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कारक क्या है? | Hindi Grammar Class 7 PDF Download

कारक

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसका संबंध वाक्य की क्रिया से जाना जाए, उसे कारक कहते हैं।

कारक को प्रकट करने के लिए जिन जिहनों का प्रयोग किया जाता है, उसे कारक की विभक्तियाँ या परसर्ग कहते हैं।‘पर’ का अर्थ है- बाद। कारक चिह्न संज्ञा या सर्वनाम के बाद लगते हैं; 

जैसे:

  • मनोज ने सेब खाया।
  • पेड़ से पत्ते गिर रहे हैं।
  • शिक्षक छात्रों को पढ़ा रहे हैं।
  • पिता जी बच्चों के लिए फल लाए।
  • तोता डाल पर बैठा है।

इन वाक्यों में आए ने, को, से, के लिए तथा पर परसर्ग संज्ञा तथा क्रिया के संबंध को प्रकट कर रहे हैं। यदि हम वाक्यों से इन कारक चिह्नों को हटाकर पढ़े तो हमें वाक्य में प्रयुक्त संज्ञा तथा क्रिया शब्दों को आपस में संबंध समझ में नहीं आएगा और वाक्यों का अर्थ स्पष्ट नहीं होगा। अतः वाक्यों का अर्थ समझने के लिए इन कारक चिह्नों का प्रयोग आवश्यक है।

कारक के भेद

कारक के निम्नलिखित आठ भेद हैं:

कारक क्या है? | Hindi Grammar Class 7

ऊपर लिखे आठों कारकों में से केवल छह कारक ही वाक्य में प्रयुक्त संज्ञा या सर्वनाम का संबंध उस वाक्य की क्रिया बताते हैं। संबंध कारक तथा संबोधक कारक यह संबंध नहीं बताते । संबंध कारक वाक्य में प्रयुक्त दो संज्ञाओं का संबंध बताता है;
जैसे:
ये कोमल के खिलौने हैं।
वह अंशु का घर है।

कारक के निम्नलिखित आठ भेद हैं:

  1. कर्ता कारक: कर्ता का अर्थ है- काम करने वाला
    संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया करने वाले का बोध हो, उसे कर्ता कारक कहते हैं;
    जैसे:
    ओजस्व ने पाठ पढ़ा।
    पिता जी ने खाना खाया।
  2. कर्म कारक: संज्ञा या सर्वनाम द्वारा दी गई क्रिया का फल या प्रभाव जिस पर पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते हैं।
    जैसे:
    माँ ने बालक को सुलाया।
    अध्यापक ने छात्रों को पढ़ाया।
  3. करण कारक: जिसकी सहायता से कोई कार्य हो वह संज्ञा या सर्वनाम शब्द, करण कारक कहलाता है;
    जैसे:
    कंस कृष्ण के द्वारा मारा गया।
    बढ़ई ने आरी से लकड़ी काटी।
  4. संप्रदान कारक: ‘संप्रदान’ का शाब्दिक अर्थ है-देना। जिसके लिए कोई कार्य किया जाए या जिसे कुछ दिया जाए, वह संज्ञा या सर्वनाम पद संप्रदान कारक होता है।
    जैसे:
    आयुष ने रोहन को पुस्तक दी।
    महिला ने भूखे को भोजन दिया।
  5. अपादान कारक: संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से अलग होने का भाव प्रकट हो, वहाँ अपादान कारक होता है। इसका ‘परसर्ग’ से होता है।
    जैसे:
    चिड़िया पेड़ से उड़ गई।
    पहाड़ों पे झरना बहा।
  6. संबंध कारक: संज्ञा के जिस रूप से किसी वस्तु का दूसरी वस्तु से संबंध प्रकट हो, उसे संबंध कारक कहते हैं।
    जैसे:
    यह मेरा कंप्यूटर है।
    वह नेहा का घर है।
  7. अधिकरण कारक: संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के आधार या उसके होने के स्थान का या समय का बोध होता है; उसे अधिकरण कारक कहते हैं।
    जैसे:
    डाल पर तोता बैठा है।
    बच्चे कक्षा में बैठे हैं।
  8. संबोधन कारक: शब्द के जिस रूप में किसी को बुलाने या पुकारने का भाव प्रकट हो, उसे संबोधन कारक कहते हैं। संबोधन का अर्थ पुकारना।
    जैसे:
    अरे बबीत! इधर आओ।
    हे ईश्वर ! सबकी रक्षा करो।

कर्मकारक और संप्रदान कारक में अंतर
दोनों कारकों में ‘को’ परसर्ग का प्रयोग किया है, लेकिन दोनों में अंतर है;
जैसे:

  1. मैंने नेहा को पुस्तक दी (संप्रदान कारक)
  2. मैं रजत को समझाऊँगा। (कर्म कारक)

पहले वाक्य में देने का भाव है, अतः संप्रदान कारक है।
दूसरे वाक्य में ‘समझाने’ क्रिया का फल रजत पर पड़ रहा है।

करण कारक और अपादान कारक में अंतर
इन दोनों कारकों का परसर्ग से है, फिर भी दोनों में अंतर है;
जैसे

  1. वह कलम से लिखती है।
  2. गंगा हिमालय से निकलती है।

पहले वाक्य में लिखने की क्रिया’ कलम से हो रही है यानी कलम लिखने की क्रिया का साधन है। अतः ‘करण कारक है। दूसरे वाक्य में पृथक होने का भाव है। अतः अधिकरण कारक है।

बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1. संज्ञा या सर्वनाम को क्रिया से जोड़ने वाले चिह्न कहलाते हैं
(i) 
संज्ञा
(ii) सर्वनाम
(iii) क्रिया
(iv) कारक

उत्‍तर: (iv) कारक

प्रश्न 2. कारक के भेद हैं
(i)
चार
(ii) पाँच
(iii) सात
(iv) आठ

उत्‍तर: (iv) आठ

प्रश्न 3. कारक चिह्न को कहा जाता है?
(i)
रूप चिह्न
(ii) संसर्ग चिह्न
(iii) पद चिह्न
(iv) विभक्ति चिह्न

उत्‍तर: (iv) विभक्ति चिह्न

प्रश्न 4. ‘संबोधन कारक’ के रूप में किस चिह्न का प्रयोग किया जाता है?
(i)
|
(ii) !
(iii) ;
(iv) ?

उत्‍तर: (ii) !

प्रश्न 5. ‘का’ के, की चिह्न है?
(i) 
संबंध कारक
(ii) अपादान कारक
(iii) अधिकरण कारक
(iv) संबोधन कारक

उत्‍तर: (i) संबंध कारक

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FAQs on कारक क्या है? - Hindi Grammar Class 7

1. कारककारक क्या होता है?
उत्तर: कारककारक हिंदी व्याकरण में एक शब्द होता है जो किसी क्रिया या कार्य के संबंध में उसे विशेषता देता है। कारककारक क्रिया या कार्य के संदर्भ में उसके सम्बन्धीकरण और संबंधित प्रश्नों का उत्तर देने में मदद करता है।
2. कारककारक कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर: कारककारक हिंदी व्याकरण में पांच प्रकार के होते हैं। ये हैं - कर्ता (किसके द्वारा किया गया), कर्म (क्या किया गया), करण (किसके द्वारा किया गया), संबंध (किसके संबंध में किया गया), और अवयव (किसके साथ किया गया)।
3. कारककारक क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: कारककारक हिंदी व्याकरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि वे क्रिया या कार्य के संदर्भ में विवरण प्रदान करते हैं। इनके माध्यम से हम किसी वाक्य के तात्कालिक अर्थ और संदेश को समझ सकते हैं और उसे और स्पष्ट और सही बना सकते हैं।
4. कारककारक कैसे पहचानें?
उत्तर: कारककारक को पहचानने के लिए आपको कुछ प्रश्न पूछने की आवश्यकता होती है। आपको पूछनी चाहिए कि यह किसके संबंध में हुआ है, यह क्या किया गया है, और इसे किसके द्वारा किया गया है। इन प्रश्नों के जवाब से आप कारककारक की पहचान कर सकते हैं।
5. कारककारक के उदाहरण क्या हैं?
उत्तर: कारककारक के उदाहरण निम्नलिखित हो सकते हैं: - कर्ता: राम (किसके द्वारा किया गया) - कर्म: खरीदा (क्या किया गया) - करण: खाता (किसके द्वारा किया गया) - संबंध: वह मेरे बच्चे के साथ खेल रहा था (किसके संबंध में किया गया) - अवयव: मैंने उसके साथ खेला (किसके साथ किया गया)
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