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ईश्वर से अनुराग (Devotional Paths to the Divine) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - CTET & State TET PDF Download

फिर से याद करें

प्रश्न.1. निम्नलिखित में मेल बैठाएँ :

ईश्वर से अनुराग (Devotional Paths to the Divine) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - CTET & State TET

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प्रश्न.2. रिक्त स्थान की पूर्ति करें :
(क) शंकर _________ के समर्थक थे।
(ख) रामानुज _________ के द्वारा प्रभावित हुए थे।
(ग)  _________  ,  _________ और _________ वीरशैव मत के समर्थक थे।
(घ)  _________ महाराष्ट्र में भक्ति परंपरा का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र था।

(क) अद्वैत
(ख) अलवार
(ग) वसवन्ना,अल्लामा-प्रभु,अक्कमहादेवी
(घ) पंढरपुर।


प्रश्न.3. नाथपंथियों, सिद्धों और योगियों के विश्वासों और आचार-व्यवहारों का वर्णन करें।

नामपंथी, सिद्ध और योगी इस काल में अनेक ऐसे धार्मिक समूह उभरे, जिन्होंने साधारण तर्क-वितर्क का सहारा लेकर रूढ़िवादी धर्म के कर्मकांडों और अन्य बनावटी पहलुओं तथा समाज-व्यवस्था की आलोचना की है। उनमें नामपंथी, सिद्धाचार और योगी जन उल्लेखनीय हैं। उन्होंने संसार का त्याग करने का समर्थन किया। उनके विचार से निराकार परम सत्य का चिन्तन-मनन और उसके साथ एक हो जाने की अनुभूति ही मोक्ष का मार्ग है। इसके लिए उन्होंने योगासन, प्राणायाम और चिन्तन-मनन जैसी क्रियाओं के माध्यम से मन एवं शरीर को कठोर प्रशिक्षण देने की आवश्यकता पर बल दिया। उनके द्वारा की गई रूढ़िवादी धर्म की आलोचना ने भक्तिमार्गीय धर्म के लिए आधार तैयार किया, जो आगे चलकर उत्तरी भारत में लोकप्रिय शक्ति बना।


प्रश्न.4. कबीर द्वारा अभिव्यक्त प्रमुख विचार क्या-क्या थे ? उन्होंने इन विचारों को कैसे अभिव्यक्त किया ?

कबीर द्वारा अभिव्यक्त प्रमुख विचार:
(i) कबीर निराकार परमेश्वर में विश्वास करते थे।
(ii) भक्ति के माध्यम से ही मोक्ष यानी मुक्ति प्राप्त हो सकती है।
(iii) हिन्दू और इस्लाम धर्म में व्याप्त कुरीतियों की आलोचना की।
(iv) प्रत्येक व्यक्ति को ईश्वर के प्रति प्रेम-भाव रखना चाहिए।
(v) हिंदू और मुसलमान एक ही ईश्वर की संतान हैं।
(vi) धर्मों का अंतर अथवा भेदभाव मानव द्वारा बनाया गया है। आइए समझें।


प्रश्न.5. सूफियों के प्रमुख आचार-व्यवहार क्या थे ?

सूफी पंथ के आचार-विचार:
(i) सूफी पंथ धर्म के बाहरी आडम्बरों को अस्वीकार करते हुए ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति तथा सभी मनुष्यों के प्रति दयाभाव रखने पर बल देते थे।
(ii) सूफी संत ईश्वर के साथ ठीक उसी प्रकार जुड़े रहना चाहते थे, जिस प्रकार एक प्रेमी दुनिया की। परवाह किए बिना अपनी प्रियतम के साथ जुड़े रहना चाहता है।
(iii) ईश्वर एक है, उसे प्रेम-साधना और भक्ति द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।


प्रश्न.6. आपके विचार से बहुत-से गुरुओं ने उस समय प्रचलित धार्मिक विश्वासों तथा प्रथाओं को अस्वीकार क्यों किया?

बहुत से गुरुओं ने उस समय प्रचलित धार्मिक विश्वासों तथा प्रथाओं को निम्न कारणों से अस्वीकार कर दिया:
(i) प्राचीनकाल से चले आ रहे ऐसे धार्मिक कर्मकांड जिसमें कई तरह की कुरीतियाँ व्याप्त हो गई थीं।
(ii) प्राचीन काल से चली आ रही धार्मिक रीति-रिवाज एवं प्रथाओं में काफी जटिलताएँ आ गई थीं।
(iii) उस समय प्रचलित धार्मिक विश्वास तथा प्रथाएँ समानता पर आधारित नहीं थीं। कई वर्गों के साथ काफी भेदभाव किया जाता था।


प्रश्न.7. बाबा गुरुनानक की प्रमुख शिक्षाएँ क्या थीं ?

बाबा गुरुनानक की प्रमुख शिक्षाएँ निम्न हैं:
(i) एक ईश्वर की उपासना करनी चाहिए।
(ii) जाति-पाति और लिंग-भेद की भावना से दूर रहना चाहिए।
(iii) ईश्वर की उपासना करनी चाहिए, दूसरों का भला करना चाहिए तथा अच्छे आचार-विचार अपनाने चाहिए।
(iv) उनके उपदेशों को नाम-जपना, कीर्तन करना और वंड-छकना के रूप में याद किया जाता है।

आइए विचार करें

प्रश्न.8. जाति के प्रति वीरशैवों अथवा महाराष्ट्र के संतों का दृष्टिकोण कैसा था ? चर्चा करें।

जाति के प्रति वीरशैवों के विचार – वीरशैवों ने सभी प्राणियों की समानता के पक्ष में और जाति तथा नारी के प्रति व्यवहार के बारे में ब्राह्मणवादी विचारधारा के विरुद्ध अपने प्रबल तर्क प्रस्तुत किए। इसके अलावा वे सभी प्रकार के कर्मकांडों और मूर्तिपूजा के विरोधी थे।
जाति के प्रति महाराष्ट्र के संतों के विचार – महाराष्ट्र के संतों में जणेश्वर, नामदेव, एकनाथ और तुकाराम आदि महत्त्वपूर्ण थे। इन संतों ने सभी प्रकार के कर्मकांडों, पवित्रता के ढोंगों और जन्म पर आधारित सामाजिक अंतरों का विरोध किया।


प्रश्न.9. आपके विचार से जनसाधारण ने मीरा की याद को क्यों सुरक्षित रखा?

हमारे विचार से जनसाधारण ने मीराबाई की याद को निम्न कारणों से सुरक्षित रखा:
(i) मीराबाई एक राजपूत राजकुमारी थीं और उसका विवाह मेवाड़ के राजपरिवार में हुआ था, फिर भी उन्होंने रविदास जो अस्पृश्य जाति से संबंधित थे, को अपना गुरु बनाया।
(ii) उन्होंने भगवान कृष्ण की उपासना में अपने-आप को समर्पित कर दिया था। उन्होंने अपने गहरे भक्ति-भाव को कई भजनों में अभिव्यक्त किया है।
(iii) उनके गीतों ने उच्च जातियों के रीतियों-नियमों को खुली चुनौती दी तथा ये गीत राजस्थान व गुजरात के जनसाधारण में बहुत लोकप्रिय हुए।

आइए करके देखें

प्रश्न.10. पता लगाएँ कि क्या आपके आस-पास भक्ति परंपरा के संतों से जुड़ी हुई कोई दरगाह, गुरुद्वारा या मंदिर है। इनमें से किसी एक को देखने जाइए और बताइए कि वहाँ आपने क्या देखा और सुना।

हमारे आसपास भक्ति परम्परा से जुड़ा एक मंदिर है। उस मंदिर का नाम राधे श्याम मंदिर है। मैं मंदिर में शनिवार को गया था। मंदिर में बहुत सारे भगवान जी की प्रतिमाएँ देखी। मंदिर में रात का दृश्य बहुत ही सुंदर था। चारों तरफ लडियाँ लगाई गई थी। मंदिर में जैसे ही सभी लोग आने लगते है, आरती शुरू हो जाती है। किसी घर में से कुछ व्यक्ति अपने घर की सुख शांति के लिए पूजा कराने आए हुए थे। कुछ बच्चे खेल रहे थे। मैंने पंडित जी से मंदिर के इतिहास के बारे में भी पूछा। पंडित जी ने मुझे कहान सुनाई और यह मंदिर राधाकृष्ण जी की याद में और उनके प्रति भक्ति भाव दिखाने के लिए बनाया गया। इस मंदिर को बनाने में जो भी साहित्य कला, वास्तुकला और शैली का प्रयोग हुआ उन्होंने मुझे बताया। मैंने पंडित जी से आशीर्वाद लिया, सभी बातें अच्छे से सुनी और प्रसाद लेकर घर पे आ गया। आप स्वयं किसी मंदिर, दरगाह, गुरद्वारे जाइए, देखिए और इतिहास सुनिए।


प्रश्न.11. इस अध्याय में अनेक संत कवियों की रचनाओं के उद्धरण दिए गए हैं। उनकी कृतियों के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करें और उनकी उन कविताओं को नोट करें, जो यहाँ नहीं दी गई हैं। पता लगाएँ कि क्या ये गाई जाती हैं। यदि हाँ, तो कैसे गाई जाती हैं और कवियों ने इनमें किन विषयों पर लिखा था।

इस अध्याय में अनेक संतो के बारे में और उनकी रचनाओं के बारे में बताया गया है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण ज्ञानेश्वर, तुकाराम, एकनाथ और सूखाबाई के बारे में बताया गया है। इन संत कवियों ने सभी प्रकार के कर्मकाण्डों, पवित्रता के ढोंगो, और जन्म पर आधारित सामाजिक अंतरों का विरोध किया। ये सब कविताएं सब हर्षोल्लास से गाते भी और नाचते भी।
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प्रश्न.12. इस अध्याय में अनेक संत-कवियों के नामों का उल्लेख किया गया है, परंतु कुछ की रचनाओं को इस अध्याय में शामिल नहीं किया गया है। उस भाषा के बारे में कुछ और जानकारी प्राप्त करें, जिसमें ऐसे कवियों ने अपनी कृतियों की रचना की। क्या उनकी रचनाएँ गाई जाती थीं? उनकी रचनाओं का विषय क्या था?

कुछ संतो की रचनाएं पढ़ने सुनने के विषयों से जुड़ी हुई होती थी, तथा कुछ की गाने- नाचने से जुड़ी।

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