उपर्युक्त वाक्यों से स्पष्ट होता है कि यहाँ दो या दो से अधिक पद बिना कारक-चिह्नों के ही आपस में जुड़ गए हैं। समस्त-पद समास रचना में दो या दो से अधिक पद होते हैं। पहले पद को “पूर्व पद” कहते हैं और दूसरे पद को “उत्तर पद” कहते हैं। इन दोनों पदों के मेल से एक नया शब्द बनता है जिसे “समस्त पद” कहते हैं।
जैसे: “माता-पिता”, समस्त पद का विग्रह है, माता और पिता।
जैसे: यथाशक्ति, प्रतिदिन, आजन्म आदि। अव्ययीभाव समास से बने शब्द अव्यय होते हैं।
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Test: पद परिचय - 1
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जैसे: देवपुत्र। देवता का पुत्र। यहाँ अंतिम पद प्रधान है। तत्पुरुष समास में समस्त पदों के लिंग और वचन अंतिम पद के अनुसार ही होते हैं।
तत्पुरुष समास के भेद
कारकों की विभक्तियों के आधार पर तत्पुरुष समास के छह भेद किए गए हैं।
1. कर्म तत्पुरुष (को-विभक्ति का लोप): जहाँ पूर्वपद में कर्मकारक की विभक्ति का लोप हो, वहाँ कर्म तत्पुरुष होता है।
2. करण तत्पुरुष (से, के द्वारा विभक्ति का लोप): जहाँ पूर्व पक्ष में करण कारक की विभक्ति का लोप हो, वहाँ 'करण तत्पुरुष' होता है।
3. संप्रदान तत्पुरुष (को, के लिए विभक्ति का लोप): जहाँ समास के पूर्व पक्ष में संप्रदान की विभक्ति अर्थात् 'के लिए' का लोप होता है, वहाँ संप्रदान तत्पुरुष समास होता है।
4. अपादान तत्पुरुष (से, विभक्ति का लोप): जहाँ समास के पूर्व पक्ष में अपादान की विभक्ति अर्थात् ‘से' का भाव हो, वहाँ अपादान तत्पुरुष समास होता है।
5. संबंध तत्पुरुष (का, के, की विभक्ति का लोप): जहाँ समास के पूर्व पक्ष में संबंध तत्पुरुष की विभक्ति अर्थात् का, के, की का लोप हो, वहाँ संबंध तत्पुरुष समास होता है।
6. अधिकरण तत्पुरुष (में, पर-विभक्ति का लोप): जहाँ अधिकरण कारक की विभक्ति अर्थात् 'में', 'पर' का लोप होता है, वहाँ 'अधिकरण तत्पुरुष' समास होता है।
तत्पुरुष समास के उपभेद
तत्पुरुष समास के दो प्रमुख उपभेद हैं: कर्मधारय समास तथा द्विगु समास
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Chapter Notes: समास
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1. समास क्या है? | ![]() |
2. समास के कितने प्रकार होते हैं? | ![]() |
3. द्द्वन्द्व समास क्या होता है? | ![]() |
4. कर्मधारय समास के उदाहरण क्या हैं? | ![]() |
5. अव्ययीभाव समास का उपयोग कब किया जाता है? | ![]() |