प्रश्न.1. ब्रिटेन 1793 से 1815 तक कई युद्धों में लिप्त रहा। इसका ब्रिटेन के उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ा?
ब्रिटेन 1793 से 1815 ई० तक युद्धों में संलिप्त रहा। इस समयावधि में ब्रिटेन लगातार फ्रांस के महान सेनापति सम्राट नेपोलियन से जीवन और मरण के संघर्ष में फैसा रहा। इस समय लड़े गए भयंकर युद्धों का व्यापक प्रभाव ब्रिटेन के उद्योगों पर भी पड़ा, जो निम्नलिखित थे:
- युद्धों के परिणामस्वरूप देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई।
- यूरोप के साथ युद्धों के कारण उसका व्यापार वहाँ से अलग हो गया।
- व्यापारों के बन्द हो जाने का प्रभाव वहाँ की फैक्टिरियों पर भी पड़ा जिससे वे उद्योगधंधे व कारखाने शीघ्र ही बंद हो गए। उद्योगधंधों व कारखानों के बंद हो जाने की वजह से मजदूर विवश हो गए और बेरोजगारी के कारण वे भुखमरी के शिकार होने लगे।
- नेपोलियन बोनापार्ट की महाद्वीपीय व्यवस्था या आर्थिक बहिष्कार की नीति ने इंग्लैंड को आर्थिक संकट में फँसा दिया। वस्तुतः नेपोलियन इंग्लैंड के विदेशी व्यापार को समाप्त कर देना चाहता था।
- इंग्लैंड में रोटी तथा मांस की कीमतें आसमान छूने लगीं। साथ-साथ इंग्लैंड की मुद्रा का भी अवमूल्यन हुआ।
प्रश्न.2. नहर और रेलवे परिवहन के सापेक्षिक लाभ क्या-क्या हैं?
नहर तथा रेलवे परिवहन के सापेक्षिक लाभ निम्नलिखित हैं:
नहरों के सापेक्षिक लाभ:
- नहरों द्वारा खानों से कोयले और लोहे जैसे भारी पदार्थों को कारखानों तक ले जाना काफी सरल हो गया है।
- नहरों द्वारा माल का आयात व निर्यात सबसे सस्ता पड़ता था।
- बड़े-बड़े नगरों को जब इन नहरों से मिला दिया गया तो शहरवासियों को सस्ते परिवहन भी उपलब्ध हुए।
- अन्य साधनों की अपेक्षाकृत नहरों द्वारा की जाने वाली यात्रा में कम समय लगता था।
रेलवे परिवहन के सापेक्षिक लाभ:
- इंग्लैंड के औद्योगीकरण में रेलवे का काफी सराहनीय योगदान रहा है।
- रेल परिवहन से पूर्व यात्रियों को नहरों में यातायात के साधनों से यात्रा करते समय अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। उन्हें उन परेशानियों से छुटकारा मिल गया। रेल की गति नहर के यातायात की साधनों की अपेक्षा तीव्र थी और उस पर बाढ़, सूखे यो तूफान का प्रभाव नहीं पड़ता था।
- रेल संचार का सबसे सस्ता व सरल साधन है जिससे लोगों को यात्रा करने में आराम हो गया।
प्रश्न.3. इस अवधि में किए गए आविष्कारों की दिलचस्प विशेषताएँ क्या थीं?
1750 से 1850 में मध्य ब्रिटेन में अनेक आविष्कार हुए। दिलचस्प विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- इन आविष्कारों के फलस्वरूप वाणिज्यवाद और उपनिवेशवाद का प्रभाव बढ़ गया।
- इन आविष्कारों के कारण अनेक उद्योग जैसे लोहा तथा इस्पात उद्योग, कपड़ा उद्योग, जहाज निर्माण उद्योगों को काफी प्रोत्साहन मिला।
- इन आविष्कारों के लिए वैज्ञानिकों ने नहीं बल्कि साधारण लोगों ने प्रयास किए और वे अपने प्रयासों में सफल भी रहे।
- इन आविष्कारों एवं उपनिवेशवाद के कारण भौगोलिक खोजों और अंतर्राष्ट्रीय बाजारीकरण को बल मिला।
- कच्चे माल की प्राप्ति तथा तैयार माल की खपत के लिए इंग्लैंड को एक विस्तृत बाजार की आवश्यकता पड़ी। यह स्थिति नि:संदेह अधिकाधिक उपनिवेशों की स्थापना के लिए इंग्लैंड को प्रोत्साहित किया।
प्रश्न.4. बताइए कि ब्रिटेन के औद्योगीकरण के स्वरूप-कच्चे माल की आपूर्ति को क्या प्रभाव पड़ा?
विश्व के किसी भी औद्योगीकरण देश को अपने कारखाने को चलाने के लिए कच्चे माल की आवश्यकता होती है। यदि उस देश में कच्चे माल की कमी है तो उसकी आपूर्ति दूसरे देशों से मँगाकर की जाती है।
ब्रिटेन में लोहे व कोयले की खानें पर्याप्त मात्रा में थीं जिसके कारण उसके लिए लोहा और इस्पात से बनने वाली मशीनों के निर्माण में काफी मदद मिली। फलतः लौह उद्योग के क्षेत्र में वह अग्रणी देश बन गया।
वस्त्र उद्योग ब्रिटेन का दूसरा प्रमुख उद्योग था। उद्योग के लिए कच्चे माल के रूप में कपास की जरूरत थी। वैसे तो इंग्लैंड में उपनिवेशों के स्थापित होने से पूर्व भी कपड़ा बुनने का काम होता था, किंतु बहुत सीमित रूप से। उपनिवेशों के स्थापित होने के बाद इंग्लैंड को पर्याप्त मात्रा में कपास आसानी से उपलब्ध होने लगी। विशेष रूप से भारत से प्रतिवर्ष रुई की हज़ारों गाँठे इंग्लैंड पहुँचती थीं। हम यह भी कह सकते हैं कि इंग्लैंड के सूती वस्त्र उद्योग का अस्तित्त्व भारत से पहुँचने वाली रुई की गाँठों पर निर्भर था।
रेलवे निर्माण एवं जहाज निर्माण भी इंग्लैंड का एक महत्त्वपूर्ण उद्योग था। हालाँकि इन उद्योगों के लिए उत्तम कोटि की लकड़ी की आवश्यकता थी। उसे उत्तम कोटि की लकड़ी भारत तथा अमरीकी बस्तियों से मिलती थी। यदि इन दोनों स्थानों से उत्तम लकड़ी नहीं मिलती तो संभवतः जहाज निर्माण एवं रेलवे निर्माण उद्योग का उल्लेखनीय विकास न हो पाता।
अत: यह स्पष्ट हो जाता है कि ब्रिटेन के औद्योगिकीकरण के स्वरूप पर कच्चे माल की आपूर्ति का पर्याप्त प्रभाव हुआ।
प्रश्न.5. ब्रिटेन में स्त्रियों के भिन्न-भिन्न वर्गों के जीवन पर औद्योगिक क्रांति का क्या प्रभाव पड़ा?
ब्रिटेन में औद्योगिक क्रान्ति से पूर्व महिलाएँ खेतों के काम में सक्रिय रूप से सहयोग करती थीं। पशुओं का पालन-पोषण उन्हीं के द्वारा होता था। बच्चों की देखरेख व खाना पकाने का काम उन्हीं के हाथों संपन्न होता था। सूत कातना भी उन्हें आता। घर के खर्च के लिए स्त्रियों को मजदूरी भी करनी पड़ती थी। लेकिन औद्योगीकरण के कारण ब्रिटेन में पुरुष श्रमिकों के साथ स्त्रियों एवं बच्चों की भी हालत और ज्यादा खराब हो गई। उद्योगपति, स्त्रियों को पुरुषों की अपेक्षा शीघ्र काम पर रख लेते थे क्योंकि वे इतनी सशक्त नहीं होती थीं कि संगठन बनाकर उनके अत्याचारों व शोषणवादी प्रवृत्ति की खिलाफत कर सकें। वे इतनी सक्षम भी नहीं थीं कि वे हिसांत्मक रूप से आंदोलन भी कर सकें।
ब्रिटेन में औद्योगीकरण के कारण स्त्रियों को कारखानों में ज्यादा देर तक काम करने के फलस्वरूप उसका बुरा प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर पड़ा और स्त्रियों का गृहस्थ जीवन बर्बादी की कगार पर आ गया। वहीं दूसरी तरफ औद्योगीकरण के कारण संपन्न व उच्चवर्ग की स्त्रियों का जीवन और भी अधिक आनंदमय हो गया। उन्हें आसानी से आराम एवं ऐश्वर्य की वस्तुएँ प्राप्त होने लगीं। उनके भौतिक जीवन में काफी अनुकूल परिवर्तन आए। यातायात के साधनों के फलस्वरूप उन्हें और भी ज्यादा आजादी प्राप्त हो गई जो औद्योगीकरण से पूर्व सीमित थी।
नि:संदेह औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप उच्च वर्ग की महिलाओं का जीवन और अधिक सुविधापूर्ण तथा आनंदमय बन गया। उन्हें नवीन उपभोक्ता वस्तुएँ व भोजन सामग्री प्राप्त होने लगी। उनकी जीवन शैली में हर दिन बदलाव आने लगा था।
प्रश्न.6. विश्व के भिन्न-भिन्न देशों में रेलवे आ जाने से वहाँ के जनजीवन पर क्या प्रभाव पड़ा? तुलनात्मक विवेचना कीजिए।
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