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ऐतिहासिक कालक्रम (भाग - 3) - इतिहास,यु.पी.एस.सी | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

ऐतिहासिक कालक्रम

  • 1576 - अकबर का बंगाल को पराभूत करना, दाऊद खाँ की मृत्यु, हल्दीघाटी अथवा गोगुण्डा का युद्ध।
  • 1577 - अकबर द्वारा खानदेश पर आक्रमण।
  • 1579 - अकबर को मुज्तहिद बनाने की घोषणा।अकबर अकबर 
  • 1580 - बंगाल और बिहार में विद्रोह।
  • 1581 - अकबर का अपने भाई हकीम के विरुद्ध अभियान और उसके साथ समझौता करना।
  • 1582 - अकबर द्वारा ”दीन इलाही“ की घोषणा।
  • 1586 - अकबर द्वारा कश्मीर पर आधिपत्य।
  • 1589 - टोडरमल और भगवानदास की मृत्यु।टोडरमलटोडरमल
  • 1591 - अकबर द्वारा सिंध की विजय।
  • 1592 - अकबर के साम्राज्य में उड़ीसा का शामिल होना।
  • 1595 - मुगलों द्वारा अहमदनगर का घेरा, अकबर द्वारा कन्धार, विजय मुगल साम्राज्य में बलूचिस्तान का सम्मिलन,  फैजी की मृत्यु।
  • 1597 - राणा प्रताप की मृत्यु।राणा प्रतापराणा प्रताप
  • 1600 - लन्दन में ईस्ट इण्डिया कम्पनी को अधिकार-पत्रा, मुगलों द्वारा अहमदनगर पर आक्रमण।
  • 1601 - अकबर द्वारा असीरगढ़ पर अधिकार।
  • 1602 - अबुल फजल की मृत्यु, हालैंड की यूनाइटेड ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना।
  • 1605 - अकबर की मृत्यु, जहाँगीर का सिंहासनारोहण।
  • 1606 - शाहजादा खुसरो का विद्रोह, ईरानियों द्वारा कन्धार का घेरा, जहाँगीर केे आदेश से पाँचवें सिक्ख गुरु अर्जुन सिंह को प्राण-दण्ड।
  • 1607 - मुगलों द्वारा कन्धार को मुक्त करना, शेर अफगान की मृत्यु, विधवा नूरजहाँ का मुगल हरम में लाया जाना।
  • 1608 - मलिक अम्बर द्वारा अहमदनगर की पुनः प्राप्ति।
  • 1609 - आगरा में हाकिन्स का आगमन, पुलीकट में डच कोठी की स्थापना।
  • 1611 - जहाँगीर का नूरजहाँ से विवाह, हाकिंस का आगरा से प्रस्थान, मसुलीपत्तनम में अंग्रेजी कोठी।
  • 1612 - शाहजादा खुर्रम का मुमताजमहल से विवाह, सूरत में अंग्रेजी कोठी कच्छ हाजो का मुगल साम्राज्य में शामिल किया जाना।
  • 1613 - जहाँगीर द्वारा ईस्ट इंडिया कम्पनी को फरमान।जहाँगीरजहाँगीर
  • 1615 - जहाँगीर का मेवाड़ पर अधिकार, भारत में थॉमस रो का आगमन।
  • 1616 - जहाँगीर का रो से भेंट करना, सूरत में डच कोठी।
  • 1618 - मुगल दरबार से रो का प्रस्थान।
  • 1619 - भारत से रो का प्रस्थान।
  • 1620 - मुगलों का काँगड़ा पर अधिकार, नूरजहाँ की बेटी के साथ शहरयार की सगाई, मलिक अम्बर का विद्रोह।
  • 1622 - शाहजादा खुसरो की मृत्यु,  कन्धार पर फारस का अधिकार, शाहजहाँ का विद्रोह।
  • 1624 - शाहजहाँ के विद्रोह का दमन।
  • 1625 - चिनसुरा में डच कोठी।
  • 1626 - मलिक अम्बर की मृत्यु, महावत खाँ का विद्रोह।
  • 1627 - जहाँगीर की मृत्यु, शिवाजी का जन्म
  • 1628 - शाहजहाँ का बादशाह बनना।
  • 1630 - शिवाजी का जन्म
  • 1631 - मुमताज महल की मृत्यु।
  • 1632 - बीजापुर पर मुगल हमला, हुगली की लूट।
  • 1633 - अहमदनगर के निजामशाही वंश का अंत।
  • 1634 - अंग्रेजों को बंगाल में व्यापार करने का फरमान।
  • 1636 - बीजापुर और गोलकुण्डा से मुगलों की संधि, दक्षिण में औरंगजेब की सूबेदार के रूप में नियुक्ति।
  • 1638 - मुगलों द्वारा कन्धार पर पुनः अधिकार।
  • 1639 - मद्रास में अंग्रेजों द्वारा सेंट जॉर्ज किले की स्थापना।
  • 1646 - शिवाजी का तोर्णा पर अधिकार।
  • 1649 - कन्धार का मुगलों के हाथ से निकलना और फारस द्वारा उसे पुनः हस्तगत करना।
  • 1651 - हुगली में अंग्रेजों की कोठी।
  • 1653 - चिनसुरा में डच कोठी।
  • 1656 - शिवाजी द्वारा जावली पर आधिपत्य।
  • 1657 - शाहजहाँ की अस्वस्थता उत्तराधिकार युद्ध का प्रारम्भ।
  • 1658 - धर्मट (अप्रैल) और सामूगढ़ (मई) के युद्ध, औरंगजेब का राज्याभिषेक।
  • 1659 - खजवा और देवराई के युद्ध, दारा को प्राणदण्ड, मुराद और शाहजहाँ को बंदी बनाना, औरंगजेब का द्वितीय राज्याभिषेक, शिवाजी के हाथों अफजल खाँ की मृत्यु।
  • 1660 - शाहजादा शुजा का बंगाल से अराकान को भागना, बंगाल का सूबेदार मीर जुमला।
  • 1661 - अंग्रेजों को बम्बई उपहार में मिलना मुराद को प्राणदण्ड, मुगलों द्वारा कूचविहार पर अधिकार करके आसाम पर आक्रमण।
  • 1662 - मीर जुमला की आसाम पर चढ़ाई और अहोम लोगों को सुलह के लिए बाध्य करना।
  • 1663 - मीर जुमला की मृत्यु, बंगाल के सूबेदार के पद पर शाइस्ता खाँ की नियुक्ति।
  • 1664 - शिवाजी द्वारा सूरत का आक्रमण, फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना, शिवाजी का राज्या- भिषेक।
  • 1666 - शाहजहाँ की मृत्यु, शिवाजी का आगरा आगमन और नजरबन्दी से मुक्ति।
  • 1668 - औरंगजेब द्वारा हिंदुओं के विरुद्ध, नये धार्मिक समादेश (फरमान) निकालना, ईस्ट इण्डिया कम्पनी के नाम बम्बई का पट्टा, सूरत में प्रथम फ्रांसीसी कोठी।
  • 1669 - जाट सरदार गोकुल का विद्रोह।
  • 1670 - शिवाजी द्वारा सूरत पर दूसरी बार आक्रमण।
  • 1671 - छत्रासाल बुन्देला का विद्रोह।
  • 1672 - सतनामी विद्रोह अफ्रीदियों का विद्रोह।
  • 1674 - पांडिचेरी की स्थापना, शिवाजी द्वारा छत्रापति का विरुद धारण करना।
  • 1675 - सिक्ख गुरु तेगबहादुर को प्राणदंड।
  • 1677 - कर्नाटक में शिवाजी की विजय।
  • 1678 - जसवन्त सिंह की मृत्यु, औरंगजेब की आज्ञा से मारवाड़ पर मुगलों का अधिकार।
  • 1679 - औरंगजेब द्वारा जजिया फिर से लगाना, औरंगजेब द्वारा मारवाड़ पर आक्रमण करने की आज्ञा।
  • 1680 - शिवाजी की मृत्यु, शाहजादा अकबर का विद्रोह।
  • 1681 - आसाम का पुनः स्वतंत्रा होना, औरंगजेब का दक्षिण अभियान।
  • 1686 - औरंगजेब द्वारा बीजापुर की विजय और उसे अपने राज्य में मिलाना।
  • 1687 - औरंगजेब द्वारा गोलकुण्डा की विजय और उसे अपने राज्य में मिलाना।
  • 1689 - शम्भूजी को प्राणदण्ड, राजाराम का सिंहासनारोहण और जिन्जी में डेरा डालना।
  • 1690 - जॉब चार्नॉक द्वारा कलकत्ता की स्थापना।
  • 1691 - मुगलों द्वारा जाटों को परास्त करके उन्हें अपने अधीन करना, औरंगजेब की शक्ति चरम सीमा पर।
  • 1692 - मराठों द्वारा मुगल साम्राज्य पर हमले पुनः आरम्भ।
  • 1698 - ईस्ट इण्डीज के लिए नयी अंग्रेजी व्यापारिक कम्पनी की स्थापना, सूतानती, कालीकटा और गोविन्द नगर की जमींदारी, ईस्ट इंडिया कम्पनी को प्राप्त।
  • 1699 - मालवा पर प्रथम मराठा आक्रमण।
  • 1700 - राजाराम की मृत्यु, ताराबाई का अभिभावक नियुक्त होना।
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FAQs on ऐतिहासिक कालक्रम (भाग - 3) - इतिहास,यु.पी.एस.सी - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. ऐतिहासिक कालक्रम क्या है?
उत्तर: ऐतिहासिक कालक्रम वह तरीका है जिससे इतिहास के घटनाओं को क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत किया जाता है। इसमें घटनाओं को तारीखों के आधार पर व्यवस्थित किया जाता है ताकि लोगों को उन घटनाओं का समय संबंधी पता चल सके।
2. ऐतिहासिक कालक्रम क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: ऐतिहासिक कालक्रम महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें इतिहास के घटनाओं को समय संबंधी परिपेक्ष्य में समझने में मदद करता है। इसके माध्यम से हम देख सकते हैं कि किसी घटना ने किस घटना के बाद होना शुरू किया या किस घटना को पहले होकर जाना। यह हमें इतिहास की विभिन्न युगों और समयावधि की समझ में मदद करता है।
3. ऐतिहासिक कालक्रम को कितने प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है?
उत्तर: ऐतिहासिक कालक्रम को चार प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है: 1. पृथ्वी का इतिहासिक कालक्रम: इसमें घटनाएं तारीखों के आधार पर व्यवस्थित की जाती हैं। इसमें विशेष तारीखों, वर्षों और समयांकन की जरूरत होती है। 2. विश्व इतिहास का कालक्रम: इसमें विश्व इतिहास की घटनाएं तारीखों के आधार पर व्यवस्थित की जाती हैं। यह ऐतिहासिक कालक्रम पृथ्वी के अलावा दूसरे ग्रहों और स्थानों की घटनाओं को भी शामिल करता है। 3. भारतीय इतिहास का कालक्रम: इसमें भारतीय इतिहास की घटनाएं तारीखों के आधार पर व्यवस्थित की जाती हैं। यह कालक्रम सिर्फ भारत की इतिहासिक घटनाओं को ही शामिल करता है। 4. सांस्कृतिक इतिहास का कालक्रम: इसमें सांस्कृतिक घटनाओं की व्यवस्था की जाती है, जैसे कि कला, संगीत, नृत्य, धर्म, भाषा आदि।
4. ऐतिहासिक कालक्रम को निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण स्रोत क्या हैं?
उत्तर: ऐतिहासिक कालक्रम को निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण स्रोत शास्त्रीय पुस्तकें, पुरातत्व, अर्चिव्स, प्रमाणपत्र, अद्यावधिक खोज, राजस्व रिकॉर्ड्स, आदि हो सकते हैं। इन स्रोतों का उपयोग करके समय संबंधी तथ्यों को समझा जा सकता है और ऐतिहासिक कालक्रम को निर्धारित किया जा सकता है।
5. ऐतिहासिक कालक्रम क्या सक्रिय है या पासिव है?
उत्तर: ऐतिहासिक कालक्रम पासिव होता है क्योंकि यह सिर्फ घटनाओं को क्रमबद्ध करने का काम करता है। इसमें किसी घटना के होने के पीछे का कारण या परिणाम नहीं दिखाया जाता है। यह सिर्फ घटनाओं को समय और क्रम में व्यवस्थित करता है, इससे उनका मतलब समझना प्रयास किया जा सकता है।
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