Class 7 Exam  >  Class 7 Notes  >  Hindi (Vasant II) Class 7 (Old NCERT)  >  Summary: भोर और बरखा

Summary: भोर और बरखा | Hindi (Vasant II) Class 7 (Old NCERT) PDF Download

कवियत्री परिचय

मीरा बाई एक प्रसिद्ध संत कवयित्री हैं, जिनका जन्म 16 वीं सदी में हुआ था। वे राजस्थानी कन्हैया के प्रति अपनी गहरी भक्ति के लिए जानी जाती हैं। उनकी कविताएँ भक्ति, प्रेम और आत्मा की स्वतंत्रता के संदेश देती हैं। मीरा का जीवन संघर्ष और भक्ति से भरा हुआ था, और उन्होंने अपने जीवन में कई सामाजिक बाधाओं का सामना किया। उनकी रचनाएँ आज भी भक्ति साहित्य में महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।

सारांश

भोर और बरखा’ मीरा बाई द्वारा रचित है। इसमें दो पद हैं। पहले पद में मीराबाई ने ब्रज की भोर का सुंदर वर्णन किया है। दूसरे पद में सावन ऋतु का वर्णन है।
पहले पद में माता यशोदा श्रीकृष्ण को संबोधित करते हुए 'बंसीवारे ललना', 'मोरे प्यार', 'लाल जी', उपर्युक्त कथन कहते हुए अपने पुत्र श्रीकृष्ण को जगाने का प्रयास कर रही हैं।
माता यशोदा श्रीकृष्ण को जगाने के अपने प्रयास में कृष्ण से निम्न बातें कहती हैं कि रात बीत चुकी है, सभी के दरवाजें खुल चुके हैं, देखो गोपियाँ दही बिलो कर तुम्हारा मनपसंद माखन निकाल रही है, द्वार पर देव और मानव सभी तुम्हारे दर्शन की प्रतीक्षा में खड़े हैं, तुम्हारे मित्रगण भी तुम्हारी जय-जयकार कर रहें हैं, सभी अपने हाथ में माखन रोटी लेकर गाएँ चराने के लिए तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहें हैं। अत: तुम जल्दी उठ जाओ।
दूसरे पद में सावन का बड़ा ही मनोहारी वर्णन किया गया है। सावन के महीने में मनभावन वर्षा हो रही है। बादल उमड़-घुमड़कर कर चारों दिशाओं में फैल जाते हैं। बिजली चमकने लगती हैं। वर्षा की झड़ी लग जाती है। वर्षा की नन्हीं-नन्हीं बूंदें गिरने लगती हैं पवन भी शीतल और सुहावनी हो जाती है। सावन का महीना मीरा को श्रीकृष्ण की भनक अर्थात् श्रीकृष्ण के आने का अहसास कराता है।

मुख्य विषय

  • भक्ति और प्रेम: कविताओं में कृष्ण के प्रति मीरा की गहरी भक्ति और प्रेम का एहसास होता है।
  • प्रकृति का सौंदर्य: बारिश और सावन का आनंद, और इसकी सुंदरता को दर्शाया गया है।
  • गोपियों की खुशी: गोपियों की खुशी और उत्सव का वर्णन भी कविताओं का एक हिस्सा है।
  • आध्यात्मिकता: मीरा की कविताएँ आध्यात्मिकता और आत्मिक स्वतंत्रता की ओर संकेत करती हैं।

भावार्थ

पहला पद

जागो बंसीवारे ललना!
जागो मोरे प्यारे!
रजनी बीती, भोर भयो है, घर-घर खुले किंवारे।
गोपी दही मथत, सुनियत हैं कंगना के झनकारे।।
उठो लालजी! भोर भयो है, सुर-नर ठाढ़े द्वारे।
ग्वाल-बाल सब करत कुलाहल, जय-जय सबद उचारै।।
माखन-रोटी हाथ मँह लीनी, गउवन के रखवारे।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सरण आयाँ को तारै।।

भावार्थ: मीरा बाई के इस पद में वो यशोदा माँ द्वारा कान्हा जी को सुबह जगाने के दृश्य का वर्णन कर रही हैं। यशोदा माता कान्हा जी से कहती हैं कि ‘उठो कान्हा! रात ख़त्म हो गयी है और सभी लोगों के घरों के दरवाजे खुल गए हैं। ज़रा देखो, सभी गोपियाँ दही को मथकर तुम्हारा मनपसंद मक्खन निकाल रही हैं। हमारे दरवाज़े पर देवता और सभी मनुष्य तुम्हारे दर्शन करने के लिए इंतज़ार कर रहे हैं। तुम्हारे सभी ग्वाल-मित्र हाथ में माखन-रोटी लिए द्वार पर खड़े हैं और तुम्हारी जय-जयकार कर रहे हैं। वो सब गाय चराने जाने के लिए तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। इसलिए उठ जाओ कान्हा!

Summary: भोर और बरखा | Hindi (Vasant II) Class 7 (Old NCERT)

दूसरा पद

बरसे बदरिया सावन की।
सावन की, मन-भावन की।।
सावन में उमग्यो मेरो मनवा, भनक सुनी हरि आवन की।
उमड़-घुमड़ चहुँदिस से आया, दामिन दमकै झर लावन की।।
नन्हीं-नन्हीं बूँदन मेहा बरसे, शीतल पवन सुहावन की।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर! आनंद-मंगल गावन की।।

भावार्थ: इस पद में कवियत्री मीरा बाई बरसात का बड़ा ही मनमोहक चित्रण कर रही हैं। पद में उन्होंने बताया है कि सावन के महीने में होने वाली बरसात मन को शांत करने वाली होती है। बरसात के आगमन से उन्हें उनके प्रभु के आने का आभास होता है। उमड़-घुमड़ कर बादल आसमान में चारों तरफ फैल जाते हैं, आसमान में बिजली भी कड़कती है। बरसात कवियत्री मीरा बाई को ऐसा महसूस करवाती हैं , मानो श्रीकृष्ण ख़ुद चलकर उनके कल्याण के लिए उनके समक्ष सावन के रूप में आ गए हैं।

नैतिक शिक्षा

इन भजनों के माध्यम से हमें प्रेम और भक्ति की महत्ता का अनुभव होता है। राधा-कृष्ण की प्रेम कथा हमें भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है, जबकि सावन के महीने की सुंदरता हमें प्रकृति के साथ एकात्मता में विचरण का अनुभव कराती है। इन भजनों के माध्यम से हमें धार्मिकता और आध्यात्मिकता की महत्ता का अनुभव होता है और हमें साधना के माध्यम से अपने आप को परिष्कृत करने की प्रेरणा मिलती है।

कठिन शब्दों के अर्थ

  • रजनी – रात
  • भोर - सुबह
  • भयो – हो गई
  • किंवारे - किवाड़
  • मथत - मथना
  • सुर-नर - देवता और मनुष्य
  • ठाढे - खड़े
  • कुलाहल - शोर
  • सबद - शब्द
  • उचारै - उच्चारण करना
  • लीनी - ले ली
  • गउवन - गायें
  • रखवारे - रखवाली करने वाले
  • सरण - शरण
  • तारै - उद्धार करना
  • बरस - बरसना
  • बदरिया - बादल
  • भावन - अच्छा लगना
  • उमग्यो - प्रसन्न होना
  • मनवा - मन
  • भनक - खबर
  • हरि - भगवान
  • आवन - आना
  • चहुँदिस - चारों दिशाओं से
  • दामिण - बिजली
  • दमक – चमक
  • लावण - लाना
  • मेहा - मेघ, बादल
  • सीतल - ठंडी
  • नागर - चतुर
  • मंगल गावन - मंगल गीत
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FAQs on Summary: भोर और बरखा - Hindi (Vasant II) Class 7 (Old NCERT)

1. भोर और बरखा क्या हैं?
उत्तर: भोर और बरखा एक कक्षा 7 का पाठ है जो मौसम और जलवायु विज्ञान पर आधारित है।
2. भोर और बरखा क्यों पढ़ा जाता है?
उत्तर: भोर और बरखा एक महत्वपूर्ण विषय है जो छात्रों को मौसम और जलवायु के बारे में जागरूक करता है और उन्हें प्राकृतिक प्रक्रियाओं की समझ में मदद करता है।
3. भोर और बरखा परीक्षा में कैसे तैयारी करें?
उत्तर: भोर और बरखा परीक्षा के लिए अच्छे नोट्स बनाएं, पिछले साल के पेपर्स का प्रैक्टिस करें और समय प्रबंधन पर ध्यान दें।
4. भोर और बरखा से संबंधित अध्ययन सामग्री कहाँ से मिलेगी?
उत्तर: भोर और बरखा से संबंधित अध्ययन सामग्री आपके स्कूल की पुस्तकालय में उपलब्ध होगी या आप इंटरनेट पर भी खोज सकते हैं।
5. भोर और बरखा पाठ क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: भोर और बरखा पाठ छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे वे प्राकृतिक परिवर्तनों और मौसम के प्रभावों की समझ प्राप्त कर सकते हैं।
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