इलेक्ट्रॉनिक गवर्नेंस या ई-गवर्नेंस का तात्पर्य आईसीटी (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) के अनुप्रयोग के साथ सरकारी कामकाज से है। इसलिए ई-गवर्नेंस मूल रूप से स्मार्ट गवर्नेंस की ओर एक कदम है जिसका अर्थ है: सरल, नैतिक, जवाबदेह, उत्तरदायी और पारदर्शी शासन।
ई-गवर्नेंस में 4 प्रकार के इंटरैक्शन होते हैं, अर्थात्:
1. G2C (सरकार से नागरिकों के लिए) - सरकार और नागरिकों के बीच बातचीत।
2. G2B (सरकार से व्यवसाय)
3. G2G (सरकार से सरकार)
4. G2E (सरकार से कर्मचारी)
भारत में ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम इस प्रकार हैं:
पहल के मुख्य उद्देश्य हैं:
ई-गवर्नेंस पर 23वें राष्ट्रीय सम्मेलन के महत्वपूर्ण तथ्य:
2020 के राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सम्मेलन का विषय 'भारत 2020: डिजिटल परिवर्तन' था। इस सम्मेलन के छह उप-विषय थे:
सम्मेलन ने ई-गवर्नेंस पर 10 गुना मुंबई घोषणा को अपनाया और सम्मेलन के दौरान, महाराष्ट्र के लिए ब्लॉकचैन सैंडबॉक्स और ड्राफ्ट सैंडबॉक्स नीति शुरू की गई। महाराष्ट्र एक समर्पित फिनटेक नीति रखने वाला भारत का पहला राज्य बन गया।
NAeG 2020 से सम्मानित परियोजनाओं की सूची नीचे दी गई है:
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