UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi  >  रसायन विज्ञान (भाग - 2) - सामान्य विज्ञान

रसायन विज्ञान (भाग - 2) - सामान्य विज्ञान | सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

पेस्टीसाइड (Pesticide)
- पेस्ट वे प्राणी एवं पौधे है जो मनुष्य के लिए हानिकारक है। कीड़ों को मारने वाले रसायन को इनसेक्टिसाइड कहते है।
- इसी प्रकार, कवक को मारने वाले रसायन को फंगीसाइड तथा खर-पतवार को मारने वाले रसायन को हर्बीसाइड कहते है।
इन्सेक्टीसाड्इस
(i) DDT (Dichloro Diphloro Trichloro-ethane)
(ii) गाम्मेक्जन या 666 (Hexa chloro benzene)
(iii) आर्गेनो फाॅस्फेट समूह (जैसे-मैलाथिआॅन, पैराथिआॅन) के रसायन मनुष्य तथा पालतू जानवरों के लिए जहरीले होते है।
 

 

लोहा (Iron)

अयस्क: मैगनेटाइट Fe3O4  

रेड हेमेटाइट Fe2O3  

सिडेराइट FeCO3

आयरन पायराइट FeS2

तीनों प्रकार के लोहा में अंतर

गुण

ढलुआँ लोहा (Pig Iron)

पिटुआ लोहा (Wrought Iron)

इस्पात (Steel)

कार्बन की मात्र

2-2.5%

0.125-0.25%

0.5-1.5%

द्रवणांक

1200°c

1350°c

1500°c

चुम्बकीकरण

स्थायी चुम्बक नहीं बनाया जा सकता

स्थायी चुम्बक नहीं बनाया जा सकता

स्थायी चुम्बक बनाया जा सकता है

कठोरता

कठोर

कठोर

कठोर और नरम

आकृति

रवादार

रेशेदार

रवादार

तप्तीकरण (Tempering)

नहीं हो सकता

नहीं हो सकता

हो सकता है

वेल्डिंग

नहीं किया जा सकता

सुगमता से हो सकता है

कठिनता से हो सकता है


हर्बीसाइड्स
(i) 2, 4-D (2, 4-Dichlorophenoxy acetic acid)
(ii) 2, 4, 5 -T (2, 4, 5 - Tri Chlorophenoxy acetic acid)
(iii) ड्यूरोन रसायन पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को रोक देता है।
चूहे मारने की दवा
    भोजन के साथ निम्नलिखित दवा मिलाकर चूहे को मारा जा सकता है-
सोडियम मोनोक्लोरो एसिटेट, जिंक फाॅस्फाइड, सोडियम फ्लोरो एसिटेट, थैलियम सल्फेट।

फंगीसाइड्स
- काॅपर नेफ्थीनेट, काॅपर सल्फेट, 2,4,5 ट्राइक्लोरोफेनाॅल और कुछ मरकरी (पारा) के यौगिक।
- बोर्डाक्स मिश्रण (काॅपर सल्फेट + चूना + जल)
भोजन को स्वादिष्ट बनाने वाले कारक (Food Additive)
- वे सभी पदार्थ जो भोजन का स्वाद, सुगंध, सुरक्षा करने या भोजन मूल्य को बनाये रखने में सहायक है थ्ववक ंककपजपअम कहलाते हैं।
- सैकरीन (Saccharin) का घुलनशील सोडियम या कैल्सियम लवण प्रयोग में लाया जाता है। यह चीनी से करीब 600 गुणा अधिक मीठा होता है।
- वेनिलीन  (vanellien) जो एक एरोमेटिक एल्डिहाइड है, का व्यवहार कस्टर्ड, केक, बर्फ आदि की सुगंधी में किया जाता है।
- शरबत और अँचार के रक्षक के रूप में पोटाशियम या सोडियम मेटा-बाइसल्फाइट का प्रयोग किया जाता है।

जल की कठोरता (Hardness of water)
- वह जल जिसमें साबुन आसानी से झाग नहीं देता, कठोर  जल कहलाता है।
- जल की कठोरता दो प्रकार की होती है- स्थायी एवं अस्थायी।
- जल की अस्थायी कठोरता उसमें घुले कैल्सियम एवं मैग्नेशियम के बाइकार्बोनेट लवण के कारण होती है, जो जल को मात्र उबाल देने पर ही दूर हो जाती है। ऐसी कठोरता को अस्थायी कठोरता कहा जाता है।
- स्थायी कठोरता- जल की स्थायी कठोरता कैल्शियम और मैग्नेशियम के क्लोराइड तथा सल्फेट के कारण होती है। यह कठोरता जल को मात्र उबाल देने से समाप्त नहीं होती।
 

अस्थायी कठोरता दूर करने की विधि
(i) उबालकर- जल को उबालने पर, कैल्सियम और मैग्नेशियम के बाइकार्बोनेट विच्छेदित होकर अघुलनशील कार्बोनेट में परिणत हो जाते है, जिन्हें छानकर अलग कर दिया जाता है।
(ii) क्लार्क विधि- जल में चूना-जल मिलाकर भी अस्थायी कठोरता दूर की जाती है। इस विधि को क्लार्क विधि कहा जाता है।
 कठोर जल में चूना-जल की आवश्यक मात्र डालने पर, कैल्सियम बाई-कार्बोनेट और मैग्नेशियम बाईकार्बोनेट क्रमशः कैल्सियम कार्बोनेट और मैग्नेशियम कार्बोनेट में परिणत होकर अवक्षेपित हो जाते है।
(iii) जल में काॅस्टिक सोडा या अमोनिया हाइड्रोआॅक्साइड भी डालकर अस्थायी कठोरता दूर की जाती है।
 

स्थायी कठोरता दूर करने की विधि
(i) सोडा विधि- जल की स्थायी कठोरता कैल्सियम और मैग्नेशियम के घुलनशील लवण के कारण होती है।
 इन्हें जल से अलग करने के लिए इसमें सोडियम कार्बोनेट का घोल मिलाया जाता है जिससे कैल्सियम और मैग्नेशियम के घुलनशील लवण अघुलनशील कार्बोनेट में परिणत हो जाते है, जिन्हें छानकर अलग निकाल दिया जाता है।
(ii) साबुन द्वारा- जल की स्थायी कठोरता साबुन मिलाकर भी दूर की जा सकती है। साबुन उच्च वसा-अम्लों का सोडियम लवण होता है। जल में उपस्थित कैल्सियम और मैग्नेशियम के घुलनशील लवण साबुन की प्रतिक्रिया से, कैल्सियम और मैग्नेशियम के अघुलनशील लवण के रूप में परिणत हो जाते है, जिन्हें छानकर बाहर निकाल दिया जाता है। 
(iii) परम्यूटिट विधि-सोडियम और एल्युमिनियम के मिश्रित सिलिकट को परम्यूटिट या सोडियम जियोलाइट भी कहा जाता है।
- कठोर जल को जियोलाइट की तहों से प्रवाहित करने पर जल में उपस्थित कैल्सियम और मैग्नेशियम के लवण सोडियम लवण के रूप में परिणत हो जाते है।
(iv) कैलगन विधि-कैलगन, सोडियम हेक्सामेटाफाॅस्फेट का व्यापारिक नाम है। यह जल में उपस्थित कैल्सियम और मैग्नेशियम के लवणों के साथ प्रतिक्रिया करता है और इसके फलस्वरूप ऐसे यौगिक का निर्माण होता है, जो अवक्षेप के रूप में जल से अलग तो नहीं होता, पर साबुन के साथ प्रतिक्रिया भी नहीं करता है।
(v) स्रवण विधि-इस विधि में जल को उबाल कर वाष्प में परिणत किया जाता है, पुनः वाष्प को संघनित कर जल में परिणत कर दिया जाता है। फलस्वरूप, अपद्रव्य जल से अलग हो जाता है।
 

कुछ यौगिक एवं उनके उपयोग

यौगिक

उपयोग/गुण

पोटाशियम ब्रोमाइड

नींद लाने के लिए

पोटाशियम आयोडाइड

औषधि और फोटोग्राफी में

पोटाशियम सायनाइड

धातुकर्म और इलेक्ट्रोप्लेटिंग में

सिक्का धातु

सिक्का बनाने में

ताँबा (काॅपर)

मिश्रधातु जैसे पीतल, कांस्य, जर्मन सिल्वर आदि बनाने में

नीला थोथा (काॅपर सल्फेट)

कीटाणुनाशक के रूप में, छपाई में

सिल्वर ब्रोमाइड या

फोटोग्राफी फिल्म पर

सिल्वर आयोडाइड

जिलेटिन के रूप में प्रकाश के प्रति Sensitive है

ल्यूनर कास्टिक

फोटोग्राफी में तथा बाल का डाई बनाने में

मैग्नेशिया (मैग्निशियम आॅक्साइड)

रिफ्रेक्टरी लाइनिंग में

मैग्निशियम क्लोराइड

सोरेल सीमेंट बनाने में, घाव धोने में

इप्सम लवण

दस्त वाली दवा बनाने में, डाइंग और टैनिन के रूप में

मोर्टार

सिंकुड़ने की प्रवृति को रोकता है

पोर्टलैंड सीमेट

पानी के अन्दर इसमें जकड़ने और कड़े होने की प्रवृत्ति होती है

सुपर फाॅस्फेट

खाद के रूप में

प्लास्टर आॅफ पेरिस

मूर्तियां बनाने में

(कैल्सियम सल्फेट)

सर्जरी इलाज में

हाड्रोलिथ

बैलून में भरने के लिए

(कैल्सियम हाइड्राइड)

हाइड्रोजन तैयार करनें में

ब्लीचिंग पाउडर)

जीवाणु मारने के लिए।

(चूना का क्लोराइड)

रूई को ब्लीच करने में

फिलोस्फर का ऊल

- (जिंक आॅक्साइड)

उजला थोथा - (White Vitriol)

(जिंक सल्फेट)

लिथोपीन

पेंटिंग में

कालोमेल

दस्त लाने वाली दवा

मरक्यूरिक क्लोराइड

तीव्र जहर

नेसलर का रीजेएन्ट (Reagent)

अमोनियम लवण की जाँच करने में

एल्युमिनियम सल्फेट

जल शुद्ध करने में, एलम बनाने में

हँसाने वाली गैस (नाइट्रस आॅक्साइड)

बेहोशी लाने में

नाइट्रोजन + आर्गन

विद्युत बल्ब भरने में, पेट्रोलियम, पेंट एवं रंग उद्योग में।

अमोनिया

अमोनियम सल्फेट, अमोनियम नाइट्रेट तथा यूरिया जैसे खादों तथा कृत्रिम रेशम के उत्पादन में, बर्फ के कारखाने में प्रशीतक के रूप में



 

फाॅस्फोरस के प्रमुख अपरूप दो है

श्वेत या पीला फाॅस्फोरस

लाल फाॅस्फोरस

क. मुलायम, ठोस

क. भुड़भुड़ा चूर्ण

ख. जहरीला

ख. जरहीला नहीं होता है।

ग. द्रवणांक 44°c

ग. द्रवण नहीं होता, संघनित होता है।

घ. CS2 में घुलनशील

घ. अघुलनशील

ङ. अंधेरे में चमकता है

ङ. चमकता नहीं है।

च. कास्टिक सोडा के साथ जलने वाली गैस फास्फीन देता है।

च. अक्रियाशील है। मैच बाॅक्स बनाने में उपयोगी




ईंधन (Fuel)
- वैसे दहनशील पदार्थ जो जलने के पश्चात् ऊष्मा प्रदान करते है, ईंधन कहलाते है। पेट्रोल, किरासन तेल, लकड़ी, कोयला, गैस आदि ईंधन है।
- एक अच्छे ईंधन में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए-
(i) सस्ता हो,
(ii) सुगमता से प्राप्य हो,
(iii) सुगमता से दहनशील हो,
(iv) उसके दहन को नियंत्रित किया जा सके,
(v) उसका प्रयोग सुविधा-जनक हो,
(vi) वह जलने के पश्चात् हानिकारक अवशिष्ट पदार्थों से मुक्त हो,
(vii) उसका उष्मीय मान (calorific value) उच्च हो।

- ईधन का ऊष्मीय मान (Calorific Value of a Fuel)- किसी ईंधन का ऊष्मीय मान (calorific value) ऊष्मा की वह मात्र है जो उस ईंधन के एक ग्राम को हवा अथवा आॅक्सीजन में पूर्णतः जलाने के पश्चात् उत्पन्न होती है।
- कार्बन का ऊष्मीय मान 7.83 किलो कैलोरी प्रति ग्राम है।
- विभिन्न प्रकार के ईंधन (Different Types of Fuel)-ईंधन ठोस, द्रव एवं गैस-इन तीन अवस्थाओं में पाए जाते है।
- पैराफिन मोम  (Paraffin Wax)-यह कई प्रकार के संतृप्त हाइड्रोकार्बनों (saturated hydrocarbons), जिन्हें पैराफिन (paraffin)  हाइड्रोकार्बन भी कहते है, का मिश्रण है।
- इसमें पैराफिन हाइड्रोकार्बन के आइकोसेन (eicosane, C20 H42) नामक सदस्य से लेकर टेट्राकोंटेन (tetracontane, C40 H82) तक के सदस्य उपस्थित रहते है।
- पेट्रोलियम के उच्च क्वथनांक वाले प्रभाज (fraction) को अत्यधिक ठंडा करके पैराफिन मोम प्राप्त किया जाता है।
- गैसीय ईंधन  (Gaseous Fuel)-आजकल गैसीय ईंधनों का अत्यधिक उपयोग हो रहा है चूँकि इनमें उत्तम ईंधन के सर्वाधिक गुण विद्यमान रहते है। ये अधिक ऊष्मा उत्सर्जित करते है तथा जलने के पश्चात् कोई अपशिष्ट पदार्थ शेष नहीं  छोड़ते है। 
(i) कोल गैस (Coal Gas)-यह कई दहनशील (combustible) गैसों का मिश्रण है। इसका संघटन कोयले की किस्म और भंजक स्रवण (destructive distillation)  के ताप पर निर्भर करता है। कोल-गैस की औसत प्रतिशत रचना निम्नांकित है-
-  इनके प्रथम तीन अवयव,  जो तनुकारी पदार्थ (diluents) कहलाते है, जलकर ऊष्मा प्रदान करते है, जबकि असंतृप्त हाइड्रोकार्बन प्रकाश-उत्पादक है और ये प्रदीपक अंग (illuminants) कहलाते है।
- यह कोयले के भंजक स्रवण द्वारा प्राप्त की जाती है। अग्निसह मिट्टी (fire clay) के रिटार्टों में कोयले को 1100° से 1200°C तक हवा की अनुपस्थिति में गर्म किया जाता है (इस क्रिया को भंजक स्रवण कहते है)।
- कोल-गैस प्रकाश उत्पन्न करने, प्रयोगशालाओं में बुन्सेन बर्नर (Bunsen burner) जलाने में तथा धातुकर्म में अवकारक के रूप में प्रयुक्त होती है।

कुछ सामान्य पदार्थों के pH मान

पदार्थ

pH

मृदु जल

2.0-4.0

नींबू

2.2-2 .4

शराब

2.8-3.8

संतरा

3.0-4.0

दूध

6.4-6.6

समुद्री जल

8.4

मानव मूत्र

4.8-8.4

रक्त

7.4


(ii) भाप-अंगार गैस (Water Gas) - यह कार्बन मोनोआॅक्साइड एवं हाइड्रोजन का आण्विक मिश्रण (CO + H2) है। इसमें अशुद्धियों के रूप में कार्बन डाइआॅक्साइड (CO2) , नाइट्रोजन (N2) एवं जलवाष्प (H2O) भी उपस्थित रहते है।
- इसे लाल-तप्त कोक (red hot coke) के ऊपर जलवाष्प की धारा प्रवाहित करके बनाया जाता है।
- यह प्रतिक्रिया ऊष्माशोषी (endothermic) है, अतः लाल तप्त कोक के ऊपर बारी-बारी से जलवाष्प एवं हवा प्रवाहित की जाती है, ताकि ताप कम नहीं होने पाये।  यह उद्योग में ऊष्मा उत्पन्न करने के लिए एवं धातुकर्म (metallurgy) में अवकारक की तरह व्यवहृत होता है।

(iii) वायु-अंगार गैस (Producer Gas) - यह कार्बन मोनोआॅक्साइड (CO) एवं नाइट्रोजन (N2) का मिश्रण है जिसमें आयतनानुसार दो भाग नाइट्रोजन तथा एक भाग कार्बन डाइआॅक्साइड भी मौजूद रहता है।
- वायु-अंगार गैस एक सस्ता ईंधन है जो जलकर उच्च ताप देता है। काँच के उत्पादन (manufacture) तथा धातु-निष्कर्षण (extraction of metals) में इसका बहुधा उपयोग होता है।

(iv) तेल-गैस (Oil Gas) - यह सरल संतृप्त एवं असंतृप्त हाइड्रोकार्बनों का मिश्रण है; जैसे-मिथेन, इथिलीन, एसीटिलीन आदि।
- तेल-गैस किरासन तेल (kerosene oil) या पेट्रोलियम के भंजक स्रवण (destructive distillation) द्वारा तैयार की जाती है। इसके लिए तेल की पतली धार लाल तप्त लोहे के रिटार्ट पर डाली जाती है जिससे दहनशील हाइड्रोकार्बनों का मिश्रण प्राप्त होता है।
- इस गैस में वायु मिलाकर प्रयोगशालाओं मे बर्नर जलाये जाते है।
 

- प्राकृतिक गैस (Natural Gas)-पेट्रोलियम के कुओं से निकलने वाली गैसों में मुख्य रूप से मिथेन तथा इथेन (क्रमशः 83% एवं 16% मात्र में) होती है जो दहनशील होने के कारण ईंधन के रूप में प्रयुक्त की जाती है।

- प्राप्त ऊष्मा की मात्र के आधार पर प्राकृतिक गैस सर्वश्रेष्ठ है। इसके बाद कोल-गैस का स्थान आता है।
- द्रवित पेट्रोलियम गैस (Liquefied Petroleum Gas, L P G)-यह ऊँचे दाब पर नाॅरमल-ब्यूटेन (क्वथनांक-136°c) तथा आइसो-ब्यूटेन (क्वथनांक-159°c), जो सामान्य अवस्था में गैस है, का द्रवीभूत किया हुआ मिश्रण है।
- बायोगैस-बायोगैस (या जैव गैस) एक गैसीय ईंधन है जो पशुओं के अपशिष्ट पदार्थों, मानव-मल तथा वनस्पतियों के अवशेषों से तैयार की जाती है।
- बायोगैस (जैव गैस या गोबर गैस) के अवयवों या घटकों के नाम है: मीथेन, कार्बन डाईआॅक्साइड, हाइड्रोजन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड। बायो गैस का मुख्य घटक मीथेन होती है जो ईंधन के रूप में उपयोग होती है।
 

- भारत में दो प्रकार के डिजाइनों वाले बायो गैस संयंत्र इस्तेमाल किए जाते है। ये है:
(i) तैरती हुई गैस टंकी वाला बायोगैस संयंत्र (Floating gas-holder type biogas plant)
(ii) स्थिर गुबंदनुमा गैस टंकी वाला बायोगैस संयंत्र  (Fixed dome type biogas plant)
- राॅकेट ईंधन- इसे प्रणोदक कहते है।

प्रणोदक दो तरह के होते है-
(i) द्रव प्रणोदक (liquid propellant) एवं (ii)  ठोस प्रणोदक (solid propellant)।
(i) द्रव प्रणोदक- एल्कोहल, द्रव हाइड्रोजन, द्रव अमोनिया, किरासन तेल, हाइड्राजीन (hydrazine) आदि द्रव प्रणोदक के उदाहरण है। द्रव आॅक्सीजन, द्रव फ्लोरीन, हाइड्रोजन पर-आॅक्साइड अथवा नाइट्रिक अम्ल इनमें आॅक्सीकारक के रूप में प्रयुक्त होते हैं।
(ii) ठोस प्रणोदक- ठोस प्रणोदक ठोस आॅक्सीकारक एवं ठोस अवकारक पदार्थों का मिश्रण होता है, जो सामान्य ताप पर ठोस स्थिति में बिना क्रिया किये साथ-साथ रह सकता है। इसमें विभिन्न हाइड्रोकार्बन तथा क्लोरेट, परक्लोरेट या नाइट्रेट जैसा एक आॅक्सीकारक होता है। एक ऐसा ईंधन एल्युमिनियम परक्लोरेट (आॅक्सीकारक) तथा एल्युमिनियम चूर्ण, पाॅली ब्युटाडाइन, एक्राइलिक अम्ल तथा अन्य योगजों (additives) का मिश्रण है। योगजों का कार्य ईंधन एवं आॅक्सीकारकों को एक साथ कायम रखना है।
पेट्रोलियम (कच्चा तेल)
- पेट्रोलियम में पैराफिन, हाइड्रोकार्बन ऐलीसाइक्लिक (alicyclic) एवं ऐरोमैटिक हाइड्रोकार्बन विद्यमान होते हैं। इसमें गंधक तथा नाइट्रोजन के यौगिक भी कुछ मात्र में पाए जाते हैं।
- गंधक के यौगिकों के कारण ही पेट्रोलियम में विशेष प्रकार की गंध होती है।
- तेल-शोधशालाओं में पेट्रोलियम का आंशिक (प्रभाजी) स्रवण (fractional distillation) की क्रिया द्वारा शोधन किया जाता है।
- पेट्रोलियम हाइड्रोकार्बनों का एक जटिल द्रव मिश्रण है। विभिन्न हाइड्रोकार्बनों के क्वथनांक 0°c से 400°c तक होते हैं।
- स्त्रवण-क्रिया नलिकाकार भट्टी में इस्पात के प्रभाजक स्तंभों (fracti-onating columns) द्वारा संपन्न होती है। तेल का वाष्प अंशकारी (प्रभाजक) स्तंभों में विभिन्न ऊँचाइयों पर संघनित होता है। अधिक क्वथनांक के अंश निचले हिस्से में तथा कम क्वथनांक के अंश ऊपरी भाग में संघनित होते है।

भंजन (Cracking)
- ऊँचे ताप पर स्त्रावित होने वाले अंशों में ऊँचे हाइड्रोकार्बन होते है। ये हाइड्रोकार्बन बहुत कम वाष्पशील तथा अधिक अणु-भार वाले होते है। अधिक अणु-भार वाले हाइड्रोकार्बनों को निम्न अणु-भार वाले हाइड्रोकार्बनों में अपघटित करने की क्रिया को भंजन कहते है।
- इस प्रकार,  भारी तेल (heavy oil) के भंजन से पेट्रोल प्राप्त किया जाता है। भंजन से प्राप्त पेट्रोल स्त्रावण द्वारा प्राप्त पेट्रोल से भी अच्छा होता है।

अग्निशामक (Fire Extinguisher)
- आग बुझाने के लिए जिन यंत्रों का उपयोग किया जाता है उन्हें अग्निशामक कहते हैं।
1. जल-अग्निशामक- जो जल आग बुझाने के लिए फेंका जाता है वह आग द्वारा जलवाष्प में परिणत होता है और उसका एक घेरा बन जाता है। जलवाष्प का यह घेरा जलने वाले पदार्थ को हवा के संपर्क में आने से रोकता है और यह क्रिया भी आग बुझाने में सहायक होती है।

 

प्रमुख तत्व एवं उसके अयस्क

तत्व

अयस्क

सूत्र

1. सोडियम (Na)

चिली साल्टपीटर

NaNO3

 

साधारण नमक

NaCl

 

बोरेक्स

Na2B4O7 . 10H2O

2. पोटाशियम (K)

भारतीय साल्टपीटर  (नाइटर)

KNO3

 

कार्नेलाइट

KCl, MgCl2 .6H2O

 

पर्ल एश

K2CO3

3. तांबा (Cu)

काॅपर पायराइट

CuFeS2

 

काॅपर ग्लांस

Cu2S

 

क्यूप्राइट

Cu2O

 

गोलाकाइट

Cu(OH)2 .CuCO3

4. चाँदी (Ag)

आर्जेन्टाइट

Ag2S

 

हाॅर्न सिल्वर

AgCl
 

रूबी सिल्वर

Ag2S, Sb2S3

5. सोना (Au)

काॅल्बेराइट

AuTe

 

बिस्मथ आॅराइट

AuBi

6. मैग्नीशियम (Mg)

मैग्नेसाइट

MgCO3

 

डोलोमाइट

MgCO3 .CaCO3

 

इप्सोमाइट

MgSO4 . 7H2O

 

कार्नालाइट

CaMg(SiO3)4

 

एसबेस्टस

KCl MgCl2 6H2O

7. कैल्सियम (Ca)

लाइमस्टोन

CaCO3

 

डोलोमाइट

MgCO3 . CaCO3

 

जिप्सम

CaSO4 . 2H2O

 

फ्लोरोपेटाइट

3Ca4 (PO4)2

 

फ्लोरस्पार

CaF2

8. जिंक (Zn)

जिंक ब्लैड

ZnS

 

कालामाइनर्

ZnCO3

 

जिंकाइटर्

ZnO

9. पारा (Hg)

सिनेबार

HgS

10. एल्युमिनियम

बाॅक्साइट

Al2O3 . 2H2O

 

कोरंडम

Al2O3

 

क्रायोलाइट

Na3AlF6

 

कावलिन

Al2O3 .2SiO2 . 2H2O


2. सोडा-अम्ल-अग्निशामक- गंधक अम्ल एवं सोडियम बाइकार्बोनेट के बीच प्रतिक्रिया के फलस्वरूप कार्बन डाइआॅक्साइड गैस निकलती है।
- यह गैस हवा से भारी होने के कारण जलते हुए पदार्थ के चारों ओर घेरा डालकर उसका संपर्क हवा से रोकती है जिससे आग बुझ जाती है।
 

3. झाग वाला अग्निशामक (Foam Fire Extinguisher)- इस तरह का अग्निशामक सिर्फ तेल में लगी हुई आग को बुझाने में प्रयुक्त होता है। यह सोडा-अम्ल-अग्निशामक की तरह का ही बना हुआ होता है।
- इसमें सिलिण्डर में रखे हुए सोडियम बाइकार्बोनेट के घोल में थोड़ा टर्की-रेड तेल (turkey red oil) मिला रहता है।
- कार्बन डाइआॅक्साइड गैस तेल से मिलकर झाग बना देती है तथा उच्च दाब पर झाग के रूप में ही बाहर आती है, गैस के रूप में आसानी से बाहर नहीं जा पाती।
- टर्की-रेड तेल झाग को स्थायी रूप देता है तथा उसमें से गैस के निकास को रोकता है।
- झाग को आग के ऊपर फेंका जाता है जो समूचे तेल को पूरी तरह से ढँक लेता है तथा उसका संपर्क हवा से कट जाता है और इस प्रकार आग बुझ जाती है।
- हवाई अड्डे तथा पेट्रोल पंप पर झाग-अग्निशामक का उपयोग होता है। यह अग्निशामक जलनेवाले पदार्थ का हवा से संपर्क काटने के सिद्धांत पर कार्य करता है।
 

4. पाइरीन या कार्बन टेट्राक्लोराइड अग्निशामक (Pyrene or Carbon Tetra-chloride Fire Extinguisher) - इस प्रकार के अग्निशामक में कार्बन टेट्राक्लोराइड, जिसे पाइरीन भी कहते है, नामक कार्बनिक द्रव (organic liquid) का उपयोग होता है। कार्बन टेट्राक्लोराइड वाष्पशील द्रव है, इसका वाष्प सघन एवं अदहनशील होता है, इसी कारण आग बुझाने के लिए इसका उपयोग होता है।
- पंप द्वारा इस द्रव को आग के ऊपर फेंका जाता है जबकि वह वाष्पित (vaporize)  होता है तथा इसका वाष्प हवा से भारी होने के कारण जलते हुए पदार्थ के चारों ओर घना आवरण-सा बना देता है। इससे जलते हुए पदार्थ का संपर्क हवा से टूट जाता है और आग बुझ जाती है।
- इसका उपयोग बिजली द्वारा लगी आग बुझाने में होता है।
- बंद कमरे में इस अग्निशामक का प्रयोग नहीं करना चाहिए तथा इसके वाष्प से बचाव के लिए मुँह एवं नाक पर गीला कपड़ा बाँधना चाहिए। 

The document रसायन विज्ञान (भाग - 2) - सामान्य विज्ञान | सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi is a part of the UPSC Course सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi.
All you need of UPSC at this link: UPSC
74 videos|226 docs|11 tests

Top Courses for UPSC

FAQs on रसायन विज्ञान (भाग - 2) - सामान्य विज्ञान - सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi

1. रसायन विज्ञान (भाग - 2) क्या है?
उत्तर: रसायन विज्ञान (भाग - 2) यूपीएससी परीक्षा के सिलेबस का भाग है जिसमें रसायन विज्ञान के महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी होती है। यह भाग उम्मीदवारों को रसायन विज्ञान के सिद्धांत, तत्व, अणु, रेडोक्स अवस्थाएँ, बॉंडिंग, रासायनिक इकाई, रसायनिक अपघटन, तत्वों के घटक, रसायन बल, रसायन प्रदूषण आदि के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
2. रसायन विज्ञान (भाग - 2) के लिए सबसे अच्छी किताब कौन सी है?
उत्तर: रसायन विज्ञान (भाग - 2) के लिए कई प्रमुख पुस्तकें उपलब्ध हैं। कुछ लोकप्रिय पुस्तकें हैं: "NCERT रसायन विज्ञान (भाग - 2)", "कॉन्सेप्ट्स ऑफ़ रसायन विज्ञान" और "रसायन विज्ञान (भाग - 2) व्याख्यान और संशोधन"। यह सिलेबस और आपकी पढ़ाई की आवश्यकताओं के आधार पर आपके लिए सबसे उपयुक्त पुस्तक का चयन करना सर्वोत्तम होगा।
3. रसायन विज्ञान (भाग - 2) की तैयारी के लिए कौन-कौन सी प्रमुख विषयों की जानकारी चाहिए?
उत्तर: रसायन विज्ञान (भाग - 2) की तैयारी के लिए निम्नलिखित प्रमुख विषयों की जानकारी चाहिए: 1. तत्वों की आवर्ती विश्लेषण 2. रासायनिक बंध 3. अणु और अणु संरचना 4. रेडोक्स अवस्थाएँ 5. रसायनिक इकाई और मानकीकरण 6. अम्ल, लवण, खारा, विद्युत परमाणु आदि के गुणधर्म 7. रसायन प्रदूषण और उसके प्रभाव
4. रसायन विज्ञान (भाग - 2) क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: रसायन विज्ञान (भाग - 2) महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उम्मीदवारों को रसायन विज्ञान के मूल सिद्धांतों, प्रक्रियाओं, अणु और रासायनिक यूनिट की जानकारी प्रदान करता है। यह सिलेबस उम्मीदवारों को रसायन विज्ञान के आधारभूत संकल्पों और प्रयोगों के साथ परिचित कराता है जो उन्हें रसायन विज्ञान के व्यावहारिक अनुप्रयोगों की समझ और विश्लेषण करने में मदद करता है।
5. रसायन विज्ञान (भाग - 2) के लिए सबसे अच्छी तैयारी कैसे की जाए?
उत्तर: रसायन विज्ञान (भाग - 2) की तैयारी के लिए निम्नलिखित टिप्स का पालन करें: 1. NCERT की पुस्तक "रसायन विज्ञान (भाग - 2)" को ध्यान से पढ़ें और उसकी समझ करें। 2. प्रैक्टिस सेट और मॉडल पेपर्स का उपयोग करें ताकि आप परीक्षा पैटर्न, मार्किंग स्कीम और उपयुक्त उत्तर लेखन का अभ्यास कर सकें। 3. अवधारणाओं को अच्छी तरह से समझने के लिए रसायन विज्ञान के लिए संबंधित वीडियो और ऑनलाइन स्रोतों का उपयोग करें। 4. नियमित अभ्यास करें और समय प्रबंधन कर
74 videos|226 docs|11 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Exam

,

pdf

,

रसायन विज्ञान (भाग - 2) - सामान्य विज्ञान | सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi

,

past year papers

,

Sample Paper

,

ppt

,

Extra Questions

,

रसायन विज्ञान (भाग - 2) - सामान्य विज्ञान | सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi

,

Semester Notes

,

practice quizzes

,

mock tests for examination

,

Important questions

,

Summary

,

shortcuts and tricks

,

रसायन विज्ञान (भाग - 2) - सामान्य विज्ञान | सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi

,

study material

,

MCQs

,

Free

,

video lectures

,

Viva Questions

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Objective type Questions

;