उद्योग में रसायन (Chemistry in Industry)
पोर्टलैंड सीमेंट (Portland Cement)
कैल्सियम आॅक्साइड (CaO) 60.70%
सिलिका (SiO2) 20.24%
एल्युमिना (Al2O3 ) 3.8%
फेरिक आॅक्साइड (Fe2O3 ) 2.4%
मैग्नीशियम आॅक्साइड (MgO) 1.4%
अन्य आक्साइड 3-11%
मिश्र धातु | ||||
मिश्र धातु के नाम | संघटक | |||
वूड्स धातु | बिस्मथ | लेड | टीन | कैडमियम |
न्यूटन धातु | सिलिका | लेड | टीन |
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ड्यूरीराॅन | लोहा | सिलिका |
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नाइक्रोम | निकेल | लोहा | क्रोमियम | मैग्नीज़ |
टाइप धातु | लेड | एन्टीमनी | स्टैनस |
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पीतल | तांबा | जस्ता |
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डच धातु | तांबा | जस्ता |
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जर्मन सिल्वर | तांबा | जस्ता | निकेल |
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मून्ज धातु | तांबा | जस्ता |
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गन धातु | तांबा | स्टेनस | जस्ता |
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मैग्नेलियम | एल्युमीनियम | मैग्नीशियम |
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इलेक्ट्राॅन धातु | मैग्नीशियम | जस्ता | तांबा |
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एल्युमिनियम कांस्य | तांबा | एल्युमिनियम |
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फाॅस्फर कांस्य | तांबा | टीन | फाॅस्फोरस |
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ड्यूरेलियम | एल्युमिनियम | तांबा | मैग्नीशियम मैंगनीज सिलिका |
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सोल्डर | लेड | टीन |
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बब्वीट धातु | टीन | एन्टीमनी | तांबा |
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प्रबलित सीमेंट कंक्रीट
काँच
रंगीन काँचः यदि रंगीन काँच बनाना हो तो काँच बनाते समय पिघले हुए काँच में भिन्न-भिन्न धातु-यौगिक मिला दिये जाते है; जैसे- हरे रंग के लिए फेरस आक्साइड, क्रोमिक आॅक्साइड पीले रंग के लिए फेरिक आॅक्साइडगहरे नीले रंग के लिए कोबाल्ट आॅक्साइड माणिक्य लाल रंग के लिए गोल्ड क्लोराइड लाल रंग के लिए सोना, सेलेनियम, क्यूप्रस आॅक्साइड नीले रंग के लिए क्यूप्रिक आॅक्साइड चटक लाल रंग के लिए कैडमियम सल्फाइड
1. मृदु अथवा साधारण काँच (Soft Glass)- यह सोडियम एवं कैल्सियम सिलिकेट का मिश्रण है। इससे काँच की नलियाँ, बोतलें तथा साधारण बरतन बनाये जाते है। इसका मृदुभवन (softening) कम ताप पर होता है; अतः इसे आसानी से ढाला जा सकता है।
2. कठोर काँच (Hard Glass)- इसे सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3) की जगह पोटैशियम कार्बोनेट (K2CO3) का उपयोग कर बनाया जाता है। इसका मृदुभवन (softening) ताप मृदु काँच (soft glass) की तुलना में उच्च होता है और इसी कारण इसे कठोर काँच कहते है। यह प्रयोगशालाओं में प्रयुक्त होने वाले उपकरणों के बनाने के काम आता है।
3. फ्लिंट काँच (Flint Glass)- इसे सोडियम कार्बोनेट, पोटैशियम कार्बोनेट, बोरिक आॅक्साइड एवं सिलिका का उपयोग कर बनाया जाता है। इससे बिजली के बल्ब तथा प्रकाशीय यंत्रों (optical instruments) के लिए लेंस (lens) एवं प्रिज्म (prism) बनाए जाते है। इसमें लगभग 45% Na2O, 4% K2O, 3% CaO, 44% या अधिक PbO रहता है।
4. जेना काँच (Jena Glass)- यह जिंक एवं बेरियम बोरो सिलिकेट का मिश्रण है। यह अत्यंत दुर्गलनीय तथा रासायनिक प्रतिकारकों (chemical reagents) द्वारा न्यूनतम प्रभावित होने वाला काँच है। इससे प्रयोगशाला के उपकरण बनाये जाते है।
5. पाइरेक्स काँच (Pyrex Glass)- पाइरेक्स काँच एल्युमिनियम एवं सोडियम बोरो सिलिकेट का मिश्रण है। इसे प्रायः 80% सिलिका (SiO2), 12% बोरिक आॅक्साइड (B2O3), 3-4% सोडियम आॅक्साइड (Na2O), 0.5% पोटैशियम आॅक्साइड (K2O) एवं 3% एल्युमिनियम आॅक्साइड (Al2O3) का मिश्रण प्रयुक्त करके बनाया जाता है। इसके गुण जेना काँच के समान है। यह उच्च कोटि के उपकरण बनाने के काम आता है।
- इसका ऊष्मीय प्रसार (expansion due to heat) बहुत कम है, अतः यह ताप के एकाएक कम या अधिक होने से टूटता नहीं है। यह काँच ऊष्मा-प्रतिरोधी (heat resistant) है, इस कारण इससे प्रयोगशालाओं के उपकरण तथा खाना पकाने के बरतन बनाये जाते है।
6. रेशेदार काँच (Fibre Glass)- द्रवित काँच (liquefied glass) को महीन तुंडो (nozzles) के बीच से उच्च दाब (high pressure) पर प्रवाहित करके तंतुओं के रूप में इसका उत्पादन किया जाता है। यह विद्युत, ध्वनि एवं ऊष्मा के प्रति एक अति प्रभावशाली विसंवाहक पदार्थ (insulating material) के रूप में प्रयुक्त होता है। इसका उपयोग कर ऊष्मा-प्रतिरोधी तांतकों (heat resistant fabrics) का उत्पादन भी किया जाता है।
7. क्रूक्स काँच (Crookes Glass)- इस काँच में सीरियम आॅक्साइड (CeO2) मिला रहता है जो हानिकारक पराबैंगनी (ultra-voilet) किरणों को शोषित कर लेता है। इसलिए, इससे चश्मों के लेंस बनाये जाते है।
8. क्राउन काँच (Crown Glass)- काँच का निर्माण करते समय सिलिका की मात्रा थोड़ी कम करके उसकी जगह फाॅस्फोरस पेंटाक्साइड (P2O5) का उपयोग करने पर क्राउन काँच प्राप्त होता है। इसके उपयोग से चश्मों के लेंस बनाये जाते है।
नाम
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क्वथनांक
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संघटक
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उपयोग |
1. असंघनित गैस | कमरे के ताप तक | CH4 से C5 H12 | ईंधन-गैस के रूप में ऊष्मा एवं प्रकाश उत्पन्न करने के लिए, कार्बन ब्लैक बनाने के लिए आदि। |
2. कच्चा नैफ्था (Solvent Naphtha) इसका पुनः स्त्रवण किया जाता है जिससे निम्नांकित अंश (fraction) प्राप्त होते है- | 40° से 150°C | C5 H12 से C11 H24 |
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(i) पेट्रोलियम ईथर | 40° से 60°C |
| औद्योगिक घोलक (industrial solvent) के रूप में। |
(ii) पेट्रोल | 70° से 90°C |
| इंजनों में ईंधन के रूप में तथा पेट्रोल-गैस बनाने में। |
(ii) लिग्रोइन (Ligroin) | 90° से 120°C |
| घोलक के रूप में तथा हवाई जहाज के इंजनों में। |
(iv) घोलक नैफ्था (Solvent Naphtha) | 120° से 150°C |
| वसाओं और वार्निशों के घोलक के रूप में तथा निर्जल धुलाई (dry cleaning) में। |
3. किरासन तेल या मिट्टी का तेल (Kerosene oil) | 150° से 300°C | C11 H24 से C16 H34 | ऊष्मा (स्टोव-ऊर्जा) एवं प्रकाश उत्पन्न करने के लिए तथा तेल-गैस (oil-gas) बनाने में। |
4. ईंधन तेल या भारी तेल (Fuel Oil or Heavy Oil) | 300°C से ऊपर | C16 H34 से C18 H38 | डीजल ईंजन में ईंधन के रूप में। |
5. वाष्पित्र में बचे अवशेष का निर्वात में स्त्रवण (Vacuum Distillation) करने पर प्राप्त अवयव | 400°C से ऊपर |
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(i) स्नेहक तेल (Lubricating Oil) | - | C17 H36 से C20 H42 | स्नेहन (lubrication) के लिए। |
(ii) ग्रीस और वेसलीन (Grease and Vaseline) | - | C18 H38 से C22 H46 | मशीनों में घर्षण-अवरोध कम करने के लिए, श्रृंगारर- सामग्री में। |
(iii) पैराफिन मोम (Paraffin Wax) | - | C20 H42 से C30 H62 | मोमबत्तियाँ, रिकार्ड, पालिश, क्रीम, चित्रकारी आदि में। |
(iv) पिच या कोलतार | - | C30 H62 से C40 H82 | सड़क पर बिछाने, रंग एवं वार्निश बनाने में। |
प्लास्टिक एवं सांश्लेषिक रेशे
ऐसीटिलीन 400°C बेंजीन
इसी प्रकार, इथिलीन (C2 H4) के बहुत-से अणु ऊँचे ताप एवं उत्प्रेरक की उपस्थित में जुड़कर पौलीइथिलीन बनाते है।
nC2H4 (इथिलीन) → (C2H4)n (पौलीइथिलीन)
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1. रसायन विज्ञान क्या है? |
2. रसायन विज्ञान के उद्योग में क्या भूमिका होती है? |
3. रसायन विज्ञान के आधार पर उद्योगों में कौन-कौन से क्षेत्र हैं? |
4. रसायन विज्ञान क्या विकास के लिए महत्वपूर्ण है? |
5. रसायन विज्ञान के आधार पर उद्योगों में उपयोग होने वाले कुछ उत्पादों के नाम क्या हैं? |
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