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The Hindi Editorial Analysis - 30th July 2022 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

भारत में खेल शासन


संदर्भ

राष्ट्रमंडल खेलों का 21वाँ संस्करण बर्मिंघम, यूनाइटेड किंगडम में उद्घाटन समारोह के साथ शुरू हुआ। प्रतिस्पर्द्धा में भारत एक प्रबल दल के रूप में आगे बढ़ रहा है।

  • भारत की अर्थव्यवस्था और देश की युवा जनसांख्यिकी को देखते हुए भारत में खेलों का आख्यान एक परिवर्तन के दौर से गुज़र रहा है। लेकिन क्रिकेट और निशानेबाजी जैसे कुछ खेलों को छोड़ दें तो भारत में खेल प्रतिस्पर्द्धाओं के प्रति बढ़ती दिलचस्पी आवश्यक रूप से समग्र खेल क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन में रूपांतरित नहीं हो रही।

भारत में खेल शासन का इतिहास

  • 1950 के दशक की शुरुआत में केंद्र सरकार ने देश में खेलों के गिरते मानकों पर विचार करने के लिये अखिल भारतीय खेल परिषद (All India Council of Sports- AICS) की स्थापना की।
  • वर्ष 1982 में नई दिल्ली में एशियाई खेलों के आयोजन दौरान देश में सर्वप्रथम एक खेल विभाग (Department of Sports) की स्थापना की गई जिसे वर्ष 1985 में अंतर्राष्ट्रीय युवा वर्ष के अवसर पर युवा कार्यक्रम और खेल विभाग (Department of Youth Affairs and Sports) में बदल दिया गया।
  • राष्ट्रीय खेल नीति वर्ष 1984 में घोषित हुई।
  • वर्ष 2000 में युवा कार्यक्रम और खेल विभाग को युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय में रूपांतरित कर दिया गया।
  • वर्ष 2011 में युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय ने भारत के राष्ट्रीय खेल विकास संहिता, 2011 (National Sports Development Code of India 2011) को अधिसूचित किया।

भारत में खेल शासन से संबद्ध समस्याएँ

  • अधिकारों और उत्तरदायित्व का अस्पष्ट सीमांकन: खेल से कई अलग-अलग पक्षकार संबद्ध हैं। वर्तमान में भारतीय खेल के अंदर प्रबंधन और शासन के बीच बहुत कम अंतर है। कई भारतीय खेल संगठनों में कार्यकारी समिति (शासन के लिये प्रत्यक्ष रूप से उत्तरदायी निकाय) आमतौर पर स्वयं ही प्रबंधन कार्य से भी संलग्न होती है।
    • नियंत्रण और संतुलन का अभाव: स्वायत्तता के नाम पर बिना किसी नियंत्रण और संतुलन के उन्हें किसी भी तरह से कार्य करने की अनुमति दे दी गई है।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी: वर्तमान खेल मॉडल में जवाबदेही की समस्याएँ हैं (जैसे कि उन्हें प्राप्त असीमित विवेकाधीन शक्तियाँ), जबकि राजस्व प्रबंधन में अनियमितता के साथ ही निर्णय लेने में पारदर्शिता के अभाव की स्थिति नज़र आती है।
    • उदाहरण के लिये, जुलाई 2010 में केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने एक रिपोर्ट जारी की जिसमें दिखाया गया कि भारत में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों की 14 परियोजनाओं में अनियमितताएँ बरती गई थीं।
    • वर्ष 2013 में इंडियन प्रीमियर लीग स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी का मामला उजागर हुआ जब दिल्ली पुलिस ने कथित स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में तीन क्रिकेटरों को गिरफ्तार किया।
  • अपर्याप्त व्यावसायीकरण: कई भारतीय खेल संगठनों, विशेष रूप से शासी निकायों ने व्यावसायिक और पेशेवर क्षेत्र की संबद्ध चुनौतियों का मुक़ाबला करने के लिये संरचनात्मक अनुकूलन की स्थापना नहीं की है।
    • ये संगठन बढ़े हुए कार्यभार को संभालने के लिये कुशल पेशेवरों को कार्य नियुक्त करने के बजाय संगठन के कार्यकरण प्रबंधन के लिये अभी भी स्वयंसेवकों पर निर्भर बने हुए हैं।
  • शौक बनाम पेशा: भारत में खेल को इसकी निम्न सफलता दर, शैक्षणिक दबाव और जॉब-सीकर मानसिकता के कारण मुख्यतः एक शौक के रूप में ही देखा जाता है, जिससे युवाओं के लिये खेल को एक पेशे के रूप में लेकर आगे बढ़ाना कठिन हो जाता है।
  • पर्याप्त अवसंरचना का अभाव: भारत में खेल अवसंरचना की स्थिति अभी भी वांछित स्तर तक नहीं पहुँच पाई है। यह देश में खेल की संस्कृति के विकास में बाधा उत्पन्न करती है।
    • भारत के संविधान के अनुसार खेल राज्य सूची का विषय है, इसलिये पूरे देश में एकसमान रूप से खेल अवसंरचना के विकास के लिये कोई व्यापक दृष्टिकोण मौजूद नहीं है।
  • प्रदर्शन बढ़ाने वाली दवाएँ: खेल क्षेत्र में प्रदर्शन बढ़ाने वाली दवाओं (Performance Enhancing Drugs) का उपयोग अभी भी एक बड़ी समस्या है। देश में राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी के निर्माण के बावजूद इस समस्या को अभी भी प्रभावी ढंग से संबोधित करने की आवश्यकता है ।

खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये सरकार की विभिन्न पहलें

  • फिट इंडिया मूवमेंट
  • खेलो इंडिया
  • SAI प्रशिक्षण केंद्र योजना
  • खेल प्रतिभा खोज पोर्टल
  • राष्ट्रीय खेल पुरस्कार योजना
  • टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना

आगे की राह

  • अवसंरचना में पर्याप्त निवेश: एक अग्रणी खेल राष्ट्र बनने के लिये भारत को सभी प्रमुख खेलों पर पर्याप्त ध्यान देने के अतिरिक्त विभिन्न खेल संस्थानों में खेल प्रशिक्षण, खेल चिकित्सा, अनुसंधान एवं विश्लेषण में सर्वोत्तम अंतर्राष्ट्रीय अभ्यासों के साथ एक आधुनिक अवसंरचना के निर्माण हेतु भारी निवेश करना होगा।
    • अवसंरचना की गुणवत्ता को ग्राम स्तर तक बढ़ाया जा सकता है और क्षेत्रीय केंद्र उन लोगों के लिये उपलब्ध कराये जाने चाहिये जो अपने खेल को पेशेवर रूप से आगे बढ़ाने के प्रति गंभीर हैं।
  • प्रभावी विधायी समर्थन: प्रबल कानून के अभाव में खेल प्राधिकरणों के कार्यों में कोई प्रभाव उत्पन्न नहीं होगा। इसके अलावा, पूर्ण राजनीतिक हस्तक्षेप की स्थिति भी हो सकती है जिसे आसानी से विसंगतियों को दूर करने वाले एक अच्छी तरह से तैयार किये गए कानून के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है।
  • शासन और प्रबंधन का पुनर्गठन: संसाधनों के उपयोग को अधिकतम करने के लिये भारतीय खेल क्षेत्र से संलग्न विभिन्न निकायों के बीच भूमिकाओं और उत्तरदायित्वों का उचित सीमांकन होना चाहिये और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि खेल की आवश्यकताओं की पूर्ति में कोई अंतराल न हो।
    • हालाँकि इसे संलग्न हितधारक क्षेत्रों के संयोजन में किये जाने की आवश्यकता है और यह तानाशाहीपूर्ण नहीं हो; इसके साथ ही रणनीतिक एवं प्रबंधन पदों पर पेशेवरों को शामिल किया जाना चाहिये।
    • प्रायोजनों/स्पांसरशिप, मीडिया अधिकारों और सरकारी वित्तपोषण के प्रबंधन के लिये पृथक कॉर्पोरेट कार्यसमूह के गठन से राजस्व प्रबंधन की ज़िम्मेदारी तय करने में मदद मिलेगी।
  • खेल जागरूकता पैदा करना: बच्चों के दैनिक जीवन में खेलों को शामिल करने से यह न केवल उनके आत्मविश्वास, आत्म-छवि और व्यक्तित्व को बढ़ावा देगा, बल्कि खेल में एक संभावित करियर के द्वार भी खोलेगा।
    • ऊर्ध्वगामी दृष्टिकोण: देश में खेल संस्कृति के निर्माण के लिये प्राथमिक शिक्षा स्तर से परिवर्तन की शुरुआत करनी होगी।
      (i) बच्चों के समग्र विकास में खेलों को समान महत्त्व देने के लिये शिक्षा प्रणाली में सुधार किया जाना चाहिये।
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FAQs on The Hindi Editorial Analysis - 30th July 2022 - Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

1. भारत में खेल शासन क्या है?
उत्तर: भारत में खेल शासन एक सरकारी नीति है जो खेलों के विकास, प्रशिक्षण, और प्रदर्शन को प्रोत्साहित करने के लिए बनाई गई है। इसका मुख्य उद्देश्य खेल को एक महत्वपूर्ण भूमिका में विकसित करना है जो स्वास्थ्य, सामाजिक समरसता, और देश के अभिनवता में मदद करता है।
2. भारत में खेल शासन के लक्ष्य क्या हैं?
उत्तर: भारत में खेल शासन के लक्ष्य निम्नलिखित हैं: - खेल के माध्यम से युवाओं की उन्नति और सामरिक क्षमता का विकास करना। - खेल इतिहास, राष्ट्रीय खेल धार्मिकता, और खेल योग्यता को प्रशंसा करना और बढ़ावा देना। - खेल विज्ञान, खेल चिकित्सा, और खेल व्यापार के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करना। - खेल के प्रतिभागियों की प्रतिष्ठा और उन्नति के लिए अवसर प्रदान करना। - खेल के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं की व्यवस्था करना।
3. भारत में खेल शासन के तहत कौन-कौन से योजनाएं हैं?
उत्तर: भारत में खेल शासन के तहत कई योजनाएं हैं, जैसे कि: - "खेल भारत" योजना - "खेल युवा" योजना - "खेल संगठन" योजना - "खेल विज्ञान" योजना - "खेल वित्त" योजना
4. खेल शासन कैसे खेल की सामरिक क्षमता को विकसित करता है?
उत्तर: खेल शासन खेल की सामरिक क्षमता को विकसित करने के लिए निम्नलिखित कार्रवाईयों को करता है: - खेल विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण और मार्गदर्शन के लिए सुविधाएं प्रदान करना। - खेल इंफ्रास्ट्रक्चर की विकास और सुविधाएं प्रदान करना। - खेल के लिए आवश्यक सामग्री, उपकरण, और सुविधाएं प्रदान करना। - खेलों के लिए प्रतियोगिताओं और खेल योजनाओं का आयोजन करना। - खेल कोचिंग और ट्रेनिंग कार्यक्रमों का आयोजन करना।
5. खेल शासन के तहत कौन-कौन से खेलों को प्रोत्साहित किया जाता है?
उत्तर: खेल शासन के तहत निम्नलिखित खेलों को प्रोत्साहित किया जाता है: - क्रिकेट - हॉकी - फुटबॉल - टेनिस - बैडमिंटन - अखाड़ा प्रतियोगिता - अंतरराष्ट्रीय खेल - पैरालंपिक खेल (Note: These FAQs and answers are created based on the given article title and may not reflect the actual content of the article. It is recommended to refer to the actual article for accurate information.)
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