प्रश्न.1. यदि मूलभूत लक्षण ज्ञात न हों तो प्राणियों के वर्गीकरण में आप क्या परेशानियाँ महसूस करेंगे?
- यदि मूलभूत लक्षण ज्ञात नहीं हैं तब सभी जीवों का पृथक रूप से अध्ययन करना सम्भव नहीं होगा।
- जीवों के मध्य परस्पर सम्बन्ध स्थापित करना कठिन होगा।
- एक वर्ग के सभी जन्तुओं की केवल एक या दो जीवों के अध्ययन से जानकारी प्राप्त करना सम्भव नहीं होगा।
- अन्य जन्तु जातियों का विकास नहीं किया जा सकता।
प्रश्न.2. यदि आपको एक नमूना (specimen) दे दिया जाये तो वर्गीकरण हेतु आप क्या कदम अपनाएँगे?
- संगठन के स्तर (levels or grades of organisation)
- संगठन का पैटर्न (patterns in organisation)
- सममिति (symmetry)
- द्विकोरिक तथा त्रिकोरिक संगठन (diploblastic and triploblastic organisation)
- देहगुहा (body cavity) तथा प्रगुहा (coelom) 6. खण्डीभवन (segmentation)
प्रश्न.3. देहगुहा एवं प्रगुहा का अध्ययन प्राणियों के वर्गीकरण में किस प्रकार सहायक होता है?
देहभित्ति एवं कूटगुहा (pseudocoelom) के बीच प्रगुहा की उपस्थिति एवं अनुपस्थिति वर्गीकरण के लिए विशेष प्रयोजनीय है। देहगुहा जब मीसोडर्म से स्तरित रहता है तब इसे सीलोम (coelom) कहते हैं। जिन जन्तुओं में सीलोम उपस्थित रहता है उन्हें सीलोमेटा (coelomata) कहते हैं, जैसे एनेलिडा, मोलस्का, आर्थोपोडा, इकाइनोडर्मेटा , हेमीकॉडेंटा तथा कॉडेंटा। कुछ जन्तुओं में देहगुहा मीसोडर्म द्वारा स्तरित नहीं होती, लेकिन एक्टोडर्म एवं एण्डोडर्म के बीच छोटी-छोटी गोलाकार आकृति में छितरा रहता है। इस तरह की देहगुहा को आहारनाल कहते हैं एवं उन जन्तुओं को स्यूडोसीलोमेटा (pseudocoelomata) कहते हैं, जैसे-एस्केल्मिंथीज (Aschelminthes)। जिन जन्तुओं में देहगुहा अनुपस्थित रहती है उन्हें एसीलोमेट्स (acoelomates) कहते हैं, जैसे-प्लेटीहेल्मिंथीज (Platyhelminthes)।
प्रश्न.4. अन्तः कोशिकीय एवं बाह्य कोशिकीय पाचन में विभेद करें।
प्रश्न.5. प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष परिवर्धन में क्या अन्तर है?
प्रश्न.6. परजीवी प्लेटीहेल्मिंथीज के विशेष लक्षण बताइए।
- टेगुमेन्ट (tegument) का मोटा स्तर उपस्थित।
- पोषक (host) के शरीर में ऊतकों से चिपकने के लिये चूषक (suckers) और प्रायः कंटक या अंकुश (spines or hooks) उपस्थित।
- चलन अंग (locomotory organs) अनुपस्थित।
- कुछ चपटे कृमि खाद्य पदार्थ को परपोषी से सीधे अपने शरीर की सतह से अवशोषित करते हैं।
- जनन तन्त्र (reproductive system) पूर्ण विकसित होता है।
- प्रायः अवायवीय श्वसन (anaerobic respiration) पाया जाता है।
प्रश्न.7. आर्थोपोडा प्राणी समूह का सबसे बड़ा वर्ग है। इस कथन के प्रमुख कारण बताइए।
- सुरक्षा के लिए क्युटिकल (cuticle) की उपस्थिति।
- विकसित पेशी तन्त्र गमन में सहायक।
- कीटों में श्वसनलियों द्वारा श्वसन (tracheal respiration) से सीधे ऑक्सीजन प्राप्त होती है।
- संधियुक्त उपांगों (jointed appendages) द्वारा विभिन्न कार्य सम्भव होते हैं।
- तन्त्रिका तन्त्र (nervous system) तथा संवेदी अंग (sense organs) विकसित होते हैं।
- संचार हेतु फेरोमोन्स (pheromones) पाये जाते हैं।
प्रश्न.8. जल संवहन तन्त्र किस वर्ग का मुख्य लक्षण है।
(a) पोरीफेरा
(b) टीनोफोरा
(e) इकाइनोडर्मेटा
(d) कॉडेंटा
(c) इकाइनोडर्मेटा
प्रश्न.9. सभी कशेरुकी (vertebrates) रज्जुकी (chordates) हैं लेकिन सभी रज्जुकी कशेरुकी नहीं हैं इस कथन को सिद्ध कीजिए।
सभी कॉडेंट्स (chordates) में पृष्ठ रज्जु (notochord) पायी जाती है। कॉडेंट्स के अन्तर्गत यूरोकॉडेंटा तथा सेफैलोकॉडेंटा (दोनों को प्रोटोकॉडेंटा कहा जाता है) तथा वर्टीब्रेटा सम्मिलित हैं। कशेरुकियों (vertebrates) में पृष्ठ रज्जु (notochord) भ्रूणीय अवस्था में पायी जाती है। वयस्क अवस्था में पृष्ठ रज्जु अस्थिल अथवा उपास्थिल मेरुदंड (backbone) में परिवर्तित हो जाती है। यद्यपि प्रोटोकॉडेंटस में वर्टिब्रल कॉलम (vertibral column) नहीं पायी जाती है। अतः कशेरुकी (vertebrates) रज्जुकी (chordates) भी हैं, परन्तु सभी रज्जुकी, कशेरुकी नहीं हैं।
प्रश्न.10. मछलियों में वायु-आशय (air bladders) की उपस्थिति का क्या महत्त्व है?
मछलियों में वायु कोष/आशय (air bladders) उत्प्लावन (buoyancy) में सहायक होते हैं। इनकी सहायता से मछलियाँ जल में तैरती हैं। वायु कोष इन्हें जेल में डूबने से बचाते हैं। वायु कोष वर्ग ओस्टिक्थीज (osteichthyes) में पाये जाते हैं जबकि वर्ग कॉन्ड्रीक्थीज (chondrichthyes) में अनुपस्थित होते हैं। जिन मछलियों में वायु कोष नहीं होते हैं उन्हें जल में डूबने से बचने के लिये लगातार तैरना पड़ता है।
प्रश्न.11. पक्षियों में उड़ने हेतु क्या-क्या रूपान्तरण हैं?
- अग्रपाद (forelimbs) रूपान्तरित होकर पंख बनाते हैं।
- अन्त: कंकाल की लम्बी अस्थियाँ खोखली तथा वायुकोष युक्त होती हैं, जिससे शरीर हल्का रहता है।
- मूत्राशय (urinary bladder) अनुपस्थित होता है।
- उड़ने में सहायक पेशियाँ (flight muscles) विकसित होती हैं।
प्रश्न.12. क्या अण्डजनक तथा जरायुज द्वारा उत्पन्न अण्डे या बच्चे संख्या में बराबर होते हैं? यदि हाँ तो क्यों? यदि नहीं तो क्यों?
नहीं, अण्डजनक (oviparous) जन्तुओं में अण्डे से बच्चा मादा शरीर के बाहर अर्थात् बाह्य वातावरण में विकसित होता है। अत: बहुत से अण्डों के नष्ट होने की संभावना होती है। इसलिए ये जन्तु अधिक संख्या में अण्डे देते हैं। जरायुज (viviparous) जन्तुओं में भ्रूण का विकास मादा शरीर के अन्दर होता है। अतः केवल 1 या कुछ बच्चे ही उत्पन्न होते हैं।
प्रश्न.13. निम्नलिखित में से शारीरिक खण्डीभवन किसमें पहले देखा गया?
(a) प्लेटीहेल्मिंथीज
(b) एस्केल्मिंथीज
(c) एनेलिडा
(d) आर्थोपोडा
(c) एनेलिडा
प्रश्न.14. निम्न का मिलान कीजिए
(a) प्रच्छद (Operculum) – (I) टीनोफोरा (Ctenophora)
(b) पाश्र्वपाद (Parapodia) – (II) मोलस्का (Mollusca)
(c) शल्क (Scales) – (III) पोरीफेरा (Porifera)
(d) कंकत पट्टिका(Comb plates) – (IV) रेप्टीलिया (Reptillia)
(e) रेडूला (Radula) – (V) एनेलिडा (Annelida)
(f) बाल (Hairs) – (VI) साइक्लोस्टोमेटा एवं कॉन्ड्रीक्थीज (Cyclostomata and Chondrichthyes)
(g) कीपकोशिका (Choanocytes) – (VII) मैमेलिया (Mammalia)
(h) क्लोम छिद्र (Gill slits) – (VIII) ऑस्टिक्थीज (Osteichthyes)
(a) (VIII)
(b) (V)
(c) (IV)
(d) (I)
(e) (II)
(f) (VII)
(g) (III)
(h) (VI)
प्रश्न.15. मनुष्यों पर पाये जाने वाले कुछ परजीवियों के नाम लिखिए।
- टीनिया (फीताकृमि)
- एस्केरिस (गोलकृमि)
- वुचेरेरिया (फाइलेरिया कृमि)
- एनसाइकोस्टोमा (अंकुश कृमि)
- ट्राइचुरिस (व्हीप कृमि)
- ड्रेकुनकुलस (गुइनिया कृमि)
- पेडीकूलस (जू)
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