परिपूर्ण था। ईश्वर में उनकी गहरी आस्था थी। उनके द्वारा बोले गए सांत्वना के शब्द दुखी और पीड़ित व्यक्तियों को असीम शांति प्रदान करते थे। दृढ़ संकल्प और सहज मानवीय गुणों से परिपूर्ण फादर का व्यक्तित्व 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' से प्रकाशित था। अतः पाठ का शीर्षक सार्थक है।
प्रश्न.2. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए|
(क) कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर 'गरजने' के लिए क्यों कहता है?
(ख) मानव के मन पर फागुन के सौन्दर्य का क्या प्रभाव पड़ता है? 'अट नहीं रही है' कविता के आधार पर लिखिए।
(ग) अपनी बेटी को विदा करते समय माँ ने बेटी को क्या-क्या सीख दी? 'कन्यादान' कविता के आधार पर बताइए।
(घ) 'अट नहीं रही है' कविता में उड़ने को नभ में तुम पर-पर कर देते हो' के आलोक में बताइए कि फाल्गुन लोगों के मन को किस तरह प्रभावित करता है?
(क) निराला जी की 'उत्साह' कविता एक आह्वान गीत है। जिसमें कवि क्रान्ति की अपेक्षा करते हुए बादलों से गर्जना करने को कहता है। बादलों की फुहार और रिमझिम से व्यक्ति के मन में कोमल भावनाओं का संचार होता है। ऐसे भावों से कवि का उद्देश्य पूरा नहीं होता। इसीलिए वह बादलों से गरजने के लिए कहता है। जिससे उदासीन लोगों के मन में उत्साह का संचार हो सके।
(ख) फागुन मास में प्रकृति की शोभा अनुपम होती है। चारों ओर का वातावरण हरियाली युक्त, रंग-बिरंगे फूलों की सुगन्ध से सुवासित तथा आकर्षक दिखाई देता है। फागुन की अनूठी मस्ती से मानव का मन हर्षित तथा प्रसन्नचित हो जाता है। उसके मन में खुशी का संचार होता है और वह मानो दूर नील गगन में उड़ने को व्याकुल हो जाता है। फागुन की सुन्दरता उसे अपनी ओर इस प्रकार आकर्षित करती है कि वह चाह कर उससे नजरें नहीं हटा पाता।
(ग) अपनी बेटी को विदा करते समय माँ अपना दायित्व समझ कर उसे सीख देती है कि अपने रूप सौन्दर्य पर मुग्ध मत होना। वस्त्रों और आभूषणों को अपने जीवन का बन्धन न बनने देगा। लड़की की तरह विनम्र रहकर सभी मर्यादाओं और संस्कारों का पालन करना किन्तु भोली-भाली, निरीह, अबला बनकर शोषण का शिकार मत होना।
(घ) फाल्गुन महीने में प्राकृतिक सौन्दर्य चरम पर होता है। मन कल्पनाओं में खोकर उड़ान भरने लगता है। फाल्गुन माह के वासंतिक प्रभाव से मन मन्त्र-मुग्ध हो जाता है। शीतल मंद सुगन्धित पवन नव पल्लवों और रंग-बिरंगे पुष्पों से लदी वृक्षों की डालियाँ वातावरण में मादकता भर देती हैं। मानव मन प्रसन्नता से भर उठता है।
प्रश्न.3. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए|
(क) 'माता का आँचल' पाठ में वर्णित तत्कालीन विद्यालयों के अनुशासन से वर्तमान युग के विद्यार्थियों के अनुशासन की तुलना करते हुए बताइए कि आप किस अनुशासन व्यवस्था को अच्छा मानते हैं और क्यों?
(ख) 'जॉर्ज पंचम की नाक' पाठ में 'नाक' के माध्यम से समाज पर क्या व्यंग्य किया गया है?
(ग) एक संवेदनशील नागरिक के रूप में पर्यावरण प्रदूषण को रोकने में आपकी क्या महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है? 'साना-साना हाथ जोड़ि' पाठ के आधार पर लिखिए।
(क) 'माता का अँचल' पाठ में वर्णित तत्कालीन विद्यालय अनुशासन की दृष्टि से वर्तमान विद्यालयों से बेहतर थे। छात्र एवं शिक्षकों के मध्य आत्मीय सम्बन्ध होते हुए भी छात्र पूर्णतः अनुशासित थे। वे अपने शिक्षकों को पूरा सम्मान देते थे और शरारत करने से डरते थे क्योंकि शिक्षक पढ़ाई और अनशासन के साथ कोई समझौता नहीं करते थे। विद्यार्थियों को भय रहता था कि यदि शिक्षक को उनकी शरारत का पता लग गया तो उन्हें दण्ड मिलेगा। जिस प्रकार बच्चों ने जब मूसन तिवारी को चिढ़ाया और उन्होंने गुरु जी से शिकायत की तो लेखक को भी अन्य छात्रों के साथ दण्ड का भागी बनना पड़ा। वर्तमान समय में छात्रों के अन्दर शिक्षक या विद्यालय का डर नहीं रह गया है। आज विद्यालय परिसर के अन्दर भी छात्र आपराधिक कृत्य करने से नहीं चूक रहे हैं। कई बार कुछ उदण्ड छात्र शिक्षकों के साथ मारपीट और हिंसा जैसी घटनाएँ करने से भी नहीं घबराते। अतः हम कह सकते हैं कि तत्कालीन विद्यालय वर्तमान विद्यालयों की अपेक्षा अधिक अनुशासित थे।
(ख)
- मानसिक/औपनिवेशिक गुलामी।
- दिखावा।
- नौकरशाही में टालने की प्रवृत्ति ।
- गैर-जिम्मेदारी।
- पत्रकारिता में कर्त्तव्य बोध का अभाव।
(कोई चार बिन्दुओं का विस्तार आपेक्षित)व्याख्यात्मक हलः
'जॉर्ज पंचम की नाक' पाठ के माध्यम से लेखक ने समाज पर व्यंग्य किया है कि 'नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है।' जॉर्ज पंचम की लाट पर नाक लगाई जाए या नहीं, इसके लिए कई आन्दोलन हुए-यह भी व्यंग्य किया गया है। इंग्लैण्ड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के स्वागत में लाट पर नाक न होने पर उत्पन्न परेशानी तथा उस नाक के नाप की खोज करना आदि के माध्यम से भारत की नाक का प्रश्न भी रखा गया है। जॉर्ज पंचम की लाट पर नाक लगेगी तभी भारत की नाक बचेगी, यह व्यंग्य भी प्रदर्शित होता है। चालीस करोड़ की जनता में से किसी भी एक व्यक्ति की जिन्दा नाक लाट पर लगाना व महारानी का मान-सम्मान करना सर्वथा अनुचित है और जिन्दा व्यक्ति की नाक काटना अनुचित के साथ-साथ पाप भी है। मगर किसी भी तरह से लाट की नाक लगनी चाहिए, इसके लिए अपने देश के लोगों को बेशक कितनी ही परेशानी झेलनी पड़ें, बेशक किसी की जान चली जाए लेकिन किसी दूसरे देश के सामने अपनी नाक नहीं कटनी चाहिए। उस समय के समाज में यह व्यंग्य भली प्रकार से उपयुक्त बैठता है।
(ग) प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना हम सब का उत्तरदायित्व है। प्रकृति के साथ आज जिस प्रकार का खिलवाड़ किया जा रहा है वह दिन दूर नहीं है, जब हमें इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ेंगे। एक संवेदनशील नागरिक के रूप में इसे रोकने में हम महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हमारा कर्त्तव्य है कि हम प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करें। न तो हम स्वयं वृक्षों को काटें और न ही किसी अन्य को काटने दें। अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। वाहनों का यथासम्भव कम प्रयोग करें, जिससे उसके विषैले धुएँ से वातावरण को दूषित होने से बचाया जा सके। साथ ही पॉलिथीन, फैक्ट्रियों का गन्दा पानी, अपशिष्ट पदार्थों और नालियों के गन्दे पानी को पवित्र नदियों में न जाने दें। अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ रखें।
सामान्य त्रुटियाँ- विद्यार्थी प्रदूषण से होने वाले दुष्परिणामों को तो लिख पाते हैं लेकिन प्रदूषण रोकने हेतु किए जाने वाले प्रयासों को लिखने में असमर्थ रहते हैं।
निवारण- छात्रों को प्रदूषण रोकने के उपायों की भली प्रकार जानकारी प्राप्त करने हेतु कक्षा में चर्चा करनी चाहिए।
(ख) पर्यावरण हमारा रक्षा कवच
* पर्यावरण का अर्थ * संरचना के घटक * पर्यावरण प्रदूषण के कारण और दुष्प्रभाव * पर्यावरण सुरक्षा के उपाय - विश्व पर्यावरण दिवस
(ग) परीक्षा से पहले मेरी मनोदशा
संकेत बिन्दु-परीक्षा के नाम से भय, पर्याप्त तैयारी, प्रश्नपत्र देखकर भय दूर हुआ। * निष्कर्ष
(क) युवाओं का विदेशों के प्रति बढ़ता मोह
हमारे देश भारत की भूमि प्रतिभाओं की दृष्टि से अत्यन्त उर्वर है किन्तु आज अपने कार्यक्षेत्र में दक्ष इन उच्चकोटि की बौद्धिक प्रतिभाओं का बहुत तेजी से पलायन हो रहा है। किसी भी देश की युवा शक्ति देश के विकास और प्रगति का मुख्य आधार होती है। जिस जन्मभूमि का अन्न खाकर, वायु और जल से पोषित होकर और जिसकी पावन रज में खेलकर हम बड़े हुए हैं हमें उसके प्रति सदैव ऋणी रहना चाहिए किन्तु समय परिवर्तन के साथ युवाओं की सोच बदल रही है। आज युवाओं में पाश्चात्य संस्कृति के प्रति विशेष लगाव बढ़ रहा है। आत्मनिर्भर बनने के बाद एक सुविधा सम्पन्न जीवन जीने की अभिलाषा से आज युवक विदेशों के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। विदेशों का स्वतन्त्र वातावरण और उच्चस्तरीय जीवन शैली के कारण विदेश जाने वाले विद्यार्थियों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। भारत में बढ़ती बेरोजगारी और विदेशों में रोजगार के अनगिनत अवसर, उच्च कोटि का वेतनमान, शिक्षा और अनुसंधान के नए अवसर प्राप्त होना भी इसका एक प्रमुख कारण है। आज का युवा अपनी मातृभूमि, भारतीय संस्कृति एवं जीवन शैली की उपेक्षा करने लगा है। इस प्रतिभा पलायन को रोकने के लिए हमें बचपन से ही शिशुओं में देश प्रेम की भावना और राष्ट्र की जड़ों से जोड़ने वाले नैतिक मूल्य विकसित करने होंगे। साथ ही अपने देश में रोजगार और शैक्षिक अनुसंधान के अवसर उपलब्ध कराने होंगे। आज भारत की गणना तेजी से उभरती विश्व शक्ति के रूप में की जाती है। प्रतिभा पलायन रोकने के लिए भारत में रोजगार के बेहतर अवसर और 'स्टार्ट-अप' जैसे कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। युवाओं को भी विदेशी मोह को त्याग कर अपनी प्रतिभा का प्रयोग देश हित में करना अपना नैतिक उत्तरदायित्व समझना होगा।
(ख) पर्यावरण हमारा रक्षा कवच
पर्यावरण शब्द 'परि' और 'आवरण' दो शब्दों से मिलकर बना है। जिसका अभिप्राय है-हमारे आसपास का वह आवरण जो हमें चारों ओर से घेरे हुए हैं। पर्यावरण प्रकृति की ही देन है। यह उन सभी भौतिक, रासायनिक और जैविक तत्वों का योग है जो सम्पूर्ण सृष्टि के प्राणियों, जीव-जन्तुओं और अजैविक संघटकों और उनसे जुड़ी प्रक्रियाओं जैसे-पर्वत, चट्टानों, नदी, वायु और जलवायु के तत्व आदि के लिए परम आवश्यक है। प्रकृति और पर्यावरण में अत्यन्त घनिष्ठ सम्बन्ध है। हमारा पर्यावरण धरती पर स्वस्थ जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मानव ने पर्यावरण में उपलब्ध संसाधनों का भरपूर उपयोग कर अपना विकास किया है। पर्यावरण हमारा रक्षा कवच है किन्तु आज मानव प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन करके पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है। वृक्षों की अंधाधुंध कटाई, प्लास्टिक का अत्यधिक प्रयोग, नदियों एवं अन्य जल स्रोतों में अपशिष्ट पदार्थ डालना, कल-कारखानों और वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआँ हमारे पर्यावरण को दूषित कर रहा है, जिससे पृथ्वी का सन्तुलन बिगड़ रहा है और हमें प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। इसे रोकने के लिए हमें जल स्रोतों की सुरक्षा, वर्षा के जल का संरक्षण, ऊर्जा संरक्षण, पानी और बिजली का अपव्यय रोकना, निजी वाहनों के स्थान पर सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करना तथा वृक्षारोपण जैसे उपाय अपनाने होंगे।
निष्कर्षतः पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण करना हम सब का कर्तव्य है। इसी उद्देश्य से विश्व में जागरूकता फैलाने के लिए प्रति वर्ष 05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
(ग) परीक्षा से पहले मेरी मनोदशा
छात्र जीवन, जीवन का सबसे सुनहरा दौर होता है, जब बच्चे मौज- मस्ती के साथ-साथ खूब मेहनत कर अपने जीवन को एक दिशा देने के लिए प्रयासरत रहते हैं। लेकिन छात्र जीवन में "परीक्षा" नाम के शब्द से सभी छात्रों को बहुत अधिक डर लगता है। क्योंकि इन्हीं परीक्षाओं के मूल्यांकन के आधार पर हमारे भविष्य की रूपरेखा तय होती है। इसलिए जैसे-जैसे परीक्षाएँ नजदीक आती है विद्यार्थियों के मन के अंदर का डर बढ़ता जाता है। परीक्षा का समय विद्यार्थियों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है। उनके परिश्रम की सफलता परीक्षा के परिणाम पर निर्भर करती है इसीलिए विद्यार्थियों पर उसका दबाव बढ़ जाता है। मेरी वार्षिक परीक्षा से पूर्व मेरी भी कुछ ऐसी ही मनोदशा थी। इस समय खेलकूद, टी-वी. और मनोरंजन को छोड़कर मेरा पूरा ध्यान केवल पढ़ाई पर केंद्रित था। मेरे माता-पिता भी इसमें मेरा पूरा सहयोग कर रहे थे। यद्यपि मेरी सभी विषयों की तैयारी बहुत अच्छी थी फिर भी मन में आशंका रहती थी कि कोई प्रश्न ऐसा न हो जिसे मैं हल न कर सकू। इसीलिए प्रथम परीक्षा के दिन मैंने अपने सहपाठियों से भी अधिक बात नहीं की। परीक्षा कक्ष में पहुंचकर मैंने ईश्वर का स्मरण करके अपने मन को एकान किया। प्रश्न-पत्र हाथ में आते ही मेरा दिल तेजी से धकड़ने लगा, पर उसे देखते ही मैं खुशी से झूम उठी क्योंकि सभी प्रश्न मुझे बहुत अच्छी तरह आते थे। पूर्ण आत्मविश्वास और मनोयोग से मैं अपना प्रश्न पत्र हल करने लगी। मैंने लेख की सुन्दरता और स्पष्टता का विशेष ध्यान रखा। इस प्रकार मैंने अपना प्रश्न-पत्र निर्धारित समय से पूर्व ही हल कर लिया। तत्पश्चात मैंने अपने उत्तर क्रमानुसार दोहराए । समय की समाप्ति पर उत्तर पुस्तिका कक्ष-निरीक्षक को सौंप कर मैं परीक्षा कक्ष से बाहर आ गई। सभी विद्यार्थियों के चेहरे प्रश्न पत्र अच्छा होने की खुशी से चमक रहे थे। उस दिन मैंने यह अनुभव किया कि परीक्षा से पूर्व की गई अच्छी तैयारी हमारे मन में आत्मविश्वास भर देती है। परीक्षा से पूर्व जो मेरी मनोदशा थी उसके ठीक विपरीत अब मेरे मन में पेपर अच्छा होने की खुशी और सन्तोष था।
प्रश्न.5. पड़ोस में आग लगने की दुर्घटना की खबर तुरंत दिए जाने पर भी दमकल अधिकारी और पुलिस देर से पहुंचे जिससे आग ने भीषण रूप ले लिया। इसके बारे में विवरण सहित एक शिकायती-पत्र अपने जिला अधिकारी को लिखिए।
अथवा
वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करके अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए विदेश यात्रा पर जाने वाले अपने मित्र को उसकी मंगलमय यात्रा की कामना करते हुए पत्र लिखिए।
पत्र लेखन
सेवा में,
जिला अधिकारी,
गोमती नगर,
लखनऊ (उ. प्र.)
दिनांक ..........विषय-दमकलकर्मियों द्वारा विलम्ब से पहुँचने के सन्दर्भ में।
महोदय,
अत्यंत खेद के साथ आपको सूचित करना पड़ रहा है कि हमारी आवासीय कॉलोनी सरोजिनी नगर सेक्टर-20 में कल प्रातः हमारे पड़ोस के एक घर में आग लग गई थी। इस दुर्घटना की खबर तुरन्त ही अग्निशमन विभाग को और पुलिस को दी गई, लेकिन दमकल अधिकारी और पुलिस, आग लगने के दो घंटे बाद दुर्घटनास्थल पर पहुंचे। तब तक आग ने भीषण रूप ले लिया था। लोगों ने मिलकर आग बुझाने की कोशिश भी की, लेकिन यह उनके वश से बाहर था। उस भीषण आग में पूरा घर जलकर राख हो गया। आसपास की एक-दो दुकानें भी आंशिक रूप से जल गईं। एक-दो मवेशी भी आग की चपेट में आकर झुलस गए। बस, गनीमत यह रही कि समय रहते, घर के अंदर से लोग बाहर आ गए थे। इस घटना को लेकर सभी कॉलोनी निवासियों में रोष व्याप्त है।
हमारा आपसे विनम्र अनुरोध है कि इस बात की गंभीरता को समझते हुए, उन पुलिस अधिकारियों और दमकल अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाए जिन्होंने अपने कर्त्तव्यपालन में इतनी लापरवाही दिखाई जिससे लाखों का नुकसान हुआ और एक परिवार सड़क पर आ गया। अगर समय रहते वे दुर्घटना-स्थल पर पहुंच जाते तो शायद काफी कम नुकसान झेलना पड़ता।
हमें विश्वास है कि आप त्वरित रूप से इस बात का संज्ञान लेंगे।
धन्यवाद।
भवदीय,
क, ख, ग
सरोजिनी नगर,
लखनऊ,
उत्तर प्रदेश।अथवा
25, जागृति बिहार,सरोजिनी नगर,
दिल्ली।
दिनांक ..........
प्रिय मित्र प्रत्यांशु,
सप्रेम नमस्कार।
आज ही मुझे तुम्हारा पत्र मिला। यह पढ़कर अत्यन्त प्रसन्नता हुई कि तुमने वाद-विवाद प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया है। अपनी इस अभूतपूर्व सफलता पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकार करो। मुझे ज्ञात हुआ है कि अब तुम इस प्रतियोगिता में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए अगले माह अमेरिका जाओगे।
मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि तुम अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इस प्रतियोगिता में अवश्य विजयी होकर देश को गौरवान्वित करोगे। मित्र, तुम इसी प्रकार दृढ़ निश्चय, लगन व परिश्रम के द्वारा निरन्तर उन्नति के चरम शिखर को प्राप्त करो। मैं तुम्हारी इस महत्वपूर्ण यात्रा के लिए तुम्हें अग्रिम शुभकामनाएँ भेज रहा हूँ। ईश्वर तुम्हारी यात्रा को मंगलमय बनाएँ और तुम इस प्रतियोगिता में विजयी होकर लौटो। हमारी पूरी मित्र-मण्डली तुम्हारी इस सफलता से बहुत उत्साहित है। हम सभी को तुम पर गर्व है। आदरणीय अंकल-आंटी जी को मेरा प्रणाम कहना।
मंगलकामनाओं सहित
तुम्हारा अभिन्न मित्र
अ ब स
प्रश्न.6. (क) 'समर कूल' पंखों के प्रचार के लिए लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
प्रदूषण से बचने के लिए जनहित में जारी एक विज्ञापन पर्यावरण विभाग की ओर से लिखिए।
(ख) 'उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग' की ओर से पर्यटकों को आकर्षित करते हुए लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
(क)
अथवा
(ख)
प्रश्न.7. (क) माननीय प्रधानमन्त्री द्वारा राष्ट्र को दशहरा के पावन पर्व की बधाई एवं शुभकामना का लगभग 40 शब्दों में सन्देश लिखिए।
अथवा
अपने मित्र को परीक्षा में असफलता प्राप्त होने पर सांत्वना सन्देश लगभग 40 शब्दों में लिखिए।
(ख) विवाह की वर्षगांठ की ढेरों शुभकामनाओं का संदेश लगभग 40 शब्दों में लिखिए।
(क)
अथवा
(ख)
303 docs|7 tests
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1. 'क' खंड क्या होता है? |
2. 'ख' खंड क्या होता है? |
3. कक्षा 10 हिंदी ए के लिए सीबीएसई नमूना प्रश्न पत्र क्या होता है? |
4. कौन-से प्रश्न गूगल पर कम ढूंढे जाते हैं जो सीबीएसई की परीक्षा के साथ संबंधित हों? |
5. कक्षा 10 हिंदी ए के लिए सीबीएसई नमूना प्रश्न पत्र कितने भागों में विभाजित होता है? |
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