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Short Question Answers - बालगोबिन भगत | Hindi Class 10 (Kritika and Kshitij) PDF Download

पाठ पर आधारित लघु-उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1. भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
अथवा
भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए। 
उत्तरः भगत का समग्र व्यक्तित्व साधु की सब परिभाषाओं पर खरा उतरने वाला था। वे कबीर के दोहों तथा पदों को गाते और उन्हीं के बताए हुए मार्ग पर चलते थे। वे झूठ कभी नहीं बोलते और न ही झगड़ा करते थे। उनकी सब चीज ‘साहब’ की थी। खेत में पैदा होने वाली हर फसल को ‘साहब’ के दरबार में भेंट करके ‘प्रसाद’ रूप में जो मिलता उसे घर लाते, वे कमर में लँगोटी, सिर पर टोपी, जाड़ों में काली कमली ओढ़ते थे और मस्तक पर चन्दन का तिलक तथा गले में तुलसी की माला धारण करते थे।

प्रश्न 2. बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए।
अथवा
पाठ के आधार पर बालगोबिन के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तरः प्रायः कबीर के पदों को ही गाया करते थे। सुनने वाले मंत्रमुग्ध से होकर उनका साथ देने लग जाते। गायन सुनकर, स्त्री, पुरुष, बालक, किसान और हलवाहे सभी गीत की लय के साथ झूम उठते थे उनके गीत समय, )तु और मास के अनुरूप होते थे।
व्याख्यात्मक हल:
बालगोबिन प्रायः कबीर के पदों को ही गाया करते थे। जिसे सुनने वाले मंत्रमुग्ध से होकर उनका साथ देने लग जाते थे। उनका गायन सुनकर, स्त्री, पुरुष, बालक, किसान और हलवाहे सभी गीत की लय के साथ झूम उठते थे। उनके गीत समय, ऋतू और मास के अनुरूप होते थे।

प्रश्न 3. बालगोबिन भगत गृहस्थ होते हुये भी भगत क्यों कहलाते थे ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः बालगोबिन भगत खेतीबाड़ी करने वाले गृहस्थ थे। फिर भी उनका आचरण साधुओं जैसा था। इसलिये गृहस्थ होते हुए भी साधु कहलाते थे।

प्रश्न 4. आपकी दृष्टि से भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा के क्या कारण रहे होंगे ?
उत्तरः कबीर अपने समय के एक महान समाज-सुधारक थे। उन्होंने समाज में जन्मी अनेक बुराइयों को दूर करने का प्रयास किया। जाति-पाति, ऊँच-नीच, बाह्य-आडम्बर आदि। कबीर किसी एक जाति, धर्म तथा देश का कल्याण नहीं करना चाहते थे वरन समूची मानव जाति का कल्याण करना चाहते थे। उनके इन्हीं गुणों के कारण भगत जी को उन पर अगाध श्रद्धा हो गई थी।

प्रश्न 5. बालगोबिन भगत पाठ में चित्रित ग्रामीण परिवेश को अपने शब्दों में प्रस्तुत करते हुए उस पर बालगोबिन भगत पर संगीत के प्रभाव एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः ग्रामीण परिवेश में आषाढ़ की रिमझिम बारिश के शुरू होते ही सारा जन समुदाय खेतों की ओर उमड़ पड़ता है। प्रस्तुत पाठ में भी समूचा गाँव हल-बैल लेकर खेतों में निकल पड़ा था। उनके कानों में एक मधुर संगीत लहरी सुनाई देती है। बालगोबिन भगत बरसात में धान रोपते समय कीचड़ से लथपथ जब गाते थे तब हलवाहे मुग्ध होते तथा उनके पग ताल के साथ उठने लगते थे। रोपाई वालों की धान रोपती उँगलियों की गति बदल जाती थी तथा नारियों के होठों में स्पंदन होता था। इस प्रकार से सारा वातावरण संगीतमय जादूभरा हो जाता है।

प्रश्न 6. भादों की अँधेरी रात्रि में भी बालगोबिन भगत की संगीत साधना किस प्रकार उन्हें तथा अन्य लोगों को प्रभावित करती थी?
उत्तरः भादों की अँधेरी रात्रि में अर्धरात्रि के समय बालगोबिन भगत गाते हुए जब संगीत साधना में लीन हो जाते थे तब बिजली की तड़प तथा बादलों की गर्जन में भी उनका स्वर गूँजते हुए सभी को जगा देता था। उनकी खंजड़ी की आवाज तथा उनके द्वारा गाए जाने वाले गीत दार्शनिक विचारों से इतने ओत-प्रोत थे कि वे सभी को मोहित कर लेते थे।

प्रश्न 7. बालगोबिन भगत के संगीत को लेखक ने जादू कहा है ? पाठ के आधार पर इसका कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः इसलिये जादू कहा है उससे सभी आनंदित हो उठते थे मेंड़ पर खड़ी औरतें, धान रोपते लोग मग्न होकर गाने लगते थे।
व्याख्यात्मक हल:
बालगोबिन भगत का स्वर इतना मनमोहक, ऊँचा और आरोही था कि उसे सुनकर खेतों में उछलकूद मचाते बच्चों में एक मस्ती आ जाती थी। मेड़ों पर बैठी औरतों के होंठ गाने के लिये बेचैन हो जाते और किसान संगीत की थाप पर धान रोपते मग्न हो गाने लगते थे।

प्रश्न 8. बालगोबिन भगत की दिनचर्या इस प्रकार की थी कि उसे देखकर लोगों को आश्चर्य होता था। इसका क्या कारण था ?
अथवा
बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी ?
उत्तरः
सुबह बहुत जल्दी उठकर दो मील दूर नदी पर स्नान करने जाना, दोनों समय ईश्वर के गीत गाना। हर वर्ष गंगा स्नान के लिए जाना और संत समागम में भाग लेना। ईश्वर की साधना करते हुए भी गृहस्थी के कार्यों से विरत न होना।

प्रश्न 9. गर्मियों की उमस भरी शाम को बालगोबिन भगत किस प्रकार शीतल कर देते थे ?
उत्तरः उमस भरी शाम में भी भगत अपने घर में आसन जमाकर बैठ जाते और खंजड़ियों व करतालों के साथ जोर-जोर से गीत गाते। पूरी टोली ही भजन-कीर्तन में मस्त हो जाती वे सभी नाचते, गाते और भक्ति में लीन होकर गर्मी को भी भूल जाते थे।

प्रश्न 10. मोह और प्रेम में अन्तर होता है। बालगोबिन भगत के जीवन की किस घटना के आधार पर इस कथन को सत्य सिद्ध करेंगे?
उत्तरः इकलौते पुत्र की मृत्यु होने पर उसकी मृत्यु के दुःख को प्रकट न करके इसे प्रकृति का एक नियम मानकर उसे आत्मा और परमात्मा का मिलन मानकर शोक मनाने के स्थान पर गीत गा रहे थे और श्राद्ध अवधि पूरी होने पर अपनी पुत्रवधू को उसके भाई के साथ पुनर्विवाह के आदेश के साथ भेज देना ऐसी ही घटना है।

प्रश्न 11. बालगोबिन भगत पतोहू के पुनर्विवाह के रूप में समाज की किस समस्या का समाधान प्रस्तुत करना चाहते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः
समाज की विधवा-विवाह की समस्या का समाधान। भारतीय समाज में विधवा-विवाह की स्वीकृति नहीं। भगत के माध्यम से लेखक  इस मान्यता का समाधान प्रस्तुत कर रहा है।

प्रश्न 12. लड़के के देहान्त के बाद बालगोबिन भगत ने पतोहू को किस बात के लिये बाध्य किया ? उनका यह व्यवहार उनके किस प्रकार के विचार का प्रमाण है ?
उत्तरः लड़के के देहांत के बाद पतोहू को उसके भाई को बुलाकर उसके साथ भेज दिया। उसे निर्देश दिया कि उसकी दूसरी शादी कर देना। यह कार्य भी उनकी रूढ़ि विरोधी प्रगतिशील विचारधारा का परिचायक है। विधवा-विवाह के समर्थक।

प्रश्न 13. बालगोबिन भगत की पुत्र-वधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी ?
उत्तरः उनका दुनिया में कोई और न था। बहू के अलावा उनका ध्यान कौन रखेगा, बीमारी में कौन देखेगा, यह सोचकर वह उन्हें नहीं छोड़ती थी।
व्याख्यात्मक हल:
बालगोबिन भगत की पतोहू अपने बूढ़े ससुर को अकेले छोड़कर इसलिये नहीं जाना चाहती थी, वह कहती वृद्धावस्था में इनका खाना कौन बनाएगा व इनकी सेवा कौन करेगा? बीमारी में कोई दवा देने वाला भी नहीं होगा।

प्रश्न 14. ”उनका बेटा बीमार है, इसकी खबर रखने की लोगों को कहाँ फुरसत?“ पंक्ति में आधुनिक युग के मानव की किस मानसिकता पर व्यंग्य किया गया है?
उत्तरः इस पंक्ति द्वारा लेखक ने मानव की स्वार्थी प्रवृत्ति की मानसिकता पर व्यंग्य किया है। आधुनिक युग में सभी लोग अपने व्यक्तिगत क्रियाकलापों में इतने व्यस्त हैं कि उनके पास दूसरे के बारे में सोचने व जानने का समय ही नहीं है। इसी कारण आज के मानव में संवेदनहीनता का भाव उत्पन्न हो गया है।

प्रश्न 15. भगत की कथनी-करनी में एकरूपता थी। पाठ के आधार पर उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः 
भगत ने अपने बेटे की मृत्यु के बाद भी गीत गाया और पुत्रवधू को पुनर्विवाह के लिए प्रेरित किया इससे सिद्ध होता है कि वे लोगों को जो उपदेश देते थे उन्हें स्वयं भी करनी में उतारते थे।

प्रश्न 16. पुत्रवधू के पुनर्विवाह के सम्बन्ध में अन्तिम परिणाम क्या निकला? ‘बालगोबिन भगत’ पाठ के आधार पर उत्तर लिखिए।
उत्तरः
पुत्रवधू भगत जी की सेवा करते हुए अपना वैधव्य गुजार देना चाहती थी। पर भगत जी पुनर्विवाह न करने पर घर छोड़ने की बात कहने लगे। परिणामस्वरूप उसे पुनर्विवाह के लिए राजी होना पड़ा।

प्रश्न 17. हर वर्ष गंगा स्नान जाते समय भगत के मन में क्या विचार होते थे ? 
उत्तरः हर वर्ष गंगा स्नान जाते, भिन्न विचारधारा को अपने अंदर धारण करना, तीस कोस तक पैदल चलना, साधु के रूप में कोई सहारा या सामान न लेना और गृहस्थ के रूप में भिक्षा न माँगना, पाँच दिन तक केवल पानी पीकर ही रहते थे। संत समागम को ही प्रमुखता देते।

प्रश्न 18. ‘बालगोबिन भगत की मौत उन्हीं के अनुरूप हुई’ कथन को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः 
प्रतिदिन नहाते, खेती का काम करते, गीत ध्यान दोनों वक्त नियम से ही करते, नेम-धरम का पूरा पालन करते रहे। बुखार में लोगों ने मना किया कि वे न नहाएँ पर माने ही नहीं। भगत के शान्त, सौम्य, निरीह स्वभाव के अनुरूप अन्तिम क्षण मौत के क्षण।
व्याख्यात्मक हल:

बालगोबिन भगत प्रतिदिन नहाते, खेती का काम करते व दोनों वक्त नियम से गीत ध्यान करते थे। जीवन भर
उन्होंने ‘नेम-धरम’ का पूरा पालन किया। उनको बुखार आ जाने पर लोगों ने नहाने के लिए मना किया, परन्तु वे नहीं माने।

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FAQs on Short Question Answers - बालगोबिन भगत - Hindi Class 10 (Kritika and Kshitij)

1. Who was Balgobin Bhagat?
Ans. Balgobin Bhagat was a social reformer and freedom fighter from Bihar, India. He was born in a lower-caste family in the early 20th century and worked tirelessly to uplift the marginalized sections of society.
2. What were the contributions of Balgobin Bhagat towards the Indian freedom struggle?
Ans. Balgobin Bhagat played a significant role in the Indian freedom struggle. He organized various movements and protests against the British rule and mobilized the masses towards the cause of freedom. He also helped in the formation of the Bihar Provincial Kisan Sabha, which played a crucial role in the Champaran Satyagraha.
3. What was the Champaran Satyagraha, and how did Balgobin Bhagat contribute to it?
Ans. The Champaran Satyagraha was a mass movement against the indigo planters in Bihar, who were exploiting the poor farmers. Balgobin Bhagat was one of the key leaders of this movement and played an instrumental role in mobilizing the peasants and organizing their protests against the British regime. His efforts led to the eventual victory of the farmers and the end of the exploitative system.
4. What were the social reforms initiated by Balgobin Bhagat?
Ans. Balgobin Bhagat was a social reformer and worked towards uplifting the marginalized sections of society. He initiated various social reforms, such as the promotion of education among the lower castes, the eradication of untouchability and caste discrimination, and the empowerment of women. He also worked towards the establishment of cooperatives and self-help groups for the economic development of the oppressed classes.
5. What is the significance of Balgobin Bhagat's legacy in modern times?
Ans. Balgobin Bhagat's legacy is of utmost importance in modern times as it provides us with a blueprint for social reform and activism. His commitment to the cause of freedom and social justice serves as an inspiration to the youth of today. His efforts towards the empowerment of the oppressed classes and the promotion of education and economic development continue to be relevant even today.
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