अविकारी शब्द वे होते हैं, जिनमें कोई विकार नहीं आता। वाक्य में प्रयुक्त संज्ञा व सर्वनाम शब्दों के लिंग, वचन कारक आदि का इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इसी कारण इन शब्दों को अव्यय भी कहा जाता है। अव्यय का शाब्दिक अर्थ है-जिसका कुछ भी व्यय न हो अर्थात ऐसे शब्द जिनका वाक्य में प्रयोग होने पर रूप न बदले।।
ऐसे शब्द जिनमें लिंग, वचन काल की दृष्टि से कोई रूप परिवर्तन नहीं होता, वे अव्यय कहलाते हैं।
अव्यय शब्द अ + व्यय के योग से बना है। इसका अर्थ हुआ जिसमें कोई व्यय न हो।
अव्यय के निम्नलिखित भेद हैं:
प्रश्न 1. क्रियाविशेषण किसकी विशेषता बताता है?
(i) संज्ञा
(ii) सर्वनाम
(iii) क्रिया
(iv) काल
उत्तर: (iii) क्रिया
प्रश्न 2. क्रियाविशेषण के कितने भेद होते हैं?
(i) तीन
(ii) चार
(iii) पाँच
(iv) आठ
उत्तर: (ii) चार
प्रश्न 3. संज्ञा या सर्वनाम का शेष वाक्य के साथ संबंध जोड़ने वाला शब्द कहलाता है।
(i) संबंधबोधक
(ii) क्रिया
(iii) क्रियाविशेषण
(iv) सर्वनाम
उत्तर: (i) संबंधबोधक
प्रश्न 4. समुच्चयबोधक शब्द का अभिप्राय है।
(i) दो शब्दों या वाक्यों को पृथक करना
(ii) दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ना
(iii) दो शब्दों या वाक्यों में समानता बताना
(iv) इनमें कोई नहीं
उत्तर: (ii) दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ना
प्रश्न 5. समुच्चयबोधक के उदाहरण हैं।
(i) के पास, से दूर
(ii) और, क्योंकि
(iii) में, पर
(iv) सुबह, रात
उत्तर: (ii) और, क्योंकि
प्रश्न 6. हे प्रभु! मेरी प्रार्थना सुन लो। में भाव प्रकट हो रहा है।
(i) स्वीकृतिबोधक
(ii) भयबोधक
(iii) संबंधबोधक
(iv) घृणाबोधक
उत्तर: (iii) संबंधबोधक
प्रश्न 7. विजयी हो! तुम अवश्य शत्रु को हरा सकोगे।
(i) हर्षबोधक
(ii) घृणाबोधक
(iii) शोकबोधक
(iv) आर्शीवादबोधक
उत्तर: (iv) आर्शीवादबोधक
प्रश्न 8. वाक्यों में आए सही निपात शब्द हैं।
(i) मैं
(ii) ही
(iii) तुम
(iv) चलो
उत्तर: (ii) ही
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