Table of contents | |
परिचय | |
सारांश | |
नैतिक शिक्षा | |
कठिन शब्दों के अर्थ |
यह पाठ प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी धनराज पिल्लै का साक्षात्कार है, जिसे विनीता पांडेय ने धनराज के पैतींस वर्ष के हो जाने पर लिया था। इस साक्षात्कार में धनराज पिल्लै के बचपन, उनके संघर्ष, और हॉकी में उनकी सफलता की कहानी का विस्तार से वर्णन किया गया है।
धनराज पिल्लै का बचपन अत्यंत कठिनाइयों से भरा हुआ था। वे एक गरीब परिवार से थे और उनके दोनों बड़े भाई हॉकी खिलाड़ी थे। धनराज भी हॉकी खेलना चाहते थे, लेकिन उनके पास हॉकी स्टिक खरीदने के पैसे नहीं थे। वे अपने साथियों से स्टिक उधार लेकर खेलते थे। जब उनके बड़े भाई को भारतीय कैंप में चुना गया, तो उन्होंने धनराज को अपनी पुरानी स्टिक दे दी, जो धनराज की पहली स्टिक बनी।
धनराज को 1985 में मणिपुर में खेले जाने वाली जूनियर राष्ट्रीय हॉकी खेलने का अवसर मिला। 1986 में उन्हें सीनियर टीम में चुन लिया गया और वे मुंबई आ गए। 1988 में नेशनल कैंप के 57 खिलाड़ियों की सूची में शामिल नहीं होने के कारण वे मायूस हो गए, लेकिन एक साल बाद ऑलिवन एशियन कप के लिए चुने गए और इसके बाद से वे लगातार आगे बढ़ते गए।
धनराज पढ़ाई में कमजोर थे और दसवीं तक ही पढ़ पाए। उनका मानना था कि अगर वे हॉकी के खिलाड़ी नहीं होते तो शायद उन्हें चपरासी की नौकरी भी नहीं मिलती। लेकिन अब उन्हें गर्व है कि वे बैचलर ऑफ हॉकी हैं।
धनराज ने अपने तुनुकमिज़ाज होने का कारण अपने संघर्षपूर्ण बचपन को बताया। उनकी माँ को उनके पालन-पोषण के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती थी और छोटी-छोटी चीजों के लिए संघर्ष करना पड़ता था, जिससे वे चिड़चिड़े हो गए। वे भावुक भी बहुत हैं और किसी को कष्ट में नहीं देख सकते।
धनराज ने कृत्रिम घास देखकर विज्ञान की तरक्की पर अचंभा जताया। उनकी सबसे पहली कार सेकंड हैंड अरमाडा थी, बाद में उन्होंने 2000 में फोर्ड आइकॉन खरीदी। 1994 में उन्होंने पूणे में दो बेडरूम का फ्लैट खरीदा और 1999 में महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें पवई में एक फ्लैट दिया। उन्होंने राष्ट्रपति से मिलने पर ख़ास महसूस किया।
धनराज पिल्लै की कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिनाइयों और संघर्षों के बावजूद अगर हम मेहनत और लगन से काम करें, तो सफलता अवश्य मिलती है। संघर्ष और कठिनाइयाँ व्यक्ति को मजबूत बनाती हैं और उसे जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। उनकी कहानी यह भी दर्शाती है कि शिक्षा केवल किताबों से नहीं होती, बल्कि जीवन के अनुभवों से भी होती है। धनराज का तुनुकमिज़ाज स्वभाव और उनकी भावुकता भी इस बात की ओर इशारा करती है कि संघर्ष और कठिन परिस्थितियाँ व्यक्ति के स्वभाव को कैसे प्रभावित कर सकती हैं।
1. तुनुकमिज़ाज - चिड़चिड़ा
2. कष्ट साध्य - कष्ट देने वाला
3. जुझारू - संघर्ष करने वाला
4. कृत्रिम - बनावटी
5. शोहरत - प्रसिद्धि
6. हैसियत - सामर्थ्य
7. कद्र - आदर
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1. तुनुकमिज़ाज क्या है और इसके कारण क्या हो सकते हैं? |
2. संघर्ष क्या हो सकते हैं जो तुनुकमिज़ाज का कारण बन सकते हैं? |
3. तुनुकमिज़ाज का संघर्ष के साथ कैसे संबंध होता है? |
4. तुनुकमिज़ाज को कैसे दूर किया जा सकता है? |
5. क्या तुनुकमिज़ाज वाले व्यक्ति को सहायता मिल सकती है? |
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