जैन धर्म
जीवन
जानिए महत्वपूर्ण तथ्य
I. पैतृक समपद (आश्रित उत्पत्ति का सिद्धांत)
II। Ksnabhangurvada (क्षणिकता का सिद्धांत)
I. सरिपुत्त - धम्म में गहन अंतर्दृष्टि का इस्तेमाल किया।
II। मोगलगना - के पास सबसे बड़ी अलौकिक शक्तियाँ थीं।
III। आनंद - समर्पित शिष्य और बुद्ध के निरंतर साथी।
IV। महाकासपा - राजगृह में आयोजित बौद्ध परिषद के अध्यक्ष।
वी। अनुरुद्ध - राइट माइंडफुलनेस के मास्टर।
VI उपाली - विनय के मास्टर।
महायान सूत्र
I अष्टसहस्रिका-प्रज्ञा-परमिता
द्वितीय। सधर्म - पुंडरीका
तृतीय। ललितविस्तार
IV। सुवर्ण-प्रभासा
वि। गौंडव्यूह
VI। तथागत-गुहगका
VII। सममधिराजा
आठवीं। दशभुमिस्वर
अतीत में जैन धर्म
पांच मुख्य शिक्षाएं
(i) गैर-चोट (अहिंसा) (ii) गैर-झूठ (सत्या) (iii) गैर-चोरी (asateya) (iv) गैर-कब्जे (अपर-ग्रहा) (v) निरन्तरता (ब्रह्मचर्य)
उपरोक्त चार सिद्धांत पार्श्वनाथ के हैं और पांचवें ब्रम्हचर्य को महावीर ने शामिल किया है।]
सिद्धों की पांच श्रेणियां (भक्त)
महावीर द्वारा जैन धर्म के सिद्धांतों को उपदेश के रूप में
जैन दर्शन
जैन परिषदें
पवित्र साहित्य
(ए) बारह अंगस (बी) बारह उपंग (सी) दस प्राकृतनास (डी) छह छेदसूत्र (ई) चार मूलसूत्र।
[कैनोनिकल ग्रंथों की रचना अर्धमागाधि भाषण में की गई है, जिसे अर्सा के नाम से जाना जाता है और इसमें देर से होने वाले और पुरातन भाग दोनों शामिल हैं।]
जैन धर्म का योगदान
398 videos|676 docs|372 tests
|
1. जैन धर्म क्या है और इसके महत्वपूर्ण सिद्धांत क्या हैं? |
2. जैन धर्म के धार्मिक आंदोलन क्या हैं और इनका महत्व क्या है? |
3. जैन धर्म का इतिहास क्या है और कौन-कौन से प्रमुख घटनाएं हुईं? |
4. जैन धर्म क्या UPSC परीक्षा में महत्वपूर्ण है? |
5. जैन धर्म के सिद्धांतों का मानव समाज पर क्या प्रभाव होता है? |
398 videos|676 docs|372 tests
|
|
Explore Courses for UPSC exam
|