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Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term II (2021-22) - 4 | CBSE Sample Papers For Class 10 PDF Download


कक्षा - 10
समय - 2 घण्टा
पूर्णांक - 40
 

सामान्य निर्देश :

  • इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड 'क' और खंड 'ख'। 
  • सभी प्रश्न अनिवार्य हैं, यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार ही लिखिए। 
  • लेखन कार्य में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखिए। 
  • खंड-'क' में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए। 
  • खंड-'ख' में कुल 4 प्रश्न हैं। सभी प्रश्नों के विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए चारों प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

खंड - 'क'

प्रश्न.1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए
(क) फादर बुल्के को हिंदी के बारे में क्या चिंता थी? 
(ख) 'लखनवी अंदाज़' पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने यात्रा करने के लिए सेकंड क्लास का टिकट क्यों खरीदा ? 
(ग) फादर को याद करना एक उदास, शान्त संगीत को सुनने जैसा है 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। 
(घ) लेखक ने इच्छा होते हुए भी नवाब साहब के खीरा खाने के आग्रह को दोबारा क्यों नकार दिया? जबकि खीरे की फॉकों को देखकर लेखक के मुँह में पानी आ गया था। लखनवी अंदाज' पाठ के आधार पर बताइए। 

(क)

  • हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने की चिंता।
  • हिंदी वालों द्वारा ही हिंदी की उपेक्षा से चिंता।

व्याख्यात्मक हल :
फादर बुल्के को हिंदी भाषा से बहुत लगाव था। हिंदी के लिए वे समर्पित भाव से तल्लीन रहे। वे चाहते थे कि हिंदी राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित हो जाए। जब कभी वे हिंदीभाषियों को हिंदी की उपेक्षा करते देखते तो चिंतित हो उठते थे। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के मार्ग में आने वाली समस्याओं से वे परेशान रहते।

(ख) 

  • अधिक दूरी की यात्रा नहीं होने के कारण।
  • भीड़ से बचने के लिए।
  • एकांत में नई कहानी के बारे में सोचने के लिए।
  • खिड़की से प्राकृतिक दृश्यों का आनन्द लेने के लिए।
    (कोई दो बिन्दुओं का उल्लेख अपेक्षित)

व्याख्यात्मक हल:
लेखक एकांत में बैठकर नई कहानी के बारे में सोचना चाहता था। इसलिए वह भीड़ से बचना चाहता था। इसके साथ ही वह खिड़की के बाहर प्राकृतिक दृश्यों का आनंद भी लेना चाहता था। इसी कारण उसने यात्रा करने के लिए सेकंड क्लास का टिकट खरीदा।
(ग) फादर की मृत्यु के पश्चात उनकी अनुपस्थिति सभी को, विशेषकर लेखक को बहुत खलती थी। जिस प्रकार उदास-शान्त संगीत को सुनने पर एक निस्तब्धता सी छा जाती है और आँखें भर उठती हैं, उसी प्रकार फादर को याद करते ही लेखक के स्मृति-पटल पर फादर के साथ बिताए हुए एक-एक पल जीवंत हो उठते हैं और उनको याद करके लेखक का मन अवसाद और शान्ति के सागर में डूब जाता है। इसीलिए लेखक ने फादर की याद को एक उदास शान्त संगीत सुनने जैसा कहा है।
(घ) लेखक स्वाभिमानी था। नवाब साहब के अकस्मात हुए भाव परिवर्तन से लेखक समझ गया था कि नवाब साहब अपनी शराफत का दिखावा करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। वह नवाब साहब से उससे किए गए खीरा खाने के आग्रह को पहले ही ठुकरा चुका था। अतः अब अनुकूल परिस्थितियाँ और खीरा खाने की इच्छा होते हुए भी लेखक ने आत्म-सम्मान की रक्षा करते हुए खीरा खाने से पुनः इंकार कर दिया।


प्रश्न.2. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए|
(क) फाल्गुन में ऐसी क्या बात थी कि कवि की आँख हट नहीं रही है?
(ख) 'उत्साह' कविता में बादल के माध्यम से कवि निराला के जीवन की झलक मिलती है। इस कथन से आप कितने सहमत/असहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
(ग) 'कन्यादान' कविता में वस्त्र और आभूषणों को शाब्दिक-भम्र क्यों कहा गया है?
(घ) 'आग रोटियाँ सेकने के लिए है जलने के लिए नहीं'। उक्त पंक्ति से क्या संदेश दिया गया है।

(क) फाल्गुन की शोभा कवि की आँखों को भा गई है, प्रकृति का अद्भुत सौंदर्य इतना आकर्षक है कि उसकी दृष्टि उससे हटती ही नहीं,मन भरता ही नहीं।

व्याख्यात्मक हल:
फाल्गुन मास की प्राकृतिक शोभा इतनी विविध और मनोहारी है कि घर-घर को महकाती पवन, आकाश में अठखेलियाँ करते पक्षी, पत्तों से लदी डालियों और मंद सुगंध से परिपूर्ण पुष्प समूह के इन सारे दृश्यों ने कवि को मंत्रमुग्ध-सा कर दिया था। इसलिए कवि की आँख फाल्गुन से हट नहीं रही थी।
(ख) निराला जी स्वाभिमानी विद्रोही स्वभाव के क्रांति के समर्थक तथा प्रकृति प्रेमी थे। उत्साह कविता में भी वे जहाँ एक ओर बादलों को गरज द्वारा क्रांति का सूत्रपात करने का आह्वान करते हैं वहीं दूसरी ओर वे बादलों से पीड़ित जनों को शांति व सुकून प्रदान करने को कहते हैं। इस प्रकार उत्साह कविता में निराला के जीवन की झलक मिलती है।
(ग) ये प्रामक शब्द हैं, जिनसे स्त्री को सुख का भ्रम होता है। वस्तुतः समाज वस्त्र और आभूषण की बेड़ियों में जकड़कर स्त्री के अस्तित्व को सीमाओं में बाँध देता है।
व्याख्यात्मक हल:
स्त्री के जीवन में वस्त्र और आभूषण भ्रमों की तरह हैं, अर्थात ये चीजें व्यक्ति को भरमाती हैं। ये स्त्री जीवन के लिए बंधन का काम करते हैं अत: इस बंधन में नहीं बँधना चाहिए। वस्तुतः समाज वस्त्र और आभूषण की बेड़ियों में जकड़कर स्त्री के अस्तित्व को सीमाओं में बाँध देता है।
(घ) इस पंक्ति में माँ अपनी बेटी को नसीहत दे रही है। वह कहती है कि आग की उपयोगिता घर में रोटियाँ संकने के लिए होती है, स्वयं के जलने के लिए नहीं। समाज में स्त्री की स्थिति अभी भी बहुत दयनीय है। दहेज लोभी लोग स्त्रियों को आग की भेंट चढ़ा देते हैं। या अत्याचार पूर्ण व्यवहार से तंग आकर कोई नववधू स्वयं को जलाकर आत्महत्या कर लेती है। इस पंक्ति का संदेश यही है कि कोई भी स्त्री अत्याचार को न सहे, उसका विरोध करे। न तो स्वयं को जलाकर आत्महत्या कर आग का दुरुपयोग करे और न ही किसी को हथियार के रूप में प्रयोग करने दे।


प्रश्न.3. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए
(क) आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता था?
(ख) 'जॉर्ज पंचम की नाक' के बहाने भारतीय शासनतन्त्र पर किए गए व्यंग्य को स्पष्ट करते हुए तथा पत्रकारों की भूमिका पर भी टिप्पणी कीजिए।
(ग) 'साना-साना हाथ जोड़ि' के आधार पर लिखिए कि देश की सीमा पर सैनिक किस प्रकार की कठिनाइयों से जूझते हैं? उनके प्रति भारतीय युवकों का क्या उत्तरदायित्व होना चाहिए?

(क) भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना इसलिए भूल जाता था, क्योंकि
(i) बच्चे को अपनी उम्र के बच्चों के साथ ही तरह-तरह से खेल खेलने को मिलते हैं और भोलानाथ भी अपने साथियों के साथ उन सब खेलों का आनन्द लेना चाहता होगा।
(ii) भोलानाथ अपने साथियों को देखकर अपने सभी दुःख-दर्द भूल जाता था। उसे मित्रों के साथ बहुत मज़ा आता था।
(iii) यदि भोलानाथ अपने साथियों के सामने रोना-सिसकना जारी रखता तो वे उसकी हँसी उड़ाते और उसे अपने साथ खेलने के लिए नहीं बुलाते।
(ख) शासन तन्त्र में
मानसिक गुलामी, चाटुकारिता, गैर जिम्मेदारी, दिखावे की प्रवृत्ति;
पत्रकारों में
कर्तव्य बोध का अभाव, फैशन और चाटुकारिता की खबरें, मौन विरोध।
व्याख्यात्मक हल:
भारतीय शासन तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता एवं बदहवासी दिखाई देती है, वह उनकी अपनी असुरक्षा से उत्पन्न चिंता को ही दर्शाती है। पदों के छिन जाने, स्थानांतरित किए जाने, पदोन्नति रुकने जैसी हीन मानसिकता से सरकारी तंत्र ग्रस्त है तथा यह स्थिति भारतीय अधिकारियों की मानसिकता पर करारा व्यंग्य करती है, जो विदेशी शासन के आगे हाथ जोड़े खड़े रहते हैं। पत्रकारों द्वारा रानी की पोशाकों और राज परिवार से सम्बंधित खबरों को बढ़ा-चढ़ाकर छापना भी उचित नहीं है। इस तरह की पत्रकारिता से आम जनता तथा युवा पीढ़ी प्रभावित होने लगती है। यदि ख्याति प्राप्त व्यक्ति का चरित्र अच्छा है तब तो ये अच्छी बात है अन्यथा इससे समाज का संतुलन बिगड़ने और आदर्शों को नुकसान पहुँचने का डर रहता है। यह एक निम्न स्तर की भटकी हुई पत्रकारिता है। जबकि पत्रकार और उनकी पत्रकारिता लोकतंत्र का वह मुख्य स्तम्भ है जो राष्ट्र और समाज दोनों के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। किंतु इस तरह पत्रकारिता युवा पीढ़ी को भ्रमित एवं कुंठित करती है। युवा पीढ़ी देश की रीढ़ है, उसके कमजोर होने से देश कहाँ जाएगा, युवा पत्र-पत्रिकाओं को पढ़कर चर्चित हस्तियों के खान-पान एवं पहनावे को अपनाने पर मजबूर हो जाते हैं। अपनी इन इच्छाओं की पूर्ति के लिए उचित-अनुचित मार्ग अपनाने में भी संकोच नहीं करते।

(ग)

  • परिवार से दूर रहना। 
  • प्रकृति के प्रकोप, कड़कड़ाती ठंड, तूफानों के बीच जान हथेली पर रखकर दुश्मन की गोलियों का सामना करना। 
  • देश रक्षा में तत्पर, स्नेह और सम्मान, देशभक्ति और कर्त्तव्यनिष्ठा। 

व्याख्यात्मक हल:
देश की सीमा पर सैनिक कड़कड़ाती ठंड में भी पहरा देते हैं जहाँ गर्मी में भी तापमान 15 डिग्री सेल्सियस होता है। वे सर्दी हो या गर्मी, हर मौसम में देश की सुरक्षा के लिए सीमा पर डटे रहते हैं ताकि हम चैन की नींद सो सकें। ये सैनिक हर पल कठिनाइयों से जूझते हुए, प्रकृति के प्रकोप को सहते हुए, अपनी जान हथेली पर रखकर, भूखे-प्यासे रहकर अपना कर्तव्य निभाते हैं। उनके प्रति भारतीय युवकों का भी उत्तरदायित्व बनता है। युवकों को उनके परिवार वालों के साथ हमेशा सहानुभूति, प्यार व सम्मान के साथ पेश आना चाहिए तथा उन्हें हर प्रकार की सहायता देनी चाहिए। यह ध्यान रखना चाहिए कि उनको किसी प्रकार का कोई कष्ट या अभाव न हो, उनके बच्चों की शिक्षा-दीक्षा सही प्रकार से हो। युवकों को अपने सैनिकों की सलामती के लिए भी दुआ करनी चाहिए।

खंड - 'ख'

प्रश्न.4. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए
(क) देश निर्माण में युवा वर्ग की भूमिका
* देश की अनमोल पूँजी युवा शक्ति * युवा वर्ग में भटकाव की स्थिति * राजनैतिक दलों द्वारा युवाओं का शोषण * युवाओं को उचित दिशा निर्देश आवश्यक * निष्कर्ष
(ख) साइबर अपराध का बढ़ता आतंक
  • साइबर अपराध क्या है? * हैकिंग में मददगार उपकरण * साइबर अपराध से होने वाली आर्थिक हानि एवं अन्य दुष्प्रभाव * साइबर अपराध रोकने के उपाय + निष्कर्ष 

(ग) जहाँ चाह वहाँ राह

  • उक्ति का अर्थ * सफलता के लिए कर्म के प्रति रुचि और समर्पण भाव * कठिनाइयों के बीच मार्ग निकालना * उपसंहार

(क) देश निर्माण में युवा वर्ग की भूमिका
किसी भी देश के युवा उस राष्ट्र की अनमोल पूँजी होते हैं। वे देश का भविष्य, उसके निर्माण का आधार होते हैं। विश्व की लगभग 25 प्रतिशत आबादी युवा है। युवा वर्ग राष्ट्र-विकास के प्रत्येक क्षेत्र में उसका प्रतिनिधित्व करने में सक्षम होता है, अतः राष्ट्र के भविष्य निर्माण में उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। युवावस्था मानव जीवन की चरम ऊर्जावान और उत्साह से परिपूर्ण अवस्था होती है। अगर युवाओं की क्षमताओं का उचित दिशा में उपयोग किया जाए तो वे तेजी से प्रगति करते हैं। ऐसे में किसी भी राष्ट्र को अपने लक्ष्य प्राप्त करने के लिए युवाओं की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता होती है। अतः यह परम आवश्यक है कि हमारे देश के युवाओं की ऊर्जा, रचनात्मकता, उत्साह और दृढ़ संकल्प को उचित मार्ग दर्शन और दिशा मिले । युवा शिक्षित हो साथ ही उन्हें रोजगार, सशक्तिकरण और विकास के समान अवसर प्राप्त हो। शिक्षा प्राप्ति के पश्चात रोजगार न मिलने से कई बार कुछ युवा आपराधिक प्रवृत्तियों में संलग्न हो जाते हैं। युवाओं का भी यह कर्त्तव्य है कि वे ईमानदार, परिश्रमी और कर्तव्यनिष्ठ हों तथा अपनी प्रतिभा का उपयोग राष्ट्र-निर्माण के कार्यों में करें। यदि युवाओं की शक्ति का उपयोग बुद्धिमानी से किया जाए तो वे राष्ट्र को प्रगति के उच्चतम शिखर तक ले जा सकते हैं।

(ख) साइबर अपराध का बढ़ता आतंक
इन्टरनेट ने जहाँ मानव को अनेक सुविधाएँ दी हैं, वहीं उसे साइबर अपराध जैसा आतंक का सामना भी करना पड़ रहा है। साइबर अपराधी कम्प्यूटर वायरस के माध्यम से इन्टरनेट से जुड़े हुए कम्प्यूटर में संचित सूचनाओं, आंकड़ों और प्रोग्रामों को प्राप्त करके उन्हें नष्ट कर देते हैं अथवा उनका दुरुपयोग करते हैं। साइबर अपराध के क्षेत्र में किए गए अध्ययनों से यह पता चला है कि हैकिंग की अधिकतर घटनाएँ पूर्व कर्मचारियों के सहयोग से होती हैं। वहीं हैकरों को कम्पनी के आंकड़ा कोष तक पहुँचा देते हैं और इसके बाद पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नम्बर आदि को चुरा लेना या महत्वपूर्ण आंकड़ों को नष्ट कर देना मामूली बात है। इंटरनेट पर ऐसी अनेक वेबसाइट उपलब्ध हैं जो ऐसे डिजिटल उपकरण उपलब्ध कराती हैं जो हैकिंग में मददगार हैं। इन उपकरणों की सहायता से दूसरे के कम्प्यूटरों को जाम किया जा सकता है या उन्हें अपने नियन्त्रण में लिया जाता है। साइबर अपराध के माध्यम से आम आदमी से लेकर बड़ी-बड़ी कम्पनियों तक को कई बार बहुत अधिक आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है। कुछ वर्ष पूर्व अमेरिका में साइबर अपराधियों ने मेलिसा नामक वायरस इंटरनेट पर फैला कर ई-मेल कम्पनियों को 8 करोड़ डॉलर का नुकसान पहुंचाया था। साइबर अपराधियों पर नकेल कसने के लिए भारत समेत नौ एशियाई देशों ने वर्ष 2003 में एक सहयोग समझौता किया। इन देशों के बीच सूचना के आदान-प्रदान हेतु वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क नामक प्रणाली विकसित की गई है। विश्व के अन्य देशों के बीच भी इसी प्रकार के सहयोग की आवश्यकता है। इंटरपोल भी साइबर अपराधों की रोकथाम हेत् कार्य कर रहा है।

(ग) जहाँ चाह वहाँ राह
एक प्रसिद्ध कहावत है-जहाँ चाह वहाँ राह। इसका तात्पर्य है-जब मन में कोई इच्छा होती है, कुछ कर दिखाने की चाहत या अभिलाषा होती है उसके लिए रास्ते अपने आप बन जाया करते हैं। यदि व्यक्ति अपने मन में किसी लक्ष्य को पाने की ठान ले तो मार्ग की बड़ी से बड़ी बाधा उसे उसके पथ से विचलित नहीं कर सकती। सफलता पाने के लिए कर्म के प्रति रुचि और समर्पण की भावना होना परम आवश्यक है। जो लोग मन में केवल इच्छा तो रखते हैं किन्तु उसके पूरा करने के लिए न प्रयास करते हैं और न दृढ़ संकल्प ले कर कार्य के प्रति समर्पण भाव रखते हैं, वे अपने कार्य में कभी भी सफल नहीं हो पाते। कर्म के प्रति समर्पित लोग रास्ते की कठिनाइयों से नहीं घबराया करते। किसी प्रसिद्ध कवि ने कहा है

जब नाव जल में छोड़ दी, तूफान ही में मोड़ दी
दे दी चुनौती सिन्धु को, फिर पार क्या मॅझधार क्या?

मार्ग में आने वाली बाधाएँ तो मनुष्य को चुनौती देती हैं, उसकी परीक्षा लेती हैं कि वह अपने कर्म के प्रति कितना निष्ठावान है! चुनौतियों के माध्यम से ही कर्म वीरों को कार्य पूरा करने की प्रेरणा मिलती है, इसलिए कठिनाइयों को मार्ग की बाधा न समझ कर उन्हें मार्ग-निर्माण का साधन समझना चाहिए। यदि महात्मा गांधी अंग्रेजी शासन की चुनौती का सामना करते हुए सत्याग्रह के द्वारा स्वतन्त्रता प्राप्ति का प्रयास न करते तो आज भी हम परतन्त्र होते। अतः हमारा यह कर्त्तव्य है कि हम अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए या किसी भी कार्य की पूर्ति के लिए प्रबल इच्छा शक्ति को मन में धारण करें और कठिन परिश्रम दृढ़ संकल्प और लगन के द्वारा उस लक्ष्य को पाने का प्रयास करें।


प्रश्न.5. फिल्म जगत में बढ़ती हिंसा प्रधान फिल्मों को देखकर युवा-मन पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की चर्चा करते हुए किसी प्रसिद्ध दैनिक समाचार पत्र के सम्पादक को एक पत्र लिखिए।
अथवा 
आप अपने आस-पास अनेक निरक्षर बच्चों को घूमते हुए देखकर उन्हें साक्षर बनाने का प्रयास कर रहे हैं। अपने इस सराहनीय कार्य की जानकारी देते हुए अपने मित्र को एक पत्र लिखिए।

पत्र लेखन

सेवा में,
सम्पादक,
हिन्दुस्तान टाइम्स,
नई दिल्ली।
दिनांक.......
महोदय,
मैं आपके लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से सरकार और समाज का ध्यान हिंसा प्रधान फिल्मों के युवाओं पर पड़ते दुष्प्रभावों की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। आजकल सिनेमा जगत में हिंसा प्रधान फिल्में बनाने की होड़ सी लग गई है। दूरदर्शन के विभिन्न चैनलों से भी समय-समय पर उन फिल्मों का प्रदर्शन होता रहता है। ऐसा लगता है कि सरकार का इन पर कोई नियन्त्रण ही नहीं रह गया है। युवा वर्ग यहाँ तक कि किशोरों और बाल-मन पर इसका कितना दुष्प्रभाव पड़ रहा है शायद इसकी कल्पना भी कार्यक्रम प्रसारण कर्ताओं को नहीं है। कई बार कुछ ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जिनमें लूटपाट, चोरी-डकैती और हिंसक घटनाओं का मुख्य कारण इन फिल्मों में दी गई जानकारी हो रही है। फिल्मों में यह भी दर्शाया जाता है कि किस प्रकार अपराधी आसानी से पुलिस और कानून को चकमा दे देते है। यह उचित नहीं है क्योंकि युवा वर्ग बुराई की ओर जल्दी आकर्षित होता है। अत: इस प्रकार की फिल्मों के प्रसारण पर रोक लगाना अत्यन्त आवश्यक है।
आपके विश्वसनीय समाचार पत्र के माध्यम से मेरा सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय' से अनुरोध है कि वह अपनी नीति में उपयुक्त सुधार कर इन बढ़ती हिंसा प्रधान फिल्मों पर रोक लगाएँ ताकि हमारे देश के किशोर एवं युवा वर्ग इसके भयानक दुष्प्रभावों से मुक्त रह सके।
धन्यवाद सहित
भवदीय,
अ ब स
गोल मार्केट
नई दिल्ली

अथवा

203, कमला नगर
क ख ग नगर,
उत्तर प्रदेश।
दिनांक.........
प्रिय मित्र अभिनव,
सादर नमस्ते।
मैं यहाँ सकुशल हूँ और आपकी कुशलता की कामना करता हूँ। तुम भी आजकल अपनी परीक्षा की समाप्ति के बाद ग्रीष्मावकाश का आनन्द ले रहे होगे। मित्र, तुमने अपने पिछले पत्र में इस वर्ष के मेरे ग्रीष्मावकाश के कार्यक्रम के विषय में पूछा था।
मित्र, मैंने इस ग्रीष्मावकाश में अपने निवास स्थान के निकट बसी मजदूरों की बस्ती के निरक्षर बच्चों को पढ़ाने का कार्यक्रम शुरू किया है। इसी उद्देश्य से मैंने पहले बस्ती के घर-घर जाकर बच्चों के माता-पिता से बात की और उन्हें सायंकालीन कक्षाओं में अपने बच्चों को पढ़ने भेजने के लिए तैयार किया। इस योजना के कार्यान्वयन में उनकी आर्थिक स्थिति आड़े आ रही थी, जिस कारण वे बच्चों के लिए किताबें-कॉपियाँ नहीं खरीद पा रहे थे। मेरे इस कार्य में मेरे पिता जी ने मुझे सहयोग दिया और हमने बच्चों के लिए आवश्यक स्टेशनरी, पेन, पेंसिल आदि खरीद कर उन्हें वितरित कर दीं। अब बच्चे दिन में अपने माता-पिता के कामों में हाथ बँटाते हैं और शाम को मेरे घर पर पढ़ने आते हैं। अब तक उन बच्चों ने वर्णमाला और गिनती का ज्ञान प्राप्त कर लिया है। मैं बच्चों के लिए कुछ रोचक प्रतियोगिताओं का आयोजन करने की भी तैयारी कर रहा हूँ। इस कार्य को करके मुझे बहुत सुखद अनुभूति हो रही है।
मित्र, तुम भी इसी प्रकार का कोई कार्य करोगे तो तुम्हें बहुत खुशी मिलेगी। अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम तथा छोटी बहन सीमा को स्नेह कहना।
तुम्हारा अभिन्न मित्र,
अ ब स


प्रश्न.6. (क) एक तीन बेडरूम वाले मकान को बेचने के लिए उसकी खूबियाँ बताते हुए लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
आप अपना पुराना कम्प्यूटर बेचना चाहते हैं। इससे सम्बन्धित एक आकर्षक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए।
(ख) आकाश कोचिंग सेंटर में कक्षा दस के विद्यार्थियों को गणित पढ़ाने हेतु एक योग्य शिक्षक की आवश्यकता है। उसके लिए लगभग 50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए।

(क)

Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term II (2021-22) - 4 | CBSE Sample Papers For Class 10

अथवा

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(ख)

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प्रश्न.7. (क) अपने बड़े भाई को प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता प्राप्त करने पर लगभग 40 शब्दों में बधाई संदेश लिखिए।
अथवा

हिन्दी दिवस के अवसर पर लगभग 40 शब्दों में एक शुभकामना संदेश लिखिए।
(ख) भाई का बहन को रक्षा-बन्धन के पावन पर्व पर लगभग 40 शब्दों में एक बधाई संदेश लिखिए।

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अथवा

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