UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly  >  Science and Technology (विज्ञान और प्रौद्योगिकी): February 2023 UPSC Current Affairs

Science and Technology (विज्ञान और प्रौद्योगिकी): February 2023 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly PDF Download

चैटबाॅट

चर्चा में क्यों?

हाल ही में OpenAI ने ChatGPT नामक एक नया चैटबॉट पेश किया है, जो एक 'संवादात्मक' आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) है और मानव की तरह ही प्रश्नों का उत्तर देगा।

ChatGPT

परिचय:

  • ChatGPT "अनुवर्ती प्रश्नों" का उत्तर दे सकता है और "अपनी गलतियों को स्वीकार कर सकता है, गलत धारणाओं को चुनौती दे सकता है साथ ही अनुचित अनुरोधों को अस्वीकार कर सकता है।"
  • यह कंपनी के GPT 3.5 सीरीज़ के लैंग्वेज लर्निंग मॉडल (LLM) पर आधारित है।
  • GPT का मतलब जनरेटिव प्री-ट्रेन्ड ट्रांसफॉर्मर-3 है और यह एक तरह का कंप्यूटर लैंग्वेज मॉडल है जो इनपुट के आधार पर मानव-समान पाठ करने के लिये गहन शिक्षण तकनीकों पर निर्भर करता है।
  • मॉडल को यह भविष्यवाणी करने के लिये प्रशिक्षित किया जाता है कि भविष्य में क्या होगा, और इसलिये तकनीकी रूप से ChatGPT के साथ 'बातचीत' की जा सकती है।
  • चैटबॉट को रेनफोर्समेंट लर्निंग फ्रॉम ह्यूमन फीडबैक (RLHF) का उपयोग करके भी प्रशिक्षित किया गया था।

उपयोग:

  • इसका उपयोग वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों जैसे डिजिटल मार्केटिंग, ऑनलाइन सामग्री निर्माण, ग्राहक सेवा प्रश्नों का उत्तर देने या यहाँ तक कि डीबग कोड में मदद करने के लिये भी किया जा सकता है।
  • मानव जैसी बोलने की शैली की नकल करते हुए बॉट कई तरह के सवालों का जवाब दे सकता है।
  • इसे बेसिक ईमेल, पार्टी प्लानिंग लिस्ट, सीवी और यहाँ तक कि कॉलेज निबंध और होमवर्क के प्रतिस्थापन के रूप में देखा जा रहा है।

इसका उपयोग कोड लिखने के लिये भी किया जा सकता है

सीमाएँ:

  • उक्त चैटबॉट में भी लगभग सभी AI मॉडल की तरह नस्लीय और लैंगिक पूर्वाग्रह संबंधी समस्याएँ हैं।
  • चैटबॉट के उत्तर व्याकरणिक रूप से सही होते हैं और इसकी पठन संबंधी समझ भी अच्छी है परंतु इसमें संदर्भ संबंधी समस्या  है, जो काफी हद तक सच है।
  • ChatGPT कभी-कभी गलत जानकारी डेटा है और इसका ज्ञान वर्ष 2021 से पहले हुई वैश्विक घटनाओं तक ही सीमित है।

चैटबॉट:

परिचय:

  • चैटबॉट्स, जिसे चैटरबॉट्स भी कहा जाता है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का एक रूप है जिसका उपयोग मैसेजिंग एप में किया जाता है।
  • यह टूल ग्राहकों को सुविधा प्रदान करता है, ये स्वचालित प्रोग्राम हैं जो ग्राहकों के साथ मानव की तरह बातचीत करते हैं और इसमें संलग्न होने के लिये नाममात्र/न के बराबर शुल्क अदा करना होता है ।
  • फेसबुक मैसेंजर में व्यवसायों द्वारा या अमेज़ॅन के एलेक्सा जैसे आभासी सहायकों के रूप में उपयोग किये जाने वाले चैटबॉट प्रमुख उदाहरण हैं।
  • चैटबॉट दो तरीकों में से एक में काम करते हैं- मशीन लर्निंग के माध्यम से या निर्धारित दिशा-निर्देशों के साथ।
  • हालाँकि AI तकनीक में प्रगति के कारण निर्धारित दिशा-निर्देशों का उपयोग करने वाले चैटबॉट एक ऐतिहासिक पदचिह्न बन रहे हैं।

प्रकार:

  • निर्धारित दिशा-निर्देशों के साथ चैटबॉट:
    • यह केवल अनुरोधों और शब्दावली की एक निर्धारित संख्या का जवाब दे सकता है क्योंकि यह प्रोग्रामिंग कोड जितना ही बुद्धिमान है।
    • सीमित बॉट का एक उदाहरण स्वचालित बैंकिंग बॉट है जो कॉल करने वाले से यह समझने के लिये कुछ प्रश्न पूछता है कि कॉलर क्या करना चाहता है।
  • मशीन लर्निंग चैटबॉट:
    • चैटबॉट जो मशीन लर्निंग के माध्यम से कार्य करता है, उसमें कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क होता है जो मानव मस्तिष्क के तंत्रिका नोड्स से प्रेरित होता है।
    • बॉट को स्वतः सीखने के लिये प्रोग्राम किया गया है क्योंकि इसे नए संवादों और शब्दों से परिचित कराया जाता है।
    • वास्तव में जैसे ही चैटबॉट को नई आवाज़ या टेक्स्ट संवाद प्राप्त होते हैं, पूछताछ की संख्या जिसका वह उत्तर दे सकता है, की सटीकता बढ़ जाती है।
    • मेटा (जैसा कि अब फेसबुक की मूल कंपनी के रूप में जाना जाता है) में एक मशीन लर्निंग चैटबॉट है जो कंपनियों को मैसेंजर एप के माध्यम से अपने उपभोक्ताओं के साथ बातचीत करने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
  • लाभ:
    • चैटबॉट ग्राहक सेवा प्रदान करने और सप्ताह में 7 दिन 24 घंटे समर्थन करने के लिये सुविधाजनक हैं।
    • वे फोन लाइनों को भी मुफ्त करते हैं तथा लंबे समय में समर्थन करने के लिये लोगों को काम पर रखने की तुलना में बहुत कम खर्चीले होते हैं।
    • AI और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण का उपयोग करते हुए चैटबॉट यह समझने में बेहतर हो रहे हैं कि ग्राहक क्या चाहते हैं तथा उन्हें वह सहायता प्रदान कर रहे हैं जिसकी उन्हें आवश्यकता है।
    • कंपनियांँ भी चैटबॉट को पसंद करती हैं क्योंकि वे ग्राहकों के प्रश्नों, प्रतिक्रिया समय, संतुष्टि आदि के बारे में डेटा एकत्र कर सकती हैं।
  • हानि:
    • यहांँ तक कि प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण के साथ वे ग्राहक के इनपुट को पूरी तरह से नहीं समझ सकते हैं और असंगत उत्तर प्रदान कर सकते हैं।
    • कई चैटबॉट्स उन प्रश्नों के दायरे में भी सीमित हैं जिनका वे जवाब देने में सक्षम हैं।
    • चैटबॉट लागू करने और बनाए रखने के मामले में महंगे हो सकते हैं, क्योंकि उन्हें लगातार अनुकूलित एवं अपडेट करना होता है।
    • AI में भावनाओं का समावेशन अभी चुनौतीपूर्ण है, हालांँकि AI द्वारा अनैतिक और हेट स्पीच के खतरे बने हुए हैं।

अंतरिक्ष कचरा

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में भारत सरकार ने घोषणा की है कि 111 पेलोड और 105 अंतरिक्ष मलबे को पृथ्वी की परिक्रमा करने वाली भारतीय वस्तुओं के रूप में पहचाना गया है। 

  • सभी परिक्रमा कर रहे मलबे बाहरी अंतरिक्ष और भविष्य के मिशनों को प्रभावित करेंगे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization- ISRO) भी अंतरिक्ष पर्यावरण पर बढ़ते अंतरिक्ष मलबे के प्रभाव को लेकर कई अध्ययन कर रहा है।

अंतरिक्ष मलबा:    

परिचय:  

  • अंतरिक्ष मलबा पृथ्वी की कक्षा में मानव निर्मित वस्तुओं को संदर्भित करता है जो अब किसी उपयोगी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करता है। 
  • अंतरिक्ष मलबे में प्रयोग किये गए रॉकेट, निष्क्रिय उपग्रह, अंतरिक्ष निकायों के टुकड़े और एंटी-सैटेलाइट सिस्टम (ASAT) से उत्पन्न मलबा शामिल होता है। 

संभावित खतरे:  

  • परिचालन उपग्रहों हेतु खतरा:  
    • तैरता हुआ अंतरिक्ष मलबा परिचालन उपग्रहों हेतु संभावित खतरा है क्योंकि इन  मलबों से टकराने से उपग्रह नष्ट हो सकते हैं।
    • केसलर सिंड्रोम अंतरिक्ष में वस्तुओं और मलबे की अत्यधिक मात्रा को संदर्भित करता है।
  • कक्षीय स्लॉट की कमी:  
    • विशिष्ट कक्षीय क्षेत्रों में अंतरिक्ष मलबे का संचय भविष्य के मिशनों हेतु वांछित कक्षीय स्लॉट की उपलब्धता को सीमित कर सकता है।
  • अंतरिक्ष स्थिति के प्रति जागरूकता:  
    • अंतरिक्ष कचरे की बढ़ती मात्रा उपग्रह संचालकों एवं अंतरिक्ष एजेंसियों के लिये अंतरिक्ष में वस्तुओं की कक्षाओं को सटीक रूप से ट्रैक करने तथा भविष्यवाणी करने के संदर्भ में और अधिक चुनौतीपूर्ण बना देती है।

अंतरिक्ष कचरे पर अंकुश लगाने से संबंधित पहल:  

  • भारत:  
    • वर्ष 2022 में ISRO ने टकराव के खतरों वाली वस्तुओं की लगातार निगरानी करने, अंतरिक्ष मलबे के विकास की संभावनाओं का आकलन करने और अंतरिक्ष कचरे से उत्पन्न जोखिम को कम करने के लिये सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टेनेबल ऑपरेशंस मैनेजमेंट (IS 4 OM) की स्थापना की।
    • ISRO ने अन्य अंतरिक्ष वस्तुओं के साथ टकराव से बचने के लिये वर्ष 2022 में भारतीय परिचालन अंतरिक्ष संपत्तियों की सहायता से 21 टकराव परिहार अभ्यास भी किये।  
    • 'नेत्रा परियोजना' भारतीय उपग्रहों को कचरे और अन्य खतरों का पता लगाने के लिये अंतरिक्ष में स्थापित एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली है।
  • वैश्विक: 
    • अंतर-एजेंसी अंतरिक्ष मलबा समन्वय समिति (Inter-Agency Space Debris Coordination Committee- IADC) एक अंतर्राष्ट्रीय सरकारी मंच है जिसकी स्थापना वर्ष 1993 में की गई थी ताकि अंतरिक्ष मलबे के मुद्दे को प्रस्तुत करने के लिये अंतरिक्ष अन्वेषण करने वाले देशों के बीच प्रयासों को समन्वित किया जा सके। 
    • संयुक्त राष्ट्र ने अंतरिक्ष मलबे को कम करने के साथ ही बाह्य अंतरिक्ष गतिविधियों की दीर्घकालिक स्थिरता के लिये दिशा-निर्देश विकसित करने हेतु बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर समिति (Committee on the Peaceful Uses of Outer Space- COPUOS) की स्थापना की है।
    • यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (European Space Agency -ESA) ने अंतरिक्ष मलबे की मात्रा को कम करने और सतत् अंतरिक्ष गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्वच्छ अंतरिक्ष (Clean Space) पहल शुरू की है।

आगे की राह

  • बेहतर ट्रैकिंग और निगरानीअंतरिक्ष मलबे को ट्रैक करने और निगरानी की क्षमता में सुधार से परिचालन उपग्रहों और मानव अंतरिक्ष मिशनों के जोखिमों को कम करने में मदद मिल सकती है।
  • पुन: प्रयोज्य लॉन्च वाहन: एकल-उपयोग रॉकेट के बजाय पुन: प्रयोज्य लॉन्च वाहनों का उपयोग करने से उत्पन्न नए अपशिष्ट की मात्रा को कम करने में मदद मिल सकती है।
  • सामग्री और डिज़ाइन में सुधार: अधिक टिकाऊ सामग्रियों का उपयोग करना और अंततः डी-ऑर्बिटिंग के लिये उपग्रहों को डिज़ाइन करना, लंबी अवधि में उत्पन्न अपशिष्ट की मात्रा को कम कर सकता है।

जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

चर्चा में क्यों?

जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Generative Artificial Intelligence- GAI) का उपयोग अभी भी अपने शुरुआती चरण में है लेकिन इसका प्रभाव बढ़ने की संभावना है क्योंकि प्रौद्योगिकी का निरंतर विकास और सुधार जारी है।

  • भारत सरकार GAI प्रौद्योगिकियों के उद्भव और शिक्षा, विनिर्माण, स्वास्थ्य देखभाल, वित्त एवं अन्य क्षेत्रों में उनके तेज़ी से प्रसार से अवगत है।

जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस:

परिचय: 

  • GAI कृत्रिम बुद्धिमत्ता की तेज़ी से विकसित होने वाली शाखा है जो डेटा के अनुरूप प्रतिरूप और नियमों के आधार पर नई सामग्री (जैसे चित्र, ऑडियो, पाठ आदि) उत्पन्न करने पर ध्यान केंद्रित करती है।
  • GAI के उदय का श्रेय उन्नत जेनरेटिव मॉडल के विकास को दिया जा सकता है, जैसे कि जेनरेटिव एडवरसैरियल नेटवर्क्स (GANs) और वैरिएशनल ऑटोएन्कोडर्स (VAEs)।
  • इन मॉडलों को बड़ी मात्रा में डेटा के अनुसार प्रशिक्षित किया जाता है जिससे ये नए आउटपुट उत्पन्न करने में सक्षम होते हैं जो प्रशिक्षण डेटा के समान होते हैं। उदाहरण के लिये प्रशिक्षित GAN चेहरों की नई यथार्थवादी दिखने वाली सिंथेटिक छवियाँ उत्पन्न कर सकता है। 
  • हालाँकि GAI, ChatGPT और डीप फेक से संबंधित है, शुरुआत में इस तकनीक का उपयोग डिजिटल छवि सुधार और डिजिटल ऑडियो सुधार में उपयोग की जाने वाली दोहराव वाली प्रक्रियाओं को स्वचालित करने हेतु किया गया था।
  • चूँकि मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग स्वाभाविक रूप से जेनरेटिव प्रक्रियाओं पर केंद्रित हैं, अर्थात् इन्हें GAI के प्रकार भी माना जा सकता है।

अनुप्रयोग: 

  • कला और रचनात्मकता:  
    • इसका उपयोग कला के अद्वितीय और अभिनव कार्यों को सृजित करने हेतु किया जा सकता है जो कलाकारों एवं रचनाकारों को नए विचारों का पता लगाने तथा पारंपरिक कला रूपों की सीमाओं को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं।
    • डीप ड्रीम जेनरेटर एक ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म है जो अतियथार्थवादी, सपनों जैसी छवियों को बनाने हेतु डीप लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करता है।
    • DALL·E2 - ओपन AI का यह AI मॉडल पाठ्य (टेक्स्ट) विवरण से नई इमेज उत्पन्न करता है।
  • संगीत:  
    • यह संगीतकारों और संगीत निर्माताओं को नई ध्वनियों और शैलियों का पता लगाने में मदद कर सकता है, जिससे अधिक विविध एवं दिलचस्प संगीत बन सकता है। 
    • एम्पर म्यूज़िक- यह पहले से रिकॉर्ड किये गए नमूनों से संगीतमय ट्रैक बनाता है।
    • AIVA- विभिन्न रचना-पद्धति और शैलियों में मूल संगीत की रचना करने के लिये AI एल्गोरिदम का उपयोग करता है। 
  • कंप्यूटर ग्राफिक्स:
    • यह नए 3D मॉडल, एनिमेशन और विशेष प्रभाव उत्पन्न कर सकता है, जिससे फिल्म स्टूडियो तथा गेम डेवलपर्स को अधिक यथार्थवादी एवं आकर्षक अनुभव करने में मदद मिलती है।
  • स्वास्थ्य देखभाल:  
    • नई चिकित्सा इमेज और सिमुलेशन उत्पन्न करके चिकित्सा निदान एवं उपचार की सटीकता तथा दक्षता में सुधार करना।
  • विनिर्माण और रोबोटिक्स:
    • यह विनिर्माण प्रक्रियाओं को अनुकूलित करने तथा इन प्रक्रियाओं की दक्षता एवं गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकता है। 
  • भारत के लिये महत्त्व:
    • NASSCOM के आँकड़ों के अनुसार, भारत में कुल AI रोज़गार लगभग 416,000 होने का अनुमान है।
    • इस क्षेत्र की विकास दर लगभग 20-25% होने का अनुमान है। इसके अलावा AI से वर्ष 2035 तक भारत की अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त 957 बिलियन अमेरिकी डॉलर के योगदान की उम्मीद है।

GAI से संबंधित चिंताएँ:

  • सटीकता: 
    • सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक यह सुनिश्चित करना है कि GAI  द्वारा उत्पन्न आउटपुट उच्च गुणवत्तायुक्त और सटीक हो। 
    • इसके लिये उन्नत जेनरेटिव मॉडल के विकास की आवश्यकता है जो डेटा से सीखे गए पैटर्न और नियमों को सटीक रूप से कैप्चर कर सके।
  • पक्षपातपूर्ण GAI मॉडल:
    • GAI मॉडल को बड़ी मात्रा में डेटा पर प्रशिक्षित किया जाता है और यदि वह डेटा पक्षपाती है, तो GAI द्वारा उत्पन्न आउटपुट भी पक्षपाती हो सकते हैं। यह भेदभाव को जन्म दे सकता है और मौज़ूदा सामाजिक पूर्वाग्रहों को मज़बूत कर सकता है।
  • गोपनीयता:  
    • GAI मॉडल के प्रशिक्षण हेतु बड़ी मात्रा में डेटा तक पहुँच की आवश्यकता होती है, जिसमें व्यक्तिगत और संवेदनशील जानकारी शामिल हो सकती है।
    • इस बात का ज़ोखिम है कि इस डेटा का उपयोग अनैतिक उद्देश्यों के लिये किया जा सकता है, जैसे लक्षित विज्ञापन या राजनीतिक हेरफेर के लिये।
  • उत्तरदायित्त्व:  
    • चूँकि GAI मॉडल नई सामग्री जैसे चित्र, ऑडियो या टेक्स्ट उत्पन्न कर सकते हैं इसलिये इसका उपयोग फ़ेक न्यूज़ या अन्य दुर्भावनापूर्ण सामग्री उत्पन्न करने हेतु किया जा सकता है, यह जाने बिना कि आउटपुट के लिये कौन उत्तरदायी है। इससे उत्तरदायित्त्व पर नैतिक दुविधा उत्पन्न हो सकती हैं।
  • स्वचालित यंत्र एवं रोज़गार को कम करना:  
    • GAI में कई प्रक्रियाओं को स्वतः संचालित करने की क्षमता है, जिससे उन क्षेत्रों में कुशल पेशेवरों के रोज़गार का विस्थापन हो सकता है।  
    • यह रोज़गार के विस्थापन के लिये AI का उपयोग करने की नैतिकता और श्रमिकों तथा समाज पर संभावित प्रभाव के बारे में प्रश्न उठाता है। 

आगे की राह

  • GAI मॉडल की सटीकता और विश्वसनीयता में सुधार करने तथा प्रौद्योगिकी से संबंधित नैतिक बाधाओं को दूर करने के लिये अधिक शोध एवं विकास की आवश्यकता है। इसमें नए एल्गोरिदम और मॉडल का विकास किया जाना शामिल है जो अपने आउटपुट के लिये अधिक पारदर्शी व जवाबदेह होंगे। 
  • यह सुनिश्चित करने के लिये नियमों और मानकों को लागू किया जाना चाहिये कि GAI का उपयोग जवाबदेह तथा नैतिक माध्यमों द्वारा लागू किया जाएगा। इसमें डेटा गोपनीयता, पक्षपात एवं उत्तरदायित्त्व के लिये दिशा-निर्देश शामिल किया जाना आवश्यक है, साथ ही यह सुनिश्चित करना भी आवशयक है कि GAI का उपयोग समाज के लाभ के लिये किया जाता है, न कि व्यक्तियों या समूहों के नुकसान के लिये।
  • उद्योग, सरकार, शिक्षाविदों और नागरिक समाज सहित हितधारकों के बीच सहयोग, यह सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है कि GAI का उपयोग ज़िम्मेदार और नैतिक तरीकों से किया जाए।  
  • यह सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है कि GAI मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिये उपयोग किया जाने वाला डेटा नैतिक और निष्पक्ष रूप से तटस्थ हो क्योंकि GAI मॉडल केवल उतने ही प्रभावी होते हैं जितना उन्हें डेटा के आधार पर प्रशिक्षित किया जाता है। इसमें यह सुनिश्चित किया जाना शामिल है कि प्रशिक्षण के लिये उपयोग की जाने वाली जानकारी एकत्र करने के साथ ही इस तरह से लागू की जाती है जो लोगों की गोपनीयता का सम्मान करती है तथा पहले से मौज़ूद पूर्वाग्रहों पर आधारित नहीं होती है।

जेम्स वेब टेलीस्कोप ने 6 विशाल आकाशगंगाओं को खोजा

चर्चा में क्यों? 

एक अध्ययन के अनुसार, जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने छह विशाल आकाशगंगाओं की खोज की है, जो बिग बैंग घटना के लगभग 500-700 मिलियन वर्ष बाद बनी थीं। 

इन आकाशगंगाओं की खोज: 

  • शोधकर्त्ताओं ने JWST के कॉस्मिक इवोल्यूशन अर्ली 44 रिलीज़ साइंस प्रोग्राम का उपयोग करके इन छह विशाल आकाशगंगाओं को खोजा।
  • यह कार्यक्रम प्रारंभिक आकाशगंगाओं के निर्माण का अध्ययन करता है जब ब्रह्मांड अपनी वर्तमान आयु के 5% से कम था।
  • शोधकर्त्ताओं ने टेलीस्कोप को आकाश के एक हिस्से में सप्तऋषि (Big Dipper) के निकट पहुँचाया, जो तारों के एक समूह को आश्रय देता है ये रात के समय आकाश में एक पैटर्न का निर्माण करते हैं। हबल स्पेस टेलीस्कोप ने पहली बार 1990 के दशक में इस क्षेत्र का अवलोकन किया था। 
  • सप्तऋषि तारामंडल उर्सा मेज़र (जिसे ग्रेट बियर के नाम से भी जाना जाता है) में तारों का एक समूह है। इसमें सात चमकीले तारे होते हैं, चार एक आयताकार "बाउल- Bowl" आकार बनाते हैं तथा तीन एक "हैंडल" बनाते हैं। इसका उपयोग अक्सर एक नेविगेशनल टूल के रूप में स्टारगेजिंग (तारों का अवलोकन) के लिये एक संदर्भ बिंदु और लोकप्रिय संस्कृति में एक प्रतीक के रूप में किया जाता है।

इन आकाशगंगाओं के निष्कर्ष:

  • मिल्की-वे के समान द्रव्यमान होने के बावजूद उनमें से एक आकाशगंगा 30 गुना छोटी है।
  • यह बड़ी, परिपक्व, किंतु उल्लेखनीय रूप से कॉम्पैक्ट आकाशगंगाओं की उपस्थिति की जानकारी देती है, जैसा वैज्ञानिकों ने संभवतः पहले से सोचा था।
  • टेलीस्कोप ने छह बड़ी, परिपक्व आकाशगंगाओं की खोज की जो मिल्की वे जितनी पुरानी हैं और बिग बैंग के बाद 540-770 मिलियन वर्ष के मध्य मौजूद थीं।
  • उस समय ब्रह्मांड अपनी वर्तमान आयु का लगभग 3% था।
  • ये आकाशगंगाएँ, आकाशगंगा निर्माण की हमारी वर्तमान समझ को चुनौती देती हैं क्योंकि उन्हें अपने जीवन में इतनी जल्दी अस्तित्त्व में नहीं होना चाहिये था।

JWST? 

  • टेलीस्कोप NASA, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी के मध्य एक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का परिणाम है जिसे दिसंबर 2021 में लॉन्च किया गया था।
  • यह वर्तमान में अंतरिक्ष में एक ऐसे बिंदु पर है जिसे सूर्य-पृथ्वी L2 लैग्रेंज बिंदु के रूप में जाना जाता है, जो सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा से लगभग 1.5 मिलियन किमी. दूर है। 
  • लैग्रेंज पॉइंट 2 पृथ्वी-सूर्य प्रणाली के कक्षीय विमान में पाँच बिंदुओं में से एक है। 
  • लैग्रेंज पॉइंट अंतरिक्ष में स्थितियाँ हैं जहाँ दो-पिंडों (जैसे सूर्य और पृथ्वी) के गुरुत्वाकर्षण बल आकर्षण और प्रतिकर्षण के बढ़े हुए क्षेत्रों का निर्माण करते हैं। 
  • यह अब तक निर्मित सबसे बड़ा, सबसे शक्तिशाली इन्फ्रारेड स्पेस टेलीस्कोप है।
  • यह हबल टेलीस्कोप का उत्तराधिकारी है।
  • इसे हबल टेलीस्कोप के स्थान पर लाया गया है।
  • यह सुदूर आकाशगंगाओं की तलाश में बिग बैंग के ठीक बाद के समय में अतीत में झाँक सकता है, साथ ही उस प्रकाश, जिसे आकाशगंगाओं से टेलीस्कोप तक पहुँचने में कई अरब वर्ष लग गए, के बारे में भी जान सकता।

गूगल का बार्ड: AI जनरेटिव चैटबॉट

चर्चा में क्यों? 

माइक्रोसॉफ्ट के ChatGPT के जवाब में Google जल्द ही अपने नए AI चैटबॉट बार्ड का अनावरण करेगा।

बार्ड:

परिचय: 

  • बार्ड भाषा मॉडल फॉर डायलॉग एप्लीकेशन (LaMDA) पर आधारित है, जो गूगल का अपना संवादात्मक AI चैटबॉट है।  
  • यह अत्यंत सटीकता के साथ संवादात्मक और निबंध-शैली में उत्तर देगा जैसे ChatGPT अभी करता है।  
  • हालाँकि, मॉडल वर्तमान में LaMDA का "हल्का" संस्करण है और इसे "काफी कम कंप्यूटिंग शक्ति की आवश्यकता होती है, जिससे इसे अधिक उपयोगकर्त्ताओं तक पहुँच स्थापित करने हेतु सक्षम बनाया जा सके। 

विशेषता: 

  • यह ट्रांसफॉर्मर तकनीक पर बनाया गया है, जो ChatGPT और अन्य AI बॉट्स की रीढ़ है।
  • ट्रांसफॉर्मर तकनीक को Google द्वारा अग्रणी बनाया गया था और वर्ष 2017 में इसे सभी के लिये ओपन सोर्स के रूप में शुरू कर दिया गया था। 
  • ट्रांसफार्मर प्रौद्योगिकी एक न्यूरल नेटवर्क आर्किटेक्चर(Neural Network Architecture) है, जो इनपुट के आधार पर भविष्यवाणियाँ करने में सक्षम है और मुख्य रूप से प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण तथा कंप्यूटर प्रौद्योगिकी में इसका उपयोग किया जाता है।
  • आर्किटेक्चर यह निर्धारित करता है कि नेटवर्क कैसे सूचना को संसाधित करता है और किसी विशेष समस्या को हल करने में इसकी सटीकता एवं दक्षता को किस प्रकार प्रभावित करता है। सामान्य आर्किटेक्चर में फीडफॉर्वर्ड नेटवर्क, आवर्तक नेटवर्क और कन्वेन्शनल न्यूरल नेटवर्क सम्मिलित हैं।

ChatGPT और बार्ड में अंतर: 

  • ChatGPT ने सटीकता की अलग-अलग डिग्री के साथ जटिल प्रश्नों का जवाब देने की अपनी क्षमता से प्रभावित किया है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी कमी शायद यह है कि यह इंटरनेट से वास्तविक समय की जानकारी तक नहीं पहुँच सकता है। 
  • लेकिन माइक्रोसॉफ्ट ने हाल ही में Bing के एक नए संस्करण का अनावरण किया जो ChatGPT द्वारा संचालित है, साथ ही ChatGPT के संस्करण में एक महत्त्वपूर्ण सुधार है। 
  • ChatGPT के भाषा मॉडल को इनपुट के आधार पर पाठ उत्पन्न करने हेतु एक विशाल डेटासेट पर प्रशिक्षित किया गया था, हालाँकि डेटासेट में केवल वर्ष 2021 तक की जानकारी शामिल है।
  • बार्ड एक प्रतिक्रिया को संश्लेषित करेगा जो प्रश्नों के लिये अलग-अलग राय को दर्शाता है जहाँ स्पष्ट उत्तर नहीं हो सकता है।
  • उदाहरण के लिये प्रश्न- "क्या पियानो या गिटार सीखना आसान है?" इसके जवाब में "कुछ कहते हैं कि पियानो सीखना आसान है, क्योंकि उंगली और हाथ की गति अधिक स्वाभाविक है। दूसरों का कहना है कि गिटार पर कॉर्ड सीखना आसान है।"

AI-आधारित जनरेटिव चैटबॉट्स की चिंताएँ: 

  • विशेषज्ञों ने बताया है कि Google और OpenAI से टेक्स्ट जनरेशन सॉफ्टवेयर आकर्षक और वाकपटु होने के साथ-साथ अशुद्धियों से ग्रस्त हो सकता है।
  • यह अभद्र भाषा और नस्लीय एवं लैंगिक पक्षपात तथा रूढ़िवादिता जैसी सामग्री सहित वास्तविक समय में इंटरनेट पर खोज करने की क्षमता, समस्याओं का कारण बन सकती है, साथ ही इन नए उत्पादों के महत्त्व को कम कर सकती है।  
  • प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण के साथ भी वे ग्राहक के इनपुट को पूरी तरह समझ नहीं सकते हैं और असंगत उत्तर प्रदान कर सकते हैं।
  • कई चैटबॉट भी प्रश्नों के दायरे में सीमित होते हैं जिनका वे जवाब देने में सक्षम होते हैं।

ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस

चर्चा में क्यों?

जर्मनी का एक बुजुर्ग व्यक्ति जिसे डसेलडोर्फ रोगी (Dusseldorf Patient) के रूप में जाना जाता है, HIV (Human Immunodeficiency Virus) से ठीक होने वाला’ तीसरा व्यक्ति बन गया है, दवा बंद करने के चार वर्ष बाद भी उसके शरीर में वायरस के कोई संकेत नहीं मिले हैं।

  • यह उपलब्धि विशिष्ट HIV प्रतिरोधी आनुवंशिक उत्परिवर्तन (Mutation) वाले व्यक्तियों के माध्यम से  अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण द्वारा प्राप्त हुई है। 

HIV से अन्य रिकवरी:

  • बर्लिन का एक रोगी रक्त कैंसर के इलाज हेतु वर्ष 2007 और 2008 में दो स्टेम सेल प्रत्यारोपण के बाद HIV से ठीक होने वाला पहला व्यक्ति था।
  • डॉक्टरों ने CCR5-डेल्टा 32 नामक एक आनुवंशिक उत्परिवर्तन के साथ दाता का चयन किया जो वाहक को HIV के प्रति लगभग प्रतिरक्षित करता है।
  • वर्ष 2019 में लंदन के रोगी में इसी तरह के परिणाम दोहराए गए थे। वर्ष 2022 में सफल उपचार के दो और मामले सामने आए।  

HIV:  

परिचय:  

  • HIV यानी ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस एक ऐसा वायरस है जो मानव शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली को क्षति पहुँचाता है।
  • यह मुख्य रूप से CD4 प्रतिरक्षा कोशिकाओं को लक्षित करता है और उन्हें नुकसान पहुँचाता है, CD4 प्रतिरक्षा कोशिकाएँ संक्रमण और बीमारियों से लड़ने की शरीर की क्षमता के लिये आवश्यक होती हैं।
  • HIV समय बीतने के साथ प्रतिरक्षा प्रणाली को कमज़ोर कर देता है, जिससे शरीर विभिन्न प्रकार के संक्रमण और कैंसर की चपेट में आ जाता है।

संचरण:  

  • इसके संचरण के प्राथमिक स्रोत- रक्त, शुक्राणु, यौनिक तरल पदार्थ, स्तनपान आदि माने जाते हैं। 
  • गंभीरता:  
  • यदि उपचार नहीं किया जाता है, तो वायरस किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को नष्ट कर देता है तथा उसे एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिसिएंसी सिंड्रोम (AIDS) स्टेज में कहा जाता है, जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली के कमज़ोर होने के कारण कई अन्य संक्रमण घेर लेते हैं जिसके परिणामस्वरूप मृत्यु हो सकती है।

उपचार: 

  • हालाँकि वर्तमान में संक्रमण का कोई इलाज नहीं है, लेकिन एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) का उपयोग करके वायरस को नियंत्रित किया जा सकता है।  
  • ये दवाएँ शरीर के भीतर वायरस की प्रतिकृति बनाने की क्षमता को कम कर देती हैं, जिससे CD4 प्रतिरक्षा कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि हो जाती है।
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