UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12)  >  NCERT Solutions: नात्सीवाद और हिटलर का उदय (Nazism and the Rise of Hitler)

नात्सीवाद और हिटलर का उदय (Nazism and the Rise of Hitler) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC PDF Download

प्रश्न.1. वाइमर गणराज्य के सामने क्या समस्याएँ थीं ?

प्रथम विश्व युद्ध के अंत में साम्राज्यवादी जर्मनी की हार के बाद सम्राट केजर विलियम द्वितीय अपनी जान बचाने के लिए हॉलैण्ड भाग गया। इस अवसर का लाभ उठाते हुए संसदीय दल वाइमर में मिले और नवंबर 1918 में वाइमर गणराज्य नाम से प्रसिद्ध एक गणराज्य की स्थापना की। इस गणराज्य को जर्मनों द्वारा अच्छी तरह से स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनों की हार के बाद मित्र सेनाओं ने इसे जर्मनों पर थोपा था।
वर्साय की मित्र देशों के साथ संधि बहुत कठोर एवं अपमानजनक थी। इस संधि के अनुसार जर्मनी ने अपने समुद्र पार के उपनिवेश, 13 प्रतिशत भू–भाग, 75 प्रतिशत लौह भंडार, 26 प्रतिशत कोयला भंडार फ्रांस, पोलैण्ड, डेनमार्क और लिथुआनिया के हवाले करने पड़े। मित्र शक्तियों ने जर्मनी की शक्तियां कम करने के लिए उसकी सेना भंग कर दी। इसलिए इस लोकतंत्र की बदनामी हुई और प्रारंभ से ही यह अपने ही लोगों में अलोकप्रिय हो गया। बहुत से जर्मनवासियों ने नए लोकतंत्र को ही युद्ध में पराजय तथा वर्साय में अपमान का जिम्मेदार माना।
वाइमर गणराज्य का समर्थन करने वाले लोग जैसे समाजवादी, कैथोलिक, डेमोक्रेट आदि इसकी कमजोर स्थिति के कारण कन्जरवेटिव नेशनलिस्ट सर्कल का आसान निशाना बन गए।
जर्मनी ने युद्ध बड़े स्तर पर ऋण लेकर लड़ा था और उसे युद्ध का हरजाना सोने के रूप में देना पड़ा। जर्जर सोने के भंडारों, संसाधनों की कमी तथा लाचार आर्थिक हालात के चलते वाइमर गणतंत्र हर्जाना दे पाने की स्थिति में नहीं रह गया था। इस हालात में नवजात गणतंत्र को इसके पड़ोसी देशों के विरोध का सामना करना पड़ रहा था क्योंकि उन्होंने इसके अग्रणी औद्योगिक क्षेत्र रूर के कोयला भंडारों पर कब्जा कर लिया था।
जर्मनी में चारों ओर तबाही, भुखमरी और निराशा व्याप्त थी। देश अति-महंगाई के दौर से गुजर रहा था और गणराज्य लोगों की आर्थिक समस्याओं का समाधान करने में विफल रहा। इस सबसे भी अधिक यह था कि 1929-1933 के बीच के आर्थिक संकट से जर्मन अर्थव्यवस्था पर सबसे गहरी मार पड़ी।


प्रश्न.2. इस बारे में चर्चा कीजिए कि 1930 तक आते-आते जर्मनी में नात्सीवाद को लोकप्रियता क्यों मिलने लगी ?

जर्मनी में नाजीवाद की लोकप्रियता के मुख्य कारण इस प्रकार थे :
(i) वर्साय की संधि : प्रथम विश्व युद्ध में हार के बाद जर्मनी को वर्साय में शांति संधि पर हस्ताक्षर करने पड़े। यह संधि जर्मनों के लिए इतनी कठोर तथा अपमानजनक थी जिसे वे अपने दिल से स्वीकार नहीं कर सकते थे और अंततः इसने जर्मनी में हिटलर के नाजीवाद को जन्म दिया। जर्मनी के लोग हिटलर को जर्मनी की खोई हुई प्रतिष्ठा पुनः दिलाने वाले प्रतीक के रूप में देखते थे।
(ii) आर्थिक संकट : 1929-1933 के बीच के वैश्विक आर्थिक संकट से जर्मन अर्थव्यवस्था पर सबसे गहरी मार पड़ी। देश अति मुद्रास्फीति के दौर से गुजर रहा था। इस समय के दौरान नाजीवाद जनआंदोलन बन गया। नाजी प्रोपेगेंडा ने बेहतर भविष्य की आशा जगाई।
(iii) राजनैतिक उथल-पुथल : जर्मनी में बहुत से राजनैतिक दल थे जैसे राष्ट्रवादी, राजभक्त, कम्युनिस्ट, सामाजिक लोकतंत्रवादी आदि। यद्यपि लोकतंत्रात्मक सरकार में इनमे से कोई भी बहुमत में नहीं था। दलों में मतभेद अपने चरम पर थे। इसने सरकार को कमजोर कर दिया और अततः नाजियों को सत्ता हथियाने का अवसर दे दिया।
(iv) जर्मनों को लोकतंत्र में बिल्कुल विश्वास नहीं था : प्रथम विश्व युद्ध के अंत में जर्मनी की हार के बाद जर्मनों का संसदीय संस्थाओं में कोई विश्वास नहीं था। उस समय जर्मनी में लोकतंत्र एक नया व भंगुर विचार था। लोग स्वाधीनता व आजादी की अपेक्षा प्रतिष्ठा और यश को प्राथमिकता देते थे। उन्होंने खुले दिल से हिटलर का साथ दिया क्योंकि उसमें उनके सपने पूरे करने की योग्यता थी।
(v) वाइमर गणराज्य की विफलता : प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की हार तथा व्रर्साय की संधि के बाद पूरे जर्मनी में भ्रम व्याप्त था। वाइमर गणराज्य देश के आर्थिक संकट का हल निकालने में असमर्थ रहा। इसने नाजियों को अपने पक्ष में अभियान चलाने का एक सुनहरा मौका प्रदान किया।
(vi) हिटलर का व्यक्तित्व : हिटलर एक जबर्दस्त वक्ता, एक योग्य संगठक, उपायकुशल एवं काम करने वाला था। वह अपने जोश भरे शब्दों से जनता को अपने पक्ष में कर लेता था। उसने एक शक्तिशाली राष्ट्र का गठन करने, वर्साय की संधि के अन्याय का बदला लेने और जर्मनों की खोई प्रतिष्ठा वापस दिलाने का वादा किया। वास्तव में उसके व्यक्तित्व तथा कार्यों ने जर्मनी में नाजीवाद की लोकप्रियता में बहुत योगदान दिया।


प्रश्न.3. नात्सी सोच के खास पहलू कौन-से थे ?

नात्सी सोच के खास पहलू इस प्रकार थे :
(i) नाजियों की दृष्टि में देश सर्वोपरि है। सभी शक्तियाँ देश में निहित होनी चाहिएं। लोग देश के लिए हैं न कि देश लोगों के लिए।
(ii) नाजी सोच सभी प्रकार की संसदीय संस्थाओं को समाप्त करने के पक्ष में थी और एक महान नेता के शासन में विश्वास रखती थी।
(iii) यह सभी प्रकार के दल निर्माण व विपक्ष के दमन और उदारवाद, समाजवाद एवं कम्युनिस्ट विचारधाराओं के उन्मूलन की पक्षधर थी।
(iv) इसने यहूदियों के प्रति घृणा का प्रचार किया क्योंकि इनका मानना था कि जर्मनों की आर्थिक विपदा के लिए यही लोग जिम्मेदार थे।
(v) नाजी दल जर्मनी को अन्य सभी देशों से श्रेष्ठ मानता था और पूरे विश्व पर जर्मनी का प्रभाव जमाना चाहता था।
(vi) इसने युद्ध की सराहना की तथा बल प्रयोग का यशोगान किया।
(vii) इसने जर्मनी के साम्राज्य विस्तार और उन सभी उपनिवेशों को जीतने पर ध्यान केन्द्रित किया जो उससे छीन लिए गए थे।
(viii) ये लोग ‘शुद्ध जर्मनों एवं स्वस्थ नोर्डिक आर्यों के नस्लवादी राष्ट्र का सपना देखते थे और उन सभी का खात्मा चाहते थे जिन्हें वे अवांछित मानते थे।


प्रश्न.4. नात्सियों का प्रोपेगैंडा यहूदियों के खिलाफ नफरत पैदा करने में इतना असरदार कैसे रहा ?

1933 ई0 में तानाशाह बनने के बाद हिटलर ने सभी शक्तियों को कब्जा लिया। उसने एक शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार का गठन किया। उसने लोकतंत्र का ध्वंस कर दिया। उसके प्रशासन का आधार एक दल, एक नेता और पूर्णतः अनुशासित प्रशासन था। हिटलर ने यहूदियों के विरुद्ध विद्वेषपूर्ण प्रोपेगेन्डा । शुरू किया जो यहूदियों के प्रति घृणा पैदा करने में सफल साबित हुआ। यहूदियों के खिलाफ नाजियों के प्रोपगैंडे के सफल होने के कुछ कारण इस प्रकार हैं :
(i) हिटलर ने उन जर्मन लागों के दिमाग में पहले ही स्थान बना लिया था जो उसे अपना मसीहा मानने लगे थे। वे हिटलर द्वारा कही गई बातों पर विश्वास करते थे। इस प्रकार, हिटलर के चमत्कारी व्यक्तित्व के कारण यहूदियों के विरुद्ध नाजी प्रोपगैंडा सफल साबित हुआ।
(ii) ईसा की हत्या के अभियुक्त होने के कारण इसाइयों की यहूदियों के प्रति पारंपरिक घृणी का नाजियों ने पूरा लाभ उठाया जिससे जर्मन यहूदियों के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो गए।
(iii) नाजियों ने भाषा और मीडिया का बहुत सावधानी से प्रयोग किया। नाजियों ने एक नस्लवादी विचारधारा को जन्म दिया कि यहूदी निचले स्तर की नस्ल से संबंधित थे और इस प्रकार वे अवांछित थे।
(iv) नाजियों ने प्रारंभ से उनके स्कूल के दिनों में ही बच्चों के दिमागों में भी यहूदियों के प्रति नफरत भर दी। जो अध्यापक यहूदी थे उन्हें बर्खास्त कर दिया गया और यहूदी बच्चों को स्कूलों से। निकाल दिया गया। इस प्रकार के तरीकों एवं नई विचारधारा के प्रशिक्षण ने नई पीढी के बच्चों में यहूदियों के प्रति नफरत फैलाने और नाजी प्रोपेगेन्डा को सफल बनाने में पूर्णतः सफलता प्राप्त की।
(v) यहूदियों के प्रति नफरत फैलाने के लिए प्रोपेगेन्डा फिल्मों का निर्माण किया गया। रूढीवादी यहूदियों की पहचान की गई एवं उन्हें चिन्हित किया गया। उन्हें उड़ती हुई दाढी और कफ्तान पहने दिखाया जाता था।
(vi) उन्हें केंचुआ, चूहा और कीड़ा कह कर संबोधित किया जाता था। उनकी चाल की तुलना कुतरने वाले छटुंदरी जीवों से की जाती थी।


प्रश्न.5. नात्सी समाज में औरतों की क्या भूमिका थी? फ्रांसीसी क्रांति के बारे में जानने के लिए अध्याय 1 देखें। फ्रांसीसी क्रांति और नात्सी शासन में औरतों की भूमिका के बीच क्या फर्क था ? एक पैराग्राफ में बताएँ

नाजी समाज में महिलाओं की भूमिका एक बड़े पैमाने पर पितृसत्तात्मक या पुरुष प्रधान समाज के नियमों का पालन करने की थी। हिटलर ने महिलाओं को उसके जर्मनी की सबसे महत्त्वपूर्ण नागरिक कहा था किन्तु यह केवल उन आर्य महिलाओं तक ही सच था जो शुद्ध एवं वांछित आर्य बच्चे पैदा करती थी। उन्हें अच्छी पत्नी बनने और पारंपरिक रूप से घर को संभालने व अच्छी पत्नी बनने के अतिरिक्त एकमात्र मातृत्व लक्ष्य की प्राप्ति की ही शिक्षा दी जाती थी।
नाजी जर्मनी में महिलाएं पुरुषों से मूलतः भिन्न थी। उन्हें अपने घर की देख-रेख करनी पड़ती और अपने बच्चों को नाजी मूल्य पढाने होते थे।
जो माताएं नस्ली तौर पर वांछित दिखने वाले बच्चों को जन्म देती उन्हें इनाम दिए जाते और कई प्रकार की सुविधाएं पाती। दूसरी और वे औरतें जो यहूदी, पोलिश और रूसी पुरुषों से शादी करके नस्ली तौर पर अवांछित दिखने वाले बच्चों को जन्म देती, उन्हें बुरी तरह दंडित किया जाता और ऐसा माना जाता जैसे कि उन्होंने कोई दंडनीय अपराध किया हो। इस प्रकार नाजी समाज में महिलाओं के साथ बराबरी का व्यवहार नहीं किया जाता था।
यह फ्रांसीसी क्रांति में महिलाओं की भूमिका के मुकाबले सर्वथा उलट था जहाँ महिलाओं ने आंदोलनों का नेतृत्व किया और शिक्षा एवं समान मजदूरी के अधिकार के लिए लड़ाई की। उन्हें राजनैतिक क्लब बनाने की अनुमति थी और फ्रांसीसी क्रांति के बाद उनका स्कूल जाना अनिवार्य कर दिया गया था।


प्रश्न.6. नात्सियों ने जनता पर पूरा नियंत्रण हासिल करने के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाए ?

1933 ई0 में तानाशाह बनने के बाद हिटलर ने सभी शक्तियों को कब्जा लिया। उसने एक शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार का गठन किया। उसने लोकतंत्र का ध्वंस कर दिया। उसके प्रशासन का आधार एक दले, एक नेता और पूर्णतः अनुशासित प्रशासन था। सभी विपक्षी दलों का कठोरता से दमन किया। गया। नाजी दल को छोड़कर बाकी सभी दलों पर रोक लगा दी गई। विपक्षी दलों के नेताओं की या तो हत्या कर दी गई या उन्हें जेल भेज दिया गया। वह अपने ही दल के उन लोगों को सजा देने में नहीं हिचकता था जो उसकी विचारधारा पर खरे नहीं उतरते थे।
जर्मनी एक पुलिसिया देश था। पूरे समाज को नात्सियों के हिसाब से नियंत्रित और व्यवस्थित करने के लिए विशेष सुरक्षा बलों जैसे कि स्टॉर्म टूपर्स या एसए के अलावा गेस्तापो (गुप्तचर राज्य पुलिस), (अपराध नियंत्रण पुलिस) एसएस (सुरक्षा बल) एसडी का भी गठन किया गया। हिटलर के जर्मन साम्राज्य की वजह से नात्सी राज्य को इतिहास में सबसे खुखार आपराधिक राज्य की छवि प्राप्त हुई। नाजियों ने जर्मनी की युद्ध में हार के लिए यहूदियों को जिम्मेदार ठहराया। यहूदी गतिविधियों पर कानूनी रूप से रोक लगा दी गई और उनमें से अधिकतर को या तो मार दिया गया या जर्मनी छोड़ने के लिए बाध्य किया गया।
मीडिया, पुस्तकों, थिएटरों, एवं शिक्षा आदि पर सरकार का पूरा नियंत्रण एवं निगरानी रखी जा रही थी। चित्रों, फिल्मों, रेडियो, पोस्टर, नारेबाजी और पैम्पलेटों के द्वारा नाजी विचारधारा का प्रचार किया जा रहा था। राष्ट्र के दुश्मनों को विशेष रूप से कमजोर एवं हीन (समाजवादी तथा उदारवादी) और छछंदर या हानिकारक कीट प्रजाति (यहूदियों को) के रूप में दिखाया जाता था। सरकार ने भाषा और मीडिया का द्विअर्थी दक्षता के साथ प्रयोग किया और मीडिया को राष्ट्रीय समर्थन एवं अंतराष्ट्रीय लोकप्रियता मिली।

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