UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly  >  The Hindi (हिन्दू) Editorial Analysis (Hindi): Jan 17, 2023

The Hindi (हिन्दू) Editorial Analysis (Hindi): Jan 17, 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

निर्यात बढ़ाने के लिए विपरीत शुल्क ढांचे को ठीक करने की आवश्यकता

संदर्भ:

  • यद्यपि भारत अपने कराधान को सरल बनाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन इसमें निहित विभिन्न जटिलताओं ने इन प्रयासों से प्राप्त होने वाले लाभों के प्रभावों को कम कर दिया है।
  • कुछ व्यावसायिक क्षेत्रों में विपरीत शुल्क संरचनाओं में उपस्थित कडापन, एक व्यापार के अनुकूल वातावरण के लिए परेशानी पैदा कर रहा है जिसे ठीक करने की आवश्यकता है।

मुख्य विशेषताएं:

  • विनिर्माण क्षेत्र में विदेशी निवेश के लिए भारत तेजी से एक पसंदीदा देश के रूप में उभर रहा है।
  • इस वित्त वर्ष में हमारा व्यापार संतुलन उम्मीद से अधिक तेल आयात बिल से प्रभावित हुआ है।
  • 2022-23 की दूसरी तिमाही में, भारत का चालू खाता घाटा जीडीपी के 4.4% तक पहुंच गया, जो नौ साल का उच्चतम स्तर है।
  • भारत 1.4 अरब लोगों का देश है जिसमें एक बढ़ता मध्यम वर्ग है।
  • ऊपरी तौर पर, देश अप्रयुक्त विकास क्षमता प्रस्तुत करता है।

विपरीत शुल्क संरचना और उनके प्रभाव:

  • जब अंतिम उत्पाद पर लगा कर, इनपुट पर लगाए गए करों की तुलना में कम होता है, तो एक उलटा इनपुट टैक्स क्रेडिट जमा हो जाता है जिसे अधिकांश मामलों में सरकार द्वारा वापस किया जाना होता है।
  • घरेलू विनिर्माण में, उत्पादन के प्रत्येक चरण में जोड़े गए मूल्य पर लगाया गया शुल्क -
  • यह बिक्री प्राप्ति से पहले ही एक निर्माता के कर बोझ को बढ़ा सकता है; और उल्टे इनपुट टैक्स के जादातर मामलों में, रिफंड प्रतीक्षा में अवरुद्ध पूंजी चिंता पैदा करती है।
  • व्यापार के मोर्चे पर, इस तरह की असंगत दर वाली संरचनाएं उनके सबसे बुरे प्रभावों को प्रकट करती हैं।
  • तैयार माल की तुलना में मध्यवर्ती वस्तुओं पर उच्च आयात शुल्क, घरेलू/स्थानीय संयंत्रों में उपयोग के लिए एक बाधा है, खासकर यदि उन्हें वैश्विक आपूर्ति नेटवर्क में बढ़ना है, जिसमें आम तौर पर सीमाओं के पार बनाए गए विभिन्न अन्य अवरोध शामिल होते हैं और वैश्विक बाजारों में अंतिम प्रतिस्पर्धी बढ़त के लिए इनपुट पर विशेष रूप से कम टैरिफ की आवश्यकता होती है।

भारत में व्यापार और विनिर्माण से संबंधित अन्य चिंताएं:

  • भारी टैरिफ, पुराने श्रम कानून, कमजोर नीतिगत ढांचे और नियामक अनिश्चितता ने एक अपरिचित क्षेत्र में प्रतिकूल विकास स्थितियों को बढ़ाया है।
  • एक और चिंता की बात है कि, रिश्वतखोरी और संघर्ष के बिना, स्पष्ट स्वामित्व वाली भूमि का अधिग्रहण करना मुश्किल होता है, जिसे सामान्य कानूनी विधि से हो जाना चाहिए
  • बहुत बार, भूमि और परियोजना अनुमोदन महीनों तक अधर में होते हैं।
  • उदाहरण के लिए, पूर्वव्यापी कराधान(Retrospective taxation), विदेशी विवाद निपटान में अस्वीकृति और दूरसंचार में राजस्व-साझाकरण अव्यवस्था ने इसकी स्थिति में और बुरा प्रभाव जोड़ा है।
  • भारत द्वारा तेजी से विकसित हो रही प्रौद्योगिकी को धीमी गति से अपनाना और कुशल श्रम और नवाचार की कमी को बाधाओं के रूप में देखा जाता है।
  • वैश्विक कंपनियां भारत जैसे उभरते बाजारों (जो अभी तक परिष्कृत प्रौद्योगिकी पर पकड़ नहीं बना पाए हैं)की तुलना में उन्नत और अधिक लाभदायक बाजारों की ओर निवेश को फिर से आवंटित कर रही हैं।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

  • हाल के वर्षों में, सरकार ने नए उद्यमों के लिए करों में कटौती की है, विनिर्माताओं के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहनों की पेशकश की है, लालफीताशाही को कम करने की मांग की है और निर्यातकों के लिए कर छूट को आसान बनाया है।
  • हाल ही में शुरू की गई उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत, सरकार ने पांच वर्षों के लिए फार्मास्यूटिकल्स, मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक घटकों के निर्माण सहित 13 क्षेत्रों को 1.97 लाख करोड़ रुपये आवंटित करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।

आगे की राह :

  • विभिन्न हितधारक निकायों ने विपरीत शुल्क संरचना की विसंगति को ठीक करने के लिए सरकार को सिफारिशें की थीं, जिसके परिणामस्वरूप इनपुट टैक्स क्रेडिट सिस्टम बनाया गया जिसने व्यवसायों के लिए महत्वपूर्ण कार्यशील पूंजी को अवरुद्ध कर दिया।
  • जैसा कि व्यापक उद्देश्य भारत में निर्माण किए गए सभी वस्तुओं की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सहायता करना होना चाहिए, इस लिए सुधारों को अंतिम उत्पाद बनाने की बाधाओं को बढ़ाने के बजाय इनपुट टैरिफ को कम करने पर ध्यान देना चाहिए।
  • हालाकि पहला एक निर्माता के लागत आधार को कम करता है, दूसरा आयात प्रतिस्पर्धा से सुरक्षा प्रदान करता है, यह एक नीतिगत उपकरण जो एक क्षेत्र को बाहर के बजाय अंदर की ओर उन्मुख करने के लिए झुका सकता है, जैसा कि हमने अपनी बंद अर्थव्यवस्था के दिनों में देखा था।
  • जैसा कि वैश्विक स्तर पर निर्माण करना आज कई बाधाओं से घिरा है, इस कारण आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ एकीकरण के लिए न केवल उन सभी वस्तुओं पर न्यूनतम करों की आवश्यकता होगी जो लागत कम रखने के लिए इनपुट के रूप में काम कर सकते हैं, बल्कि यह भी स्वीकार करना होगा कि ये नहीं बढ़ेंगे।
  • जैसा कि एक परिदृश्य एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भिन्न होता है, और विभिन्न मुक्त-व्यापार समझौतों में जटिल रेट गैप होते हैं, इस कारण करों का ब्रॉड-स्वीप कम करना खुद ही टैक्स इन्वर्जन को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है।
  • व्यापार नीति पर मतभेद को जल्द ही हल किया जाना चाहिए, क्योंकि भारत को अपने चीन-प्लस-वन अवसरों को पकड़ने, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला विविधताओं को आकर्षित करने और देश को विनिर्माण केंद्र के रूप में पेश करने का समय आ गया है।
  • हमारे निर्यात को बढ़ाने के लिए, हमें घरेलू इकाइयों पर कोई अनावश्यक बोझ नहीं डालना चाहिए जो वैश्विक बाजारों में उनकी बढ़त को कम करता है।
  • 2023-24 के बजट में न केवल टैरिफ को संशोधित किया जाना चाहिए, बल्कि इसके परिवर्तनों को भी स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए।
  • बदलाव को आधिकारिक दस्तावेजों के चक्रव्यूह में उलझाना नहीं चाहिए, जिसके लिए अन्य संदर्भों को देखने की आवश्यकता होती है। इसके बजाय, उन्हें सरल रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष :

  • नीति निर्माता भारत को दुनिया के लिए एक कारखाने के रूप में स्थापित करने के इच्छुक हैं। लेकिन यह अभी भी एक तीव्र महत्वाकांक्षा है, और इसे प्राप्त करने के लिए अच्छी तरह से नीति संरेखण की आवश्यकता होगी।

 

The document The Hindi (हिन्दू) Editorial Analysis (Hindi): Jan 17, 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC is a part of the UPSC Course Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly.
All you need of UPSC at this link: UPSC
2218 docs|810 tests

Top Courses for UPSC

2218 docs|810 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Free

,

2023 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

2023 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Previous Year Questions with Solutions

,

video lectures

,

study material

,

2023 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Viva Questions

,

The Hindi (हिन्दू) Editorial Analysis (Hindi): Jan 17

,

ppt

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

Extra Questions

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

Sample Paper

,

The Hindi (हिन्दू) Editorial Analysis (Hindi): Jan 17

,

Objective type Questions

,

Important questions

,

practice quizzes

,

past year papers

,

mock tests for examination

,

shortcuts and tricks

,

pdf

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

Summary

,

The Hindi (हिन्दू) Editorial Analysis (Hindi): Jan 17

,

MCQs

,

Exam

,

Semester Notes

;