CTET & State TET Exam  >  CTET & State TET Notes  >  NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12)  >  NCERT Solutions: कार्यपालिका (Executive)

कार्यपालिका (Executive) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - CTET & State TET PDF Download

प्रश्नवाली

प्रश्न.1. संसदीय कार्यपालिका का अर्थ होता है-
(क) जहाँ संसद हो वहाँ कार्यपालिका का होना
(ख) संसद द्वारा निर्वाचित कार्यपालिका
(ग) जहाँ संसद कार्यपालिका के रूप में काम करती है
(घ) ऐसी कार्यपालिका जो संसद के बहुमत से समर्थन पर निर्भर हो

सही उत्तर (घ) ऐसी कार्यपालिका जो संसद के बहुमत से समर्थन पर निर्भर हो।


प्रश्न 2. निम्नलिखित संवाद पढे। आप किस तर्क से सहमत हैं और क्यों?
अमित – संविधान के प्रावधानों को देखने से लगता है कि राष्ट्रपति का काम सिर्फ ठप्पा मारना
शमा – राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है। इस कारण उसे प्रधानमंत्री को हटाने का भी अधिकार होना चाहिए।
राजेश – हमें राष्ट्रपति की जरूरत नहीं। चुनाव के बाद, संसद बैठक बुलाकर एक नेता चुन सकती है जो प्रधामंत्री बने।

हम शमा के तर्क से कुछ सीमा तक सहमत हो सकते हैं। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है; अत: उसे प्रधानमंत्री को हटाने का अधिकार भी होना चाहिए। सिद्धान्त रूप से ऐसा है कि राष्ट्रपति ही प्रधानमंत्री की औपचारिक रूप से नियुक्ति करता है व संविधान के अनुच्छेद 78 के अनुरूप प्रधानमंत्री अपना कार्य न करे व राष्ट्रपति को माँगी गई सूचना न दे तो वह प्रधानमंत्री को हटा भी सकता है।


प्रश्न.3. निम्नलिखित को सुमेलित करें-
कार्यपालिका (Executive) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - CTET & State TET

कार्यपालिका (Executive) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - CTET & State TET


प्रश्न.4. उस मंत्रालय की पहचान करें जिसने निम्नलिखित समाचार को जारी किया होगा। यह मंत्रालंय प्रदेश की सरकार का है या केंद्र सरकार का और क्यों?
(क) आधिकारिक तौर पर कहा गया है कि सन् 2004-05 में तमिलनाडु पाठ्यपुस्तक निगम कक्षा 7, 10 और 11 की नई पुस्तकें जारी करेगा।
(ख) भीड़ भरे तिरुवल्लुर-चेन्नई खंड में लौह-अयस्क निर्यातकों की सुविधा के लिए एक नई रेल लूप लाइन बिछाई जाएगी। नई लाइन 80 किमी की होगी। यह लाइन पुट्टुर से शुरू होगी और बंदरगाह के निकट अतिपट्टू तक जाएगी।
(ग) रमयमपेट मंडल में किसानों की आत्महत्या की घटनाओं की पुष्टि के लिए गठित तीन सदस्यीय उप-विभागीय समिति ने पाया कि इस माह आत्महत्या करने वाले दो किसान फसल के मारे जाने से आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे थे।

(क) यह समाचार तमिलनाडु सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने जारी किया होगा। क्योंकि राज्य शिक्षा मंत्रालय ही कक्षा 7, 10 व 11 की शिक्षा के विषयों से संबद्ध है।
(ख) यह समाचार केन्द्र सरकार के रेलवे मंत्रालय ने जारी किया होगा जो केन्द्र का विषय है; अतः यह केन्द्र सरकार के अधीन है। यह विषय निर्यात से भी जुड़ा है, यह भी केन्द्र को ही विषय है।
(ग) यह समाचार प्रदेश के कृषि मंत्रालय ने जारी किया होगा। किसानों का विषय राज्य सरकार का है।


प्रश्न.5. प्रधानमंत्री की नियुक्ति करने में राष्ट्रपति-
(क) लोकसभा के सबसे बड़े दल के नेता को चुनता है।
(ख) लोकसभा में बहुमत अर्जित करने वाले गठबन्धन-दलों के सबसे बड़े दल के नेता को चुनता है।
(ग) राज्यसभा के सबसे बड़े दल के नेता को चुनता है।
(घ) गठबंधन अथवा उस दल के नेता को चुनता है जिसे लोकसभा के बहुमत का समर्थन प्राप्त हो।

सही उत्तर (घ) गठबंधन अथवा उस दल के नेता को चुनता है जिसे लोकसभा के बहुमत का समर्थन प्राप्त हो।


प्रश्न.6. इस चर्चा को पढ़कर बताएँ कि कौन-सा कथन भारत पर सबसे ज्यादा लागू होता है?
आलोक – प्रधानमंत्री राजा के समान है। वह हमारे देश में हर बात का फैसला करता है।
शेखर – प्रधानमंत्री सिर्फ ‘बराबरी के सदस्यों में प्रथम’ है। उसे कोई विशेष अधिकार प्राप्त नहीं। सभी मंत्रियों और प्रधानमंत्री के अधिकार बराबर हैं।
बॉबी – प्रधानमंत्री को दल के सदस्यों तथा सरकार को समर्थन देने वाले सदस्यों का ध्यान रखना पड़ता है। लेकिन कुल मिलाकर देखें तो नीति-निर्माण तथा मंत्रियों के चयन में प्रधानमंत्री की बहुत ज्यादा चलती है।

उपर्युक्त परिस्थितियों में बॉबी का कथन भारतीय परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री की स्थिति को प्रकट करता है। प्रधानमंत्री की शक्तियाँ निश्चित ही अधिक हैं लेकिन उसे सरकार को समर्थन देने वाले सदस्यों का भी ध्यान रखना पड़ता है।


प्रश्न.7. क्या मंत्रिमण्डल की सलाह राष्ट्रपति को हर हाल में माननी पड़ती है? आप क्या सोचते हैं? अपना उत्तर अधिकतम 100 शब्दों में लिखें।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74 में उल्लेख है कि राष्ट्रपति को उसके कार्यों में सलाह देने के लिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक मंत्रिमण्डल होगा जो उनकी सलाह के अनुसार कार्य करेगा। 42वें संविधान संशोधन के अनुसार यह निश्चित किया गया था कि राष्ट्रपति को मंत्रिमण्डले की सलाह अनिवार्य रूप से माननी होगी। परन्तु संविधान के 44वें संविधान संशोधन में फिर यह निश्चय किया कि राष्ट्रपति प्रथम बार में मंत्रिमण्डल की सलाह मानने के लिए बाध्य नहीं है। वह सलाह’ को पुनः विचार-विमर्श हेतु भेज सकता है परन्तु दुबारा विचार-विमर्श के पश्चात् दी गई ‘सलाह’ को उसे अनिवार्य रूप से मानना होगा।


प्रश्न.8. कार्यपालिका की संसदीय-व्यवस्था ने कार्यपालिका को नियन्त्रण में रखने के लिए विधायिका को बहुत-से अधिकार दिए हैं। कार्यपालिका को नियन्त्रित करना इतना जरूरी क्यों है? आप क्या सोचते हैं?

संसदीय सरकार की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें कार्यपालिका (प्रधानमंत्री व मंत्रिमण्डल) संसद के प्रति उत्तरदायी होती है। दोनों में घनिष्ठ सम्बन्ध है। विभिन्न संसदात्मक तरीकों से व्यवस्थापिका कार्यपालिका पर लगातार अपना नियन्त्रण बनाए रखती है। इससे कार्यपालिका की मनमानी पर रोक लगती है और जनहित के निर्णय लिए जा सकते हैं। व्यवस्थापिका जनमते-निर्माण से, ‘काम रोको’ प्रस्ताव से व सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाकर सरकार पर नियन्त्रण करती है। जो स्वच्छ प्रशासन व जनहित के लिए आवश्यक भी है।


प्रश्न.9. कहा जाता है कि प्रशासनिक-तन्त्र के कामकाज में बहुत ज्यादा राजनीतिक हस्तक्षेप होता है। सुझाव के तौर पर कहा जाता है कि ज्यादा-से-ज्यादा स्वायत्त एजेंसियाँ बननी चाहिए जिन्हें मंत्रियों को जवाब न देना पड़े।
(क) क्या आप मानते हैं कि इससे प्रशासन ज्यादा जन-हितैषी होगा?
(ख) क्या आप मानते हैं कि इससे प्रशासन की कार्यकुशलता बढ़ेगी?
(ग) क्या लोकतंत्र का अर्थ यह होता है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को प्रशासन पर पूर्ण नियन्त्रण हो?

भारत में कार्यपालिका के दो प्रकार दिखाई देते हैं- एक राजनीतिक कार्यपालिका जो अस्थायी होती है। इसमें मंत्रियों के रूप में जन-प्रतिनिधि शामिल होते हैं। दूसरी स्थायी कार्यपालिका होती है। इसमें नौकरशाह (सरकारी कर्मचारी) होते हैं। ये अपने क्षेत्र में अनुभवी व विशेषज्ञ होते हैं। स्थायी नौकरशाही एक निश्चित राजनीतिक-प्रशासनिक वातावरण में कार्य करती है। इसमें राजनीतिक हस्तक्षेप अधिक होता है। यह नौकरशाही की क्षमता को भी प्रभावित करती है। संसदात्मक कार्यपालिका में यह सम्भव नहीं है कि प्रशासनिक संस्थाएँ पूरी तरह से स्वायत्त हों व उनमें राजनीतिक हस्तक्षेप का कोई प्रभाव न हो। यह निश्चित है कि अनावश्यक राजनीतिक हस्तक्षेप अगर न हो तो प्रशासनिक संस्थाओं की क्षमता अवश्य बढ़ेगी।
प्रतिनिध्यात्मक प्रजातन्त्र में जन-प्रतिनिधि जनता के हितों के रक्षक माने जाते हैं तथा प्रशासनिक कर्मचारियों व प्रशासनिक अधिकारियों का यह दायित्व है कि जन-प्रतिनिधियों के निर्देशन में जनहित को दृष्टिगत रखते हुए नीति-निर्माण करें। अतः आवश्यक सलाह को हस्तक्षेप नहीं माना जाना चाहिए, क्योंकि यह तो संसदात्मक सरकार के ढाँचे की अनिवार्यता है। जनहित के लिए यह आवश्यक है कि राजनीतिक कार्यपालिका व स्थायी नौकरशाही तालमेल बिठाकर अपने-अपने क्षेत्रों में रहकर कार्य करें।


प्रश्न.10. नियुक्ति आधारित प्रशासन की जगह निर्वाचन आधारित प्रशासन होना चाहिए। इस विषय पर 200 शब्दों में एक लेख लिखें।

निर्वाचित प्रशासन का अर्थ:
विश्व के लगभग सभी देशों में प्रशासन स्थायी कर्मचारियों द्वारा चलाया जाता है जो योग्यता तथा खुली प्रतियोगिता के आधार पर नियुक्त किए जाते हैं। ये कर्मचारी या अधिकारी स्थायी रूप से पद पर बने रहते हैं और उन्हें पद प्राप्त करने के लिए चुनाव नहीं लड़ना पड़ता, इसीलिए उन्हें स्थायी कार्यपालिका कहा जाता है। ये नियुक्ति आधारित प्रशासन का गठन करते हैं। यदि प्रशासन के सभी पदों पर नियुक्ति हेतु निर्वाचन की व्यवस्था कर दी जाए और कर्मचारी को प्रत्येक चार-पाँच वर्ष बाद चुनाव लड़ना पड़े और यह भी आवश्यक नहीं कि वह पुन: इस पद पर चुना जाए तो इसे निर्वाचित प्रशासन कहा जाएगा।
नियुक्त प्रशासन ही उचित तथा लाभदायक है: नियुक्त प्रशासन के स्थान पर निर्वाचित प्रशासन अच्छा तथा लाभदायक नहीं हो सकता, नियुक्त प्रशासन ही उचित होता है।
इसके पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं:
1. प्रशासन एक कला है जिसके लिए विशेष योग्यता तथा जानकारी की आवश्यकता होती है और स्थायी रूप से एक ही प्रकार का कार्य करने से व्यक्ति में अनुभव व निपुणता आती है। यह योग्यता निर्वाचित व्यक्तियों को प्राप्त नहीं होती।
2. स्थायी कर्मचारी राजनीति में भाग न लेकर राजनीतिक कार्यपालिका के निर्देशानुसार शासन चलाते हैं, किसी राजनीतिक विचारधारा से प्रेरित होकर कार्य नहीं करते। निर्वाचित स्थिति प्राप्त करने पर वे राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लेंगे और प्रशासनिक कार्य राजनीतिक भेदभाव के आधार पर करेंगे।
3. यदि निर्वाचित कर्मचारी तथा राजनीतिक कार्यपालिका के बीच राजनीतिक विचारधारा के आधार पर विरोध हो तो कर्मचारी मंत्री के आदेशों का पालन न करके खुले रूप में उनका विरोध करेगा, मंत्री के आदेश का पालन नहीं करेगा और प्रशासन में गतिरोध उत्पन्न हो जाएगा।
4. निर्वाचित कर्मचारी प्रशासन के काम में रुचि न लेकर अगले चुनाव में विजय प्राप्त करने की जोड़-तोड़ में लग जाएँगे क्योंकि उनका भविष्य अगले चुनाव पर निर्भर करेगा। इसके विपरीत नियुक्त कर्मचारी को उस पद पर स्थायी तौर पर रहना है और उसकी पदोन्नति अच्छे कार्यों पर निर्भर करेगी।

The document कार्यपालिका (Executive) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - CTET & State TET is a part of the CTET & State TET Course NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12).
All you need of CTET & State TET at this link: CTET & State TET
967 docs|393 tests
Related Searches

mock tests for examination

,

past year papers

,

practice quizzes

,

ppt

,

study material

,

video lectures

,

pdf

,

Sample Paper

,

Important questions

,

Semester Notes

,

कार्यपालिका (Executive) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - CTET & State TET

,

Summary

,

Free

,

Exam

,

Viva Questions

,

Previous Year Questions with Solutions

,

कार्यपालिका (Executive) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - CTET & State TET

,

Extra Questions

,

shortcuts and tricks

,

कार्यपालिका (Executive) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - CTET & State TET

,

Objective type Questions

,

MCQs

;