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परिचय | |
सारांश | |
अर्थ | |
कठिन शब्दों के अर्थ |
'हिमालय की बेटियाँ' निबंध में लेखक ने हिमालय की नदियों को बेटियों के रूप में चित्रित किया है। लेखक ने इन नदियों को मानव भावनाओं और संबंधों से जोड़ते हुए उनके विभिन्न रूपों का वर्णन किया है।
लेखक ने नदियों को शुरू में दूर से देखा था और उन्हें गंभीर, शांत और संभ्रांत महिला के रूप में पाया। वे उनकी धारा में डुबकी लगाते हुए उन्हें माँ, दादी, मौसी और मामी की गोद जैसी मानते थे। परंतु जब लेखक हिमालय के कंधे पर चढ़ा, तो उसने नदियों के एक अलग रूप को देखा। वे उछलती, कूदती और खिलखिलाकर हँसती हुई बेटियाँ प्रतीत हुईं। इनका यह उल्लास मैदानों में जाकर गायब हो जाता है।
लेखक को यह जानने की उत्सुकता होती है कि ये नदियाँ कहाँ भागी जा रही हैं और उनका लक्ष्य क्या है। उन्हें लगता है कि महान पिता हिमालय का विराट प्रेम पाकर भी इन नदियों का हृदय अतृप्त है। हिमालय की गोद में खेलती ये नदियाँ बड़े-बड़े जंगलों में पहुँचकर शायद बीती बातें याद करती हैं।
सिंधु और ब्रह्मपुत्र के नाम सुनते ही अन्य छोटी-बड़ी नदियाँ आँखों के सामने नाचने लगती हैं। सिंधु और ब्रह्मपुत्र हिमालय के पिघले हुए दिल की बूंदों से बनी हैं। लेखक ने इन नदियों के पहाड़ी और समतल मैदानों के रूपों की तुलना की है। हिमालय की गोद में उन्मुक्त होकर खेलनेवाली ये बालिकाएँ पहाड़ी आदमियों के लिए आकर्षक भले न हो, लेकिन लेखक को यह रूप बहुत लुभावना प्रतीत होता है।
कालिदास के मेघदूत का उदाहरण देते हुए लेखक ने नदियों के सचेतन रूपक को पसंद किया है। उन्होंने काका कालेलकर द्वारा नदियों को लोकमाता कहा जाना भी उल्लेख किया है। लेखक ने नदियों को बेटियों के रूप में देखने की बात की है और उनके साथ ममता का धागा जोड़ते हुए उन्हें बहन का स्थान भी दिया है। एक दिन सतलज के किनारे बैठकर लेखक ने सतलज को बहन मानते हुए गुनगुनाया।
इस निबंध का प्रमुख अर्थ यह है कि नदियाँ हमारे जीवन में माँ, बहन और प्रेयसी के रूप में जुड़ी होती हैं। उनके विभिन्न रूप हमें जीवन की विविधता और प्रकृति की अनूठी सौंदर्यता का अनुभव कराते हैं। हिमालय की गोद में खेलती इन नदियों का उल्लास, मैदानों में आकर गंभीरता में बदल जाता है। यह रूपांतरण जीवन के विभिन्न चरणों और अनुभवों का प्रतीक है।
• संभ्रांत- सभ्य
• कोतूहल- जिज्ञासा
• विस्मय - आश्चर्य
• बाललीला-बचपन के खेल
• प्रेयसी - प्रेमिका बे
• अधित्यकाएँ - पहाड़ के ऊपर की समतल भूमि
• उपत्यकराएँचोटियाँ
• लीला निकेतन - लीला करने का घर
• यक्ष- कालिदास के मेघदूत का मुख्य पात्र
· प्रतिदान - वापस
• सचेतन - सजीव प्रे
• मुदित - खुश
• खुमारी- नशा
· बलिहारी -कुर्बानी
• नटी- कोई भूमिका निभाने वाली स्त्री
• अनुपम - जिसकी उपमा न हो
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1. भारत में हिमालय की बेटियां क्यों महत्वपूर्ण हैं? |
2. हिमालय की बेटियां अपने सपनों को कैसे पूरा कर सकती हैं? |
3. हिमालय की बेटियां किस प्रकार समाज में बदलाव ला सकती हैं? |
4. हिमालय की बेटियां कैसे अपने सपनों की पुनरावृत्ति कर सकती हैं? |
5. हिमालय की बेटियां कैसे अपनी समृद्धि के लिए स्वयं से सहायता कर सकती हैं? |
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