यह दंतुरित मुसकान - कविता का सार
बहुत दिनों बाद संन्यासी के रूप में बाहर रहकर लौटे कवि जब पहली बार अपने पुत्र को उसके नन्हे - नन्हे दाँतों के साथ मुसकराते देखते हैं, तो वात्सल्य से भरकर पुलकित हो उठते हैं। पुत्र को निहारते हुए वह कह उठते हैं कि चमकते दूध के दाँतों के साथ तुम्हारी यह भोली और सुंदर मुसकान इतनी आकर्षक व मनमोहक है कि यह निर्जीव को भी जीवन का वरदान दे सकती है। धूल से सने कामेल अंगवाले तुम्हारे शरीर की सुंदरता को देखकर ऐसा लगता है, जेसै कि तालाब को छोड़ कर मेरी झोंपडी़ में ही कमल खिल गया है।
तुम्हारे कोमल अंगों का स्पर्श पा, अपनी कठोरता को त्यागकर पत्थर भी पिघलकर मानो पानी हो गया। तुम्हारा कोमल स्पर्श पाकर बाँस और बबूल के काँटेदार पेड़ अपने कँटीलेपन पर लज्जा का अनुभव करने लगे और उनसे शेफालिका के सुगंध्ति, सुंदर और कोमल फूल झरने लगे हैं। तुमने मुझे पहले कभी नहीं देखा, इसलिए एकटक मेरी तरफ देखते हुए पहचानने की कोशिश कर रहे हो। परंतु तुम थक गए होगे, इसलिए मैं आँखें फेर लेता हूँ। तुम मुझसे पहली बार में परिचित न हो सके तो क्या हुआ? मैं प्रवासी होने के कारण तुम्हारे लिए पिता के जैसे न होकर अन्य अपरिचित लोगों जैसा ही हूँ। परंतु तुम धन्य हो अैार तुम्हारी माँ भी धन्य हैं, जिन्होंने माध्यम बनकर तुम्हारी इस जादुई दंतुरित मुसकान को मुझे देखने आरै आनंदित होने का अवसर दिया। मैं तो पहली बार आने के कारण तुम्हारे लिए अतिथि मात्र हूँ। तुम्हारी पहचानतो माँ से ही रही जो मेरी अनुपस्थिति में भी तुम्हें अपनी अँगुलियों से मधुपर्क चटाकर पोषित करती रहीं। उसी के योगदान के कारण जब-जब मैं तुम्हें देखता हूँ, मैं तुम्हें अपलक देखता ही रह जाता हूँ और तुम्हारी मुसकान मुझे भावविभोर कर देती है।
फसल - कविता का सार
इस कविता में कवि ने फसल क्या है साथ ही इसे पैदा करने में किनका योगदान रहता है उसे स्पष्ट किया है। वे कहते हैं की इसे पैदा करने में एक नदी या दो नदी का पानी नही होता बल्कि ढेर सारी नदियों का पानी का योगदान होता है अर्थात जब सारी नदियों का पानी भाप बनकर उड़ जाता है तब सब बादल बनकर बरसते हैं जो की फसल उपजाने में सहायक होता है। वे किसानों का महत्व स्पष्ट करते हुए कहते हैं की फसल तैयार करने में असंख्य लोगों के हाथों की मेहनत होती है। कवि बताते हैं की हर मिटटी की अलग अलग विशेषता होती है, उनके रूप, गुण, रंग एक सामान नही होते। सबका योगदान फसल को तैयार करने में है।
कवि ने बताया है की फसल बहुत चीज़ों का सम्मिलित रूप है जैसे नदियों का पानी, हाथों की मेहनत, भिन्न मिट्टियों का गुण तथा सूर्य की किरणों का प्रभाव तथा मंद हवाओं का स्पर्श। इन सब के मिलने से ही हमारी फसल तैयार होती है।
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