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Short Question Answers: दोहे - Class 10 PDF Download

अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न. 1. श्रीकृष्ण के शरीर पर कैसा कपड़ा अच्छा लगता है?
उत्तर:
श्रीकृष्ण के शरीर पर पीला कपड़ा अच्छा लगता है।

प्रश्न. 2. ग्रीष्म ऋतु में संसार तपोवन-सा कैसे हो जाता है? बिहारी के दोहे के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
ग्रीष्म ऋतु में संसार तपोवन-सा हो जाता है क्योंकि भीषण गर्मी ने हिंसक पशुओं की हिंसा, वैर, विरोध व शत्रुता समाप्त कर दी है। अब शेर-हिरण व मोर-साँप एक स्थान पर बैठे दिखाई दे रहे हैं।

प्रश्न. 3. नायक-नायिका भरे भवन में केसे बातें करते हैं?
उत्तर: 
नायक-नायिका भरे भवन में आँखों के इशारों से बातें करते हैं।

प्रश्न. 4. बिहारी ने माला जपने और तिलक लगाने को व्यर्थ कहकर क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर:
बिहारी ने माला जपने और तिलक लगाने को व्यर्थ कहकर यह संदेश देना चाहा है कि ये सब बाह्याडंबर है, इनसे कोई भी काम सिद्ध नहीं होता। अतः इन्हें भूलकर सच्चे हृदय से ईश्वर की आराधना करनी चाहिए।

लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. बिहारी के दोहों की रचना मुख्यतः किन भावों पर आधारित है ? उनके मुख्य ग्रंथ और भाषा के नाम का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: 
बिहारी जी के दोहों की रचना मुख्यतः प्रेम, भक्ति और नीति के भावों पर आधारित है उनके मुख्य ग्रंथ ‘बिहारी सतसई’ है तथा मुख्य भाषा-ब्रजभाषा, बुंदेलखण्डी, मैथिली, भोजपुरी, मगही तथा अंगिका है।

प्रश्न 2. बिहारी के दोहे के आधार पर लिखिए कि गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी क्यों छिपा लेती है ?
अथवा
गोपियों द्वारा श्रीकृष्ण की बाँसुरी छिपाए जाने में क्या रहस्य है? ‘दोहे’ कविता के आधार पर अपने शब्दों में लिखिए।
अथवा
गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी क्यों छिपा लेती हैं।
उत्तर:
गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी इसलिए छिपा लेती है, क्योंकि वे श्रीकृष्ण से वार्तालाप का आनंद लेना चाहती हैं तथा गोपियाँ कृष्ण को देर तक अपने पास रोके रखना चाहती हैं।

प्रश्न 3. बिहारी के दोहे’ के आधार पर लिखिए कि किन प्राणियों में स्वाभाविक बैर है ? वे आपसी बैर कब और क्यों भूल जाते हैं ?
उत्तर:
बिहारी के दोहे के आधार पर-साँप, मोर और हिरन व सिंह आदि प्राणियों में बैर हैं। ग्रीष्म ऋतु की तपन व तपस्वी जनों की तपस्या के प्रभाव से वे जीव-जन्तु आपसी व स्वाभाविक बैर भूल जाते हैं।

प्रश्न 4. श्रीकृष्ण के शरीर की तुलना किस पर्वत से की गई है और क्यों?
उत्तर: 
श्रीकृष्ण के शरीर की तुलना कवि ने नीलमणि पर्वत से की है उनके पीले वस्त्र ऐसे शोभायमान हैं मानो नीलमणी पर्वत पर प्रातःकालीन धूप खिल उठी हो।

प्रश्न 5. बिहारी कवि ने ‘जगत तपोवन सो कियो’ ऐसा क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
बिहारी ने जगत को तपोवन क्यों कहा है और इससे क्या सन्देश देना चाहा है?
उत्तर: 

  • जैसे तपोवन में सभी तपस्वी आपसी प्रेम और आपसी सद्भाव से रहते हैं वैसे ही भयंकर गर्मी से बचने के लिए विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु आपसी शत्रुता भुलाकर प्रेम व सद्भाव से रहते हैं।
  • संदेश‘पारस्परिक प्रेम व सद्भाव बढ़ाना।

व्याख्यात्मक हल:
ग्रीष्म ऋतु में तपकर वन तपोवन बन जाता है।ऋषियों-मुनियों की तपस्या का प्रभाव वहाँ के वातावरण पर भी पड़ता है। स्वभाव से विपरीत व परस्पर शत्रुता रखने वाले प्राणी भी वहाँ शत्रुता भुलाकर परस्पर प्रेम व सौहार्द से रहते हैं। कवि मानव-मात्र में भी इसी प्रेम, भाईचारे व एकता की भावना विकसित करने का संदेश देता है। यह संसार भी यदि तपोवन जैसा पवित्र व प्रेममय हो जाए तो मानव-समाज की अनेक समस्याएँ स्वयमेव हल हो जाएँगी।

प्रश्न 6. ‘बिहारी के दोहे’ के आधार पर बताइए कि किस परिस्थिति में सभी शत्रुता का भाव भुलाकर एक हो जाते हैं ?
उत्तर:
संकट की परिस्थिति में सभी शत्रुता का भाव भुलाकर एक हो जाते हैं। आपदा की परिस्थिति में हर प्राणी अपनी रक्षा में जुट जाता है। किसी को भी अपनी शत्रुता का जरा भी ध्यान नहीं रहता। यही कारण है कि भयंकर गर्मी से परेशान साँप, मोर, हिरन और बाघ सब साथ-साथ रह रहे हैं।

प्रश्न 7. बिहारी की गोपियाँ कैसी हैं ?
उत्तर: 
बिहारी की गोपियाँ चुलबुली हैं। वे कृष्ण के प्रेम की चहेती हैं। वे सख्य भाव की प्रेमिकाएँ हैं। वे कृष्ण के प्रति दिव्य भाव से समर्पित न होकर उनके रूप-सौंदर्य और बतरस की प्यासी हैं।

प्रश्न 8. गोपियों द्वारा कृष्ण की मुरली छिपा देने के पीछे उनकी कौन-सी भावना परिलक्षित होती है? वे कृष्ण को रोके रखने के लिए और क्या-क्या करती हैं?
अथवा
बिहारी के अनुसार गोपियाँ कृष्ण की बाँसुरी क्यों छिपा लेती हैं ? माँगे जाने पर उनकी क्या चेष्टाएँ होती हैं ?
उत्तर:
गोपियाँ श्रीकृष्ण को देर तक अपने पास रोके रखना चाहती हैं, इसलिए वे कृष्ण की मुरली छिपा देती हैं। उन्हें कृष्ण से बातें करने का लालच है। इससे गोपियों का कृष्ण के प्रति प्रेम व मुरली के प्रति ईर्ष्या की भावना परिलक्षित होती है। कृष्ण को रोके रखने के लिए वे उनसे मजाक करती हैं, शपथ खाती हैं, भौंहें उठाकर हँस देती हैं तथा बाँसुरी देने से साफ मना कर देती हैं।

प्रश्न 9. बिहारी कवि ने सभी की उपस्थिति में भी कैसे बात की जा सकती है, इसका वर्णन किस प्रकार किया है ? अपने शब्दों में लिखिए।
अथवा
बिहारी के दोहे में ‘भरे भौन में करत है नैननु ही सौं बात’ का भाव अपने शब्दों में लिखिए।
अथवा

भरे-पूरे परिवार में नायक-नायिका कैसे बात करते हैं? बिहारी के दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सामाजिक मान-मर्यादा और लोक-लाज का ध्यान रखते हुए नेत्रों के माध्यम से संकेतों की भाषा में बात करते हैं।
व्याख्यात्मक हल:
भरे-पूरे परिवार में नायक-नायिका नेत्रों से ही सब बातें कर रहे हैं क्योंकि वहाँ भीड़ अधिक है और वे लोक-मर्यादा के कारण बातें करने में असमर्थ हैं। वे सामाजिक मान-मर्यादा और लोक-लाज का ध्यान रखते हुए नेत्रों के माध्यम से संकेतों की भाषा में बात करते हैं।

प्रश्न 10. बिहारी के ग्रीष्म ऋतु वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।
अथवा
बिहारी के दोहों के आधार पर ग्रीष्म ऋतु की प्रचंड गर्मी और दुपहरी का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
अथवा
ग्रीष्म ऋतु में संसार तपोवन सा कैसे हो जाता है ? बिहारी के दोहों के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
ग्रीष्म ऋतु की भंयकर गर्मी है। चारों ओर गर्मी और लू की धू-धू मची है। जंगल के सभी जानवर गर्मी से इतने बेहाल हैं कि वे भूख-प्यास भूले बैठे हैं। उनका शत्रु-भाव समाप्त हो गया है। वे मित्र-भाव से इकट्ठे गर्मी झेल रहे हैं। हिरन-शेर, साँप-मोर एक साथ झुलस रहे हैं। जंगल मानो तपोवन हो गया है।
जेठ मास की गर्मी में सूरज सिर पर आ गया है। छायाएँ दुबक कर गायब हो गई हैं। लगता है कि छाया भी घने जंगल में दुबक कर आराम कर रही है। उसे भी छाँव की जरूरत महसूस होने लगी है।

प्रश्न 11. छाया भी कब छाया ढूँढ़ने लगती है ?
उत्तर:
जब ग्रीष्म ऋतु में जेठ मास की दोपहरी में सूर्य की किरणें पृथ्वी पर अपना प्रचंड ताप फैलाती हैं तब उस समय छाया भी छाया ढूँढ़ने के लिए घने वन प्रदेश में विचरण करने लगती है।

प्रश्न 12. बिहारी की नायिका यह क्यों कहती है ‘कहिहै सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की बात’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बिहारी की नायिका यह इसलिए कहती है ‘कहेगा सब तेरा हृदय (मन) की बात, क्योंकि नायिका अपना विरह कागज पर लिख नहीं पा रही है और दूसरे को संदेश देने में उसे शर्म आती है। जानती है कि नायक के हृदय की दशा भी उसी के हृदय के समान होगी। वह उसके दिल की हर बात को समझ सकता है। अतः नायिका ने कहा कि ‘वह अपने दिल से पूछे, वह उसके हृदय की बात बता देगा।’

प्रश्न 13. बिहारी कवि की नायिका अपने हृदय की बात अपने प्रिय के पास पहुँचाने में क्यों असमर्थ है ?
उत्तर:
नायिका अपने प्रेम का संदेश लिखकर या बोलकर कहने में स्वयं को असमर्थ पाती है, क्योंकि उसकी नारी सुलभ लज्जा उसे रोक देती है और दूसरे को संदेश देने में उसे शर्म भी आती है।

प्रश्न 14. ‘सच्चे मन में राम बसते हैं’-दोहे के संदर्भानुसार स्पष्ट कीजिए।
अथवा
कवि के अनुसार राम किस प्रकार के व्यक्ति के मन में निवास करते हैं ?
उत्तर
: सच्चे मन में राम बसते हैं:दोहे के संदर्भानुसार स्पष्ट करते हुए कह सकते हैं कि भगवान भक्त की भावना पर शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए बाह्य आंडबर (दिखावे) की आवश्यकता नहीं होती। माला जपने, गेरुए वस्त्र पहनने, तिलक लगाने से भगवान प्रसन्न नहीं होते। मन की सच्ची स्थिर भक्ति से भक्त के मन में श्रीराम बसते (निवास) करते हैं।

प्रश्न 15. बिहारी ने ईश्वर प्राप्ति में किन साधनों को साधक और किनको बाधक माना है।
उत्तर: 
साधक-सच्चे मन से ईश्वर की भक्ति
बाधक-बाह्य आडम्बर एवं सांसारिक आकर्षण।
व्याख्यात्मक हल:
बिहारी ने ईश्वर प्राप्ति में सच्चे मन से ईश्वर की भक्ति को साधक माना है तथा बाह्य आडम्बर एवं सांसारिक आकर्षण को बाधक माना है। उनके अनुसार और बाह्य आडम्बर जप करने तथा माला, छापा, तिलक धारण करने से ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती।

प्रश्न 16. ‘जपमाला, छापै, तिलक सरै न एकौ कामु।
मन काँचै नाचै वृथा, सा°चै राचै रामु’।।
बिहारी ने इस दोहे में हमें क्या संदेश दिया है?
अथवा
बिहारी ने किस बाहरी आडम्बर का खंडन किया है और क्यों? दोहे के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
बिहारी के इस दोहे में हमें यह संदेश दिया गया है कि माला, छापा, तिलक-धारण करने से एक काम भी पूरा नहीं होता । जिनका मन कच्चे काँच की तरह है, वे व्यर्थ में भटकते हैं। सच्चे अर्थात् अच्छे लगने वाले राम को अपने मन में धारण करो, उसी से सारे काम पूरे होंगे।

प्रश्न 17. बिहारी के दोहों में लोकव्यवहार और नीतिज्ञान आदि की बातें भी मिलती हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बिहारी मूलतः शृंगारिक कवि थे परन्तु उन्होंने अपने दोहों में नीतिज्ञान, लोक व्यवहार आदि विषयों पर लिखा है-
उदाहरण- जप माला छापै तिलक सरै न एकौ कामु।
मन काँचे नाचै बृथा, साँचे राँचै रामु।।      (नीतिज्ञान)
कहलाने एकत बसत अहि मयूर, मृग बाघ।
जगतु तपोवन सौ कियौ दीर घ-दाष निदाघ।।    (लोकव्यवहार)

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FAQs on Short Question Answers: दोहे - Class 10

1. दोहे का अर्थ क्या होता है?
उत्तर: दोहे एक प्रकार की कविता होती है जिसमें दो पंक्तियों में संगति और अर्थपूर्णता होती है। इनमें यथार्थता, जीवन के मूल्यों और मार्गदर्शन को व्यक्त करने का प्रयास किया जाता है।
2. दोहे के कितने प्रकार होते हैं?
उत्तर: दोहे दो प्रकार के होते हैं - साधारण दोहे और संघटित दोहे। साधारण दोहे में दो पंक्तियाँ होती हैं, जो एक दूसरे के साथ रिमझिम करती हैं। संघटित दोहे में दो पंक्तियाँ होती हैं, जहां पहली पंक्ति अपने आप में पूर्णात्मक अर्थ रखती है और दूसरी पंक्ति अर्थ को पूर्ण करती है।
3. दोहे का प्रयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर: दोहे का प्रयोग भाषा को सुंदर और सरल बनाने के लिए किया जाता है। इसके माध्यम से हम गहरे विचारों को संक्षेप में व्यक्त कर सकते हैं और उन्हें आसानी से समझ सकते हैं। दोहे अपनी संगति और अर्थपूर्णता के कारण अधिक से अधिक प्रभावशाली होते हैं।
4. दोहों के उदाहरण क्या हैं?
उत्तर: कवि सूरदास के दोहे दोहों के उदाहरण हैं। एक उदाहरण है "करत करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान। रसरी आवत जाति है, सिल पर परत निसान॥" इस दोहे में कवि ने कहा है कि एक व्यक्ति अभ्यास के द्वारा अपने काम में माहिर होता है, जैसे रसरी कई बार सिल पर चलती है और निशान छोड़ती है।
5. दोहे के कुछ प्रमुख कवि कौन हैं?
उत्तर: दोहे के कुछ प्रमुख कवि सूरदास, कबीर दास, रहीम दास और तुलसीदास हैं। इन कवियों ने अपनी रचनाओं में दोहों का उपयोग करके अपने संदेशों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है।
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