प्रश्न.1. निम्नलिखित कथनों का मेल कराइए। रूढिबद्ध धारणाओं को कैसे चुनौती दी जा रही है, इस पर चर्चा कीजिए:
प्रश्न.2. लड़कियाँ माँ-बाप के लिए बोझ हैं, यह रूढिबद्ध धारणा एक लड़की के जीवन को किस तरह प्रभावित करती है? उसके अलग-अलग पाँच प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
लडकियाँ माँ बाप के लोए बोझ है, इस तरह की रुधिबध् धारणा एक लड़की के जीवन को गलत और बुरी तरह से प्रभावित करती है, जैसे:
- कुछ लडकियाँ लड़कों से भी पढ़ने में बहुत ज्यादा इच्छा होती है और उसके काबिल भी होती है लेकिन जब उनको यह कहकर रोक दिया जाता है कि तम्हारी पढ़ाई लिखाई किसी के काम नहीं आएगी क्योकि तुम्हारी आखिर में शादी ही करवानी है और तुम्हें घर का काम ही करना है। तुम हमारे ऊपर बोझ मत बनो और यह लडकियो में एक हीन भावना पैदा करता है और कई लडकिया इस वजह से अपनी जान भी दे देती है।
- लडकियो को बाहर घूमने फिरने की कोई इजाजत नहीं होती।
- उन्हें अपनी जीवन में खुद की जिंदगी से जुड़े चीजो को चुन्ने का अधिकार नहीं होता। यहाँ तक कि उन्हें अपना जीवनसाथी चुन्ने का भी निर्णय नहीं लेने दिया जाता।
- लडकियो को लडको से कम प्यार और आत्म सम्मान दिया जाता है।
- अगर लड़किया बीमार हो जाए तो भी उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि थोड़ी देर आराम करलेगी तो ठीक हो जाएगी।
प्रश्न.3. भारत का संविधान समानता के बारे में क्या कहता है? आपको यह क्यों लगता है कि सभी लोगों में समानता होना जरूरी है?
हम सब जानते है कि हमारे भारत में अलग अलग जाति और अलग अलग विचारधारा के लोग रहते है। अपने जीवन को जीने के लिए सबके अपने अलग अलग विचार और परम्परायें होती है। सब अलग अलग तरह से त्यौहार बनाते है। इसलिए भारत के सविधान में यह कहा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति के पास अपने जीवन से जुड़े अधिकार और स्वंत्रता प्राप्त होनी चहिए। और सभी लॉगो में यह समानता इसलिए होनी जरुरी है क्योकि अगर कहीं किसी व्यक्ति के लिए किसी कंपनी में नौकरी खाली है तो हर व्यक्ति को उस नॉकरी को पाने का अधिकार होना चहिए, जाति, रंग, लिंग के आधार पर उस नौकरी के लिए चयन नहीं करना चहिए। अगर किसी जगह कोई त्योहार मनाया जा रहा है तो अलग जाति वाला व्यक्ति अगर वो त्यौहार खुद अपनी मर्जी से मनाना चाहे तो ही सही है नहीं तो उस त्यौहारो को मनाने के लिए किसी को मजबूर नहीं करना चहिए। सार्थक शब्द में हमारा सविधान यह कहता है की प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने, अपनी भाषा बोलने, अपना त्यौहार मनाने का स्वतन्त्र अधिकार होना चहिए।
प्रश्न.4. कई बार लोग हमारी उपस्थिति में ही पूर्वाग्रह से भरा आचरण करते हैं। ऐसे में अक्सर हमें कोई विरोध करने की स्थिति में नहीं रहते, क्योंकि मुँह पर तुरंत कुछ कहना मुश्किल जान पड़ता है। अपनी कक्षा को दो समूहों में बाँटिए और प्रत्येक समूह इस पर चर्चा करें कि दी गई परिस्थिति में वे क्या करेंगे:
(क) गरीब होने के कारण एक सहपाठी को आपका दोस्त चिढ़ा रहा है।
(ख) आप अपने परिवार के साथ टी.वी. देख रहे हैं और उनमें से कोई सदस्य किसी खास धार्मिक समुदाय पर पूर्वाग्रहग्रस्त टिप्पणी करता है।
(ग) आपकी कक्षा के बच्चे एक लड़की के साथ मिलकर खाना खाने से इनकार कर देते हैं, क्योंकि वे सोचते हैं कि वह गंदी है।
(घ) किसी समुदाय के खास उच्चारण का मजाक उड़ाते हुए कोई आपको चुटकुला सुनाता है।
(ङ) लड़के, लड़कियों पर टिप्पणी कर रहे हैं कि लड़कियाँ उनकी तरह नहीं खेल सकतीं। उपर्युक्त परिस्थितियों में विभिन्न समूहों ने कैसा बर्ताव करने की बात की है, इस पर कक्षा में चर्चा कीजिए, साथ ही इन मुद्दों को उठाते समय कक्षा में कौन-सी समस्याएँ आ सकती हैं, इस पर भी बातचीत कीजिए।
उपरोक्त सभी स्थितियों में पूर्वाग्रह है जो समानता के व्यवहार के विरुद्ध है।
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