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लोक सेवाएं और लोक सेवा आयोग - संशोधन नोटस, भारतीय राजव्यवस्था | Revision Notes for UPSC Hindi PDF Download

लोक सेवाएं और लोक सेवा आयोग

लोक सेवाएं और लोक सेवा आयोग - संशोधन नोटस, भारतीय राजव्यवस्था | Revision Notes for UPSC Hindi

  • संविधान के अनुच्छेद 310 (1) के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो कि संघ या राज्य सेवाओं के अधीन कोई  पद धारण करता है वह राष्ट्रपति या राज्यपाल के प्रसादपर्यन्त अपने पद पर बना रहेगा।
  • राष्ट्रपति या राज्यपाल यदि उसे पदच्युत करते है तो वह केवल तभी सर्वोच्च न्यायालय अथवा प्रशासकीय न्यायाधिकरण की शरण में जा सकता है जबकि उसकी पदच्युति में संविधान में उसके पद पर बने रहने हेतु दिये गये रक्षा उपायों का उल्लंघन किया गया हो।
  • सरकार की इस शक्ति को संसद द्वारा प्रतिबन्धित नहीं किया जा सकता। लेकिन राष्ट्रपति एवं राज्यपाल की इस शक्ति पर कुछ प्रतिबंध संविधान में ही उल्लेखित हैं। ये इस प्रकार है-
    (क) कोई भी सरकारी कर्मचारी को उसे नियुक्त करने वाले पदाधिकारी के अधीनस्थ किसी पदाधिकारी द्वारा पदच्युत नहीं किया जा सकता।
    (ख) कोई भी सिविल सेवक (सरकारी कर्मचारी) तब तक पदच्युत नहीं किया जा सकता या उसके पद-पंक्ति में तब तक अवनति नहीं की जा सकती जब तक कि उसके विरुद्ध आरोपों के संबंध में उसे सुनवाई का युक्ति युक्त अवसर न दिया गया हो।
  • हम कह सकते है किसी भी सिविल सेवक को पदच्युत करने या पद से हटाने अथवा उसकी पदावनति करने वाले प्राधिकारी को-
    (1) पूर्ण विशिष्टियों के साथ निश्चित आरोप लगाना होगा;
    (2) जिस पर आरोप लगाया गया है उसे लगाये जा रहे आरोपों की सूचना देनी होगी;
    (3) उन आरोपों का उत्तर देने का अवसर देना होगा;
    (4) उसके उत्तर पर विचार करने के पश्चात् निर्णय लेना होगा; और
    (5) किसी भी निर्णय पर पहुँचने के पहले नैसर्गिक न्याय के नियमों का पालन करना होगा।
  • एक बार पदच्युत किया गया व्यक्ति सरकार के अधीन किसी भी पद पर पुनः नियुक्त नहीं किया जा सकता।
  • यह अपात्रता पदावनति के लिये लागू नहीं होती।
  • संविधान के अनुच्छेद 311 (2) के अनुसार किसी व्यक्ति को उसकी पदच्युति के विरुद्ध स्वयं को निर्दोष साबित करने के लिए अवसर देने पर निम्न स्थितियों में प्रतिबन्ध लगाया जा सकता है-
    (क) जहाँ राष्ट्रपति या राज्यपाल को यह महसूस हो कि ऐसा करना राज्य की सुरक्षा के हित में नहीं है, तथा यदि पदच्युति का आधार किसी अपराधिक मामले में दोषसिद्धी हो अर्थात् न्यायालय द्वारा उसे किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो।
    (ख) किसी भी व्यक्ति को पदच्युत करने वाले सक्षम अधिकारी को यह महसूस हो कि ऐसी जाँच करना असम्भव है (अथवा साध्य नहीं है)।
  • मूल संविधान में यह व्यवस्था की गई थी कि लोक सेवकों से संबंधित विवादों का निर्णय सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय द्वारा किया जा सकता है। लेकिन संविधान के ‘42वें संशोधन अधिनियम, 1976’ द्वारा इसमें परिवर्तन किया गया है। इस संशोधन के अधीन संसद के ‘प्रशासनिक अधिकरण अधिनियम, 1985’ (1986 में संशोधित) के अनुसार अब संघ के कोई भी लोक सेवक की भर्ती (नियुक्ति), पदच्युति, उसे हटाये जाने या उसकी पंक्ति में अवनति (पदावनति) से संबंधित कोई भी विवाद प्रशासनिक न्यायाधिकरण ;।कउपदपेजतंजपअम ज्तपइनदंसद्ध के समक्ष ले जाया जा सकेगा, न्यायालय के समक्ष नहीं।
  • यह व्यवस्था भी की गई कि प्रशासकीय न्यायाधिकरण के निर्णय के विरुद्ध अपील केवल सर्वोच्च न्यायालय में ही की जा सकेगी और इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय अन्तिम होगा।
    संविधान के अनुच्छेद 315 में कहा गया है कि संघ के लिए एक संघ लोक सेवा आयोग होगा तथा प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्य लोक सेवा आयोग होगा।
  • राज्यों के विधानमण्डलों की सहमति से तथा संसद की अनुमति से दो या अधिक राज्यों के लिए संयुक्त लोक सेवा आयोग भी बनाया जा सकता है। राज्य के राज्यपाल के अनुरोध पर संघ लोक सेवा आयोग संबंधित राज्य की लोक सेवाओं की पूर्ति भी कर सकता है।

संघ एवं राज्य के लोक सेवा आयोगों का गठन

  • संविधान के अनुसार संघ लोक सेवा आयोग एवं संयुक्त लोक सेवा आयोग की सदस्य संख्या के निर्धारण की शक्ति राष्ट्रपति को तथा राज्य लोक सेवा आयोग की सदस्य संख्या के निर्धारण की शक्ति राज्यपाल को प्राप्त है।
  • वर्तमान में संघ लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष सहित कुल 11 सदस्य हैं।
  • संविधान के अनुसार आयोग में कम से कम आधे सदस्य ऐसे होने चाहिए जो नियुक्ति से पूर्व कम से कम 10 वर्षों तक संघ या राज्य सरकार के अधीन कार्य कर चुके हों।
  • संघ लोक सेवा आयोग एवं संयुक्त लोक सेवा आयोग के सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा तथा राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों की नियुक्ति संबंधित राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है।
  • संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य अपने पद पर पद ग्रहण की तारीख से 6 वर्ष की अवधि पूरे होने तक या 65 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक, दोनों में से जो भी पहले हो, अपने पद पर बना रहेगा।
  • राज्य लोक सेवा आयोग या संयुक्त लोक सेवा आयोग के सदस्य भी पदग्रहण की तारीख से 6 वर्ष की अवधि या 62 वर्ष की आयु पूरी होने तक (दोनों में से जो भी पूर्व हो) अपने पद पर बने रह सकते है।

पद में रिक्ति

संघ या संयुक्त लोक सेवा आयोग की दशा में राष्ट्रपति को संबोधित तथा अपने हस्ताक्षर सहित लिखित त्याग पत्र द्वारा तथा राज्य लोक सेवा आयोग की दशा में राज्यपाल को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लिखित त्यागपत्र द्वारा अपना पद त्याग किया जा सकता है।

राष्ट्रपति द्वारा हटाये जाने पर

(क) यदि सदस्य न्यायालय द्वारा दिवालिया घोषित किया गया हो।
(ख) अपनी पदावधि के दौरान अपने पद के कर्तव्यों के बाहर अन्य कोई सवैतनिक नौकरी करते पाया जाए।
(ग) राष्ट्रपति की राय में मानसिक या शारीरिक शैथिल्य (कमजोरी) से पीड़ित हो।
(घ) राष्ट्रपति के निर्देश पर उच्चतम न्यायालय द्वारा जाँच के दौरान कदाचार का आरोपी प्रमाणित हुआ हो। कदाचार निम्न दो स्थितियों में समझा जाएगा-
(i) यदि सदस्य भारत या राज्य सरकार की ओर से किये गये किसी समझौते (संविदा) से हितबद्ध हो, या
(ii) केन्द्र सरकार या राज्य सरकार के किसी समझौते या करार के किसी लाभ या उससे उत्पन्न किसी फायदे या उपलब्धि में भाग लेता हो।
उपर्युक्त में से किसी भी तरह उसके पद में रिक्ति हो सकती है।

आयोग की स्वतंत्रता

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भारत निर्वाचन आयोग

  • आयोग के सदस्यों को उसके लिए निर्धारित रीति के अनुसार ही पदच्युत किया जा सकेगा।
  • सदस्यों का कार्यकाल संविधान द्वारा निर्धारित किया गया है।
  • आयोग का व्यय (सदस्यों एवं कर्मचारियों को वेतन) भारत की या राज्य की (जिस राज्य के आयोग हैं) संचित निधि पर भारित व्यय है। (अनुच्छेद 322)
  • संविधान के अनुच्छेद 318 के अनुसार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की सेवा शर्तों एवं वेतन भत्तों में उसकी नियुक्ति के पश्चात् उसके कार्यकाल के दौरान किसी भी प्रकार के अलाभकारी (उसके लिए) परिवर्तन नहीं किये जाएंगे।
  • अपनी सेवानिवृत्ति के पश्चात् संघ लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन किसी भी प्रकार की सवैतनिक सेवा का पात्रा नहीं होगा।
  • राज्य लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष संघ लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष अथवा सदस्य नियुक्त होने का पात्रा तो हो सकता है लेकिन भारत या राज्य सरकार के अधीन अन्य किसी भी प्रकार के नियोजन के लिए पात्रा नहीं होगा।
  • संघ लोक सेवा आयोग के अन्य सदस्य (अध्यक्ष के अतिरिक्त) उस आयोग या राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष नियुक्त हो सकते हैं अन्य किसी पद पर नहीं।
  • किसी राज्य के लोक सेवा आयोग के सदस्य (अध्यक्ष के अतिरिक्त) संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या किसी सदस्य के रूप में अथवा उसी या किसी अन्य राज्य के लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष नियुक्त होने के पात्रा होंगे किसी अन्य पद पर नियुक्ति के नहीं।

लोक सेवा आयोग के कार्य

  • संघ एवं राज्य सेवाओं में नियुक्तियों के लिए परीक्षाओं का आयोजन करना।
  • यदि संघ लोक सेवा आयोग से कोई दो राज्य या अधिक राज्य किन्हीं ऐसी सेवाओं के लिएए जिनके लिए विशेष योग्यताओं वाले अभ्यर्थी अपेक्षित होंए आग्रह करे तब संयुक्त भर्ती अथवा संयुक्त नियोजन के लिए योजना बनाना एवं उन्हें लागू करने में राज्यों की सहायता करना।
  • राज्य के राज्यपाल के अनुरोध पर राष्ट्रपति की स्वीकृति से संघ लोक सेवा आयोग राज्य की सभी या किन्हीं आवश्यकताओं की पूर्ति ;लोक सेवा संबंधीद्ध करता है।
  • संसद या राज्य विधान मण्डल द्वारा अनुच्छेद 321 के अधीन सौंपे गये संघ या राज्य की सेवाओं या किसी अन्य स्थानीय अधिकारी या विधि द्वारा गठित अन्य निकाय की सेवाओं से संबंधित कार्य करना।
  • ऐसे विषयों पर जिन्हें राष्ट्रपति या राज्यपाल निर्देशित करें केन्द्रीय या राज्य सरकारों को सलाह देना। संघ लोक सेवा आयोग या राज्य लोक सेवा आयोग से निम्नांकित विषयों पर परामर्श किया जा सकता है-
    (क)लोक सेवाओं और लोक पदों की भर्ती की पद्धतियों से संबंधित सभी विषयों पर।
    (ख) लोक सेवाओं और लोक पदों पर नियुक्ति करने में तथा एक लोक सेवा से दूसरी सेवा में स्थानान्तरण या पदोन्नति के संबंध में तथा इस संबंध में अभ्यर्थिया उम्मीदवारों) की उपयुक्तता पर।
    (ग) भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन लोक सेवक की हैसियत से कार्यरत व्यक्ति पर प्रभाव डालने वाले अनुशासनात्मक विषयों पर तथा इनसे संबंधित आवेदन या याचिकाओं पर।
    (घ) भारत या राज्य सरकार के अधीन लोक पद पर कार्यरत रहते हुए भारत की संचित निधि या राज्य की संचित निधि में से देय व्यय (खर्च) की प्रतिपूर्ति के संबंध में।
    (ङ) भारत या राज्य सरकार के अधीन लोक सेवक की हैसियत से कार्य करते हुए घायल हो जाने पर या अन्य किसी प्रकार की क्षतियों के संबंध में पेंशन निर्धारित किये जाने के मामलों पर।
  • संविधान के अनुच्छेद 323 (1) तथा 323 (2) के अधीन रहते हुए संघ लोक सेवा आयोग तथा राज्य लोक सेवा आयोग का यह कत्र्तव्य होगा कि वे प्रतिवर्ष राष्ट्रपति के समक्ष अपने द्वारा किये गये कार्यों का प्रतिवेदन (रिपोर्ट) प्रस्तुत करें। संघ लोक सेवा आयोग के प्रतिवेदन को राष्ट्रपति संसद के समक्ष तथा राज्य लोक सेवा आयोग के प्रतिवेदन को राज्यपाल राज्य विधान मण्डल के समक्ष प्रस्तुत करवाता है।
  • लोक सेवा आयोग एक परामर्शदात्राी (सलाहकारी) निकाय है और उसके कार्यों से भी स्पष्ट है कि वह अनेक परामर्शदात्राी कार्य करता है। संविधान में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि आयोग की सलाह मानना सरकार के लिए बाध्यकारी है।
  • अपने कार्यों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए लोक सेवा आयोग को अपने अधीनस्थ कर्मचारियों की नियुक्ति तथा उनकी सेवा शर्तें निर्धारित करने की शक्ति प्रदान की गई है।
  • संघ लोक सेवा आयोग के कार्यालय को केन्द्रीय सरकार के सचिवालय का एक भाग माना जाता है।
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FAQs on लोक सेवाएं और लोक सेवा आयोग - संशोधन नोटस, भारतीय राजव्यवस्था - Revision Notes for UPSC Hindi

1. लोक सेवाएं क्या हैं और लोक सेवा आयोग क्या करता है?
उत्तर: लोक सेवाएं भारतीय सरकार में सभी सरकारी नौकरियों को सम्मिलित करती हैं और इन्हें चुनने, नियुक्ति करने और सेवानिवृत्ति करने की जिम्मेदारी लोक सेवा आयोग की होती है। यह आयोग भारतीय नागरिकों के लिए न्यायनिर्णय और नौकरी के अवसर की सुविधा सुनिश्चित करता है।
2. लोक सेवा आयोग कैसे काम करता है?
उत्तर: लोक सेवा आयोग भारतीय सरकार के विभिन्न विभागों में नौकरी के लिए परीक्षा आयोजित करता है। इसके लिए आयोग परीक्षा कार्यक्रम निर्धारित करता है, परीक्षा प्रश्न पत्र तैयार करता है और परीक्षा के बाद परिणाम घोषित करता है। विभिन्न नौकरी पदों के लिए आवेदन प्रक्रिया का भी आयोजन किया जाता है।
3. लोक सेवा परीक्षा कैसे तैयारी की जाए?
उत्तर: लोक सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए पहले से पठन करें और परीक्षा पाठ्यक्रम को अच्छी तरह समझें। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPSC) की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र और मॉडल पेपर्स का अध्ययन करें। साथ ही, प्रैक्टिस सेट और मॉक टेस्ट करें ताकि आप अभ्यास कर सकें और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकें।
4. लोक सेवा परीक्षा के लिए पात्रता मानदंड क्या हैं?
उत्तर: लोक सेवा परीक्षा के लिए पात्रता मानदंड विभिन्न पदों के लिए अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन आमतौर पर, उम्मीदवार को भारतीय नागरिकता होनी चाहिए, उम्र सीमा के मानदंड पूरे करना चाहिए, शैक्षिक योग्यता के मानदंड पूरे करने चाहिए और उसके पास आवश्यक दस्तावेज होने चाहिए।
5. लोक सेवा परीक्षा के बाद चयनित उम्मीदवारों को क्या करना होता है?
उत्तर: लोक सेवा परीक्षा के बाद चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र प्राप्त होता है और वे अपनी नियुक्ति परिवीक्षा के बाद सरकारी नौकरी में नियुक्त हो जाते हैं। उन्हें नौकरी स्थान पर जाने की आवश्यकता होती है, जहां उन्हें संबंधित विभाग में प्रशिक्षित किया जाता है और उन्हें सरकारी कार्य करना होता है।
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