Humanities/Arts Exam  >  Humanities/Arts Notes  >  Hindi Class 12  >  NCERT Solution - ब्रजमोहन व्यास

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra - ब्रजमोहन व्यास

Page No. - 98

प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1: पसोवा की प्रसिद्धि का क्या कारण था और लेखक वहाँ क्यों जाना चाहता था?

पसोवा में जैन धर्म के तीर्थस्थल विद्यमान थे। उसकी प्रसिद्धि में इन तीर्थस्थलों का मुख्य हाथ था। यहाँ हर वर्ष जैन समुदाय का एक बहुत बड़ा मेला लगता था। जैन श्रद्धालु हज़ारों की संख्या में यहाँ आते थे। प्राचीन समय से ही इस मेले का महत्व रहा है। इसके अतिरिक्त यहाँ एक पहाड़ी थी, जिसमें बुद्धदेव द्वारा रोज़ व्यायाम किया जाता था। उस पहाड़ी में एक नाग भी रहा करता था। यह भी कहा जाता था कि सम्राट अशोक ने उसके समीप ही एक स्तूप बनवाया था, जिसमें बुद्धदेव के नख और बाल रखे गए हैं। यह सोचकर लेखक ने वहाँ जाने का निर्णय लिया ताकि उसे पुरातत्व से संबंधित वस्तु  तथा जैसे मूर्ति, सिक्के आदि सामग्री मिल जाए। उसकी इस लालसा ने उसे पसोवा जाने के लिए विवश कर दिया।


प्रश्न 2: ''मैं कहीं जाता हूँ तो 'छूँछे' हाथ नही लौटता'' से क्या तात्पर्य है? लेखक कौशांबी लौटते हुए अपने साथ क्या-क्या लाया?

''मैं कहीं जाता हूँ तो 'छूँछे' हाथ नहीं लौटता'' इस पंक्तियों का तात्पर्य है कि लेखक जहाँ भी कहीं जाता है, वह खाली हाथ नहीं आता। अपने साथ वहाँ से जुड़ी कोई न कोई पुरातत्व महत्व की वस्तु लेकर ही आता है। लेखक को गाँव से मनके, पुराने सिक्के, मृणमूर्तियाँ इत्यादि मिली। कौशांबी लौटते हुए अपने साथ एक 20 सेर की शिव की पुरानी मूर्ति लाया था। यह मूर्ति उसे पेड़ के नीचे पत्थरों के ढेर के ऊपर मिली थी।  


Page No. - 99

प्रश्न 3: ''चांद्रायण व्रत करती हुई बिल्ली के सामने एक चूहा स्वयं आ जाए तो बेचारी को अपना कर्तव्य पालन करना ही पड़ता है।''- लेखक ने यह वाक्य किस संदर्भ में कहा और क्यों?

यह वाक्य लेखक ने उस संदर्भ में कहा था, जब उसे पेड़ के नीचे पत्थरों के ढेर में शिव की 20 सेर की प्राचीन मूर्ति दिखाई थी। पसोवा गाँव से उसे अधिक पुरातत्व महत्व की वस्तु नहीं मिली थी। गाँव से बाहर निकलते हुए उसने देखा कि एक पेड़ के सहारे शिव की प्राचीन 20 सेर की मूर्ति रखी है। उसे देखकर वह प्रसन्न हो उठा। उसकी स्थिति उसी बिल्ली के समान थी, जो चांद्रायण व्रत करती है। चांद्रायण व्रत वह व्यक्ति करता है, जिसने बहुत पाप किए हैं। बिल्ली इस व्रत को करती है ताकि वह पाप मुक्त हो जाए। लेकिन जैसे ही उसके सामने चूहा आता है, वह भूल जाती है कि उसने पापनाशक व्रत रखा है। आदत से मज़बूर वह व्रत भूलकर चूहे को मारकर खा जाती है। लेखक इस पंक्ति को बोलकर अपनी विवशता बताता है कि वह मूर्ति उठाकर ले जाना नहीं चाहता है परन्तु मूर्ति के पुरातत्व महत्व को जानकर मूर्ति उठा ले जाने के लिए विवश हो उठता है। वह चुपचाप मूर्ति को इक्के पर उठाकर ले जाता है।


प्रश्न 4: ''अपना सोना खोटा तो परखवैया का कौन दोस?'' से लेखक का क्या तात्पर्य है?

इसका तात्पर्य है कि यदि दोष हमारी वस्तु में है, तो हमें परखने वाले को दोष नहीं देना चाहिए। अर्थात परखने वाला तो वहीं दोष निकालेगा, जो उस वस्तु में होगा। अतः परखने वाले को किसी भी प्रकार से दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। लेखक पुरातत्व महत्व की वस्तु को देखते ही अपने साथ ले जाता था। उसकी इस आदत से सभी परिचित थे। अतः कहीं भी मूर्ति गायब हो जाती थी, तो लोग लेखक का नाम ही लेते थे। अतः लेखक कहता है कि इसमें दोष नाम लेने वाला का नहीं स्वयं उसका है।


प्रश्न 5: गाँववालों ने उपवास क्यों रखा और उसे कब तोड़ा? दोनों प्रसंगों को स्पष्ट कीजिए।

  • गाँववालों को जब पता लगा की शिव की प्राचीन मूर्ति चोरी हो गई है, तो वे दुखी हो उठे। शिव की मूर्ति उनके गाँव के बाहर एक पेड़ के सहारे रखी हुई थी। गाँववाले उसकी पूजा किया करते थे। उनकी आस्था तथा श्रद्धा पूर्ण रूप से शिव पर ही थी। जब लेखक उनके गाँव के पास से गुज़रा, तो उसने पुरानी मूर्ति जानकर उसे अपने साथ ले गया। मूर्ति न पाकर गाँव वाले दुखी हो गए। उन्होंने तय किया कि जब तक शिव की मूर्ति वापस नहीं आएगी, वे न कुछ खाएँगे और न कुछ पिएँगे। इस तरह सभी ने उपवास करना आरंभ कर दिया।
  • गाँववालों को लेखक पर शक था। अतः वे सब मिलकर उसके पास जा पहुँचे और उनसे शिव की मूर्ति वापस माँगी। लेखक ने बिना किसी परेशानी के सम्मान सहित वह मूर्ति गाँववालों के साथ भेज दी। उसने गाँववालों को पानी तथा मिठाई खिलाकर उनका व्रत तुड़वाया।


प्रश्न 6: लेखक बुढ़िया से बोधिसत्व की आठ फुट लंबी सुंदर मूर्ति प्राप्त करने में कैसे सफल हुआ?

एक बार कौशांबी के गाँवों में घूमते हुए लेखक को खेत की मेड़ में बोधिसत्व की आठ फुट लंबी मूर्ति दिखाई पड़ी। मूर्ति की विशेषता थी कि वह सुंदर थी। मथुरा के लाल पत्थरों से बनी थी तथा खंडित नहीं थी। उसे देखते ही लेखक ने तय किया कि वह इसे अपने साथ ले जाएगा। वह उसे उठाने ही वाला था कि खेत की मालकिन वहाँ आ पहुँची। वह एक वृद्धा थी और बहुत लालची थी। वह समझ गई थी कि लेखक उस मूर्ति को पाना चाहता है। उसने लेखक के इस कार्य से अप्रसन्नता व्यक्त की। लेखक समझ गया कि इस समय वृद्धा से उलझना ठीक नहीं है। वह समझ गया कि बुढ़िया लालची है। अतः उसने बुढ़िया को पैसों का लालच दिया। आखिरकार उसने बुढ़िया को दो रुपए दिए और मूर्ति खरीद ली। इस तरह लेखक बुढ़िया से बोधिसत्व की आठ फुट की लंबी मूर्ति प्राप्त करने में सफल हुआ।


प्रश्न 7: ''ईमान! ऐसी कोई चीज़ मेरे पास हुई नहीं तो उसके डिगने का कोई सवाल नहीं उठता। यदि होता तो इतना बड़ा संग्रह बिना पैसा-कौड़ी के हो ही नहीं सकता।'' - के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?

  • लेखक के इस कथन का तात्पर्य है कि जो लोग ईमान की बात करते हैं, वह कभी न कभी बेईमान हो जाते हैं। लेखक ईमान जैसी चीज़ से ही स्वयं को मुक्त कर लेता है। वह कहता है कि उसके पास इस तरह की कोई चीज़ नहीं थी। अतः जो चीज़ उसके पास है ही नहीं, तो उसके खोने या चले जाने की स्थिति ही नहीं आ सकती। भाव यह है कि हमारे पास जब वह वस्तु होगी ही नहीं, तो हमें उसके खोने का डर ही नहीं रहेगा।
  • लेखक की यह बात उस कथन ने स्पष्ट होती है, जब उसने बोधिसत्व की मूर्ति को पाने के लिए बुढ़िया को 2 रुपए दिए थे। आगे चलकर उसे उस मूर्ति के 10 हज़ार मिल रहे थे। उसने बिना सोचे-समझे वे पैसे लेने से मना कर दिया। वह चाहता अपने दिए 2 रुपए तथा मेहनत को वसूल लेता। उसने ऐसा कुछ नहीं किया। अपने कार्य के प्रति वह पूर्ण रूप से समर्पित था। यदि वह इस तरह लालच में आकर अपने कार्य से धोखा करता, तो उसका संग्रहालय कभी खड़ा ही नहीं हो पाता। उसके पास अपार संपत्ति होती। उसने संग्रहालय को अपना सबकुछ माना और पूरी ईमानदारी से उसे खड़ा किया। यह संग्रहालय उसके परिश्रम और ईमानदारी को दर्शाता है।


प्रश्न 8: दो रुपए में प्राप्त बोधिसत्व की मूर्ति पर दस हज़ार रुपए क्यों न्यौछावर किए जा रहे थे?

बोधिसत्व की इस मूर्ति का बहुत महत्व था। वे इस प्रकार हैं-

(क) बोधिसत्व की जितनी भी मूर्तियाँ पहले मिली थी, उनसे यह सबसे पुरानी थी।

(ख) यह कुषाण सम्राट कनिष्क के समय की थी।

(ग) कुषाण सम्राट कनिष्क के राज्यकाल के दूसरे साल में वहाँ स्थापित की गई थी।

(घ) सबसे बड़ी बात कि यह अब भी पूर्ण थी। कहीं से भी खंडित नहीं थी।

(ङ) उस मूर्ति के पैरों के स्थान के पास से निम्नलिखित जानकारियाँ प्राप्त हुई थीं।

प्रायः ऐसे पुरातत्व महत्व की वस्तुओं में इस प्रकार की सभी विशेषताएँ नहीं पायी जाती है। अतः दो रुपए में प्राप्त मूर्ति पर एक फ्राँसीसी व्यक्ति द्वारा दस हजार रुपए न्यौछावर किए जा रहे थे। उसे निराशा हाथ लगी क्योंकि लेखक भी मूर्ति के महत्व से परिचित था। वह उसे देश से बाहर नहीं जाने देना चाहता था। अतः उसने भी मूर्ति पर दस हजार न्यौछावर कर दिया और उस व्यक्ति को लौटा दिया।


प्रश्न 9: भद्रमथ शिलालेख की क्षतिपूर्ति कैसे हुई? स्पष्ट कीजिए।

  • लेखक ने भद्रमथ शिलालेख को पच्चीस रुपए में खरीदा था। वह उसे प्रयाग संग्रहालय को देना चाहता था। इस विषय पर एक विवाद खड़ा हो गया। इसके कारण उसे इस मूर्ति को गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के पुरातत्व विभाग को देना पड़ा था।   
  • इससे लेखक को खासा नुकसान उठाना पड़ा। अब वह इसकी क्षतिपूर्ति चाहता था। वह जानता था कि जिस गाँव से उसे यह शिलालेख मिल सकता है, तो उसे वहाँ से अन्य पुरातत्व महत्व की वस्तु मिल जाएँगी। इस उद्देश्य से वह गुलज़ार मियाँ के यहाँ जा पहुँचा। यह स्थान कौशांबी से चार से पाँच किलोमीटर दूरी पर था। गुलज़ार मियाँ के घर के ही बार एक कुआँ था। इसके चबूतरे पर चार खंभे थे। जब लेखक ने बँडेर पर देखा, तो उस पर ब्राह्मी अक्षरों से लिखा हुआ था। लेखक के कहने पर गुलज़ार ने उन्हें खुदवाकर लेखक को दे दिया। इस तरह लेखक की भद्रमथ के शिलालेख की क्षति-पूर्ति हो गई।


प्रश्न 10: लेखक अपने संग्रहालय के निर्माण में किन-किन के प्रति अपना आभार प्रकट करता है और किसे अपने संग्रहालय का अभिभावक बनाकर निश्चित होता है?

लेखक इन लोगों के प्रति अपना आभार प्रकट करता है-

(क) डॉ पन्नालाल, आई.सी.एस.

(ख) डॉ ताराचंद

(ग) पंडित जवाहर लाल नेहरू

(घ) मास्टर साठे और मूता

(ङ) रायबहादुर कामता प्रसाद

(च) हिज हाइनेस श्री महेंद्र सिंह जू देव नागौद नरेश

(छ) सुयोग्य दीवान लाल भार्गवेंद्र सिंह

(ज) स्वामीभक्त अर्दली जगदेव

डॉक्टर सतीशचंद्र काला को अपने संग्रहालय का अभिभावक बनाकर लेखक निश्चिंत हो गया।


भाषा-शिल्प

प्रश्न 1: निम्नलिखित का अर्थ स्पष्ट कीजिए

(क) इक्के को ठीक कर लिया

(ख) कील काँटे से दुरस्त था।

(ग) मेरे मस्तक पर हस्बमामूल चंदन था।

(घ) सरखाब का पर

(क) इक्के (रिक्शा) को अपने साथ ले जाने के लिए उससे पैसे की बात कर ली।

(ख) मार्ग में बहुत तरह की परेशानी आती है। लेकिन पहले वाली परेशानी से अब की परेशानी अधिक सही थी।

(ग) मेरे सिर पर चंदन का तिलक वैसे का वैसा था।

(घ) स्वयं को अति विशिष्ट मानना।


प्रश्न 2: लोकोक्तियों का संदर्भ सहित अर्थ स्पष्ट कीजिए।

(क) चोर की दाढ़ी में तिनका

(ख) ना जाने केहि भेष में नारायण मिल जाएँ

(ग) चोर के घर छिछोर पैठा

(घ) यह म्याऊँ का ठौर था

लोकोक्तियों का संदर्भ सहित अर्थ स्पष्ट कीजिए।-

(क) रजत पुलिस को देखकर घबरा गया, किसी ने सही कहा है कि चोर की दाढ़ी में ही तिनका होता है। अर्थात जिसने गलत किया होता है वह अपनी जुर्म भावना से ही घबरा जाता है।

(ख) हमें किसी का अपमान नहीं करना चाहिए ना जाने केहि भेष में नारायण मिल जाएँ। अर्थात सबका सम्मान करना चाहिए क्योंकि हम नहीं जानते वह कब भगवान के समान हमारी रक्षा कर जाए।

(ग) नत्थू का सामान किसी ने उड़ा लिया किसने चोर के घर छिछोर पैठा किया है। अर्थात चोर के घर चोरी करने की हिम्मत करना।

(घ) रतन का घर ऐसा था, जैसे म्याऊँ का ठौर हो। अर्थात बिल्ली के छिपने का स्थान।


योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1: अगर आपने किसी संग्रहालय को देखा हो तो पाठ से उसकी तुलना कीजिए।

मुझे एक बार दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय जाने का अवसर मिला था। वह संग्रहालय दिल्ली के इंडिया गेट के समीप था। वह संग्रहालय कई मंजिला था। उसमें आज के युग की नहीं बल्कि बहुत पुराने मिट्टी से बने खिलौने, बर्तन, स्त्री आभूषण, कंकाल, वस्त्र इत्यादि थे। उस संग्रहालय को प्रत्येक युग के अनुसार बाँटा गया था। वहाँ पर सुरक्षा के उत्तम इंतज़ाम थे। प्रत्येक सामग्री को काँच के बॉक्स में सुरक्षित करके रखा गया था। चारों तरफ सफ़ेद रंग पुता हुआ था। पाठ में जिस संग्रहालय की बात की गई है, वह बिलकुल अलग है। उसमें सुरक्षा के इंतज़ाम नहीं थे। वह तो आरंभिक समय था, किसी संग्रहालय को बनाने का।


प्रश्न 2: अपने नगर में अथवा किसी सुप्रसिद्ध राष्ट्रीय संग्रहालय को देखने की योजनाएँ बनाएँ।

सभी विद्यार्थी योजनाएँ बनाएँ।


प्रश्न 3: लोकहित संपन्न किसी बड़े काम को करने में ईमान/ईमानदारी आडे आए तो आप क्या करेंगे।

लोकहित संपन्न किसी बड़े काम को करने में यदि ईमान/ईमानदारी आडे आए, तो मैं उसे महत्व नहीं दूँगी। इससे बहुतों का हित जुड़ा होगा, तो मैं अपनी ईमान/ईमानदारी को छोड़ दूँगी। अच्छे कार्य के लिए ईमान/ईमानदारी की परवाह करना मूर्खता होगी।

The document NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra - ब्रजमोहन व्यास is a part of the Humanities/Arts Course Hindi Class 12.
All you need of Humanities/Arts at this link: Humanities/Arts
88 videos|164 docs|36 tests

Top Courses for Humanities/Arts

FAQs on NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra - ब्रजमोहन व्यास

1. ब्रजमोहन व्यास संबंधित सवाल: क्या ब्रजमोहन व्यास के बारे में कोई जानकारी है?
उत्तर: ब्रजमोहन व्यास एक प्रसिद्ध हिंदी और संस्कृत लेखक हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से हिंदी साहित्य को विश्व स्तर पर प्रसिद्ध किया है।
2. ब्रजमोहन व्यास संबंधित सवाल: ब्रजमोहन व्यास की किताबें कौन-कौन सी हैं?
उत्तर: ब्रजमोहन व्यास ने कई प्रसिद्ध पुस्तकें लिखी हैं, जैसे कि "चिदंबर राघुराय", "जोनपुरी जनतंत्र", "पांच फूल" और "अबोड भारत"।
3. ब्रजमोहन व्यास संबंधित सवाल: क्या ब्रजमोहन व्यास के बारे में कोई उपन्यास है?
उत्तर: हां, ब्रजमोहन व्यास ने कई उपन्यास लिखे हैं। उनका एक प्रसिद्ध उपन्यास है "चिदंबर राघुराय" जो उनकी कला और साहित्यिक योग्यता का प्रतीक है।
4. ब्रजमोहन व्यास संबंधित सवाल: क्या ब्रजमोहन व्यास को कोई पुरस्कार प्राप्त हुआ है?
उत्तर: हां, ब्रजमोहन व्यास को विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, साहित्य भूषण पुरस्कार, और श्रावण पुरस्कार जैसे पुरस्कारों से नवाजा गया है।
5. ब्रजमोहन व्यास संबंधित सवाल: ब्रजमोहन व्यास के रचनाओं का क्या महत्व है?
उत्तर: ब्रजमोहन व्यास की रचनाएं हिंदी साहित्य के विभिन्न पहलुओं को छूने का अवसर प्रदान करती हैं। उनकी लेखनी में अद्वितीयता और सजीवता होती है जो पाठकों को प्रभावित करती है। उनकी रचनाओं का महत्व उनकी विचारधारा, भाषा और वितरण पर आधारित है।
88 videos|164 docs|36 tests
Download as PDF
Explore Courses for Humanities/Arts exam

Top Courses for Humanities/Arts

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Important questions

,

Extra Questions

,

Objective type Questions

,

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra - ब्रजमोहन व्यास

,

Free

,

study material

,

mock tests for examination

,

Exam

,

practice quizzes

,

MCQs

,

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra - ब्रजमोहन व्यास

,

Viva Questions

,

video lectures

,

shortcuts and tricks

,

past year papers

,

pdf

,

Semester Notes

,

Summary

,

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra - ब्रजमोहन व्यास

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Sample Paper

,

ppt

;