प्रश्न.1. ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है?
ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है जो वस्तु द्वारा वायु में उत्पन्न कंपन के कारण उत्पन्न होती है।
प्रश्न.2. एक चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए कि ध्वनि के स्त्रोत के निकट वायु में संपीड़न तथा विरलान कैसे उत्पन्न होते हैं।
जब कोई वस्तु कंपन करती है तो अपने आसपास स्थित वायु के कणों में गति पैदा करती है। जब वस्तु आगे की ओर कंपन करती है तो इसके कारण आसपास उच्च दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है। इसको ही संपीड़न कहते हैं।
और जब वस्तु पीछे की ओर कंपन करती है तो एक निम्न दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है जिसे विरलन कहते हैं। वस्तु के इस तरह से कंपन करने से ही संपीड़न और विरलन की एक श्रृंखला बन जाती है।
प्रश्न.3. किस प्रयोग से यह दर्शाया जा सकता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है।
प्रयोग: एक बेलजार लीजिए और उसमें विद्युत घंटी को लटकाइए। घंटी के स्विच को दबाने पर आप उसकी ध्वनि को सुन सकते हैं। अब निर्वात पंप को चलाइए और घंटी को फिर से ऑन कीजिए, जब बेलजार की वायु धीरे-धीरे बाहर निकलती है, घंटी की ध्वनि धीमी हो जाती है यद्यपि उसमें पहले जैसी ही विद्युतधारा प्रवाहित हो रही है।
कुछ समय पश्चात् जब बेलजार में बहुत कम वायु रह जाती है तब आपको बहुत धीमी ध्वनि सुनाई पड़ती है। बेलजार की समस्त वायु निकाल देने पर कोई ध्वनि सुनाई नहीं देती। यह दर्शाता है कि ध्वनि के संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है।
प्रश्न.4. ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य क्यों है?
ध्वनि तरंगे माध्यम में संपीड़न तथा विरलन करती है जिसके कारण उनकी गति आगे-पीछे होती है। इसलिए ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य है।
प्रश्न.5. ध्वनि का कौन-सा अभिलक्षण किसी अन्य अंधेरे कमरे में बैठे आपके मित्र की आवाज पहचानने में आपकी सहायता करता है?
गुणता (Timbre) ध्वनि का वह अभिलक्षण है जो हमें अंधेरे कमरे में बैठे हमारे मित्र की आवाज पहचानने में सहायता करता है।
प्रश्न.6. तड़ित की चमक तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं। लेकिन चमक दिखाई देने के कुछ सेकंड गर्जन सुनाई देती है। ऐसा क्यों होता है?
क्योंकि ध्वनि की चाल प्रकाश की चाल से बहुत कम है। इसलिए ध्वनि की हमारे कानों तक पहुंचाने में समय लगता है। अतः तड़ित की चमक हमें पहले दिखाई देती हैं।
प्रश्न.7. किसी व्यक्ति का औसत श्रव्य परास 20 Hz से 20 kHz है। इन दो आवृत्तियों के लिए ध्वनि तरंगों की तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए। वायु में ध्वनि का वेग 344 ms-1 लीजिए।
(i) आवृत्ति, v = 20Hz
वायु में ध्वनि का वेग, V = 344 m s–1
v = V/λ
λ = V/v
λ = 344/20 = 17.2m
(ii) आवृत्ति, v = 20,000Hz
वायु में ध्वनि का वेग, V = 344 m s–1
v = V/λ
λ = V/v
λ = 344/20,000 = 0.0172m
∴ मनुष्यों के श्रव्य के लिए ध्वनि तरंगों की तरंगदैर्ध्य परास 0.0172m से 17.2 m तक है।
प्रश्न.8. दो बालक किसी ऐलुमिनियम पाइप के दो सिरों पर हैं। एक बालक पाइप के एक सिरे पर पत्थर से आघात करता है। दूसरे सिरे पर स्थित बालक तक वायु तथा ऐलुमिनियम से होकर जाने वाली ध्वनि तरंगों द्वारा लिए गए समय का अनुपात ज्ञात कीजिए।
माना कि ऐलुमिनियम पाइप की लंबाई = dm
वायु में ध्वनि का वेग = 346 ms-1
वायु में ध्वनि द्वारा लिया गया समय = d/346 s
ऐलुमिनियम में ध्वनि का वेग = 6420 m/s
ऐलुमिनियम पाइप में ध्वनि द्वारा लिया गया समय = t = d/6420 s
ध्वनि द्वारा वायु और ऐलुमिनियम में लिए गए समय का अनुपात,
= (वायु)/(ऐलुमिनियम) x d/346 x 6420/d
= 6420/346
= 18.55
प्रश्न.9. किसी ध्वनि स्त्रोत की आवृत्ति 100 Hz है। एक मिनट में यह कितनी बार कंपन करेगा?
स्रोत की आवृत्ति 100Hz
= 100s-1
1s में कंपन की संख्या = 100
1 मिनट या 60s में कंपनों की संख्या = 100 × 60 = 6000
प्रश्न.10. क्या ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश की तरंगें करती हैं? इन नियमों को बताइए।
हाँ, ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका की प्रकाश की तरंगें करती हैं।
ध्वनि के परावर्तन नियम के अनुसार ध्वनि के आपतन होने की दिशा तथा परावर्तन होने की दिशा, परवर्तक सतह पर खींचे गए अभिलंब से समान कोण बनाते हैं और ये तीनों एक ही तल में होते हैं।
प्रश्न.11. ध्वनि का एक स्रोत किसी परावर्तक सतह के सामने रखने पर उसके द्वारा प्रदत्त ध्वनि तरंग की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। यदि स्रोत तथा परावर्तक पृष्ठ की दूरी स्थिर रहे तो किस दिन प्रतिध्वनि अधिक शीघ्र सुनाई देगी- (i) जिस दिन ताप अधिक हो? (ii) जिस दिन ताप कम हो?
जिस दिन ताप अधिक हो, उस दिन प्रतिध्वनि अधिक शीघ्र सुनाई देगी।
प्रश्न.12. ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग लिखिए।
ध्वनि तरंगों के दो उपयोग:
- ध्वनि तरंगों के परावर्तन का उपयोग जल में स्थित पिंडो की दूरी मापने के लिए किया जाता है।
- ध्वनि तरंगों के परावर्तन का उपयोग कर, स्टैथोस्कोप जो कि एक चिकित्सा यंत्र है की सहायता से मनुष्य के शरीर के अंदर जैसे: हृदय फेफड़े आदि में उत्पन्न होने वाले ध्वनि को सुनने में किया जाता है।
प्रश्न.13. 500 मीटर ऊँची किसी मीनार की चोटी से एक पत्थर मीनार के आधार पर स्थित एक पानी के तालाब में गिराया जाता है। पानी में इसके गिरने की ध्वनि चोटी पर कब सुनाई देगी? (g = 10ms-2 तथा ध्वनि की चाल = 340ms-1)
मीनार की ऊँचाई, h = 500m
u = 0
त्वरण, g = 10 ms–2
माना कि पत्थर को तालाब तक पहुँचने में t1 समय लगता है तब,
h = ut + 1/2gt2
500 = 0 x t1 + 1/2 x 10 x t12
या t12 = 2 x 500/10 = 100
=> t1= 10s
अब पत्थर टकराता है और ध्वनि उत्पन्न होती है।
माना ध्वनि को उत्पन्न होने में t2 समय लगता है तब,
t2 = दूरी/चाल = 500m/340m/s = 1.47s∴ कुल समय = t1 + t2 = 11.47s
प्रश्न.14. एक ध्वनि तरंग 339ms-1 की चाल से चलती है। यदि इसकी तरंगदैर्घ्य 1.5 cm हो, तो तरंग की आवृत्ति कितनी होगी? क्या ये श्रव्य होंगी?
ध्वनि तरंग का वेग, v = 10
तरंगदैर्ध्य, λ = 1.5cm = 0.015m
आवृत्ति(v) = v/λ = 339/0.015 = 22,600Hz
प्रश्न.15. अनुरणन क्या है? इसे कैसे कम किया जा सकता है?
ध्वनि का बारंबार परावर्तन जिसके कारण ध्वनि निर्बाध होती है, अनुरणन कहलाता हैं।
अनुरणन कम करने के उपाय:
भवन की छतों तथा दीवारों पर ध्वनि और अवशोषक पदार्थों का उपयोग करना।
प्रश्न.16. ध्वनि की प्रबलता से क्या अभिप्राय है? यह किन कारकों पर निर्भर करती है?
प्रबलता ध्वनि के लिए कानों की संवेदनशीलता की माप है जिसके कारण मृदु ध्वनि (Soft sound) तथा प्रबल ध्वनि (Loud sound) में अंतर कर सके।
ध्वनि की प्रबलता निम्नलिखित पर निर्भर करती है:
- ध्वनि के दोलन आयाम (Amplitude of vibration of sound)
- कानों की संवेदनशीलता (Sensitivity of ears)
प्रश्न.17. चमगादड़ अपना शिकार पकड़ने के लिए पराध्वनि का उपयोग किस प्रकार करता है? वर्णन कीजिए।
चमगादड़ तरत्व की पराध्वनि तरंगे उत्सर्जित करता है तथा परिवर्तन के पश्चात इनका संसूचन करता है। इससे चमगादड़ को पता चलता है की शिकार कितना बड़ा और कितनी दूरी पर है।
प्रश्न.18. वस्तुओं को साफ़ करने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे करते हैं?
जिन वस्तुओं को साफ़ करना होता है उन्हें साफ़ करने वाले मार्जन विलयन में पराध्वनि तरंगें भेजी जाती हैं। उच्च आवृत्ति के कारण, धूल, चिकनाई और गंदगी के कण अलग होकर नीचे गिर जाते हैं। इस प्रकार वस्तु पराध्वनि का उपयोग करके पूर्णतया साफ़ की जाती है।
प्रश्न.19. सोनार की कार्यविधि तथा उपयोगों का वर्णन कीजिए।
परिवर्णिक शब्द सोनार (SONAR) Sound Navigation and Ranging से बना है।सोनार एक ऐसी युक्ति है जिसका उपयोग पराध्वनि तरंगों के इस्तेमाल से जल में स्थित पिंडों की दिशा, दूरी और वेग मापने के लिए की जाती है।
नियम: सोनार युक्ति प्रतिध्वनि के समरूप कार्य करती है। यह समुद्र की गहराईयों में स्थित चट्टानों, घाटियों, पनडुब्बियों तथा डूबे हुए जहाज़ों के होने की जानकारी प्राप्त करने के लिए उपयोगी होती है।
कार्य:
- सोनार में एक प्रेषित्र और एक संसूचक होता है जो नाव या जहाज़ में नीचे की तरफ से लगा हुआ होता है।
- प्रेषित्र प्रभवशाली पराध्वनि तरंगों को उत्पन्न तथा संचारित करता है।
- ये प्रभावशाली तरंगें समुद्री जल से होती हुईं पिंडों से टकराती हैं और परावर्तित होकर संसूचक द्वारा ग्रहण कर ली जाती हैं।
- संसूचक पराध्वनि तरंगों को विद्युत् संकेतों में परिवर्तित करता है जिनकी उचित रूप से व्याख्या कर ली जाती है।
- जल में ध्वनि की चाल, पराध्वनि का प्रेषण और अभिग्रहण के समय अंतराल को ज्ञात करके उस पिंड की दूरी की गणना की जा सकती है जिससे ध्वनि परावर्तित हुईं।
प्रश्न.20. एक पनडुब्बी पर लगी एक सोनार युक्ति, संकेत भेजती है और उनकी प्रतिध्वनि 5s पश्चात् ग्रहण करती है। यदि पनडुब्बी से वस्तु की दूरी 3625 m हो तो ध्वनि की चाल की गणना कीजिए।
संकेत भेजने और प्रतिध्वनि ग्रहण करने के बीच का समय = 5s
सोनार की पनडुब्बी से दूरी = 3625m
ध्वनि द्वारा तय की गई कुल दूरी = 2d
= 2 x 3625 = 7250m
ध्वनि का वेग(v) = 2d/t
= 7250/5
= 1450ms-1
प्रश्न.21. किसी धातु के ब्लॉक में दोषों का पता लगाने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे किया जाता है वर्णन कीजिए।
पराध्वनि का उपयोग धातु के ब्लॉकों में दरारों, छिद्रों तथा अन्य दोषों का पता लगाने के लिए किया जाता है। धातु के ब्लॉकों में विद्यमान दरार या छिद्र जो बाहर से दिखाई नहीं देते उसकी मजबूती को कम कर देते हैं।
पहले पराध्वनि तरंगें धातु के ब्लॉक से गुजारी जाती हैं और फिर प्रेषित तरंगों का पता लगाने के लिए संसूचकों का उपयोग किया जाता है। यदि कही थोड़ी सी भी दरार या छिद्र होता है, तो पराध्वनि तरंगे परिवर्तित हो जाती हैं जो उस धातु में दोष या कमी की उपस्थिति को दर्शाती है।
प्रश्न.22. मनुष्य का कान किस प्रकार कार्य करता है? विवेचना कीजिए।
(i) मनुष्य कर्ण, मनुष्य के शरीर का अत्यंत संवेदनशील भाग होता है, जो उसे ध्वनियों को सुनने योग्य बनाता है।
(ii) यह श्रवणीय आवृत्तियों द्वारा वायु में होने वाले दाब परिवर्तनों को विद्युत् संकेतों में बदलकर श्रवण तंत्रिका से होते हुए मस्तिष्क तक पहुँचाता है।(iii) इसके तीन मुख्य भाग होते हैं:
(1) बाहरी कर्ण: बाहरी कान कर्ण पल्लव कहलाता है। यह आसपास से ध्वनि एकत्रित करता है। एकत्रित ध्वनि श्रवण नलिका से गुज़रती है। श्रवण नलिका के सिरे पर एक झिल्ली होती है जिसे कर्ण पटह झिल्ली कहते हैं। जब माध्यम के संपीडन कर्ण पटह तक पहुँचते हैं तो झिल्ली के बहारी क्षेत्र का दाब बढ़ जाता है जो कर्ण पटह को अंदर की ओर धकेलता है। इसी प्रकार विरलन कर्ण पटह को बाहर की ओर धकेलते हैं। इस प्रकार कर्ण पटह कंपन करता है।
(2) मध्य कर्ण में तीन हड्डियाँ विद्यमान हैं: मुग्दरक, निहाई, और वलयक। ये इन कंपनों को कईं गुना बढ़ा देती हैं। मध्य कर्ण इन दाब परिवर्तनों को आतंरिक कर्ण तक संचारित करता है।
(3) आतंरिक कर्ण में कर्णावर्त दाब परिवर्तनों को विद्युत् संकेतों में परिवर्तित करता है फिर ये विद्युत् संकेत श्रवण तंत्रिका से होते हुए मस्तिष्क तक पहुँचते हैं।
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