Table of contents | |
डिजिटल वर्ल्ड ऑफ कुकीज | |
भौतिकी में नोबेल पुरस्कार 2023 | |
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ‘स्पेक्स 2030’ पहल | |
भारत के अंतरिक्ष प्रयास | |
मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग | |
क्रू एस्केप सिस्टम पर परीक्षण |
वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए भारत के डिजिटल कौशल अंतर को समाप्त करना आवश्यक है। सरकारी पहलों, रणनीतिक निवेशों और अपस्किलिंग के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण का अभिसरण भारत के कार्यबल को उभरते डिजिटल परिदृश्य को बढ़ावा देगा और देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान देने के लिए सशक्त बनाएगा।
चर्चा में क्यों?
भौतिकी के लिये वर्ष 2023 का नोबेल पुरस्कार तीन प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों को दिया गया है: पियरे एगोस्टिनी, फ़ेरेन्क क्रॉस्ज़ और ऐनी एल. हुइलियर।
विश्वभर में लाखों लोग दृष्टि/नेत्रदोष की समस्याओं से पीड़ित हैं, इनमें से एक बड़े हिस्से को चश्मे की आवश्यकता है। निम्न और मध्यम आय वाले देशों में नेत्र देखभाल की सुविधाओं तक पहुँच एक बड़ी चुनौती है।
मानवता की भलाई के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को नई दिल्ली में हाल ही में एक सम्मेलन के दौरान प्रकट किया गया। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए बाहरी अंतरिक्ष का उपयोग करने के भारत के समर्पण पर जोर दिया और चीन सहित सभी अंतरिक्ष अन्वेषण करने वाले देशों से अंतरिक्ष गतिविधियों में पारदर्शिता और स्थिरता सुनिश्चित करते हुए खुली बातचीत में शामिल होने का आग्रह किया।
हाल ही में मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग/ समुद्री बादल उज्ज्वलन की अवधारणा ने समुद्री गर्मी के अत्यधिक तापमान से निपटने की रणनीति के साथ-साथ प्रवाल विरंजन को कम करने और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा करने की तकनीक के रूप में लोकप्रियता हासिल की है।
MCB अभी भी अनुसंधान और विकास के प्रारंभिक चरण में है, इसकी व्यवहार्यता, प्रभावकारिता, प्रभाव, जोखिम तथा शासन का आकलन करने के लिये अतिरिक्त अध्ययन की आवश्यकता है। यह पहचानना आवश्यक है कि MCB कोई स्टैंडअलोन समाधान नहीं है, बल्कि अल्पावधि में प्रवाल भित्तियों को अत्यधिक गर्मी के तनाव का सामना करने में मदद करने हेतु एक संभावित पूरक उपाय है। MCB को एक व्यापक दृष्टिकोण में एकीकृत किया जाना चाहिये जिसमें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से प्रवाल भित्तियों की सुरक्षा के लिये संरक्षण, बहाली, अनुकूलन तथा नवाचार शामिल हैं।
हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने संभवत: 2025 तक गगनयान मिशन के उद्देश्यों को पूरा करने के उद्देश्य से फ्लाइट टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (टी.वी.-डी.1) नामक सिस्टम और प्रक्रियाओं की शृंखला का पहला परीक्षण किया।
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1. डिजिटल वर्ल्ड ऑफ कुकीज क्या है? |
2. नोबेल पुरस्कार 2023 किस क्षेत्र में दिया जाएगा? |
3. 'स्पेक्स 2030' क्या है? |
4. भारत के अंतरिक्ष प्रयास क्या हैं? |
5. मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग क्या है? |
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