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संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख अंग - भारतीय राजव्यवस्था - UPSC PDF Download

संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तीसरे अध्याय के अनुच्छेद 7 के अनुसार इस संस्था के छः मुख्य अंग है, जो इस प्रकार है -
(1) महासभा (2) सुरक्षा परिषद (3) आर्थिक और सामाजिक परिषद (4) न्यास परिषद (5) अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय एवं (6) सचिवालय।

महासभा

  • संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य अंगों में महासभा सर्वाधिक बृहत् एवं महत्वपूर्ण अंग है। प्रत्येक सदस्य के प्रतिनिधि इस महासभा के सदस्य है। संयुक्त राष्ट्र के समस्त सदस्यों को महासभा में बैठने का अधिकार है। प्रत्येक राष्ट्र को एक मत देने का अधिकार प्राप्त है, यद्यपि प्रत्येक सदस्य राष्ट्र को पाँच प्रतिनिधि भेजने का अधिकार है। प्रतिनिधियों को वाद-विवाद में भाग लेने का अधिकार है, परन्तु वोट देते समय एक देश का एक ही वोट समझा जाता है।
  • महासभा की बैठक कम से कम वर्ष में एक बार होती है। सुरक्षा परिषद के अनुरोध पर महासचिव विशेष सत्र भी बुला सकते है।
  • चार्टर के अनुच्छेद 18 में महासभा की मतदान प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है। महत्वपूर्ण प्रश्नों पर महासभा के निर्णय उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से होंगे, जबकि अन्य प्रश्नों पर निर्णय उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत से किया जायेगा।
  • महासभा का वार्षिक अधिवेशन सितम्बर माह के तीसरे मंगलवार से प्रारम्भ होता है एवं दिसम्बर मध्य तक चलता है। प्रत्येक नियमित सत्र के आरम्भ में महासभा नये अध्यक्ष, 21 उपाध्यक्ष और अपनी सात मुख्य समितियों के सभापति (चेयरमैन) निर्वाचित करती है।
  • महासभा द्वारा सुरक्षा परिषद के 10 अस्थायी सदस्यों, आर्थिक तथा सामाजिक परिषद के 54 सदस्यों एवं न्यास परिषद के अस्थायी सदस्यों का निर्वाचन किया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के सदस्यों को निर्वाचित करने का अधिकार समान रूप से महासभा एवं सुरक्षा परिषद को है। सुरक्षा परिषद की स्वीकृति प्राप्त होने पर ही महासभा नये सदस्यों को पद ग्रहण करने की अनुमति देती है।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ के आय-व्यय का लेखा (बजट) महासभा द्वारा ही स्वीकृत होता है।
  • साधारण वार्षिक अधिवेशन के अतिरिक्त यदि महासभा के सदस्य बहुमत से विषेश अधिवेशन की मांग करें या सुरक्षा परिषद चाहे, तो संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव 15 दिन के अन्दर महासभा की बैठक बुला सकते है। विशेष अवस्था में सुरक्षा परिषद के 9 सदस्यों के अनुरोध पर 24 घण्टे की सूचना पर विशेष अधिवेशन बुलाया जा सकता है।

सुरक्षा परिषद

  • चार्टर के पाँचवें अध्याय में सुरक्षा परिषद के संगठन सम्बन्धी नियम दिये गये है। इसके अनुसार परिषद में मूलतः पाँच स्थायी और छः अस्थायी सदस्य, कुल मिलाकर ग्यारह सदस्य होते है। परन्तु सितम्बर 1965 में चार्टर में संशोधन करके अस्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाकर दस कर दी गयी है।
  • महासभा ने निर्णय लिया कि दस अस्थायी सदस्यों में से 5 एशियाई-अफ्रीकी राज्यों से, 1 पूर्वी यूरोप से, 2 दक्षिणी अमेरिका से शेष 2 पश्चिमी यूरोप व अन्य राज्यों से होने चाहिए। इस प्रकार सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य होते है।
  • अनुच्छेद 23 में अमेरिका, सोवियत संघ, चीन, फ्रांस तथा ब्रिटेन को स्थायी सदस्यों के रूप में उल्लेख किया गया है। सोवियत संघ के विघटन के बाद अब उसका स्थान रूस ने ले लिया है।
  • अस्थायी सदस्यों का निर्वाचन महासभा अपने दो तिहाई बहुमत से दो वर्ष के लिये करती है।
  • चार्टर के अनुच्छेद 7 के अन्तर्गत सुरक्षा परिषद का प्रत्येक सदस्य एक मत दे सकता है। सुरक्षा परिषद में उपस्थित किये गये प्रश्न दो प्रकार के होते है - प्रथम, प्रक्रिया सम्बन्धी एवं द्वितीय, महत्व सम्बन्धी। जब प्रश्न का सम्बन्ध प्रक्रिया से होता है तो उस पर निर्णय के लिये 9 सदस्यों का सकारात्मक मत आवश्यक है।
  • जब प्रश्न महत्व से सम्बन्धित होता है अथवा महत्वपूर्ण होता है तो उन प्रश्नों के सम्बन्ध में निर्णय के लिए यह आवश्यक है कि 9 सदस्यों के मतों में से पाँच स्थायी सदस्यों का सकारात्मक मत हो। यदि एक भी स्थायी सदस्य विरोध में मतदान करता है तो सुरक्षा परिषद के लिये निर्णय लेना असम्भव हो जाता है। विरोध में दिये गये ऐसे मत को निषेधाधिकार (टमजव) कहते है।
  • यदि कोई स्थायी सदस्य मतदान के समय अनुपस्थित रहता है तो उसे निषेधाधिकार का प्रयोग नहीं माना जाता है।
  • ऐसा कोई देश जो न तो सुरक्षा परिषद का सदस्य है और न ही संयुक्त राष्ट्र संघ का, परन्तु परिषद के सम्मुख विचाराधीन किसी मामले में पक्षकार है तो इसके बावजूद कि उसे मतदान का अधिकार नहीं है, सुरक्षा परिषद उसे उस मामले के विवेचन में भाग लेने के लिये आमन्त्रित कर सकती है।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुच्छेद 24 के अन्तर्गत संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्यों द्वारा सुरक्षा परिषद को अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति तथा सुरक्षा बनाये रखने का प्रारम्भिक उत्तरदायित्व सौंपा गया है।
  • अध्याय 6 के अन्तर्गत अन्तर्राष्ट्रीय झगड़ों को शान्तिपूर्ण ढंग से सुलझाने का प्रावधान किया गया है। यदि पक्षकार ऐसा करने में असफल रहते है और उनके कार्यों से अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति तथा सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो जाता है तो अनुच्छेद 41 के अन्तर्गत परिषद सदस्य राज्यों को दोषी राज्य से आर्थिक, कूटनीतिक तथा यातायात आदि सम्बन्धों का विच्छेद कर लेने की सलाह दे सकती है।
  • यदि इन कार्यों से भी समस्या का समाधान नहीं हो पाता तो अनुच्छेद 42 के अन्तर्गत वह सैनिक कार्यवाही कर सकती है। इस कार्यवाही में जल, थल और वायु तीनों सेनाएं सम्मिलित की जा सकती है। ऐसी कार्यवाही को सामूहिक कार्यवाही कहते है।
  • अनुच्छेद 108 के अन्तर्गत चार्टर में संशोधन के लिए महासभा के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन आवश्यक है।
  • सुरक्षा परिषद अनुच्छेद 5 के अन्तर्गत ऐसे सदस्य, जिसके विरुद्ध वह कार्यवाही कर रही है, की सदस्यता के अधिकारों तथा विशेषाधिकारों को निलम्बित करने की संस्तुति कर देती है तो महासभा द्वारा उसे निलम्बित कर दिया जायेगा। परन्तु यदि सुरक्षा परिषद चाहे तो उसके निलम्बन को वापस ले सकती है।
  • संयुक्त राष्ट्र का महासचिव सुरक्षा परिषद की संस्तुति पर ही नियुक्त किया जाता है।
  • इसके अतिरिक्त अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश सुरक्षा परिषद तथा महासभा द्वारा निर्वाचित होते हैं।

आर्थिक और सामाजिक परिषद

  • 54 सदस्यों वाली आर्थिक एवं सामाजिक परिषद एक स्थायी संस्था है, जिसके एक तिहाई सदस्य प्रतिवर्ष पद मुक्त होते रहते है। इस प्रकार प्रत्येक सदस्य की अवधि 3-3 वर्ष होती है। परन्तु अवकाश ग्रहण करने वाला सदस्य तुरन्त पुनः निर्वाचित हो सकता है। परिषद में प्रत्येक सदस्य राष्ट्र का एक ही प्रतिनिधि होता है।
  • इसमें निर्णय उपस्थित एवं मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत द्वारा लिये जाते है।
  • आर्थिक एवं सामाजिक परिषद की बैठक वर्ष में दो बार होती है- अप्रैल एवं जुलाई में क्रमशः न्यूयार्क एवं जेनेवा में।
  • आर्थिक एवं सामाजिक परिषद अन्तर्राष्ट्रीय मामलों में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक, स्वास्थ्य तथा सम्बन्धित मामलों पर अध्ययन कर सकती है।
  • परिषद के अधीन निम्नलिखित प्रादेशिक आर्थिक आयोग कार्य करतेहै। ई. सी. ई. (यूरोप के लिये आर्थिक आयोग, जेनेवा), एस्कैप (एशिया तथा प्रशान्त सागरीय प्रदेश के लिये आर्थिक एवं सामाजिक आयोग, बैंकांक), ई. सी. एल. ए. (लैटिन अमेरिका के लिये आर्थिक आयोग, सेंटीयागो, चिली), ई. सी. ए. (अफ्रीका के लिये आर्थिक आयोग, आदि आबाबा), ई. सी. डब्लू. ए. (पश्चिम एशिया के लिये आर्थिक आयोग, बगदाद)।

न्याय परिषद

  • संयुक्त राष्ट्र चार्टर का अध्याय 8 न्यास परिषद के विषय में विचार करता है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार उन प्रदेशों में जहाँ पूर्ण स्वायत्त शासन नहीं है उनके निवासियों के हितों की रक्षा के लिये अन्तर्राष्ट्रीय न्यास व्यवस्था स्थापित की जाए और अलग-अलग न्यास समझौते के अनुसार इनको संयुक्त राष्ट्र शासन के अधीन रखा जाये।
  • चार्टर के अनुसार न्यास परिषद के चार उद्देश्य है - (i) अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति तथा सुरक्षा को बढ़ावा देना, (ii) लोगों की स्वशासन अथवा स्वतंत्रता के क्रमिक विकास में सहायता करना और आर्थिक, राजनीतिक एवं सामाजिक और शिक्षा सम्बन्धी सहायता देना,(iii) सबके लिये मानवीय अधिकारों और मूल स्वतंत्रताओं के प्रति आस्था बढ़ाना, एवं (iv) सामाजिक, आर्थिक और वाणिज्य सम्बन्धी मामलों में समानता का व्यवहार।

अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय

  • अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय राष्ट्र संघ की प्रमुख कानूनी संस्था है। न्याय के अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना से पूर्व अन्तर्राष्ट्रीय विवादों का निर्णय अस्थायी अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय किया करता था। परन्तु संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के साथ ही अस्थायी अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय को समाप्त कर न्याय का अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय हेग में स्थापित किया गया।
  • अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय को संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुच्छेद 7 के अन्तर्गत प्रमुख अंग के रूप में स्वीकार किया गया है। इसमें 15 न्यायाधीश होते है जो महासभा तथा सुरक्षा परिषद द्वारा अलग-अलग चुने जाते है। इनका कार्यकाल 9 वर्ष का होता है परन्तु कार्यकाल के समाप्त होने पर ये पुनः चुने जा सकते है।
  • 15 न्यायाधीशों में से पाँच न्यायधीश सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के देश के होते है। न्यायालय स्वयं अपना सभापति एवं उपसभापति चुनता है जिनका कार्यकाल तीन वर्ष होता है। परन्तु ये भी कार्यकाल की समाप्ति के बाद चुने जा सकते है। न्यायाधीशों के निर्णय बहुमत के आधार पर होते है। अध्यक्ष को निर्णायक मत देने का भी अधिकार होता है।
  • न्यायालय हेग में स्थापित है, परन्तु इसे इस बात की छूट है कि वह अपना कार्य, यदि आवश्यक हो, तो अन्य स्थानों पर भी करे। न्यायालय में जब किसी मामले की सुनवाई होने वाली हो तो दोनों पक्षकारों को यह अधिकार है कि वे अपनी-अपनी राष्ट्रीयता के एक-एक न्यायाधीश की नियुक्ति सुनवाई वाले बेंच में कराएं।
  • न्यायालय का निर्णय अन्तिम समझा जाता है। निर्णय की अपील नहीं हो सकती, किन्तु यदि कोई पक्ष समझे कि कोई आवश्यक बात न्यायालय के सम्मुख किसी कारण से उपस्थित नहीं हो सकी अथवा प्रत्यक्ष रूप से कहीं भूल हुई है, तब उस अवस्था में पुनर्विचार के लिये प्रार्थना-पत्र दिया जा सकता है।

सचिवालय

  • सचिवालय का मुख्य प्रशासनिक अधिकारी महासचिव है। महासचिव के अधीन महासभा के नियमों के अनुसार उनके द्वारा विश्वभर से चुनकर नियुक्त किया गया अन्तर्राष्ट्रीय कर्मचारी वर्ग है।
  • सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासचिव की नियुक्ति महासभा द्वारा पाँच वर्ष के लिये की जाती है। महासचिव का वेतन 20 हजार डालर वार्षिक होता है और यह राशि कर-मुक्त होती है।
  • नियुक्ति के पश्चात अपने कार्यकाल में सचिवालय के सभी कर्मचारी विश्व नागरिक हो जाते है और वे केवल विश्व संस्था के प्रति ही निष्ठावान होते है।
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FAQs on संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख अंग - भारतीय राजव्यवस्था - UPSC

1. संयुक्त राष्ट्र क्या है?
Ans. संयुक्त राष्ट्र एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसका मुख्य उद्देश्य विश्व शांति और सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। यह 1945 में स्थापित किया गया था और उसका मुख्यालय न्यूयॉर्क में स्थित है।
2. संयुक्त राष्ट्र के कितने प्रमुख अंग हैं?
Ans. संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख अंगों में संयुक्त राष्ट्र महासचिव, सुरक्षा परिषद, महासभा, अर्थव्यवस्था और सामाजिक परिषद शामिल हैं। इन अंगों का महत्वपूर्ण योगदान संयुक्त राष्ट्र की नीतियों और निर्णयों में होता है।
3. संयुक्त राष्ट्र महासचिव कौन होता है?
Ans. संयुक्त राष्ट्र महासचिव वर्तमान में अंतोनियो गुटेरेस हैं। वह संयुक्त राष्ट्र के सभी कार्यों का प्रमुख नियमक अधिकारी होते हैं और संयुक्त राष्ट्र की नीतियों को संचालित करते हैं।
4. संयुक्त राष्ट्र महासभा क्या है?
Ans. संयुक्त राष्ट्र महासभा संयुक्त राष्ट्र का मुख्य निर्णय ग्रहण करने वाला अंग है। यह एक वार्षिक सत्र के दौरान मिलती है और सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को एकत्रित करती है। महासभा द्वारा लिये गए निर्णय अंतिम होते हैं और संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों को पालन करने के लिए बाध्य होते हैं।
5. संयुक्त राष्ट्र की स्थापना कब हुई और किस उद्देश्य से?
Ans. संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य विश्व शांति और सुरक्षा को सुनिश्चित करना था। यह संगठन विश्व में राष्ट्रीय सुरक्षा, आपसी समझदारी, मानवाधिकार, विकास और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।
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