Class 10 Exam  >  Class 10 Notes  >  Hindi Class 10 (Kritika and Kshitij)  >  पाठ का सार - पाठ 7 - नेताजी का चश्मा, क्षितिज II, हिंदी, कक्षा - 10

पाठ का सार - पाठ 7 - नेताजी का चश्मा, क्षितिज II, हिंदी, कक्षा - 10 | Hindi Class 10 (Kritika and Kshitij) PDF Download

पाठ का संक्षिप्त परिचय

‘नेताजी का चश्मा’ कहानी केप्टन चश्मेवाले के माध्यम से देश के करोड़ों नागरिकों के योगदान को रेखांकित करती है, जो इस देश के निर्माण में अपने-अपने तरीके से योगदान देते हैं। कहानी के अनुसार बड़े ही नहीं, बच्चे भी इसमें शामिल हैं। देश बनता है उसमें रहने वाले सभी नागरिकों, नदियों, पहाड़ों, पेड़-पौधों, वनस्पतियों, पशु-पक्षियों से और इन सबसे प्रेम करने तथा इनकी सुख-समृद्धि के लिए प्रयास करने की भावना का नाम देशभक्ति है।

पाठ का सार

  • हालदार साहब को हर पन्द्रहवें दिन कम्पनी के काम से एक छोटे कस्बे से गुजरना पड़ता था। उस कस्बे में एक लड़कों का स्कूल, एक लड़कियों का स्कूल, एक सीमेंट का कारखाना, दो ओपन सिनेमा घर तथा एक नगरपालिका थी।
  • नगरपालिका थी तो कुछ ना कुछ करती रहती थी, कभी सड़के पक्की करवाने का काम तो कभी शौचालय तो कभी कवि सम्मेलन करवा दिया।
  • एक बार नगरपालिका के एक उत्साही अधिकारी ने मुख्य बाज़ार के चैराहे पर सुभाषचन्द्र बोस की संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी। चूँकि बजट ज्यादा नही था इसलिए मूर्ति बनाने का काम कस्बे के इकलौते हाई स्कूल के शिक्षक को सौंपा गया।
  • मूर्ति सुन्दर बनी थी बस एक चीज़ की कमी थी, नेताजी की आँख पर चश्मा नहीं था। एक सचमुच के चश्मे का चौड़ा काला फ्रेम मूर्ति को पहना दिया गया। जब हालदार साहब आये तो उन्होंने सोचा वाह भई! यह आईडिया ठीक है। मूर्ति पत्थर की पर चश्मा रियल।
  • दूसरी बार जब हालदार साहब आये तो उन्हें मूर्ति पर तार का फ्रेम वाले गोल चश्मा लगा था। तीसरी बार फिर उन्होंने नया चश्मा पाया। इस बार वे पान वाले से पूछ बैठे कि नेताजी का चश्मा हरदम बदल कैसे जाता है।
  • पानवाले ने बताया की यह काम कैप्टन चश्मेवाला करता है। हालदार साहब को समझते देर न लगी की बिना चश्मे वाली मूर्ति कैप्टन को ख़राब लगती होगी इसलिए अपने उपलब्ध फ्रेम में से एक को वह नेताजी के मूर्ति पर फिट कर देता होगा।
  • जब कोई ग्राहक वैसे ही फ्रेम की मांग करता जैसा मूर्ति पर लगा है तो वह उसे मूर्ति से उतारकर ग्राहक को दे देता और मूर्ति पर नया फ्रेम लगा देता चूँकि मूर्ति बनाने वाला मास्टर चश्मा भूल गया।
  • हालदार साहब ने पान वाले जानना चाहा कि कैप्टन चश्मेवाला नेताजी का साथी है या आजाद हिन्द फ़ौज का कोई भूतपूर्व सिपाही? पान वाले बोला कि वह लंगड़ा क्या फ़ौज में जाएगा, वह पागल है इसलिए ऐसा करता है।
  • हालदार साहब को एक देशभक्त का मजाक बनते देखना अच्छा नही लगा। कैप्टन को देखकर उन्हें आश्चर्य हुआ चूँकि वह एक बूढ़ा मरियल- लंगड़ा सा आदमी था जिसके सिर पर गांधी टोपी तथा चश्मा था, उसके एक हाथ में एक छोटी-सी संदूकची और दूसरे में एक बांस में टंगे ढेटों चश्मे थे।
  • वह उसका वास्तविक नाम जानना चाहते थे परन्तु पानवाले ने इससे ज्यादा बताने से मना कर दिया दो साल के भीतर हालदार साहब ने नेताजी की मूर्ति पर कई चश्मे लगते हुए देखे।
  • एक बार जब हालदार साहब कस्बे से गुजरे तो मूर्ति पर कोई चश्मा नही था।
  • पूछने पर पता चला की कैप्टन मर गया, उन्हें बहुत दुःख हुआ।
  • पंद्रह दिन बाद कस्बे से गुजरे तो सोचा की वहाँ नही रुकेंगे, पान भी नही खायेंगे, मूर्ति की ओर देखेंगे भी नहीं। परन्तु आदत से मजबूर हालदार साहब की नजर चौराहे पर आते ही आँखे मूर्ति की ओर उठ गयीं।
  • वे जीप से उतरे और मूर्ति के सामने जाकर खड़े हो गए। मूर्ति की आँखों पर सरकंडे से बना हुआ छोटा सा चश्मा रखा था, जैसा बच्चे बना लेते हैं। यह देखकर हालदार साहब की आँखे नम हो गयीं।

लेखक परिचय

स्वंय प्रकाश: इनका जन्म सन 1947 में इंदौर (मध्य प्रदेश) में हुआ। मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढाई कर एक औद्योगिक प्रतिष्ठान में नौकरी करने वाले स्वंय प्रकाश का बचपन और नौकरी का बड़ा हिस्सा राजस्थान में बिता। फिलहाल वे स्वैछिक सेवानिवृत के बाद भोपाल में रहते हैं और वसुधा सम्पादन से जुड़े हैं।

प्रमुख कार्य

कहानी संग्रह - सूरज कब निकलेगा, आएँगे अच्छे दिन भी, आदमी जात का आदमी, संधान।
उपन्यास - बीच में विनय और ईंधन।

कठिन शब्दों के अर्थ

  1. कस्बा - छोटा शहर
  2. लागत - खर्च
  3. उहापोह - क्या करें, क्या ना करें की स्थिति
  4. शासनाविधि - शासन की अविधि
  5. कमसिन - कम उम्र का
  6. सराहनीय - प्रशंसा के योग्य
  7. लक्षित करना - देखना
  8. कौतुक - आश्चर्य
  9. दुर्दमनीय - जिसको दबाना मुश्किल हो
  10. गिराक - ग्राहक
  11. किदर - किधर
  12. उदर - उधर
  13. आहत - घायल
  14. दरकार - आवश्यकता
  15. द्रवित - अभिभूत होना
  16. अवाक् - चुप
  17. प्रफुल्लता - ख़ुशी
  18. हृदयस्थली - विशेष महत्व रखने वाला स्थान
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FAQs on पाठ का सार - पाठ 7 - नेताजी का चश्मा, क्षितिज II, हिंदी, कक्षा - 10 - Hindi Class 10 (Kritika and Kshitij)

1. नेताजी का चश्मा पाठ का मुख्य विषय क्या है ?
Ans. नेताजी का चश्मा पाठ में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जीवन यात्रा और उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस पाठ में यह बताया गया है कि कैसे नेताजी ने अपने चश्मे के माध्यम से अपने विचारों और दृष्टिकोण को स्पष्ट किया और स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका को रेखांकित किया गया है।
2. पाठ में नेताजी के चश्मे का प्रतीकात्मक अर्थ क्या है ?
Ans. पाठ में नेताजी के चश्मे का प्रतीकात्मक अर्थ उनके विचारों की स्पष्टता और दृष्टि का प्रतीक है। चश्मा केवल एक वस्तु नहीं है, बल्कि यह नेताजी के अद्वितीय दृष्टिकोण और स्वतंत्रता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
3. पाठ में नेताजी के संघर्षों का उल्लेख कैसे किया गया है ?
Ans. पाठ में नेताजी के संघर्षों का उल्लेख उनके जीवन के विभिन्न चरणों के माध्यम से किया गया है, जिसमें उन्होंने अपने विचारों के लिए लड़ाई की, ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाई, और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके द्वारा किए गए प्रयासों को प्रेरणादायक तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
4. पाठ का मुख्य संदेश क्या है ?
Ans. पाठ का मुख्य संदेश यह है कि स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना और अपने विचारों के प्रति प्रतिबद्ध रहना आवश्यक है। नेताजी के जीवन से हमें यह सीखने को मिलता है कि अपने विचारों के लिए लड़ना और दूसरों को प्रेरित करना महत्वपूर्ण है।
5. क्या पाठ में नेताजी की कोई विशेष उपलब्धि का उल्लेख किया गया है ?
Ans. हाँ, पाठ में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विशेष उपलब्धियों का उल्लेख किया गया है, जैसे कि उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भीतर अपने दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया, भारतीय स्वतंत्रता के लिए विदेशी सहायता प्राप्त करने के प्रयास किए, और आज़ाद हिंद फौज की स्थापना की। उनके इन प्रयासों ने स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी।
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