UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12)  >  NCERT Solutions: जाति, धर्म और लैंगिक मसले (Gender, Religion & Caste)

जाति, धर्म और लैंगिक मसले (Gender, Religion & Caste) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC PDF Download

अभ्यास

प्रश्न.1. जीवन के उन विभिन्न पहलूओं का जिक्र करें जिनमें भारत में स्त्रियों के साथ भेदभाव होता है या वे कमज़ोर स्थिति में होती हैं।

हमारे देश में आजादी के बाद से महिलाओं की स्थिति में कुछ सुधार हुआ है। पर वे अभी भी पुरुषों से काफी पीछे हैं। हमारा समाज अभी भी पितृप्रधान है। औरतों के साथ अभी भी कई तरह के भेदभाव होते हैं।

  • महिलाओं में साक्षरता की दर अब भी मात्र 54 फीसदी है जबकि पुरुषों में 76 फीसदी। स्कूल पास करनेवाली लड़कियों की एक सीमित संख्या ही उच्च शिक्षा की ओर कदम बढ़ा पाती हैं। अभी भी माँ-बाप अपने संसाधनों को लड़के-लड़की दोनों पर बराबर खर्च करने की जगह लड़कों पर ज्यादा खर्च करना पसंद करते हैं।
  • साक्षरता दर कम होने के कारण ऊँची तनख्वाह वाले और ऊँचे पदों पर पहुँचने वाली महिलाओं की संख्या बहुत ही कम है। भारत में स्त्रियाँ पुरुषों से अधिक काम करती हैं किंतु अक्सर उनके काम को मूल्यवान नहीं माना जाता।
  • काम के हर क्षेत्र में यानी खेल-कूद की दुनिया से लेकर सिनेमा के संसार तक और कल-कारखानों से लेकर खेत-खलिहानों तक महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम मजदूरी मिलती है। भले ही दोनों ने समान काम किया हो।
  • भारत के अनेक हिस्सों में अभी भी लड़की को जन्म लेते ही मार दिया जाता है। अधिकांश परिवार लड़के की चाह रखते हैं। इस कारण लिंग अनुपात गिरकर प्रति हजार लड़कों पर 927 रह गया है।
  • भारत में सार्वजनिक जीवन में, खासकर राजनीति में महिलाओं की भूमिका नगण्य ही है। अभी भी महिलाओं को घर की चहारदीवारी के भीतर रखा जाता है।

महिलाओं के उत्पीड़न, शोषण और उन पर होनेवाली हिंसा की खबरें हमें रोज पढ़ने को मिलती हैं। शहरी इलाके तो महिलाओं के लिए खासतौर से असुरक्षित हैं। वे अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं हैं क्योंकि वहाँ भी उन्हें मारपीट तथा अनेक तरह की घरेलू हिंसा झेलनी पड़ती है।


प्रश्न.2. विभिन्न तरह की सांप्रदायिक राजनीति का ब्यौरा दें और सबके साथ एक-एक उदाहरण भी दें।

सांप्रदायिकता राजनीति में अनेक रूप धारण कर सकती है

  • सांप्रदायिकता की सबसे आम अभिव्यक्ति रोजमर्रा के जीवन में ही दिखती है। इनमें धार्मिक पूर्वाग्रह, धार्मिक समुदायों के बारे में बनी बनाई धारणाएँ और एक धर्म को दूसरे धर्म से श्रेष्ठ मानने की मान्यताएँ शामिल हैं।
  • सांप्रदायिक भावना वाले धार्मिक समुदाय राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित करना चाहते हैं। इसके लिए धर्म के आधार पर राजनीतिक दलों का गठन किया जाता है तथा फिर धीरे-धीरे धर्म पर आधारित अलग राज्य की माँग करके देश की एकता को नुकसान पहुँचाया जाता है। जैसे-भारत में अकाली दल, हिंदू महासभा आदि दल धर्म के आधार पर बनाए गए। धर्म के आधार पर सिक्खों की खालिस्तान की माँग इसका उदाहरण है।
  • सांप्रदायिक आधार पर राजनीतिक दलों द्वारा धर्म और राजनीति का मिश्रण किया जाता है। राजनीतिक दलों द्वारा अधिक वोट प्राप्त करने के लिए लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काया जाता है। जैसे- भारत में भारतीय जनता | पार्टी धर्म के नाम पर वोट हासिल करने की कोशिश करती है। बाबरी मस्जिद का मुद्दा इसका उदाहरण है।
  • कई बार सांप्रदायिकता सबसे गंदा रूप लेकर संप्रदाय के आधार पर हिंसा, दंगा और नरसंहार कराती है। विभाजन के समय भारत और पाकिस्तान में भयानक सांप्रदायिक दंगे हुए थे। आज़ादी के बाद भी बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा हुई है। 1984 के हिंदू-सिक्ख दंगे इसका प्रमुख उदाहरण हैं।


प्रश्न.3. बताइए कि भारत में किस तरह अभी भी जातिगत असमानताएँ जारी हैं?

आधुनिक भारत में जाति की संरचना और जाति व्यवस्था में भारी बदलाव आया है। किंतु फिर भी समकालीन भारत से जाति प्रथा विदा नहीं हुई है। जातिगत असमानता के कुछ पुराने पहलू अभी भी बरकरार हैं

  • अभी भी ज्यादातर लोग अपनी जाति या कबीले में ही शादी करते हैं।
  • संवैधानिक प्रावधान के बावजूद छुआछूत की प्रथा अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है।
  • जाति व्यवस्था के अंतर्गत कुछ जातियाँ लाभ की स्थिति में रहीं तथा कुछ को दबाकर रखा गया। इसका प्रभाव आज भी नज़र आता है। यानी ऊँची जाति के लोगों की आर्थिक स्थिति सबसे अच्छी है वे दलित तथा आदिवासियों की आर्थिक स्थिति सबसे खराब है।
  • हर जाति में गरीब लोग हैं पर गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करनेवालों में अधिक संख्या निचली जातियों के लोगों की है। ऊँची जातियों में गरीबी का प्रतिशत सबसे कम है।
  • आज सभी जातियों में अमीर लोग हैं पर यहाँ भी ऊँची जातिवालों का अनुपात बहुत ज्यादा है और निचली जातियों का बहुत कम।
  • जो जातियाँ पहले से ही शिक्षा के क्षेत्र में आगे थीं, आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में भी उन्हीं का बोलबाला है। जिन जातियों को पहले शिक्षा से वंचित रखा जाता था, उनके सदस्य अभी भी पिछड़े हुए हैं।

आज भी जाति आर्थिक हैसियत के निर्धारण में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि अभी भी जातिगत असमानताएँ जारी हैं।


प्रश्न.4. दो कारण बताएँ कि क्यों सिर्फ़ जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते?

भारत में जाति व्यवस्था भी धर्म की तरह चुनावों को प्रभावित करती है किंतु केवल जाति के आधार पर ही चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते

  • देश के किसी भी एक संसदीय चुनाव क्षेत्र में किसी एक जाति के लोगों का बहुमत नहीं है। इसलिए हर पार्टी और । उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए एक जाति और समुदाय से ज्यादा लोगों का भरोसा हासिल करना होता है।
  • कोई भी पार्टी किसी एक जाति या समुदाय के सभी लोगों का वोट हासिल नहीं कर सकती। जब लोग किसी जाति विशेष को किसी एक पार्टी का वोट बैंक’ कहते हैं तो इसका मतलब यह होता है कि उस जाति के ज्यादातर लोग उसी पार्टी को वोट देते हैं।

इस प्रकार चुनाव में जाति की भूमिका महत्त्वपूर्ण तो होती है किंतु दूसरे कारण भी महत्त्वपूर्ण होते हैं। मतदाताओं का लगाव जाति के साथ-साथ राजनीतिक दलों से भी होता है। सरकार के काम-काज के बारे में लोगों की राय और नेताओं की लोकप्रियता का चुनावों पर निर्णायक असर होता है।


प्रश्न.5. भारत की विधायिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है?

भारत की विधायिकाओं में महिला प्रतिनिधियों का अनुपात बहुत ही कम है। जैसे-लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या कुल सांसदों की दस प्रतिशत भी नहीं है। राज्यों की विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व 5 प्रतिशत से भी कम है। इस मामले में भारत दुनिया के अन्य देशों से बहुत नीचे है। भारत, अफ्रीका और लैटिन अमरिका के कई देशों से पीछे है। कभी-कभार कोई महिला प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री बन भी जाए तो मंत्रिमंडलों में पुरुषों का ही वर्चस्व रहा है।


प्रश्न.6. किन्हीं दो प्रावधानों का जिक्र करें जो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाते हैं।

संविधान निर्माताओं ने सांप्रदायिकता से निपटने के लिए भारत के लिए धर्मनिरपेक्ष शासन का मॉडल चुना और इसके लिए संविधान में महत्त्वपूर्ण प्रावधान किए गए :

  • भारतीय राज्य ने किसी भी धर्म को राजकीय धर्म के रूप में अंगीकार नहीं किया है। श्रीलंका में बौद्ध धर्म, पाकिस्तान में इस्लाम और इंग्लैंड में ईसाई धर्म का जो दर्जा रहा है उसके विपरीत भारत का संविधान किसी धर्म को विशेष दर्जा नहीं देता।
  • संविधान सभी नागरिकों को किसी भी धर्म का पालन करने और प्रचार-प्रसार करने की आजादी देता है।
  • संविधान धर्म के आधार पर किए जाने वाले किसी तरह के भेदभाव को अवैधानिक घोषित करता है।


प्रश्न.7. जब हम लैंगिक विभाजन की बात करते हैं तो हमारा अभिप्राय होता है।

(क) स्त्री और पुरुष के बीच जैविक अंतर।
(ख) समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गई असमान भूमिकाएँ।
(ग) बालक और बालिकाओं की संख्या का अनुपात।
(घ) लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में महिलाओं को मतदान का अधिकार न मिलना।

(ख) समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गई असमान भूमिकाएँ।


प्रश्न.8. भारत में यहाँ औरतों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है।
(क) लोकसभा
(ख) विधानसभा
(ग) मंत्रिमंडल
(घ) पंचायती राज की संस्थाएँ।

(घ) पंचायती राज की संस्थाएँ।


प्रश्न.9. सांप्रदायिक राजनीति के अर्थ संबंधी निम्नलिखित कथनों पर गौर करें। सांप्रदायिक राजनीति इस धारणा पर आधारित है किः
(अ) एक धर्म दूसरों से श्रेष्ठ है।
(ब) विभिन्न धर्मों के लोग समान नागरिक के रूप में खुशी-खुशी साथ रह सकते हैं।
(स) एक धर्म के अनुयायी एक समुदाय बनाते हैं।
(द) एक धार्मिक समूह का प्रभुत्व बाकी सभी धर्मों पर कायम करने में शासन की शक्ति का प्रयोग नहीं किया जा सकता।
इनमें से कौन या कौन-कौन सा कथन सही है?
(क) अ, ब, स और द (ख) अ, ब, और द (ग) अ और स (घ) ब और द

(ग) अ और स सही है।


प्रश्न.10. भारतीय संविधान के बारे में कौन सा कथन गलत है?
(क) यह धर्म के आधार पर भेदभाव की मनाही करता है।
(ख) यह एक धर्म को राजकीय धर्म बताता है।
(ग) सभी लोगों को कोई भी धर्म मानने की आजादी देता है।
(घ) किसी धार्मिक समुदाय में सभी नागरिकों को बराबरी का अधिकार देता है।

(ख) यह एक धर्म को राजकीय धर्म बताता है।


प्रश्न.11. ””’पर आधारित सामाजिक विभाजन सिर्फ भारत में ही है।

जाति पर आधारित सामाजिक विभाजन सिर्फ भारत में ही है।


प्रश्न.12. सूची I और सूची II का मेल कराएँ और नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही जवाब खोजें।

जाति, धर्म और लैंगिक मसले (Gender, Religion & Caste) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

जाति, धर्म और लैंगिक मसले (Gender, Religion & Caste) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

(रे) 1-ख, 2-क, 3-घ, 4-ग

The document जाति, धर्म और लैंगिक मसले (Gender, Religion & Caste) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC is a part of the UPSC Course NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12).
All you need of UPSC at this link: UPSC
916 docs|393 tests

Top Courses for UPSC

916 docs|393 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Objective type Questions

,

past year papers

,

Free

,

Semester Notes

,

धर्म और लैंगिक मसले (Gender

,

धर्म और लैंगिक मसले (Gender

,

Religion & Caste) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

,

Sample Paper

,

Previous Year Questions with Solutions

,

जाति

,

Exam

,

Extra Questions

,

Viva Questions

,

practice quizzes

,

study material

,

pdf

,

जाति

,

shortcuts and tricks

,

Religion & Caste) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

,

Summary

,

video lectures

,

Important questions

,

MCQs

,

धर्म और लैंगिक मसले (Gender

,

mock tests for examination

,

जाति

,

ppt

,

Religion & Caste) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

;