प्रश्न 1: इस पाठ में विभिन्न लोक-माध्यमों की चर्चा हुई है। आप पता लगाइए कि वे कौन-कौन से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। अपने क्षेत्र में प्रचलित किसी लोकनाट्य या लोकमाध्यम के किसी प्रसंग के बारे में जानकारी हासिल करके उसकी प्रस्तुति के खास अंदाज़ के बारे में भी लिखिए।
उत्तर: इस पाठ में जिन लोकमाध्यमों की चर्चा हुई है, वे हैं-लोक-नृत्य, लोक-संगीत और लोक-नाट्य। ये देश के विभिन्न भागों में विविध नाट्य रूपों-कथावाचन, बाउल, सांग, रागिनी तमाशा, लावनी, नौटंकी, जात्रा, गंगा-गौरी, यक्ष-गान, कठपुतली लोक-नाटक आदि में प्रचलित हैं। इनमें स्वाँग उत्तरी भारत, नौटंकी उत्तर प्रदेश, बिहार, रागिनी हरियाणा तथा यक्ष-गान कर्नाटक क्षेत्रों से संबंधित हैं। हमारे क्षेत्र में नौटंकी का प्रयोग खूब होता है। यह ग्रामीण नाट्य-शैली का एक रूप है। इसमें प्राय: रात्रि के समय मंच पर किसी लोक-कथा या कहानी को नाट्य-शैली में प्रस्तुत किया जाता है। इसमें स्त्री-पात्रों की भूमिका भी प्राय: पुरुष-पात्र करते हैं। हारमोनियम, नगाड़ा, ढोलक आदि वाद्य-यंत्रों के साथ यह संगीतमय प्रस्तुति लोक-लुभावन होती है।
प्रश्न 2: आजादी के बाद भी हमारे देश के सामने बहुत सारी चुनौतियाँ हैं। आप समाचार-पत्रों को उनके प्रति किस हद तक संवेदनशील पाते हैं?
उत्तर: आजादी के बाद भी हमारे देश में बहुत-सी चुनौतियाँ हैं। ये चुनौतियाँ हैं :
(i) निर्धनता से निपटने की चुनौती।
(ii) बेरोजगारी से निपटने की चुनौती।
(iii) भ्रष्टाचार की चुनौती।
(iv) देश की एकता बनाए रखने की चुनौती।
(v) आतंकवाद का मुकाबला करने की चुनौती।
(vi) सांप्रदायिकता से निपटने की चुनौती।
हम समाचार-पत्रों को इन चुनौतियों के प्रति काफी हद तक संवेदनशील पाते हैं। वे अपने दायित्व का निर्वहन, इनसे पीडित लोगों की आवाज सरकार तक पहुंचाकर कर रहे हैं, जिससे सरकार और अन्य स्वयंसेवी संस्थाएँ इनको हल करने के लिए आगे आती हैं। हाँ, छोटे समाचार-पत्र अपनी सीमा निश्चित होने के कारण कई बार दबाव में आकर उतने संवेदनशील नहीं हो पाते हैं।
प्रश्न 3: टी०वी० के निजी चैनल अपनी व्यावसायिक सफलता के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाते हैं? टी०वी० के कार्यक्रमों से उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर: टी०वी० के निजी चैनल अपनी व्यावसायिक सफलता के लिए लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने वाले कार्यक्रम दिखाते हैं। लोग ऐसे कार्यक्रमों की ओर आकर्षित होते हैं। ये चैनल कई बार लोगों की आस्था को भी निशाना बनाने से नहीं चूकते। इन कार्यक्रमों को टुकड़ों में दिखाते हुए ऐसे मोड़ पर समाप्त करते हैं, जिससे लोगों की उत्सुकता अगले कार्यक्रम के लिए बनी रहे। गत दिनों जम्मू-कश्मीर में आई बाढ़ की खबरों तथा उनमें फैंसे नागरिकों को बचाने संबंधी खबरों को कई दिनों तक टी०वी० पर दिखाया जाता रहा। इसी प्रकार अमेठी (उत्तर प्रदेश) के भूपति भवन पर अधिकार को लेकर संजय सिंह (राज्य सभा सांसद) और उनकी पहली पत्नी गरिमा सिंह, पुत्र अनंत विक्रम सिंह के मध्य हुए झगड़े एवं विवाद को कई बार दिखाया गया।
प्रश्न 4: इंटरनेट पत्रकारिता ने दुनिया को किस प्रकार समेट लिया है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: इंटरनेट पत्रकारिता के कारण अब दूरियाँ सिमटकर रह गई हैं; इंटरनेट की पहुँच दुनिया के कोने-कोने तक हो गई है। इसकी रफ्तार बहुत तेज है। इसका असर पत्रकारिता पर भी हुआ है। इसकी मदद से स्टूडियो में बैठा संचालक किसी भी मुद्दे पर देश-विदेश में बैठे व्यक्ति से बातें कर लेता है और करा देता है। इसकी मदद से गोष्ठियाँ, वार्ताएँ आयोजित की जाती हैं। इससे विश्व की किसी भी घटना की जानकारी अब आसान हो गई है।
प्रश्न 5: किन्हीं दो हिंदी पत्रिकाओं के समान अंकों को (समान अवधि के) पढ़िए और उनमें निम्न बिंदुओं के आधार पर तुलना कीजिए :
(i) आवरण पृष्ठ
(ii) अंदर के पृष्ठों की साज-सज्जा
(iii) सूचनाओं का क्रम
(iv) भाषा–शैली
उत्तर: हम ‘सरिता’ और ‘हंडिया टुडे’ पत्रिकाओं के समान अंकों को लेते हैं और तुलना करते हैं :
(i) आवरण पृष्ठ-‘सरिता’ पत्रिका का आवरण पृष्ठ अधिक रंग-बिरंगा. चित्रमय, आकर्षक और सुंदर है, जबकि ‘इंडिया टुडे’ का आवरण पृष्ठ अच्छा है, पर उतना आकर्षक नहीं।
(ii) अंदर के पृष्ठों की साज-सज्जा-‘सरिता’ के पृष्ठों की साज-सज्जा पर अधिक ध्यान दिया गया है, जबकि ‘इंडिया टुडे’ के पृष्ठों पर कम। ‘सरिता’ के पृष्ठों पर चित्र अधिक हैं, जबकि ‘इंडिया टुडे’ के पृष्ठों पर कम।
(iii) सूचनाओं का क्रम-‘सरिता’ में सूचनाएँ किसी क्षेत्र-विशेष से संबंधित न होकर विविध क्षेत्रों से संबंधित हैं, जबकि ‘इंडिया टुडे” में मुख्यत: राजनीतिक खबरें एवं सूचनाएँ हैं।
(iv) भाषा-शैली– सरिता’ की भाषा सरल तथा बोधगम्य है, जबकि ‘इंडिया टुडे’ की भाषा-शैली अधिक उच्च-स्तरीय है।
प्रश्न 6: निजी चैनलों पर सरकारी नियंत्रण होना चाहिए अथवा नहीं? पक्ष-विपक्ष में तर्क प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर: निजी चैनलों पर नियंत्रण होने से उनका काम करने का दायरा एवं ढंग प्रभावित होगा। इससे उनकी निष्पक्षता पर भी असर पड़ेगा। उन्हें सरकारी दबाव में काम करना होगा, अत: हमारे विचार में निजी चैनलों पर सरकारी नियंत्रण नहीं होना चाहिए।
प्रश्न 7: नीचे कुछ कथन दिए गए हैं। उनके सामने ✓ या × का निशान लगाते हुए उसकी पुष्टि के लिए उदाहरण भी दीजिए:
(क) संचार माध्यम केवल मनोरंजन के साधन हैं।
उत्तर: ×
संचार माध्यमों से हमें तरह-तरह का ज्ञान प्राप्त होता है, अत: ये केवल मनोरंजन के साधन नहीं हैं।
(ख) केवल तकनीकी विकास के कारण संचार संभव हुआ, इससे पहले संचार संभव नहीं था।
उत्तर: ×
संचार दो व्यक्तियों के बीच यहाँ तक अकेले भी होता है। इसके लिए तकनीकी विकास की आवश्यकता अनिवार्य नहीं थी। तकनीकी विकास बाद में सहायक बने हैं।
(ग) समाचार-पत्र और पत्रिकाएँ इतने सशक्त संचार माध्यम हैं कि वे राष्ट्र का स्वरूप बदल सकते हैं ।
उत्तर: ✓
समाचार-पत्र-पत्रिकाएँ घोटाले, भ्रष्टाचार, अनैतिकता, सांप्रदायिकता आदि के विरुद्ध आवाज उठाकर राज्ट्र का स्वरूप बदल सकते हैं।
(घ) टेलीविजन सबसे प्रभावशाली एवं सशक्त संचार माध्यम है।
उत्तर: ✓
टेलीविजन आवाज और चित्र का संगम होने के कारण अमीर-गरीब, शहरी-ग्रामीण, युवा-वृद्ध सभी की पसंद बन गया है।
(ड) इंटरनेट सभी संचार माध्यमों का मिला-जुला रूप या समागम है।
उत्तर: ✓
इंटरनेट पर समाचार-पठन, गीत-संगीत, फ़िल्म, बैठक, गोष्ठी आदि देखा-सुना जा सकता है।
(च) कई बार संचार माध्यमों का नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है।
उत्तर: ✓
इंटरनेट और टेलीविजन अपने कार्यक्रमों से समाज में अश्लीलता परोसने का काम कर रहे हैं।
31 videos|90 docs|24 tests
|
1. क्या जनसंचार माध्यम का महत्व है? |
2. क्या डिजिटल मीडिया किसे कहते हैं? |
3. क्या हैं सोशल मीडिया के फायदे और नुकसान? |
4. ऑनलाइन सुरक्षा क्यों महत्वपूर्ण है? |
5. क्या हैं व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षित रखने के तरीके? |
|
Explore Courses for Humanities/Arts exam
|