UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12)  >  NCERT Solutions: Magnetic Effect on Electric Current

Magnetic Effect on Electric Current NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC PDF Download

अभ्यास

प्रश्न.1. निम्नलिखित में से कौन किसी लंबे विद्युत धारावाही तार के निकट चुंबकीय क्षेत्र का सही वर्णन करता है?
(a) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के लंबवत होती हैं|
(b) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के समांतर होती हैं|
(c) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ अरीय होती हैं जिनका उद्भव तार से होता है|
(d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है|

सही उत्तर (d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है|


प्रश्न.2. वैद्युतचुंबकीय प्रेरण की परिघटना-
(a) किसी वस्तु को आवेशित करने की प्रक्रिया है|
(b) किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने की प्रक्रिया है|
(c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है|
(d) किसी विद्युत मोटर की कुंडली को घूर्णन कराने की प्रक्रिया है|

सही उत्तर (c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है|


प्रश्न.3. विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैं-
(a) जनित्र
(b) गैल्वेनोमीटर
(c) ऐमीटर
(d) मोटर

सही उत्तर (a) जनित्र


प्रश्न.4. किसी ac जनित्र तथा dc जनित्र में एक मूलभूत अंतर यह है कि –
(a) ac जनित्र में विद्युत चुंबक होता है जबकि dc मोटर में स्थायी चुंबक होता है|
(b) dc जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है|
(c) ac जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है|
(d) ac जनित्र में सर्पी वलय होते हैं जबकि dc जनित्र में दिकपरिवर्तक होता है|

सही उत्तर (d) ac जनित्र में सर्पी वलय होते हैं जबकि dc जनित्र में दिकपरिवर्तक होता है|


प्रश्न.5. लघुपथन के समय परिपथ में विद्युत धारा का मान-
(a) बहुत कम हो जाता है|
(b) परिवर्तित नहीं होता|
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है|
(d) निरंतर परिवर्तित होता है|

सही उत्तर (c) बहुत अधिक बढ़ जाता है|


प्रश्न.6. निम्नलिखित प्रकथनों में कौन-सा सही है तथा कौन-सा गलत है? इसे प्रकथन के सामने अंकित कीजिए-
(a) विद्युत मोटर यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करता है|

गलत, विद्युत मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरित करता है|

(b) विद्युत जनित्र वैद्युतचुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है|

सही|

(c) किसी लंबी वृत्ताकार विद्युत धारावाही कुंडली के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र समांतर सीधी क्षेत्र रेखाएँ होता है|

सही|

(d) हरे विद्युतरोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है|

गलत, हरे विद्युतरोधन वाला तार भूसंपर्कन तार होता है|


प्रश्न.7. चुंबकीय क्षेत्र के तीन स्रोतों की सूची बनाइए|

चुंबकीय क्षेत्र के तीन स्रोत निम्नलिखित हैं :

  • विद्युत धारावाही चालक
  • स्थायी चुंबक
  • वैद्युतचुंबक


प्रश्न.8. परिनालिका चुंबक की भाँति कैसे व्यवहार करती है? क्या आप किसी छड़ चुंबक की सहायता से किसी विद्युत धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं?

एक परिनालिका पास-पास लिपटे विद्युतरोधी ताँबे के तार की बेलन की आकृति के अनेक फेरों वाली कुंडली को कहते हैं| विद्युत धारा प्रवाहित करने पर परिनालिका के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ उत्पन्न होती हैं| इसके भीतर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र चुंबक के चुंबकीय क्षेत्र के समान होता है| किसी विद्युत धारावाही परिनालिका में उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ चित्र में दिखाया गया है-

Magnetic Effect on Electric Current NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

ऊपर दिए गए चित्र में, जब चुंबक के उत्तरी ध्रुव को बैटरी के ऋणात्मक टर्मिनल के सिरे के अंत के पास लाया जाता है, तो परिनालिका चुंबक को विकर्षित करता है| चूँकि दोनों ध्रुव एक-दूसरे को विकर्षित करते हैं, इसलिए बैटरी के ऋणात्मक टर्मिनल परिनालिका के उत्तरी ध्रुव भाँति व्यवहार करते  हैं तथा दूसरा छोर दक्षिणी ध्रुव की भाँति| इस प्रकार परिनालिका का एक सिरा उत्तरी ध्रुव तथा दूसरा सिरा दक्षिणी ध्रुव की भाँति व्यवहार करता है|


प्रश्न.9. किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल कब अधिकतम होता है?

किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल अधिकतम होता है जब धारा की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के लंबवत होती है|


प्रश्न.10. मान लीजिए आप किसी चैंबर में अपनी पीठ को किसी एक दीवार से लगाकर बैठे हैं| कोई इलेक्ट्रॉन पुंज आपके पीछे की दीवार से सामने वाली दीवार की ओर क्षैतिजतः गमन करते हुए किसी प्रबल चुंबकीय क्षेत्र द्वारा आपके दाईं ओर विक्षेपित हो जाता है| चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?

चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ऊर्ध्वाधरतः अधोमुखी है| विद्युत धारा की दिशा सामने वाली दीवार से पीछे की दीवार तक है क्योंकि ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन पीछे की दीवार से सामने की दीवार की ओर गमन करते हैं| चुंबकीय बल की दिशा दाईं ओर होती है| इस प्रकार फ्लेंमिंग के वामहस्त नियम का प्रयोग करते हुए यह निष्कर्ष निकाला जाता है कि किसी चैंबर में चुंबकीय क्षेत्र की दिशा अधोमुखी होती है|


प्रश्न.11. विद्युत मोटर का नामांकित आरेख खींचिए| इसका सिद्धांत तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए| विद्युत मोटर में विभक्त वलय का क्या महत्त्व है?

Magnetic Effect on Electric Current NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

सिद्धांत- यह विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव के सिद्धांत पर काम करता है| एक विद्युत धारावाही कुंडली चुंबकीय क्षेत्र में घूर्णन करती है|
कार्यविधि- किसी विद्युत मोटर में विद्युतरोधी तार की एक आयताकार कुंडली ABCD होती है| यह कुंडली किसी चुंबकीय क्षेत्र के दो ध्रुवों के बीच इस प्रकार रखी होती है कि इसकी भुजाएँ AB तथा CD चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के लंबवत रहें| कुंडली के दो सिरे विभक्त वलय के दो अर्धभागों P तथा Q से संयोजित होते हैं| इन अर्धभागों की भीतरी सतह विद्युतरोधी होती है तथा धुरी से जुड़ी होती है| P तथा Q के बाहरी चालक ब्रुशों X तथा Y से स्पर्श करते हैं|
बैटरी से चलकर चालक ब्रुश X से होते हुए विद्युत धारा कुंडली ABCD में प्रवेश करती है तथा चालक ब्रुश Y से होते हुए बैटरी के दूसरे टर्मिनल पर वापस भी आ जाती है| कुंडली में विद्युत धारा इसकी भुजा AB में A से B की ओर तथा भुजा CD में C से D की ओर प्रवाहित होती है| अतः AB तथा CD में विद्युत धारा की दिशाएँ परस्पर विपरीत होती हैं| फ्लेंमिंग के वामहस्त नियम के अनुसार भुजा AB पर आरोपित बल इसे अधोमुखी धकेलता है, जबकि भुजा CD पर आरोपित बल इसे उपरिमुखी धकेलता है| इस प्रकार किसी अक्ष पर घूमने के लिए स्वतंत्र कुंडली तथा धुरी वामावर्त घूर्णन करते हैं| आधे घूर्णन में Q का संपर्क ब्रुश X से होता है तथा P का संपर्क ब्रुश Y से होता है|
विद्युत धारा के उत्क्रमित होने पर दोनों भुजाओं AB तथा CD पर आरोपित बलों की दिशाएँ भी उत्क्रमित हो जाती हैं| इस प्रकार कुंडली तथा धुरी उसी दिशा में आधा घूर्णन और पूरा कर लेती हैं| प्रत्येक आधे घूर्णन के पश्चात विद्युत धारा के उत्क्रमित होने का क्रम दोहराता रहता है जिसके फलस्वरूप कुंडली तथा धुरी का निरंतर घूर्णन होता रहता है|
विद्युत मोटर में विभक्त वलय दिकपरिवर्तक का कार्य करता है, यह परिपथ में विद्युत धारा के प्रवाह को उत्क्रमित कर देती है|


प्रश्न.12. ऐसी कुछ युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत मोटर उपयोग किए जाते हैं|

विद्युत पंखों, विद्युत मिश्रकों, वाशिंग मशीनों, कंप्यूटरों आदि ऐसी कुछ युक्तियों के नाम हैं जिनमें विद्युत मोटर उपयोग किए जाते हैं|


प्रश्न.13. कोई विद्युतरोधी ताँबे की तार की कुंडली किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजित है| क्या होगा यदि कोई छड़ चुंबक-
(i) कुंडली में धकेला जाता है|
(ii) कुंडली के भीतर से बाहर खींचा जाता है|
(iii) कुंडली के भीतर स्थिर रखा जाता है|

(i) गैल्वेनोमीटर की सूई में एक निश्चित दिशा में क्षणिक विक्षेप होता है|
(ii) गैल्वेनोमीटर की सूई कुछ समय के लिए विपरीत दिशा में दर्शाती है|  
(iii) गैल्वेनोमीटर की सूई कोई विक्षेप नहीं दर्शाता है|


प्रश्न.14. दो वृत्ताकार कुंडली A तथा B एक-दूसरे के निकट स्थित हैं| यदि कुंडली A में विद्युत धारा में कोई परिवर्तन करें तो क्या कुंडली B में कोई विद्युत धारा प्रेरित होगी? कारण लिखिए|

दो वृत्ताकार कुंडली A तथा B एक-दूसरे के निकट स्थित हैं| जब कुंडली A में विद्युत धारा में कोई परिवर्तन किया जाता है, तो इससे जुड़े चुंबकीय क्षेत्र में भी परिवर्तन होता है| परिणामस्वरूप कुंडली B के चारों ओर के चुंबकीय क्षेत्र में भी परिवर्तन होता है| कुंडली B के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं में यह परिवर्तन इसमें विद्युत धारा को प्रेरित करता है| यह वैद्युतचुंबकीय प्रेरण कहलाता है|


प्रश्न.15. निम्नलिखित की दिशा को निर्धारित करने वाला नियम लिखिए-
(i) किसी विद्युत धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र,
(ii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लंबवत स्थित, विद्युत धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल, तथा
(iii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में किसी कुंडली के घूर्णन करने पर उस कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा|

(i) मैक्सवेल का दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम
(ii) फ्लेंमिंग का वामहस्त नियम
(iii) फ्लेंमिंग का दक्षिण-हस्त नियम


प्रश्न.16. नामांकित आरेख खींचकर किसी विद्युत जनित्र का मूल सिद्धांत तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए| इसमें ब्रुशों का क्या कार्य है?

Magnetic Effect on Electric Current NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

सिद्धांत- एक विद्युत जनित्र वैद्युतचुंबकीय प्रेरण की परिघटना के सिद्धांत पर कार्य करता है| इसके अनुसार, जब एक चुंबक के दोनों ध्रुवों के बीच कुंडली को घुमाया जाता है, कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित होती है, जिसकी दिशा फ्लेंमिंग के दक्षिण-हस्त नियम में दी गई है|
कार्यविधि- विद्युत जनित्र में एक घूर्णी आयताकार कुंडली ABCD होती है जिसे किसी स्थायी चुंबक के दो ध्रुवों के बीच रखा जाता है| इस कुंडली के दो सिरे दो वलयों R1 तथा R2 से संयोजित होते हैं| जब दो वलयों से जुड़ी धुरी को इस प्रकार घुमाया जाता है कि कुंडली की भुजा AB ऊपर की ओर (तथा भुजा CD नीचे की ओर), स्थायी चुंबक द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र में, गति करती है तो कुंडली चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं को काटती है| फ्लेंमिंग का दक्षिण-हस्त नियम लागू करने पर इन भुजाओं में AB तथा CD दिशाओं के अनुदिश विद्युत धाराएँ प्रवाहित होने लगती हैं| इस प्रकार, कुंडली में ABCD दिशा में प्रेरित विद्युत धारा प्रवाहित होती है|
ब्रुश के कार्य- ब्रुशों से पृथक्-पृथक् रूप से दोनों वलयों को दबाकर रखा जाता है| दोनों ब्रुशों के बाहरी सिरे, बाहरी परिपथ में विद्युत धारा के प्रवाह को दर्शाने के लिए गैल्वेनोमीटर में संयोजित किए जाते हैं|

प्रश्न.17. किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता है?

तारों के विद्युतरोधन क्षतिग्रस्त होने अथवा साधित्र में कोई दोष होने के कारण जब विद्युन्मय तार तथा उदासीन तार दोनों सीधे संपर्क में आते हैं तो अतिभारण हो सकता है| ऐसी परिस्थितियों में, किसी परिपथ में विद्युत धारा अकस्मात बहुत अधिक हो जाती है| इसे लघुपथन कहते हैं|


प्रश्न.18. भूसंपर्क तार का क्या महत्त्व है? धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों को भूसंपर्कित करना क्यों आवश्यक है?

धातु के आवरणों से संयोजित भूसंपर्क तार विद्युत धारा के लिए अल्प प्रतिरोध का चालन पथ प्रस्तुत करता है| इससे विद्युत साधित्र के धात्विक आवरण में विद्युत धारा का कोई क्षरण होने पर उस साधित्र का विभव भूमि के विभव के बराबर हो जाएगा| इस साधित्र को उपयोग करने वाला व्यक्ति तीव्र विद्युत आघात से सुरक्षित बचा रहता है| इसलिए विद्युत साधित्रों का भूसंपर्कन आवश्यक होता है|

The document Magnetic Effect on Electric Current NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC is a part of the UPSC Course NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12).
All you need of UPSC at this link: UPSC
916 docs|393 tests

Top Courses for UPSC

Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Magnetic Effect on Electric Current NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

,

Summary

,

MCQs

,

practice quizzes

,

shortcuts and tricks

,

video lectures

,

Exam

,

Objective type Questions

,

past year papers

,

Important questions

,

mock tests for examination

,

study material

,

Viva Questions

,

pdf

,

Magnetic Effect on Electric Current NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

,

Magnetic Effect on Electric Current NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

,

ppt

,

Sample Paper

,

Semester Notes

,

Extra Questions

,

Free

,

Previous Year Questions with Solutions

;