प्लेटो के अनुसार, "शिक्षा आत्मा का भोजन है"। जीवन को जीने योग्य और खुशहाल बनाने के लिए शिक्षा में सभी घटक हैं। शिक्षा भी व्यक्ति के जीवन के हर क्षेत्र में नए पहलुओं को जोड़ने में मदद कर सकती है। आत्मा के बिना जीवन कैसा है, शिक्षा के बिना मानव व्यक्तित्व क्या है। इस प्रकार, शिक्षा में जीवन के प्रति व्यक्ति के दृष्टिकोण में एक नया पंख जोड़ने की क्षमता है।
इसके अलावा, शिक्षा को जादू की छड़ी के रूप में माना जा सकता है जो इस दुनिया में व्याप्त अधिकांश सामाजिक बीमारियों को ठीक कर सकती है।
इस तरह शिक्षा समाज की लगभग सभी बीमारियों की दवा साबित हो सकती है। इस संबंध में, शब्द के सही अर्थों में शिक्षा का प्रसार निश्चित रूप से प्रचलित सामाजिक व्यवस्था को खत्म करने और उस पर हावी होने में मानव जाति की मदद करेगा। जो सामाजिक व्यवस्था सामने आएगी, वह समाज के विभिन्न पहलुओं में भरपूर और समृद्धि की होगी। इस संबंध में भरपूर का अर्थ है एक ऐसी स्थिति जहां अधिक की लालसा से कम भूख होती है और बल्कि, नियंत्रण की भावना होती है। संतोष की भावना जहां कोई भी अलग-थलग महसूस नहीं करता है और बल्कि पूरी दुनिया एकता और मैत्री की भावना से एक साथ बंधी हुई है।
मेरा मानना है कि शिक्षा न केवल वर्तमान समय में अपनी भूमिका निभाती है बल्कि साथ ही आने वाले समय में एक नए युग की शुरुआत भी करती है। इस प्रकार, दुनिया के लिए एक नए युग की शुरुआत करने में शिक्षा की अपनी भूमिका है। इस सम्बन्ध में निम्नलिखित बिन्दु विचारणीय हैं:
शिक्षा को दुनिया को मशाल की तरह दुनिया की नियति दिखाना चाहिए। इस संबंध में नियति को एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए चिह्नित किया जाना चाहिए जहां आने वाले समय में हर कोई आशा की किरण के सूक्ष्म जगत की तरह हो। आने वाले समय में आशा की यह किरण आशा और समृद्धि की ज्वलनशील ज्वाला बनेगी। यह दुनिया को अपने भाग्य का खुद निर्माता बना देगा। इस संबंध में, मानव जाति के अतीत, वर्तमान और भविष्य के बीच का चरखा शिक्षा और केवल शिक्षा होगा।
दुनिया आज सामाजिक समरसता की तुलना में अधिक सामाजिक असामंजस्य की चपेट में है। मानव जाति के वर्तमान अराजकता और असामंजस्य से सामाजिक एकता की ओर संक्रमण की पूरी प्रक्रिया को शिक्षा द्वारा लाया जा सकता है। शिक्षा निश्चित रूप से मानव को जीने और जीने दो का मार्ग दिखा सकती है और बदल सकती है। यह निश्चित रूप से एक ऐसे समाज की शुरूआत करेगा जहां सुख और समृद्धि अभाव और कमी पर प्रबल होगी।
दीर्घकाल में शिक्षा को आपसी विश्वास और विश्वास की भावना पैदा करनी चाहिए और इस प्रकार अराजकता, अराजकता और अविश्वास से आने वाले समय में दुनिया की रक्षा करनी चाहिए। शिक्षा, आने वाले समय में मानव जाति को वर्तमान अराजक दुनिया से शांति और सौहार्द की ओर ले जाने की सभी क्षमताएं हैं। शिक्षा में जीवन को योग्य और मेहमाननवाज बनाने की क्षमता है। शिक्षा में दुनिया को एक नए युग में ऊपर उठाने की सभी क्षमताएं हैं जहां जीवन के अन्य सभी कारकों पर खुशी और पवित्रता कायम है।
शिक्षा वह माध्यम है जो निश्चित रूप से निकट भविष्य में शांति का अग्रदूत बनकर विश्व का उत्थान कर सकती है। शांति के अग्रदूत होने का यह लक्ष्य तभी प्राप्त होगा जब दुनिया में आपसी विश्वास, मित्रता और एक नई भावना होगी। दुनिया और उनके संबंधित समाजों में शिक्षा के माध्यम से खुद को फिर से जीवंत करने की ललक होनी चाहिए। इस प्रकार शिक्षा जगत् के जीवन में पथ प्रदीपक होगी। एक रास्ता जो आने वाले समय के साथ उज्जवल और उज्जवल हो जाएगा।