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NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh - II - Suryakant Tripathi ‘Nirala’

कविता के साथ

प्रश्न 1: अस्थिर सुख पर दुख की छाया पंक्ति में दुख की छाया किसे कहा गया है और क्यों?
उत्तर‘अस्थिर सुख पर दुख की छाया’ ‘अस्थिर सुख पर दुख की छाया’ क्रांति या विनाश की आशंका को कहा गया है। क्राति की हुंकार से पूँजीपति घबरा उठते हैं, वे अपनी सुख-सुविधा खोने के डर से दिल थाम कर रह जाते हैं। उनका सुख अस्थिर है, उन्हें क्रांति में दुःख की छाया दिखाई देती हैं ।

प्रश्न 2: अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर पंक्ति में किसकी ओर संकेत किया गया है?
उत्तर‘अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर’ पंक्ति में क्रांति विरोधी गर्वीले वीरों की ओर संकेत करती है जो क्रांति के वज्राघात से घायल होकर क्षत-विक्षत हो जाते हैं। बादलों की गर्जना और मूसलाधार वर्षा में बड़े-बड़े पर्वत वृक्ष क्षत-विक्षत हो जाते हैं। उसी प्रकार क्रांति की हुंकार से पूँजीपति का घन, संपत्ति तथा वैभव आदि का विनाश हो जाता है।

प्रश्न 3: विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते पंक्ति में विप्लव-रव से क्या तात्पर्य हैछोटे ही हैं शोभा पाते ऐसा क्यों कहा गया है?
उत्तर‘विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते’ पंक्ति में विप्लव-रव से तात्पर्य है – क्रांति। क्रांति जब आती है तब गरीब वर्ग आशा से भर जाता है एवं धनी वर्ग अपने विनाश की आशंका से भयभीत हो उठता है। छोटे लोगों के पास खोने के लिए कुछ है ही नहीं उन्हें सिर्फ़ इससे लाभ होगा। इसीलिए कहा गया है कि ‘छोटे ही हैं शोभा पाते’।

प्रश्न 4: बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले किन-किन परिवर्तनों को कविता रेखांकित करती है?
 उत्तर
बादलों के आगमन से प्रकृति में निम्नलिखित परिवर्तन होते है।

  • समीर बहने लगती है।
  • बादल गरजने लगते है।
  • मूसलाधार वर्षा होती है।
  • बिजली चमकने लगती है।
  • छोटे-छोटे पौधे खिल उठते हैं।
  • गर्मी के कारण दुखी प्राणी बादलों को देखकर प्रसन्न हो जाता है।

व्याख्या कीजिए

प्रश्न 1: तिरती है समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुख की छाया-
जग के दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया-
उत्तरकवि बादल को संबोधित करते हुए कहता है कि हे क्रांति दूत रूपी बादल। तुम आकाश में ऐसे मंडराते रहते हो जैसे पवन रूपी सागर पर नौका तैर रही हो। छाया ‘उसी प्रकार पूंजीपतियों के वैभव पर क्रांति की छाया मंडरा रही है इसीलिए कहा गया है ‘अस्थिर सुख पर दुख की छाया’।
कवि ने बादलों को विप्लवकारी योद्धा, उसके विशाल रूप को रण-नौका तथा गर्जन-तर्जन को रणभेरी के रूप में दिखाया है। कवि कहते है कि हे बादल! तेरी भारी-भरकम गर्जना से धरती के गर्भ में सोए हुए अंकुर सजग हो जाते हैं अर्थात् कमजोर व् निष्क्रिय व्यक्ति भी संघर्ष के लिए तैयार हो जाते हैं।

प्रश्न 2: अट्टालिका नहीं है रे
आतंक-भवन
सदा पंक पर ही होता
जल-विप्लव-प्लावन
उत्तरकवि कहते है कि पूँजीपतियों के ऊँचे-ऊँचे भवन मात्र भवन नहीं हैं अपितु ये गरीबों को आतंकित करने वाले भवन हैं। इसमें रहनेवाले लोग महान नहीं हैं। ये तो भयग्रस्त हैं। जल की विनाशलीला तो सदा पंक को ही डुबोती है, कीचड़ को कोई फ़र्क नहीं पड़ता। उसी प्रकार क्रांति की ज्वाला में धनी लोग ही जलते है, गरीबों को कुछ खोने का डर ही नहीं।

कला की बात

प्रश्न 1: पूरी कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। आपको प्रकृति का कौन-सा मानवीय रूप पसंद आया और क्यों?
उत्तरकविता में प्रकृति का मानवीकरण किया गया है।
मुझे का गर्जन कर क्रांति लानेवाला रूप पसंद है। क्योंकि जिस प्रकार बादलों की गर्जना और मूसलाधार वर्षा में बड़े-बड़े पर्वत वृक्ष घबरा जाते हैं। उनको उखड़कर गिर जाने का भय होता है। उसी प्रकार क्राति की हुंकार से पूँजीपति घबरा उठते हैं, वे दिल थाम कर रह जाते हैं। उन्हें अपनी संपत्ति एवं सत्ता के छिन जाने का भय होता है।
….ऐ विप्लव के बादल!
फिर-फिर
बार -बार गर्जन
वर्षण है मूसलधार,
हृदय थाम लेता संसार,
सुन-सुन घोर वज्र हुंकार।

प्रश्न 2: कविता में रूपक अलंकार का प्रयोग कहाँ-कहाँ हुआ है? संबंधित वाक्यांश को छाँटकर लिखिए।
उत्तर:

  • तिरती है समीर-सागर पर
  • अस्थिर सुख पर दुःख की छाया
  • यह तेरी रण-तरी
  • भेरी-गर्जन से सजग सुप्त अंकुर
  • ऐ विप्लव के बादल!
  • ऐ जीवन के पारावार

प्रश्न 3: इस कविता में बादल के लिए ऐ विप्लव के वीर!ऐ जीवन के पारावार! जैसे संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। बादल राग कविता के शेष पाँच खंडों में भी कई संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। जैसे – अरे वर्ष के हर्ष!मेरे पागल बादल!ऐ निर्बंध!ऐ स्वच्छंद!ऐ उद्दाम!ऐ सम्राट!ऐ विप्लव के प्लावन!ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार! उपर्युक्त संबोधनों की व्याख्या करें तथा बताएँ कि बादल के लिए इन संबोधनों का क्या औचित्य है?
उत्तरकवि इन संबंधों द्वारा कविता की सार्थकता को बढ़ाना चाहते हैं। बादलों के लिए किए संबोधनों की व्याख्या इस प्रकार है –

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प्रश्न 4: कवि बादलों को किस रूप में देखता है? कालिदास ने मेघदूत काव्य में मेघों को दूत के रूप में देखा। आप अपना कोई काल्पनिक बिंब दीजिए।
उत्तरकवि बादलों को क्रांति के प्रतीक रूप में देखता है। मैं बादल को किसानों के मसीहा के रूप में देखता हूँ।
कब आएगा बादल नभ में
बूँद- बूँद को अन्न ये तरसे
अब तू बरखा लाएगा
इनका जीवन सफल कर जाएगा

प्रश्न 5: कविता को प्रभावी बनाने के लिए कवि विशेषणों का सायास प्रयोग करता है जैसे – अस्थिर सुख।
सुख के साथ अस्थिर विशेषण के प्रयोग ने सुख के अर्थ में विशेष प्रभाव पैदा कर दिया है। ऐसे अन्य विशेषणों को कविता से छाँटकर लिखें तथा बताएँ कि ऐसे शब्द-पदों के प्रयोग से कविता के अर्थ में क्या विशेष प्रभाव पैदा हुआ है?
उत्तरकवि ने कविता में निम्नलिखित विशेषणों का प्रयोग किया है –

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FAQs on NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh - II - Suryakant Tripathi ‘Nirala’

1. Who is Suryakant Tripathi ‘Nirala’?
Ans. Suryakant Tripathi ‘Nirala’ was a prominent Hindi poet, novelist, essayist, and story writer from India. He is considered one of the key figures in the Chhayavad movement of Hindi literature.
2. What are some of the major works by Suryakant Tripathi ‘Nirala’?
Ans. Some of the major works by Suryakant Tripathi ‘Nirala’ include "Parimal," "Alka," "Prabhat," "Apsara," and "Rasmi Rekha."
3. What is the significance of Suryakant Tripathi ‘Nirala’ in Hindi literature?
Ans. Suryakant Tripathi ‘Nirala’ is known for his contribution to Hindi literature through his modernist approach and innovative use of language and form. He played a crucial role in shaping the Chhayavad movement in Hindi poetry.
4. How did Suryakant Tripathi ‘Nirala’ contribute to Indian literature?
Ans. Suryakant Tripathi ‘Nirala’ contributed significantly to Indian literature by introducing new themes, styles, and poetic techniques in Hindi poetry. His works reflected the changing social and cultural landscape of India.
5. What influence did Suryakant Tripathi ‘Nirala’ have on later generations of writers?
Ans. Suryakant Tripathi ‘Nirala’ had a lasting influence on later generations of writers through his experimental approach to poetry and his ability to blend traditional and modern elements in his works. Many poets and writers were inspired by his innovative ideas and poetic vision.
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