UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly  >  Science and Technology (विज्ञान और प्रौद्योगिकी): November 2022 UPSC Current Affairs

Science and Technology (विज्ञान और प्रौद्योगिकी): November 2022 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly PDF Download

आर्टेमिस 1 हेतु तीसरा प्रयास

चर्चा में क्यों?
नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने 16 नवंबर, 2022 को अपने मानव रहित चंद्रमा मिशन आर्टेमिस I को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है।

  • दो महीनों में तकनीकी विफलताओं और प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुई देरी के बाद स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) रॉकेट को फ्लोरिडा के केप कैनावेरल में कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया है।

आर्टेमिस I मिशन

  • आर्टेमिस I नासा का मानव रहित मिशन है।
    • नासा के आर्टेमिस मिशन को चंद्र अन्वेषण की अगली पीढ़ी के रूप में जाना जाता है तथा इसका नाम ग्रीक पौराणिक कथाओं से अपोलो की जुड़वाँ बहन के नाम पर रखा गया है।
  • यह एजेंसी के स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) रॉकेट और ओरियन क्रू कैप्सूल का परीक्षण करेगा।
    • SLS वर्ष 1960 और 1970 के दशक में इस्तेमाल किये गए सैटर्न वी रॉकेट के बाद से नासा द्वारा बनाई गई सबसे बड़ी नई ऊर्ध्वाधर लॉन्च प्रणाली है।
    • आर्टेमिस I आने वाले दशकों में चंद्रमा पर दीर्घकालिक मानव उपस्थिति हेतु जटिल मिशनों की शृंखला में पहला मिशन होगा।
  • आर्टेमिस I का प्राथमिक लक्ष्य स्पेसफ्लाइट वातावरण में ओरियन के सिस्टम का प्रदर्शन करना है और आर्टेमिस II के क्रू की पहली उड़ान से पूर्व सुरक्षित पुन: प्रवेश और पुनर्प्राप्ति सुनिश्चित करना है।
    • यह केवल एक चंद्र ऑर्बिटर मिशन है, अधिकांश ऑर्बिटर मिशनों के विपरीत इसका पृथ्वी पर वापस आने का लक्ष्य है।

आर्टेमिस I मिशन का महत्त्व

  • आर्टेमिस I उस नए अंतरिक्ष युग में पहला कदम है जो मनुष्यों को नई दुनिया में ले जाने, अन्य ग्रहों पर उतरने और रहने या शायद एलियंस से मिलने के वादे का पूरा करेगा।
  • यह जिन क्यूबसैट को ले जाएगा, वे विशिष्ट जाँच और प्रयोगों के लिये उपकरणों से लैस हैं, जिसमें पानी की खोज और हाइड्रोजन भी शामिल है इन्हें ऊर्जा के स्रोत के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
  • इसमें जीव विज्ञान संबंधी प्रयोग किये जाएंगे और ओरियन पर डमी 'यात्रियों' के माध्यम से मनुष्यों पर गहरे अंतरिक्ष वातावरण के प्रभाव की भी जाँच की जाएगी।

आगामी आर्टेमिस मिशन

  • आर्टेमिस II: 
    • इसे वर्ष 2024 में लॉन्च किया जाएगा। 
    • आर्टेमिस II में ओरियन पर एक चालक दल होगा जो यह पुष्टि करेगा कि अंतरिक्ष यान के सभी सिस्टम डिज़ाइन किये गए अनुसार काम करें जब इसमें मानव सवार होंगे। 
    • लेकिन आर्टेमिस II का प्रक्षेपण आर्टेमिस I के समान ही होगा। चार अंतरिक्ष यात्रियों का एक दल ओरियन पर सवार होगा क्योंकि यह और ICPS चंद्रमा की दिशा में जाने से पूर्व दो बार पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं। 
  • आर्टेमिस III: 
    • यह 2025 के लिये निर्धारित है और इसके माध्यम से अपोलो मिशन के बाद पहली बार अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर ले जाने की उम्मीद है। 

भारत के चंद्रमा अन्वेषण प्रयास

  • चंद्रयान 1:
    • चंद्रयान -1 चंद्रयान परियोजना के तहत चंद्रमा पर भारत का पहला मिशन था।
    • इसे अक्तूबर 2008 में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) SHAR, श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।
    • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 29 अगस्त, 2009 को चंद्रयान-1 के साथ संचार खो दिया।
  • चंद्रयान-2:
    • चंद्रयान-2 चंद्रमा पर भारत का दूसरा मिशन है और इसमें पूरी तरह से स्वदेशी ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) तथा रोवर (प्रज्ञान) का उपयोग करना शामिल हैं।
    • रोवर (प्रज्ञान) को विक्रम लैंडर के अंदर रखा गया है।
  • चंद्रयान-3:
    • इसरो ने हाल ही में भारत के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 की घोषणा की, जिसमें एक लैंडर और एक रोवर शामिल होगा।

DNA टेस्ट की बढ़ती मांग

चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने अदालती मामलों में डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) टेस्ट के बढ़ते उपयोग पर चिंता व्यक्त की है।

शामिल मुद्दे:

  • बड़ी संख्या में की गई शिकायतों में DNA परीक्षण की मांग की गई है। सरकारी प्रयोगशाला के अनुसार ऐसी मांगें सालाना लगभग 20% बढ़ रही हैं।
  • हालाँकि DNA प्रौद्योगिकी पर निर्भर 70 अन्य देशों की तुलना में भारतीय प्रयोगशालाओं द्वारा वार्षिक तौर पर किये जाने वाले 3,000- DNA परीक्षण महत्त्वहीन हैं, मांग में वृद्धि गोपनीयता और संभावित डेटा दुरुपयोग के संबंध में चिंता का विषय है।
  • न्याय के दायरे में DNA परीक्षण हमेशा से संदेहों के दायरे में रहा है, सत्य को उजागर करने के लिये यह एक लोकप्रिय आवश्यकता बना हुआ है चाहे वह किसी आपराधिक मामले के साक्ष्य के रूप में हो, वैवाहिक बेवफाई का दावा हो या पितृत्व को साबित करने और व्यक्तिगत गोपनीयता पर आत्म-अपराध एवं अतिक्रमण के जोखिम के रूप में हो।
  • यह न्याय की प्रक्रिया में सुधार के लिये प्रौद्योगिकी के विस्तार पर ध्यान देता है लेकिन यह लोगों की गोपनीयता का भी उल्लंघन करता है।
  • अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार के हिस्से के रूप में सर्वोच्च न्यायालय ने स्वीकार किया कि शारीरिक स्वायत्तता और निजता मौलिक अधिकार का हिस्सा हैं।

परिचय

  • डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) जटिल आणविक संरचना वाला एक कार्बनिक अणु है।
  • DNA अणु की किस्में मोनोमर न्यूक्लियोटाइड्स की एक लंबी शृंखला से बनी होती हैं। यह एक डबल हेलिक्स संरचना में व्यवस्थित है।
  • जेम्स वाटसन और फ्राँसिस क्रिक ने खोजा कि DNA एक डबल-हेलिक्स पॉलीमर है जिसे वर्ष 1953 में बनाया गया था।
  • यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जीवों की आनुवंशिक विशेषता के हस्तांतरण के लिये आवश्यक है।
  • DNA का अधिकांश भाग कोशिका के केंद्रक में पाया जाता है इसलिये इसे केंद्रीय DNA कहा जाता है।

DNA चार नाइट्रोजनी क्षारों से बने कोड के रूप में डेटा को स्टोर करता है।

  • प्यूरीन:
    • एडेनिन (A)
    • गुआनिन (G)
  • पाइरिमिडीन
    • साइटोसिन (C)
    • थाइमिन (T)
  • DNA परीक्षण का उपयोग
    • परित्यक्त माताओं और बच्चों से जुड़े मामलों की पहचान करने एवं उन्हें न्याय दिलाने के लिये DNA परीक्षण आवश्यक है।
    • यह नागरिक विवादों में भी अत्यधिक प्रभावी तकनीक है जब अदालत को रखरखाव के मुद्दे को निर्धारित करने और बच्चे के माता-पिता की पहचान करने की आवश्यकता होती है।

विगत मामलों में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थापित उदाहरण

  • सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वर्षों से स्थापित किये गए उदाहरण बताते हैं कि न्यायाधीश आनुवंशिक परीक्षणों के लिये "रोविंग इंक्वायरी" के रूप में आदेश नहीं दे सकते हैं (भबानी प्रसाद जेना, 2010 मामला)।
  • बनारसी दास वाद, 2005 में, यह माना गया कि DNA परीक्षण को पक्षकारों के हितों को संतुलित करना चाहिये। DNA परीक्षण उस स्थिति में नहीं किया जाना चाहिये यदि मामले को साबित करने के लिये अन्य भौतिक साक्ष्य उपलब्ध हों।
  • न्यायालय ने अशोक कुमार मामला, 2021 में अपने फैसले में कहा कि आनुवंशिक परीक्षण का आदेश देने से पहले अदालतों को "वैध उद्देश्यों की आनुपातिकता" पर विचार करना चाहिये।
  • के.एस. पुट्टस्वामी मामला (2017) में संविधान पीठ के फैसले ने पुष्टि की कि निजता का अधिकार जीवन के अधिकार (अनुच्छेद 21) का एक बुनियादी पहलू है, इसने निजता के तर्क को सुदृढ़ किया है।
  • एक महिला से जुड़े मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में फैसला सुनाया कि किसी को अपनी मर्जी के खिलाफ DNA टेस्ट कराने के लिये मजबूर करना उसके व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा।

KKNP हेतु रूस का उन्नत ईंधन विकल्प

चर्चा में क्यों?
हाल ही में रूसी राज्य के स्वामित्व वाली परमाणु ऊर्जा निगम रोसाटॉम ने तमिलनाडु के कुडनकुलम में भारत के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा केंद्र के लिये अधिक उन्नत ईंधन विकल्प की पेशकश की है।

  • यह अपने रिएक्टरों को ताज़ा ईंधन लोड करने के लिये रोके बिना दो साल के विस्तारित चक्र के लिये चलने में सहायता करेगा।

रूस द्वारा भारत को पेशकश

  • KKNPP रिएक्टरों में अद्यतन:
    • रोसाटॉम का परमाणु ईंधन प्रभाग, TVEL फ्यूल कंपनी कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना (Kudankulam Nuclear Power Project- KKNPP) में बिजली पैदा करने वाले दो VVER 1,000 मेगावाट रिएक्टरों के लिये TVS-2M ईंधन का वर्तमान आपूर्तिकर्त्ता है। इस ईंधन में 18 महीने का ईंधन चक्र होता है, जिसका अर्थ है कि रिएक्टर को प्रत्येक डेढ़ वर्ष में ताज़ा ईंधन लोड करने के लिये रोकना पड़ता है।
    • TVEL ने अब अधिक आधुनिक उन्नत प्रौद्योगिकी ईंधन (Advanced Technology Fuel- ATF) की पेशकश की है, जिसका ईंधन चक्र 24 महीने का है।
  • अद्यतन के लाभ:
    • यह अधिक दक्षता, रिएक्टर के लंबे समय तक संचालन के कारण अतिरिक्त बिजली उत्पादन और रूस से ताज़ा ईंधन खरीदने के लिये आवश्यक विदेशी मुद्रा की बड़ी बचत सुनिश्चित करेगी।

परमाणु ऊर्जा

  • परिचय:
    • परमाणु ऊर्जा, रिएक्टर में परमाणु विखंडने से जल को भाप में गर्म करने, टरबाइन को चालू करने और बिजली उत्पन्न करने से उत्पन्न होती है।
    • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के अंदर परमाणु रिएक्टर और उनके उपकरण विखंडन के माध्यम से गर्मी पैदा करने के लिये यूरेनियम-235 द्वारा सबसे अधिक ईंधन वाली शृंखला प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।
  • परमाणु ऊर्जा उत्पादन से उत्सर्जन:
    • परमाणु ऊर्जा शून्य-उत्सर्जन करती है। इसमें कोई ग्रीनहाउस गैस या वायु प्रदूषक नहीं होते।
  • भूमि उपयोग:
    • अमेरिकी सरकार के आँकड़ों के अनुसार, 1,000 मेगावाट क्षमता के परमाणु संयंत्र को इतनी ही क्षमता के पवन ऊर्जा संयंत्र या ‘विंड फार्म’ की तुलना में 360 गुना कम और सौर संयंत्रों की तुलना में 75 गुना कम भूमि की आवश्यकता होती है।

भारत के लिये महत्त्व

  • थोरियम की उपलब्धता:
    • भारत थोरियम नामक परमाणु ईंधन के नए संसाधन का अगुआ है, जिसे भविष्य का परमाणु ईंधन माना जाता है।
    • थोरियम की उपलब्धता के साथ भारत जीवाश्म ईंधन मुक्त राष्ट्र के सपने को साकार करने वाला पहला राष्ट्र बनने की क्षमता रखता है।
  • आयात बिलों में कटौती:
    • परमाणु ऊर्जा उत्पादन से राष्ट्र को सालाना लगभग 100 बिलियन डॉलर की बचत होगी जिसे हम पेट्रोलियम और कोयले के आयात पर खर्च करते हैं।
  • स्थिर और विश्वसनीय स्रोत:
    • विद्युत के सबसे हरित स्रोत निश्चित रूप से सौर एवं पवन हैं।
    • लेकिन अपने सभी लाभों के बावजूद सौर एवं पवन ऊर्जा स्थिर नहीं हैं और मौसम व धूप की स्थिति पर अत्यधिक निर्भर हैं।
    • दूसरी ओर परमाणु ऊर्जा अंतर्राष्ट्रीय उपस्थिति के साथ विश्वसनीय ऊर्जा का अपेक्षाकृत स्वच्छ, उच्च घनत्व वाला स्रोत प्रदान करती है।
  • परमाणु ऊर्जा संबंधी भारत की पहल:
    • भारत ने बिजली उत्पादन के उद्देश्य से परमाणु ऊर्जा के दोहन की संभावना का पता लगाने के लिये सचेत रूप से कदम आगे बढ़ाए हैं।
    • इस दिशा में होमी जहाँगीर भाभा द्वारा 1950 के दशक में एक तीन चरणीय परमाणु उर्जा कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई।
    • भारतीय परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों में दो प्राकृतिक रूप से उपलब्ध तत्त्वों यूरेनियम और थोरियम को परमाणु ईंधन के रूप में उपयोग करने के निर्धारित उद्देश्यों के साथ परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 को तैयार एवं कार्यान्वित किया गया।
    • दिसंबर 2021 में भारत सरकार ने संसद को बताया कि 10 स्वदेशी ‘दाबित भारी जल रिएक्टरों (Pressurised Heavy Water Reactors- PHWRs) का निर्माण किया जा रहा है जिन्हें फ्लीट मोड में स्थापित किया जाएगा, जबकि 28 अतिरिक्त रिएक्टरों के लिये सैद्धांतिक अनुमोदन प्रदान कर दिया गया है जिनमें से 24 रिएक्टर फ्राँस, अमेरिका और रूस से आयात किये जाएंगे।
    • हाल ही में केंद्र ने महाराष्ट्र के जैतापुर में छह परमाणु ऊर्जा रिएक्टर स्थापित करने के लिये सैद्धांतिक (प्रथम चरण) मंज़ूरी प्रदान की है।
    • जैतापुर संयंत्र विश्व का सबसे शक्तिशाली परमाणु ऊर्जा संयंत्र होगा।
    • यहाँ 6 गीगावाट की स्थापित क्षमता वाले छह अत्याधुनिक इवोल्यूशनरी पावर रिएक्टर (EPRs) होंगे जो निम्न-कार्बन वाली बिजली का उत्पादन करेंगे।
    • ये छह परमाणु ऊर्जा रिएक्टर (जिनमें प्रत्येक की क्षमता 1,650 मेगावाट होगी) फ्राँस के तकनीकी सहयोग से स्थापित किये जाएंगे।

भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्र
वर्तमान में भारत में 22 प्रचालनरत परमाणु ऊर्जा रिएक्टर हैं, जिनकी क्षमता 6780 मेगावाट विद्युत (MWe) है।

  • तारापुर परमाणु ऊर्जा स्टेशन (TAPS), महाराष्ट्र में 4 इकाइयाँ
  • राजस्थान परमाणु ऊर्जा स्टेशन (RAPS), राजस्थान में 6 इकाइयाँ
  • मद्रास एटॉमिक पावर स्टेशन (MAPS), तमिलनाडु में 2 इकाइयाँ
  • कैगा जनरेटिंग स्टेशन (KGS), कर्नाटक में 4 इकाइयाँ
  • कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा स्टेशन (KKNPS), तमिलनाडु में 2 इकाइयाँ
  • नरोरा परमाणु ऊर्जा स्टेशन (NAPS), उत्तर प्रदेश में 2 इकाइयाँ
  • काकरापार परमाणु ऊर्जा स्टेशन (KAPS), गुजरात में 2 इकाइयाँ
  • इनमें से 18 रिएक्टर दाबित भारी जल रिएक्टर (PHWRs) हैं और 4 हल्के जल रिएक्टर (LWRs) हैं।
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