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उद्योग में रसायन (भाग - 2) - रसायन विज्ञान, सामान्य विज्ञान | सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

रबड़ 
- रबड़ एक असंतृप्त हाइड्रोकार्बन ”आइसोप्रीन“ का बहुलक है जिसका रासायनिक नाम 2- मिथाइल ब्यूटाडाईन है। प्राकृतिक रबड़, रबड़ के वृक्ष से लेटेक्स (latex) के रूप में प्राप्त किया जाता है। लेटेक्स, सफेद रंग का द्रव होता है जिसमें 30% से 40% तक रबड़ कोलायडीय घोल के रूप में होता है। लेटेक्स में थोड़ा एसीटिक अम्ल डालकर उससे ठोस प्राकृतिक रबड़ प्राप्त किया जाता है।
 - प्राकृतिक रबड़ को सल्फर के साथ गर्म करने की प्रक्रिया को रबड़ का वल्कनीकरण करना कहते है तथा इससे प्राप्त रबड़ को वल्कनीकृत रबड़ कहते है।
- प्राकृतिक रबड़ तथा वल्कनीकृत रबड़ में मुख्य भिन्नता  यह है कि प्राकृतिक रबड़ एक सुघट्य प्लास्टिक है जबकि वल्कनीकृत रबड़ एक ताप-दृढ़ प्लास्टिक है।
- प्राकृतिक रबड़ बहुत मुलायम तथा अत्यधिक लचीला होता है जबकि वल्कनीकृत रबड़ अपेक्षाकृत कठोर तथा कम लचीला होता है।
- प्राकृतिक रबड़ की कठोरता बढ़ाने के लिए वल्कनीकरण के दौरान उसमें ”कार्बन ब्लैक“ (carbon black) मिलाया जाता है। कार्बन ब्लैक को ”फिल्लर“ (filler) कहते है।

(i) वल्कनीकृत प्राकृतिक रबड़ का उपयोग दस्ताने, रबड़ बैण्ड तथा ट्यूब बनाने के लिए किया जाता है।
(ii) वल्कनीकृत तथा कठोरीकृत प्राकृतिक रबड़ का उपयोग मोटर-गाड़ियों के टायर बनाने के लिए तथा मशीनों के संवाहक पट्टे (conveyor belts) बनाने के लिए किया जाता है।

संश्लिष्ट रबड़ (या संश्लेषित रबड़)

- थायोकाॅल एक संश्लिष्ट रबड़ है। थायोकाॅल रबड़ डाइक्लोरोएथेन तथा सोडियम पाॅलीसल्फाइड की बहुलकीकरण अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता है।
- थायोकाॅल रबड़ तेल, कार्बनिक विलायक तथा रसायन प्रतिरोधी है। अर्थात्, थायोकाॅल रबड़ पर तेलों (oils), कार्बनिक विलायकों (organic solvents) तथा रसायनों (chemicals) का असर नहीं होता।
- थायोकाॅल रबड़ का उपयोग तेल डालने के लिए लचीले पाइप (होज) बनाने के लिए, रसायन बनाने वाले पात्रों के अस्तर (या लाइनिंग) बनाने के लिए तथा विलायकों के लिए भण्डारण टैंक बनाने के लिए किया जाता है।
- थायोकाॅल रबड़ का उपयोग राॅकेट के इंजनों में ठोस ईंंधन के रूप में होता है। इस कार्य के लिए, थायोकाॅल रबड़ में एक उपचायक भी मिलाया जाता है (जो थायोकाॅल के दहन के लिए आॅक्सीजन प्रदान करता है)।
- निओप्रीन एक संश्लिष्ट रबड़ है और इसे बनाने में प्रयुक्त होने वाले यौगिक का नाम 2-क्लोरोब्यूटाडाईन (2-chlorobutadine) है।
- निओप्रीन के कुछ महत्त्वपूर्ण गुण निम्नलिखित है:

(i) निओप्रीन रबड़ आसानी से नहीं जलती (जबकि प्राकृतिक रबड़ आसानी से जलती है)
(ii) निओप्रीन रबड़ पर तेलों, कार्बनिक विलायकों तथा रसायनों का कोई खास असर नहीं होता (जबकि प्राकृतिक रबड़ तेलों, कार्बनिक विलायकों तथा रसायनों के प्रभाव से खराब हो जाती है)।
(iii) निओप्रीन रबड़ उच्च ताप पर भी स्थायी होती है।
 

उपयोग
(i) निओप्रीन रबड़ का उपयोग विद्युत् केबिल (electric cables) में रोधन पदार्थ (insulation material) के रूप में किया जाता है।
(ii) निओप्रीन रबड़ का उपयोग कोयला खानों में इस्तेमाल किए जाने वाले संवाहक पट्टे (conveyor belts) बनाने के लिए किया जाता है।
(iii) निओप्रीन रबड़ का उपयोग तेल परिवहन के लिए होज-पाइप (लचीले पाइप) बनाने में किया जाता है।

स्मरणीय तथ्य

• द्रव को गर्म कर वाष्प और वाष्प को ठंडा कर द्रव बनाने की क्रिया को स्रावण कहा जाता है।

• अशुद्धियों के कारण पदार्थ का द्रवणांक या हिमांक कम हो जाता है।

• अशुद्धियों के कारण द्रव का क्वथनांक (Boiling point) बढ़ जाता है।

• ठोस पदार्थ को जल में घोलने पर ताप का अवशोषण होता है।

• वह प्रक्रिया जिसमें कोई ठोस पदार्थ घोल से पृथक होने लगता है अवक्षेपण कहलाता है।

• तत्त्वों के दो या दो से अधिक रूपों में पाए जाने की स्थिति को बहुरूपता कहा जाता है।

• कार्बन, गंधक और फाॅस्फोरस विभिन्न अपरूपों (Allotropic forms) में पाए जाते है।

• हीरा और ग्रेफाइट कार्बन के अपरूप है।

• जिसकी उपस्थिति मात्रा से रासायनिक प्रतिक्रिया की गति में परिवर्तन आ जाए, उसे उत्प्रेरक कहा जाता है।

• अमोनिया को आॅक्सीकृत कर नाइट्रिक अम्ल बनाने में प्लैटिनम उत्प्रेरक का प्रयोग किया जाता है।

• पोटाशियम क्लोरेट से आॅक्सीजन बनाने में म®गनीज डाॅय-आॅक्साइड उत्प्रेरक का उपयोग किया जाता है।

• किसी गैस के एक ग्राम अणु का आयतन 22.4 लीटर होता है।

• स्थिर तापमान पर किसी गैस की निश्चित मात्रा का आयतन उसके दाब का व्युत्क्रमानुपाती होता है।

• स्थिर दाब पर किसी गैस की निश्चित मात्रा का आयतन उसके परम तापमान का समानुपाती होता है।

• एक ही तापमान एवं दाब पर गैसों के समान आयतन में उपस्थित अणुओं की संख्या बराबर होती है।

• आयतन के विचार से हवा में नाइट्रोजन 77.16%, आॅक्सीजन 20.6%, जल-वाष्प 1.4% और कार्बन डाइआॅक्साइड 0.04% है।

• निश्चित तापमान एवं दाब पर विभिन्न गैसों के विसरण की आपेक्षिक गति उनके घनत्वों के वर्गमूल के विपरीत अनुपात में होती है।

• सभी पदार्थों का निर्माण परमाणुओं से होता है।

• न्यूट्रान का भार प्रोटाॅन के भार के लगभग बराबर होता है।

• जिन तत्त्वों की परमाणु संख्या (Atomic number) एक हो, किन्तु पिंड संख्या(Mass number or Atomic Weight) भिन्न-भिन्न, उन्हें समस्थानिक कहा जाता है।

• ड्यूटेरियम और ट्राइटियम हाइड्रोजन के समस्थानिक है।

• क्लोरीन के दो समस्थानिक है।

• पिंड संख्या = प्रोटाॅन की संख्या + न्यूट्राॅन की संख्या; प्रोटाॅन की संख्या = एलेक्ट्राॅन की संख्या।

• वे तत्त्व, जिनकी पिंड संख्या समान किन्तु परमाणु संख्या भिन्न-भिन्न होती है, समभारिक कहलाते है।

• आर्गन, पोटाशियम और कैल्सियम समभारिक है, जिनकी पिंड संख्या 40 है।

• आॅर्गन का उपयोग विद्युत बल्ब को भरने में किया जाता है।

• इरिडियम अधिकतम घनत्व वाला तत्त्व है।

• हाइड्रोजन सबसे कम परमाणु भार वाला तत्त्व है।

साबुन तथा अपमार्जक
- साबुन, लम्बी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों (या वसा अम्लों) का सोडियम लवण होता है (जिसमें चीजों को साफ करने का गुण होता है)। सामान्य साबुन, स्टिएरिक अम्ल, ओलिइक अम्ल तथा पाॅमिटिक अम्ल के सोडियम लवण होते है।
- संश्लिष्ट अपमार्जक, लम्बी श्रृंखला वाले ”बेन्जीन सल्फोनिक अम्ल का सोडियम लवण“ होता है या लम्बी शृंखला वाले ”एल्काइल हाइड्रोजन सल्फेट का सोडियम लवण“ होता है (जिसमें मैली वस्तुओं को साफ करने का गुण होता है)।
- संश्लिष्ट अपमार्जक, कोयले तथा पेट्रोलियम से प्राप्त हाइड्रोकार्बनों से बनाए जाते है।
- संश्लिष्ट अपमार्जक कठोर जल के साथ अघुलनशील कैल्शियम या मैग्नीशियम लवण नहीं बनाते। इसलिए, संश्लिष्ट अपमार्जक कठोर जल के साथ भी आसानी से झाग बनाते है तथा मैले कपड़ों को अच्छी तरह साफ कर देते है। इसके विपरीत साबुन कठोर जल के साथ आसानी से झाग नहीं बनाती जिसके कारण यदि जल कठोर हो तो साबुन से कपड़े ठीक प्रकार से साफ नहीं होते।
 - वाशिंग पाउडर का लगभग 15 से 30% भाग ही संश्लिष्ट अपमार्जक होता है। वाशिंग पाउडर का शेष भाग अन्य रसायनों से बना होता है जिन्हें वाशिंग पाउडर में कुछ वांछित गुण प्रदान करने के लिए मिलाया जाता है। अपमार्जक के अतिरिक्त, वाशिंग पाउडरों (washing powder) में उपस्थित अन्य रसायनों या घटकों के नाम है:

(i) सोडियम सल्फेट तथा सोडियम सिलिकेट
(ii) सोडियम ट्राइफाॅस्फेट या सोडियम कार्बोनेट
(iii) कार्बोक्सी मिथाइल सेलुलोस (CMC)
(iv) सोडियम परबोरेट

- इन सब रसायनों (या घटकों) के कार्य निम्नलिखित है:
(a) सोडियम सल्फेट तथा सोडियम सिलिकेट, वाशिंग पाउडर को शुष्क रखने के लिए मिलाए जाते है।
(b) सोडियम ट्राइफाॅस्फेट या सोडियम कार्बोनेट, वाशिंग पाउडर में क्षारीयता बनाए रखने के लिए मिलाए जाते है जो धूल और चिकनाई के कणों (या मैल) को हटाने में सहायता करती है।
(c) कार्बोक्सी मिथाइल सेलुलोस (CMC), वाशिंग पाउडर में इसलिए मिलाया जाता है कि मैले कपड़ों पर उपस्थित धूल और चिकनाई के कण पानी में निलंबित (suspended) रहें। इससे कपड़ों की सफाई आसान हो जाती है।
(d) सोडियम परबोरेट नामक दुर्बल विरंजक पदार्थ (या ब्लीचिंग एजेंट) कपड़ों में सफेदी लाने के लिए मिलाया जाता है।

स्मरणीय तथ्य

• वाष्प के ठण्डा होते समय ताप उत्पन्न होता है।

• समतल दर्पण में बिम्ब उतनी ही दूरी पर बनता है जितनी दूरी पर वस्तु स्थित रहती है।

• कार्बन डाइ-आॅक्साइड चूना-जल को दुधिया बना देता है।

• मोमबत्ती के जलने पर कार्बन डाइ-आॅक्साइड और जलवाष्प उत्पन्न होते है।

• बिजली की चमक के कारण हवा में मौजूद आॅक्सीजन और नाइट्रोजन का कुछ  भाग नाइट्रोजन आॅक्साइड में परिणत हो जाता है।

• वेग की परिवर्तन-दर को त्वरण (Acceleration)कहा जाता है।

• हरा पौधा कार्बन डाइ-आॅक्साइड और जल को आॅक्सीजन में परिणत कर देता है।

• वर्षा के बाद वायुमंडल के कणों पर अंटकी जल की बूँदों पर प्रकाश के अपवर्तन (Refraction) और पूर्ण आन्तरिक परावर्तन (Total internal reflection) के कारण इन्द्रधनुष बनता है।

• हाइड्रोमीटर द्रव का घनत्व मापने का एक उपकरण है।

• लाल और पीला फास्फोरस फास्फोरस के अपरूप (Allotropic forms) है।

• अम्लीकृत जल (acidulated water) का विद्युत् अपघटन (Electrolysis) करने पर हाइड्रोजन और आॅक्सीजन प्राप्त होते है।

• लवण-घोल की अपेक्षा शुद्ध जल का क्वथनांक (boiling point)अधिक होता है।



विविध तथ्य
- बैकेलाइट को थर्मोसेटिंग प्लास्टिक कहते हैं।
- किसी वस्तु को उतने वेग से गतिशील बनाना/फेंकना कि वह अधिक बड़े पदार्थ के गुरुत्व खिंचाव की सीमा से बाहर निकल जाये, इस्केप वेलोसिटी कहलाता है। पृथ्वी 
की इस्केप वेलोसिटी 11.2 कि.मी. (लगभग 7 मील) प्रति सेकेण्ड है।
- न्यूक्लियर रिएक्टरों में हैवीवाटर का प्रयोग विमन्दक (moderator) के रूप में होता है।
- तापीय ऊर्जा, जल विद्युत ऊर्जा और न्युक्लियर ऊर्जा- ये सब ऊर्जा के परम्परागत स्त्रोत हैं।
- चांदी बिजली का सबसे अधिक सुचालक है। हीरा बिजली/ताप का कुचालक है।
- यदि पृथ्वी पर सारी वनस्पति नष्ट हो जाये, तो वायुमंडल में आक्सीजन का अभाव हो जायेगा और सब जीव-जन्तु मर जाएंगे।
- सोना 1063°c पर पिघलता है।
- स्टेनलेस स्टील में 70% से 90% तक लोहा, 12% से 20% तक क्रोमियम और 0.1% से 0.7% तक कार्बन होता है।
- परम शून्य = - 273.16°c =  - 459.69°F
- आंख की परितारिका (iris) तेज प्रकाश में सिकुड़ जाती है और मध्यम प्रकाश (अंधेरे) में फैल जाती है।
- पानी जब जमकर बर्फ बन जाता है, तो उसका आयतन बढ़ जाता है।
- गन मेटल में आमतौर से 88% तांबा, 10% टिन और 2% जस्ता होता है।
- जमने पर पानी का परिमाण बढ़ जाता है।
- लीवर उन सामान्य उपकरणों को कहते है, जिनमें एक सिर पर थोड़ा बल लगाने से दूसरे सिरे पर काम आसानी से हो जाता है। कैंची और नेल कटर ऐसे ही उपकरण हैं।
- लोहा, तांबा, एल्युमीनियम और इस्पात में तांबा ही विद्युत का सबसे उत्तम सुचालक है।
- पदार्थ की तीन अवस्थायें है-ठोस, द्रव और गैस।
 

स्मरणीय तथ्य

• समान विद्युत् आवेश के परमाणु या परमाणुओं  के समूह को मूलक कहा जाता है।

• तांबे के आॅक्साइड में  तांबे की संयोजकता (Valency) क्यूप्रस आॅक्साइड में  1 तथा क्यूप्रिक आॅक्साइड में 2 होती है।

• लोहे के क्लोराइड में  लोहे की संयोजकता (Valency) फेरिक क्लोराइड में  3 तथा फेरस क्लोराइड में 2 होती है।

• टीन के क्लोराइड में  टीन की संयोजकता स्टैनस क्लोराइड में 2 तथा स्टैनिक क्लोराइड में  4 होती है।

• अम्ल एवं भस्म की प्रतिक्रिया को उदासीकरण कहा जाता है।

• फेनाॅल्फथेलीन (Phenolphthalein) का रंग क्षारीय (Alkaline) घोल में  गुलाबी हो जाता है।

• मिथाइल औरेंज (Methile orange) का रंग क्षारीय घोल में पीला तथा अम्लीय घोल में  गुलाबी हो जाता है।

• अमोनिया गैस का जलीय घोल क्षारीय होता है।

• लिटमस पत्र (Litmus paper) क्षारीय घोल में  नीला तथा अम्लीय घोल में  लाल हो जाता है।

• धातुओं  के आॅक्साइड प्रायः भाष्मिक तथा अधातुओं के आॅक्साइड अम्लीय होते है।

• प्रति लीटर घोल में  उपस्थित घुल्य के ग्राम समतुल्यांक की संख्या को घोल की सामान्यता कहा जाता है।

• तनु घोल के घोलक का किसी अर्ध पारगम्य झिल्ली से स्वतः पार कर समाहृत घोल में प्रसारित होने की क्रिया को परासरण कहा जाता है।

• साबुन सोडा और वनस्पति तेल से प्राप्त किया जाता है।

• अम्लीय जल के विद्युत अपघटक में  ऋणोद (Cathode) पर हाइड्रोजन और धनोद (Anode) पर आॅक्सीजन मुक्त होता है।

• अमोनिया नाइट्रोजन एवं हाइड्रोजन का यौगिक है।

• फाॅस्फीन फाॅस्फोरस तथा हाइड्रोजन का यौगिक है।

• अमोनिया गैस कली चूना में प्रवाहित कर शुष्क किया जाता है।

• सल्फर डाइआॅक्साइड तथा क्लोरीन गैस संतृप्त गंधकाम्ल से प्रवाहित कर शुष्क किया जाता है।

• फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन तथा आयोडीन हैलोजन परिवार के तत्त्व हैं।

• क्लोरीन का उपयोग पानी की बैक्टीरिया नष्ट करने में  किया जाता है।

• वायुमंडल में  हाइड्रोजन सल्फाइड के कारण सिल्वर पर काला धब्बा उत्पन्न होता है।

• एमल्गम (Amalgam) धातु तथा पारा का घोल होता है।

• पोटाशियम क्लोरेट को गर्म करने पर आॅक्सीजन बनता है।

• जस्ते पर तनु सल्फ्यूरिक अम्ल या तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की प्रतिक्रिया से हाइड्रोजन बनता है।

• लाल तप्त लोहे पर वाष्प प्रवाहित करने पर जल विच्छेदित होता है और हाइड्रोजन बनता है।



  

तत्त्वों से संबंधित प्रमुख जानकारियां

तत्त्व का नाम

आविष्कारक

हाइड्रोजन (H)

एच.कैवेण्डिस (यू. के.)

हीलियम (He)

लोकेयर (यू. के.)

लिथियम (Le)

जे. ए. अर्फेडसन (स्वीडन)

बेरीलियम (Be)

एच.एल. वाक्वेलिन (फ्रांस)

बोराॅन (B)

गैलुसाक, थेनार्ड, डेनी (स्वीडन)

कार्बन (C)

प्रागैतिहासिक काल

नाइट्रोजन  (N)

रदरफोर्ड (यू. के.)

आॅक्सीजन (O)

शीले और प्रीस्टले

फ्लोरीन (F)

एच. वायसन (फ्रांस)

नियाॅन (Ne)

सौजे और टेªवर्स (यू. के.)

सोडियम (Na)

डेवी (यू. के.)

मैग्नीशियम (Mg)

डेवी (यू. के.)

एल्यूमिनियम (Al)

ओस्र्टेड और बोलर

सिलिकाॅन (Si)

बर्जीलियस (स्वीडन)

फाॅस्फोरस (P)

एच. ब्रेण्ड (जर्मनी)

सल्फर (S)

प्रागैतिहासिक काल

 

तत्त्वों से संबंधित प्रमुख जानकारियां

तत्त्व का नाम

आविष्कारक

क्लोरीन (Cl)

सी. डब्ल्यू. शीले (स्वीडन)

आर्गन (Ar)

रैमजे और रैले (यू. के)

पोटैशियम (K)

डेवी (यू. के.)

कैल्शियम (Ca)

डेवी (यू. के.)

स्कैण्डियम (Sc)

एल. एफ. निल्सन (स्वीडन)

टाइटेनियम (Ti)

क्लैप्रोथ (जर्मनी)

वेनेडियम (V)

सैफस्ट्राम (स्वीडन)

क्रोमियम (Cr)

वाक्वेलिन (फ्रांस)

मैंगनीज (Mn)

जे. जी. जान (स्वीडन)

आयरन (Fe)

प्रागैतिहासिक काल

कोबाल्ट (Co)

जी. क्रेण्डट

निकेल (Ni)

ए. एफ. क्रांसटेड्ट (स्वीडन)

काॅपर (Cu)

प्रागैतिहासिक काल

जिंक (Zn)

ए. एस. मारग्राफ (जर्मनी)

गैलियम (Ga)

एल. डी. ब्बाडस बाउड्रान (फ्रांस)

जर्मेनियम (Ge)

सी. ए. विन्कलर (जर्मनी)

आर्सेनिक (As)

एल्बर्टस मैग्नस (जर्मनी)

 

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FAQs on उद्योग में रसायन (भाग - 2) - रसायन विज्ञान, सामान्य विज्ञान - सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi

1. रसायन विज्ञान क्या है?
उत्तर: रसायन विज्ञान वह शाखा है जो द्रव्यमान और उसके विभिन्न गुणों का अध्ययन करती है, जैसे कि उनकी संरचना, गुणधर्म, तत्व और विभिन्न रासायनिक प्रक्रियाएं। यह विज्ञान कई उद्योगों, जैसे कि औषधि निर्माण, प्लास्टिक, रंग, औद्योगिक रसायन, कृषि आदि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
2. रसायन विज्ञान के क्षेत्रों में कौन-कौन से उद्योग शामिल होते हैं?
उत्तर: रसायन विज्ञान के क्षेत्रों में विभिन्न उद्योग शामिल होते हैं, जैसे कि औषधि निर्माण, प्लास्टिक, रंग, औद्योगिक रसायन, कृषि, इलेक्ट्रॉनिक्स, खाद्य प्रसंस्करण, उर्वरक निर्माण, उद्योगिक उपचार के लिए जल प्रबंधन आदि।
3. रसायन विज्ञान कौन-कौन से विभागों में विभाजित होता है?
उत्तर: रसायन विज्ञान विभिन्न विभागों में विभाजित होता है, जैसे कि वाणिज्यिक रसायन, जैव रसायन, सौर रसायन, फार्मास्युटिकल रसायन, जल रसायन, जलवायु रसायन, केरोसीन रसायन, प्राकृतिक रसायन आदि।
4. रसायन विज्ञान क्या प्रक्रिया सहायक उद्योग है?
उत्तर: रसायन विज्ञान कई प्रक्रिया सहायक उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण है, जैसे कि उच्च तापमान प्रक्रिया, उच्च दाब प्रक्रिया, कीटनाशक निर्माण प्रक्रिया, उर्वरक निर्माण प्रक्रिया, रंग निर्माण प्रक्रिया, उत्पादन प्रक्रिया, तत्वज्ञान प्रक्रिया, विघटन प्रक्रिया, उद्योगिक उपचार प्रक्रिया आदि।
5. रसायन विज्ञान क्या है और यह UPSC परीक्षा में कितना महत्वपूर्ण है?
उत्तर: रसायन विज्ञान एक विज्ञान है जो द्रव्यमान और उसके गुणों का अध्ययन करता है। यह उद्योग में एक महत्वपूर्ण शाखा है और UPSC परीक्षा में इसके बारे में प्रश्न पूछे जाते हैं। यह परीक्षा में रसायन विज्ञान से संबंधित मूलभूत ज्ञान और अवधारणाओं को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।
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