UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly  >  Science and Technology (विज्ञान और प्रौद्योगिकी): January 2023 UPSC Current Affairs

Science and Technology (विज्ञान और प्रौद्योगिकी): January 2023 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly PDF Download

मेटावर्स और AI का भविष्य

चर्चा में क्यों?

टेक फर्मों के लिये वर्ष 2022 काफी अच्छा नहीं रहा, फिर भी हम भविष्य में मेटावर्स और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence- AI) से संबंधित नवीन प्रौद्योगिकियों पर काम कर सकते हैं, जो चुनौतियाँ भी बढ़ा सकती हैं और अवसर भी पेश कर सकती हैं।

  • वर्ष 2022 में कोविड-लॉकडाउन के बाद मांग में काफी बदलाव देखा गया।
  • वर्ष 2022 के अंत में सिलिकन वैली की अधिकांश कंपनियों, विशेष रूप से इंटरनेट व्यवसाय में उथल-पुथल के साथ हुआ

मेटा-AI की भविष्य की चुनौतियाँ और अवसर

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता का अधिक व्यापक क्षेत्र:
    • ChatGPT ने विश्व को दिखाया है कि संवादी कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक ऐसा विचार है जिसका समय आ गया है।
    • ChatGPT में "अपनी गलतियों को स्वीकार करने, बहस करने और अनुपयुक्त अनुरोधों को अस्वीकार करने" के साथ-साथ "अनुवर्ती पूछताछ" करने की भी क्षमता है। लेकिन इस प्रकार की विशेषता अनेक उत्पादों में पाई जाती है, जो उपयोगी होने की तुलना में मनोरंजक अधिक हैं।
    • वर्ष 2023 में यह बुद्धिमत्ता उन उत्पादों में आती दिखाई देगी जिनका हम हर दिन उपयोग करते हैं, उदाहरण के लिये G-MAIL जो न केवल स्वतः सुझाव देगा बल्कि अगला मेल भी लिखेगा।
  • सोशल मीडिया से परे:
    • युवाओं तथा डिजिटल स्थानीय दर्शकों के बीच ट्विटर एवं फेसबुक प्रासंगिक बने रहने के लिये  संघर्ष कर रहे हैं। सामाजिक जुड़ाव की उनकी अवधारणाएँ अक्सर टेक्स्ट और नोटिस-बोर्ड के बिना बहुत भिन्न होती हैं।
    • उदाहरण के लिये मेटा जानता है कि उसे अपने वर्तमान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से परे सोचना होगा और जब उपयोगकर्त्ता मेटावर्स में जाते हैं, तो वह सामाजिक लिंक बनना चाहता है।
    • लेकिन ऐसा कुछ नहीं है जो जल्द ही परिवर्तित हो जाएगा। तब तक, ऐसा लगता है कि सोशल मीडिया क्षेत्र में एक अंतराल उभर रहा है, जिसे अब छोटे वीडियो से जुड़े उपयोगकर्त्ताओं द्वारा भरा जा रहा है। उस खंड (सेगमेंट) में सभी प्लेटफॉर्म ठीक भी नहीं हैं और पुराने सिद्धांत भी समाप्त हो जाएंगे 
  • अधिक क्षेत्रीय, गहरे सामाजिक बबल्स (Bubbles):
    • जैसे-जैसे इंटरनेट का प्रसार नए उपयोगकर्त्ताओं तक हो रहा है, खासकर भारत जैसे देशों में भी यह अधिक स्थानीय और बहुभाषी होता जा रहा है।  
    • ऐसा लगता है कि दुनिया भर का इंटरनेट अंग्रेज़ी भाषा में स्थिर हो गया है जिससे गूगल जैसे प्लेटफाॅर्म छोटी, क्षेत्रीय भाषाओं में सेवा देने के अवसरों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने लगे हैं। 
    • यह एक से अधिक तरीकों के साथ एक तकनीकी चुनौती है, लेकिन यह नई तकनीकों का परीक्षण करने का अवसर भी प्रस्तुत करती है जो इन नए उपयोगकर्त्ताओं के लिये इंटरनेट की सामग्री को बिना मानवीय हस्तक्षेप के परिवर्तित कर सकती है।
  • मेटावर्स का भविष्य: 
    • जैसा कि हाइब्रिड वर्कफोर्स आदर्श बन गया है और यात्रा अभी भी पहले की तरह आसान नहीं है, वस्तुतः विस्तारित वास्तविकता (XR) सहयोग और संवाद करने का माध्यम बन सकती है।
    • XR एक नया व्यापक शब्द है जिसमें संवर्द्धित वास्तविकता (Augmented Reality- AR), वर्चुअल रियलिटी (VR) और मिक्स्ड रियलिटी (MR) के साथ-साथ अभी तक विकसित होने वाली सभी तकनीकों को शामिल किया गया है। 
    • सभी स्थिर प्रौद्योगिकियाँ उस वास्तविकता का विस्तार करती हैं जिसे हम आभासी और "वास्तविक" दुनिया के सम्मिश्रण से या पूरी तरह से स्थिर बनाकर अनुभव करते हैं।
    • चूँकि इन वर्चुअल इंटरैक्शन को सुविधाजनक बनाने के लिये  हेडसेट और अन्य सामग्री अब भी बहुत महँगी है, अतः यह कंपनियों पर निर्भर करता है कि वे नियमित XR बैठकों के लिये अपने कर्मचारियों को सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करें।  प्रारंभिक अनुभव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के एक उन्नत संस्करण जैसा हो सकता है, लेकिन आभासी क्षेत्र में वस्तुओं के बीच अंतःक्रिया करने के साथ ऐसा संभव होगा।
    • आने वाले वर्षों में हम नियमित उपयोगकर्त्ताओं के लिये मेटावर्स के कुछ और व्यावसायिक संस्करण सुलभ होने की अपेक्षा कर सकते हैं। हालाँकि मुख्य चुनौती हार्डवेयर के संदर्भ  में होगी जो लोगों को वास्तविक दुनिया में बिना किसी नुकसान के इन आभासी दुनिया तक पहुँच प्रदान करती है। कम लागत वाला उपकरण एक बड़ी समस्या हो सकता है जो उपयोगकर्त्ता को मेटावर्स में आसानी से लॉग इन करने की सुविधा देता है- यह एक स्मार्टफोन भी हो सकता है। 
  • Science and Technology (विज्ञान और प्रौद्योगिकी): January 2023 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & MonthlyAI से संबंधित नैतिक चिंताएँ:
    • समाज में गोपनीयता और निगरानी, पूर्वाग्रह अथवा भेदभाव तथा संभावित रूप से मानवीय निर्णय की भूमिका संबंधी दार्शनिक समस्या उन कानूनी एवं नैतिक मुद्दों में से हैं जिनका मुख्य कारण AI को माना जाता है। आधुनिक डिजिटल तकनीकों का उपयोग संबंधी चिंता डेटा उल्लंघनों और इसकी अनिश्चितताओं को लेकर है।
    • इस क्रांति का दूसरा पक्ष AI के सामाजिक-राजनीतिक और आर्थिक प्रभावों को लेकर है, विशेष रूप से आधुनिक लोकतंत्रों के प्रमुख आदर्शों के साथ इन विकासशील प्रौद्योगिकियों के सह-अस्तित्व के संबंध में।
    • नतीजतन, AI नैतिकता और AI का सुरक्षित और उत्तरदायित्त्वपूर्ण अनुप्रयोग प्रौद्योगिकी क्रांति के प्रमुख चिंताओं में से हैं।
    • भारत में AI नैतिकता सिद्धांतों के लिये संवैधानिक नैतिकता की आधारशिला के रूप में कल्पना की गई थी, जिसमें उचित AI परिनियोजन के तहत हमारे संवैधानिक अधिकार एवं लोकाचार सबसे महत्त्वपूर्ण तत्त्व हों
  • उत्तरदायित्त्वपूर्ण AI के प्रमुख सिद्धांत: 
    • सुरक्षा और विश्वसनीयता: AI प्रणाली को अपने कार्यों में विश्वसनीय होना चाहिये एवं हितधारकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये एक अंतर्निहित सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिये।
    • समानता: AI प्रणाली को यह ध्यान में रखते हुए बनाया जाना चाहिये कि समान परिस्थितियों में समान लोगों के साथ समान व्यवहार किया जाए।
    • समावेशिता और गैर-भेदभाव: AI प्रणाली को सभी हितधारकों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया जाना चाहिये तथा शिक्षा, रोज़गार, सार्वजनिक स्थलों तक पहुँच के मामलों आदि के लिये धर्म, जाति, जाति, लिंग, वंश, जन्म स्थान या निवास के आधार पर हितधारकों के बीच भेदभाव नहीं करना चाहिये। 
    • गोपनीयता और सुरक्षा: AI सिस्टम को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि डेटा विषयों का व्यक्तिगत डेटा सुरक्षित होना चाहिये, अर्थात् केवल अधिकृत व्यक्तियों को ही इस प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिये पर्याप्त सुरक्षा उपायों के ढाँचे के भीतर निर्दिष्ट एवं आवश्यक उद्देश्यों हेतु व्यक्तिगत डेटा तक पहुँच प्रदान करना चाहिये।
    • पारदर्शिता का सिद्धांत: AI सिस्टम डिज़ाइन और प्रशिक्षण इसके संचालन के लिये महत्त्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करने हेतु कि AI सिस्टम की तैनाती निष्पक्ष, जवाबदेह एवं पूर्वाग्रह या अशुद्धि से मुक्त है, साथ ही सिस्टम का ऑडिट किया जाना चाहिये तथा जाँच में सक्षम होना चाहिये।
    • उत्तरदायित्व का सिद्धांत: चूँकि AI सिस्टम के विकास, तैनाती और संचालन की प्रक्रिया में विभिन्न अभिकर्त्ता हैं, AI सिस्टम द्वारा किसी भी प्रभाव, हानि या क्षति के लिये उत्तरदायी संरचना सार्वजनिक रूप से सुलभ एवं समझने योग्य तरीके से स्पष्ट रूप से निर्धारित की जानी चाहिये।
    • सकारात्मक मानवीय मूल्यों का संरक्षण और सुदृढीकरण: यह सिद्धांत भारत के संविधान द्वारा गारंटीकृत मौलिक अधिकारों के विपरीत AI सिस्टम के उपयोग की रूपरेखा तैयार करने के लिये व्यक्तिगत डेटा के संग्रह के माध्यम से AI सिस्टम के संभावित हानिकारक प्रभावों पर केंद्रित है।

एक्सोप्लैनेट

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने LHS 475b नाम के नए एक्सोप्लैनेट की खोज की है। 

  • वेब टेलीस्कोप की बढ़ी हुई क्षमताओं को देखते हुए आशा है कि भविष्य में पृथ्वी के आकार के और भी ग्रहों की खोज हो सकती है। 

LHS 475b

  • निष्कर्ष: 
    • मोटे तौर पर यह पृथ्वी के आकार का है, इसका व्यास 99% पृथ्वी के समान है।
    • यह एक आकाशीय, चट्टानी ग्रह है जो पृथ्वी से लगभग 41 प्रकाश वर्ष (Light Year) दूर नक्षत्र ऑक्टान में है।
    • यह पृथ्वी से दो मामलों में भिन्न है, पहला कि यह केवल दो दिनों में एक परिक्रमा पूरी करता है तथा दूसरा, पृथ्वी से सैकड़ों डिग्री अधिक गर्म है।
    • हमारे सौरमंडल के किसी भी ग्रह की तुलना में यह अपने तारे के अधिक निकट है
    • यह एक रेड ड्वार्फ स्टार के बहुत करीब से परिक्रमा करता है और केवल दो दिनों में एक पूर्ण परिक्रमा पूरी कर लेता है।
    • अब तक खोजे गए अधिकांश एक्सोप्लैनेट बृहस्पति के समान हैं क्योंकि पृथ्वी के आकार के ग्रह बहुत छोटे हैं और इन्हें पुराने टेलीस्कोप से इनका पता लगाना भी कठिन होता है।
  • महत्त्व: 
    • पृथ्वी के आकार के इस चट्टानी ग्रह के अवलोकन संबंधी परिणाम इस प्रकार के ग्रहों के वायुमंडल के अध्ययन में सहायक भविष्य की कई संभावनाओं का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
    • लाल बौने तारे का तापमान सूर्य के तापमान का आधा है, इसलिये शोधकर्त्ता उम्मीद कर रहे हैं कि इसमें भी वातावरण हो सकता है।

एक्सोप्लैनेट

  • परिचय: 
    • एक्सोप्लैनेट ऐसे ग्रह हैं जो अन्य तारों की परिक्रमा करते हैं और हमारे सौरमंडल से दूर हैं। एक्सोप्लैनेट का पता लगाने की पहली पुष्टि वर्ष 1992 में हुई थी।
    • नासा के अनुसार, अब तक 5,000 से अधिक एक्सोप्लैनेट की खोज की गई है।  
    • वैज्ञानिकों का मानना है कि तारों की तुलना में ग्रहों की संख्या अधिक है क्योंकि कम-से- कम एक ग्रह प्रत्येक तारे की परिक्रमा करता है। 
    • एक्सोप्लैनेट विभिन्न आकार के होते हैं। वे बृहस्पति जैसे बड़े व गैसीय तथा पृथ्वी जैसे छोटे एवं चट्टानी हो सकते हैं। इनके तापमान में भी भिन्नता पाई जाती है जो अत्यधिक गर्म (Boiling Hot) से अत्यधिक ठंडे (Freezing Cold)  तक हो सकते हैं
  • खोज:
    • एक्सोप्लैनेट को दूरबीनों से सीधे देखना बहुत मुश्किल होता है। वे उन तारों की उज्ज्वल चमक में छिपे हुए हैं जिनकी वे परिक्रमा करते हैं।  
    • इसलिये खगोलविद् एक्सोप्लैनेट का पता लगाने और अध्ययन करने के लिये अन्य तरीकों का उपयोग करते हैं जैसे कि इन ग्रहों के तारों के उन प्रभावों को देखना जिनकी वे परिक्रमा करते हैं। 
    • वैज्ञानिक अप्रत्यक्ष तरीकों पर भरोसा करते हैं जैसे कि पारगमन विधि जो एक तारे के मंद होने की माप करती है जिसके सामने से एक ग्रह गुज़रता है। 
    • अन्य अन्वेषण विधियों में गुरुत्त्वाकर्षण माइक्रोलेंसिंग शामिल है- एक दूर के तारे से प्रकाश गुरुत्त्वाकर्षण द्वारा अपवर्तित और केंद्रित होता है क्योंकि एक ग्रह तारे तथा पृथ्वी के बीच से गुज़रता है। यह विधि काल्पनिक रूप से एक्सोप्लैनेट अन्वेषण के लिये हमारे सूर्य का उपयोग कर सकती है। 
  • महत्त्व: 
    • एक्सोप्लैनेट का अध्ययन न केवल अन्य सौर प्रणालियों के प्रति हमारी समझ को व्यापक बनाता है, बल्कि हमें अपने ग्रह प्रणाली और उनकी उत्पत्ति के बारे में जानकारी देने में भी मदद करता है।  
    • हालाँकि उनके बारे में जानने का सबसे सशक्त कारण मानव जाति के सर्वाधिक गहन और विचारोत्तेजक प्रश्नों में से एक का उत्तर खोजना है कि क्या हम इस ब्रह्मांड में अकेले हैं? 
    • अध्ययन का एक अन्य महत्त्वपूर्ण तत्त्व एक्सोप्लैनेट और उसके समूह तारों के मध्य की दूरी का पता लगाना है।  
    • यह वैज्ञानिकों को यह निर्धारित करने में मदद करता है कि खोज की गई दुनिया रहने योग्य है या नहीं। यदि एक एक्सोप्लैनेट तारे के बहुत करीब है, तो यह पानी को तरल बनाए रखने हेतु अत्यधिक गर्म हो सकता है। यदि यह बहुत दूर है, तो इस पर केवल जमा हुआ पानी ही हो सकता है। 
    • जब कोई ग्रह इतनी दूरी पर होता है जो पानी को तरल बनाए रखने में सक्षम होता है, तो उसे "गोल्डीलॉक्स ज़ोन" या रहने योग्य क्षेत्र कहा जाता है।

हैदराबाद: चौथी औद्योगिक क्रांति का केंद्र

चर्चा में क्यों?   

हाल ही में विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने हैदराबाद, तेलंगाना को चौथी औद्योगिक क्रांति के केंद्र (C4IR) की स्थापना के लिये चुना है। 

  • C4IR (Center for the Fourth Industrial Revolution) तेलंगाना एक स्वायत्त, गैर-लाभकारी संगठन होगा जो स्वास्थ्य देखभाल और जीवन विज्ञान पर ध्यान केंद्रित करेगा। 

चौथी औद्योगिक क्रांति

  • परिचय:  
    • यह डिजिटल, भौतिक और जैविक दुनिया के बीच की सीमाओं को धुंधला करने के लिये प्रौद्योगिकी के उपयोग की विशेषता है, यह डेटा द्वारा संचालित होता है।
    • प्रमुख प्रौद्योगिकियों में क्लाउड कंप्यूटिंग, बिग डेटा, स्वायत्त रोबोट, साइबर सुरक्षा, सिमुलेशन, एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग तथा इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) शामिल हैं। 
    • 4IR शब्द वर्ष 2016 में WEF के कार्यकारी अध्यक्ष क्लॉस श्वाब द्वारा गढ़ा गया था।  
  • इसके प्रमुख उदाहरण:
    • पेसमेकर (Pacemaker): पेसमेकर चल रही चौथी औद्योगिक क्रांति (4IR) का एक निकट-परिपूर्ण उदाहरण है।
    • पेसमेकर के चार वायरलेस सेंसर तापमान, ऑक्सीजन के स्तर और हृदय की विद्युत गतिविधि जैसी नब्ज़ की निगरानी करते हैं।
    • वह उपकरण जो नब्ज़ का विश्लेषण करता है और तय करता है कि हृदय को कब और किस गति से गति प्रदान करनी है। डॉक्टर टैबलेट या स्मार्टफोन पर जानकारी को वायरलेस तरीके से एक्सेस कर सकते हैं।
    • ज़ेनोबॉट्स: पहले जीवित रोबोट को ज़ेनोबॉट्स (Xenobots) नाम दिया गया है। इसे अफ्रीकी पंजे वाले मेंढक (जेनोपसलाविस) की स्टेम कोशिका से बनाया गया है तथा इसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करके प्रोग्राम किया जा सकता है।
    • अमेरिकी वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा अक्तूबर 2021 में इसकी प्रजनन क्षमता को साबित किया गया है।
    • जब शोधकर्त्ताओं ने ज़ेनोबॉट्स को पेट्री डिश में रखा तो वे अपने मुँह के अंदर सैकड़ों छोटे स्टेम सेल इकट्ठा करने और कुछ दिनों बाद नए ज़ेनोबॉट्स को निर्मित करने में सक्षम थे।
    • एक बार अच्छे से विकसित हो जाने के बाद ज़ेनोबॉट्स माइक्रोप्लास्टिक्स को साफ करने और मानव शरीर के अंदर मृत कोशिकाओं एवं ऊतकों को बदलने या पुनर्निर्माण करने जैसे कार्यों के लिये फायदेमंद हो सकते हैं।
    • स्मार्ट रेलवे कोच: नवंबर 2020 में उत्तर प्रदेश के रायबरेली में मॉडर्न कोच फैक्ट्री (MCF) ने स्मार्ट रेलवे कोच तैयार किये, जो कि यात्रियों को आरामदायक अनुभव प्रदान करने हेतु सेंसर युक्त बैटरी से लैस हैं।
    • ये सेंसर शौचालयों में गंध के स्तर की निगरानी, दरवाज़े के सुरक्षित रूप से बंद होने की जाँच, आग के प्रकोप से बचने में मदद और चेहरे की पहचान करने वाले सीसीटीवी कैमरों का उपयोग कर अनधिकृत यात्रा को रोकने में मदद करते हैं
  • 4IR से जुड़ी चुनौतियाँ:  
    • नौकरी का विस्थापन: चूँकि स्वचालन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता अधिक प्रचलित हो रही है,  चिंता का विषय यह है कि कई नौकरियाँ मशीनों द्वारा प्रतिस्थापित हो जाएंगी जिससे बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरी छूट जाएगी और बेरोज़गारी बढ़ेगी
    • गोपनीयता संबंधी चिंता: औद्योगिक क्रांति 4.0 में उपकरणों और विभिन्न प्रणालियों की बढ़ती कनेक्टिविटी से साइबर हमलों का खतरा बढ़ सकता है, जिसका व्यवसायों और व्यक्तियों दोनों पर प्रभाव पड़ सकता है।
    • नैतिक चिंताएँ: जैसे-जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता और स्वचालन अधिक उन्नत होते जा रहे हैं, जवाबदेही, पूर्वाग्रह और पारदर्शिता जैसे नैतिक मुद्दों के बारे में भी चिंताएँ बढ़ रही हैं।
    • डिजिटल बुनियादी ढाँचे की कमी: सभी देशों में उद्योग 4.0 के लिये डिजिटल बुनियादी ढाँचे उपलब्ध नहीं हैं, जिससे डिजिटल डिवाइड और असमान आर्थिक विकास होता है।
  • अन्य औद्योगिक क्रांतियाँ:
    • पहली औद्योगिक क्रांति (1800 के दशक में): इसमें उत्पादन को मशीनीकृत करने के लिये जल और भाप की शक्ति का उपयोग किया गया था। उदाहरण: भाप का इंजन।
    • दूसरी औद्योगिक क्रांति (1900 की शुरुआत में): इसने बड़े पैमाने पर उत्पादन हेतु विद्युत का उपयोग किया। उदाहरण: बिजली।
    • तीसरी औद्योगिक क्रांति (1900 के अंत में): इसने उत्पादन को स्वचालित करने के लिये इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग किया। उदाहरण: कंप्यूटर और इंटरनेट।

iVOFm तकनीक

जल संदूषण की समस्या से निपटने तथा स्वच्छ एवं पीने योग्य जल तक पहुँच बढ़ाने हेतु भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Science Education and Research- IISER), पुणे ने प्रदूषित जल को साफ करने के लिये मैक्रो/सूक्ष्म छिद्रपूर्ण आयनिक जैविक ढाँचा- iVOFm प्रस्तुत किया है। 

वायोलोजेन-यूनिट ग्राफ्टेड ऑर्गेनिक-फ्रेमवर्क (iVOFm)

  • वायोलोजेन-यूनिट ग्राफ्टेड ऑर्गेनिक-फ्रेमवर्क (iVOFm) अद्वितीय आणविक स्पंज जैसी सामग्री है जो प्रदूषित जल में मौजूद दूषित पदार्थों को सोख कर उसे साफ करती है।
  • मीठे जल के स्रोतों में कार्सिनोजेनिक संदूषक शामिल होते हैं जिन्हें सॉर्बेंट सामग्री और आयन-विनिमय प्रक्रियाओं (ion-exchange techniques) का उपयोग करके समाप्त किया जा सकता है, हालाँकि ये प्रक्रियाएँ उतनी सक्षम नहीं हैं। iVOFm की मदद से इसमे सुधार होने की संभावना है। 
  • लक्षित प्रदूषक को हटाने के लिये aFm इलेक्ट्रोस्टैटिक रूप से संचालित आयन-एक्सचेंजनैनोमीटर-आकार के मैक्रोप्रोर्स और विशेष बाइंडिंग साइट्स के संयोजन का उपयोग करता है।  
  • iVOFm और मैक्रोपोरोसिटी (कैविटी> 75 मीटर) की अंतर्निहित cationic प्रकृति द्वारा दूषित पदार्थों (कार्बनिक + अकार्बनिक,> 30 सेकंड में 93% कमी) का तेजी से प्रसार संभव है।
  • सामान्य सॉर्बेंट सामग्री के विपरीत यह सामग्री विषाक्त प्रदूषकों के प्रति बहुत ही चयनात्मक पाई जाती है। इसे बाथिंग स्पंज की तरह कई बार उपयोग किया जा सकता है।

आयन-एक्सचेंज तकनीक

  • आयन एक्सचेंज (IX) विआयनीकरण की एक प्रक्रिया है जिसमें जल में घुलित अशुद्ध आयनों को हाइड्रोजन और हाइड्रॉक्सिल आयनों द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है जिससे जल शुद्ध होता है।
  • वाटर सॉफ्टनर IX तकनीक के समान हैं क्योंकि दोनों जल से मैग्नीशियम और कैल्शियम आयनों को हटा सकते हैं।  

निकल मिश्र धातु कोटिंग्

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology- DST) के स्वायत्त अनुसंधान और विकास केंद्र के अनुसार, इंजीनियरिंग अनुप्रयोगों में उच्च- क्षमता प्रदर्शन सामग्री पर निकेल मिश्र धातु के निक्षेपण की परत चढ़ाने (कोटिंग) की एक नई विधि पर्यावरण की दृष्टि से विषाक्त क्रोम प्लेटिंग/कोटिंग को प्रतिस्थापित कर सकती है।

क्रोम प्लेटिंग

  • परिचय:  
    • क्रोम प्लेटिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा विद्युत लेपन/इलेक्ट्रोप्लेटिंग प्रक्रिया का उपयोग करके धातु की सतह पर क्रोमियम की एक पतली परत का आवरण चढ़ाया जाता है।
    • विद्युत के माध्यम से किसी अन्य सामग्री पर किसी वांछित धातु की परत चढ़ाने की प्रक्रिया को विद्युत लेपन कहते हैं।
  • विशेषता:  
    • क्रोमियम परत अत्यधिक परावर्तक होती है और एक कठोर, मज़बूत, संक्षारण (Corrosion) प्रतिरोधी सतह प्रदान करती है।  
  • महत्त्व:  
    • क्रोम प्लेटिंग का उपयोग अक्सर मोटर वाहन के पुर्जों के साथ-साथ घरेलू वस्तुओं जैसे- दरवाज़े का हैंडल और कई औद्योगिक अनुप्रयोगों में किया जाता है।
  • नुकसान:  
    • क्रोम प्लेटिंग प्रक्रिया में हेक्सावेलेंट क्रोमियम, एक मानव कार्सिनोजेन का उपयोग किया जाता है।
    • इससे श्वसन संबंधी समस्याएँ, त्वचा में जलन, एलर्जी और फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है  

निकल मिश्र धातु कोटिंग

  • परिचय:
    • निकल कोटिंग संक्षारण और टिकाऊपन का एक अनूठा संयोजन प्रदान करता है। यह चमक एवं प्रकाश को बनाए रखता है।
    • यह बाद की कोटिंग परतों के लिये उत्कृष्ट आसंजन गुण भी प्रदान करता है, यही कारण है कि निकल को अक्सर क्रोमियम जैसे अन्य कोटिंग्स के लिये 'अंडरकोट' के रूप में उपयोग किया जाता है। 
  • उपयोग:
    • एयरोस्पेस: निकल मिश्र धातु कोटिंग्स का उपयोग विमान और एयरोस्पेस घटकों पर संक्षारण एवं घिसाव के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ पुर्जों के स्थायित्त्व तथा जीवनकाल में सुधार करने के लिये किया जाता है।  
    • मोटर वाहन: संक्षारण और घिसावट से बचाने के साथ-साथ उपकरणों के टिकाऊपन एवं जीवनकाल को बेहतर बनाने के लिये मोटर वाहन उपकरणों पर निकेल मिश्र धातु कोटिंग्स का उपयोग किया जाता है।
    • खाद्य प्रसंस्करण: संक्षारण से बचाने और नॉन-स्टिक सतह प्रदान करने के लिये खाद्य प्रसंस्करण उपकरणों पर उपयोग किया जाता है।

ओज़ोन परत की पुनर 

संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, पृथ्वी की सुरक्षात्मक ओज़ोन परत की धीरे-धीरे लेकिन उल्लेखनीय रूप से पुनर्प्राप्त हो रही है जो लगभग 43 वर्षों में अंटार्कटिक के ऊपर बने छिद्र को पूरी तरह से ढक देगी। 

  • रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
    • हालाँकि यह एक उपलब्धि है, लेकिन वैज्ञानिकों ने ओज़ोन परत पर भू-अभियांत्रिकी प्रौद्योगिकियों जैसे- स्ट्रैटोस्फेरिक एरोसोल इंजेक्शन (Stratospheric Aerosol Injection-SAI) के हानिकारक प्रभावों की चेतावनी दी है।
    • एरोसोल स्प्रे, अन्य सामान्य रूप से उपयोग किये जाने वाले पदार्थ जैसे कि ड्राई-क्लीनिंग सॉल्वैंट्स, रेफ्रिजरेंट और फ्यूमिगेंट्स की तरह ओज़ोन-क्षयकारी पदार्थ (ODS) होते हैं जिनमें क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC), हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFC), हैलोन, मिथाइल ब्रोमाइड, कार्बन टेट्राक्लोराइड एवं मिथाइल क्लोरोफॉर्म शामिल हैं।
    • पहली बार वैज्ञानिक मूल्यांकन पैनल ने समताप मंडल में एरोसोल को जान-बूझकर जोड़ने के ओज़ोन पर संभावित प्रभावों की जाँच की जिसे स्ट्रैटोस्फेरिक एरोसोल इंजेक्शन (SAI) के रूप में जाना जाता है। 
    • SAI सूर्य के प्रकाश के परावर्तन को बढ़ा सकता है, जिससे क्षोभमंडल में प्रवेश करने वाली ऊष्मा की मात्रा कम हो जाती है लेकिन यह विधि "समतापमंडलीय तापमान, परिसंचरण एवं ओज़ोन उत्पादन तथा विनाश दर और परिवहन को भी प्रभावित कर सकती है"।
  • ओज़ोन: 
    • रासायनिक सूत्र O3 के साथ ओज़ोन ऑक्सीजन का एक विशेष रूप है। हम जिस ऑक्सीजन में साँस लेते हैं और जो पृथ्वी पर जीवन के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है, वह O2 है।
    • ओज़ोन का लगभग 90% प्राकृतिक रूप से पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल (समताप मंडल) में पृथ्वी की सतह से 10 से 40 किमी. के बीच होता है, जहाँ यह एक सुरक्षात्मक परत बनाता है जो हमें सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाती है।
    • यह "अच्छा" ओज़ोन धीरे-धीरे मानव निर्मित रसायनों द्वारा नष्ट किया जा रहा है, जिन्हें ओज़ोन-घटाने वाला पदार्थ (ODS-Ozone Depleting Substance) कहा जाता है, जिसमें सीएफसी, एचसीएफसी, हैलोन, मिथाइल ब्रोमाइड, कार्बन टेट्राक्लोराइड और मिथाइल क्लोरोफॉर्म शामिल हैं।
    • जब समताप मंडल में क्लोरीन और ब्रोमीन परमाणु ओज़ोन के संपर्क में आते हैं, तो वे ओज़ोन अणुओं को नष्ट कर देते हैं
    • समताप मंडल से निष्काषित होने से पहले क्लोरीन परमाणु 100,000 से अधिक ओज़ोन अणुओं को नष्ट कर सकता है
    • ओज़ोन प्राकृतिक रूप से निर्मित होने की तुलना में अधिक तेज़ी से नष्ट हो सकती है। 
    • ओज़ोन परत की कमी से मनुष्यों में त्वचा कैंसर और मोतियाबिंद की घटनाओं में वृद्धि होती है।

संबंधित पहल

  • वियना अभिसमय:
    • ओज़ोन परत के संरक्षण के लिये वर्ष 1985 के वियना अभिसमय ने ओज़ोन संरक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग हेतु एक रूपरेखा प्रदान की।
  • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (वियना अभिसमय के अंतर्गत):
    • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल जिसे वर्ष 1987 में अपनाया गया था, ओज़ोन-क्षय करने करने वाले पदार्थों के उत्पादन को रोकने के लिये एक विश्वव्यापी समझौता है। 
    • किगाली संशोधन के तहत मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के पक्षकार हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs) के उत्पादन और खपत को कम करने पर सहमत हुए
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