UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly  >  The Hindi Editorial Analysis- 7th December 2023

The Hindi Editorial Analysis- 7th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

प्लास्टिक प्रदूषण पर वैश्विक संधि और INC-3 के सबक

संदर्भ -

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तहत काम करने वाली अंतर सरकारी वार्ता समिति (INC) ने 13 से 19 नवंबर तक नैरोबी में अपनी तीसरे दौर की वार्ता आयोजित की। इसका लक्ष्य वैश्विक स्तर पर दुनिया भर में प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए एक बाध्यकारी समझौता समन्न करवाना है ।

  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा संकल्प 5/14 के अनुसार, INC को 2025 तक प्लास्टिक संधि को अंतिम रूप देने का काम सौंपा गया है। INC-3 के दौरान, भाग लेने वाले देशों ने समझौते के प्रारंभिक मसौदे पर वार्ता की जिसे समिति के सचिवालय द्वारा विकसित किया गया था।
  • यह एक बैठक महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इसने संधि की वास्तविक सामग्री पर चर्चा करने का अवसर प्रदान किया, जबकि वर्ष की शुरुआत में पेरिस में INC-2 में मुख्य रूप से प्रक्रियात्मक नियमों पर ध्यान केंद्रित किया था।

The Hindi Editorial Analysis- 7th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

'ज़ीरो ड्राफ्ट' मसौदा

  • अंतर सरकारी वार्ता समिति (INC) के सचिवालय द्वारा तैयार प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संधि के प्रारंभिक मसौदे में प्रभावी प्रस्ताव थे।
  • यद्यपि ,वार्ता के दौरान, सदस्य देशों में अपनी मूल प्रतिबद्धताओं से विचलन भी देखा गया, विशेष रूप से प्राथमिक पॉलिमर उत्पादन, हानिकारक रसायनों, व्यापार और वित्तीय उपायों जैसे महत्वपूर्ण तत्वों के संबंध में। साथ ही कुछ देश यूएनईए संकल्प 5/14 में उल्लिखित लक्ष्य और दायरे पर भी असहमत थे।
  • अधिकांश राष्ट्र इस बात पर सहमत हुए कि संधि का उद्देश्य प्लास्टिक प्रदूषण को रोकना और मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा करना होना चाहिए।
  • सऊदी अरब, रूस, चीन, ईरान और खाड़ी सहयोग परिषद के कुछ सदस्यों के एक समूह ने अपने आर्थिक हितों और निवेशों की रक्षा के लिए "स्थायी विकास की उपलब्धि में योगदान" खंड जोड़ने पर जोर दिया।
  • मतभेद का एक महत्वपूर्ण बिंदु प्राथमिक पॉलिमर के उत्पादन को कम करने का प्रावधान था क्योंकि इसका उद्योगों पर प्रभाव पड़ता है।
  • वार्ता में उद्योग का अधिक प्रभाव था क्योंकि INC-3 में INC-2 की तुलना में जीवाश्म ईंधन और रसायन क्षेत्र के 36% अधिक समर्थक थे ।
  • कुछ राज्यों ने यहां तक तर्क दिया कि प्लास्टिक उत्पादन में कमी पर चर्चा करना यूएनईए प्रस्ताव 5/14 के अधिदेश से परे था, उनका यह दावा भी था की कि प्रस्ताव का उद्देश्य प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना है, न कि प्लास्टिक उत्पादन को।
  • वार्ता में सभी इस बात पर तो सहमत थे कि प्लास्टिक प्रदूषण को दूर करने के लिए प्लास्टिक के जीवनचक्र के हर चरण में ठोस उपायों की आवश्यकता होती है, परंतु इस बारे में असहमति थी कि प्लास्टिक का जीवनचक्र कब से शुरू होता है।
  • इसके लिए कुछ सदस्यों ने सुझाव दिया कि इसकी शुरुआत कच्चे माल प्राप्त करने से होती है, दूसरों ने तर्क दिया कि इसकी शुरुआत उत्पाद डिजाइन से होती है। बाध्यकारी प्रतिबद्धताओं की वकालत करने वाले अन्य देशों के व्यापक समझौते के बावजूद, उसी समूह ने हानिकारक यौगिकों, समस्याग्रस्त प्लास्टिक और जिनसे बचा जा सकता है, को लक्षित करने वाले प्रावधानों को शामिल करने पर आपत्ति जताई।

वित्तीय तंत्र और निहितार्थ:

  • संधि की सफलता एक वित्तीय तंत्र पर निर्भर करती है जो यह तय करेगी कि यह आगे कैसे काम करेगी , परंतु इसे लेकर भी सदस्यों में असहमति नहीं बन पायी ।
  • प्रारंभिक मसौदे में प्लास्टिक उत्पादकों के लिए प्लास्टिक प्रदूषण पर शुल्क लगाने या बड़े कार्बन पदचिह्न वाली परियोजनाओं के लिए कम धन आबंटन जैसे विकल्प सुझाए गए हैं। हालाँकि, देशों के एक ही समूह ने इन प्रस्तावों से पूरी तरह हटाने पर जोर दिया है ।
  • यदि इन प्रावधानों को शामिल किया गया तो इसके महत्वपूर्ण प्रभाव होंगे। विशेष रूप से, सदस्य देशों को जीवाश्म ईंधन और पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों जैसे अपशिष्ट-से-ऊर्जा संयंत्रों में निवेश के लिए सब्सिडी को कम करने या समाप्त करने की आवश्यकता होगी।
  • यदि इन उपायों को अवरुद्ध नहीं किया गया होता तो यह पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण जीत हो सकती थी।

व्यापार प्रतिबंध और संप्रभुता संबंधी चिंताएँ:

  • संधि का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा जिसका विरोध किया गया वह पॉलिमर, रसायन, प्लास्टिक उत्पाद और कचरे से जुड़ा व्यापार था इस संदर्भ में कुछ देशों के समूह ने तर्क दिया कि व्यापार पर कोई भी प्रतिबंध राष्ट्रों की स्वतंत्रता और संप्रभुता का उल्लंघन करेगा। उनका यह भी कहना था की प्लास्टिक समझौते का उद्देश्य बेसल कन्वेंशन में अंतराल को भरना है।
  • हालाँकि, वाशिंगटन, डी.सी. में एक गैर-लाभकारी संस्था, सेंटर फॉर इंटरनेशनल एनवायर्नमेंटल लॉ (सीआईईएल) ने पाया कि इस समूह ने अपनी स्थिति को लाभ पहुंचाने के लिए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों की गलत व्याख्या की। सीआईईएल के विश्लेषण के अनुसार, डब्ल्यूटीओ नियम मानव, पशु या पौधों के जीवन या स्वास्थ्य की रक्षा के लिए आवश्यक होने पर व्यापार प्रतिबंधों की अनुमति देते हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत राज्यों को कुछ उत्पादों और सामग्रियों के व्यापार को विनियमित या प्रतिबंधित करने से कोई समान विचारधारा वाले देशों के समूह ने प्लास्टिक जीवनचक्र की शुरुआत में मुद्दों को संबोधित करने वाले हर प्रस्तावित उपाय को खारिज कर दिया और "राष्ट्रीय परिस्थितियों," "राष्ट्रीय प्राथमिकताओं" और स्वैच्छिक उपायों के दृष्टिकोण एवं वाक्यांशों को शामिल करके वार्ता में प्रस्तावित प्रावधानों को कमजोर कर दिया। ।"
  • अपशिष्ट प्रबंधन के अपवाद के साथ, लगभग सभी अन्य प्रावधानों को "राष्ट्रीय परिस्थितियों और क्षमताओं" पर विचार करने के लिए सीमित कर दिया गया। ऐसा इसलिए है क्योंकि "पर्यावरण की दृष्टि से सुदृढ़ प्रबंधन" शब्द अच्छी तरह से परिभाषित नहीं है, जबकि "सर्वोत्तम उपलब्ध विज्ञान" और "सर्वोत्तम उपलब्ध तकनीक" जैसे शब्द अभी भी उपयोग किए जाते हैं ।

कार्य प्रक्रिया के नियमों में चुनौतियाँ

  • INC-2 वार्ता के दौरान, सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने दो दिनों तक प्रक्रियात्मक नियमों पर चर्चा की, लेकिन कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया। भारत सहित कुछ देशों ने बहुमत के दो-तिहाई मतदान के बजाय आम सहमति-आधारित निर्णय लेने पर जोर दिया।
  • INC-3 में प्रक्रियात्मक नियमों को अस्थायी रूप से लागू किया गया, और अंतिम निर्धारण को INC-4 के लिए स्थगित कर दिया गया । यदि मतदान प्रक्रियाओं और औपचारिक रूप से अपनाए गए प्रक्रियात्मक नियमों पर कोई निर्णय लिया गया होता, तो INC-3 में समान विचारधारा वाले देशों से आपत्तियों को दूर करने के लिए वार्ताकार बेहतर तरीके से प्रयास कर सकते थे।

अफ्रीकी समूह और SIDS की भूमिका

  • इस संदर्भ में, अफ्रीकी देशों के समूह और लघु-द्वीपीय विकासशील राज्यों (SIDS) ने संधि में प्रमुख तत्वों के बारे में मजबूत, बाध्यकारी प्रावधानों की वकालत करके एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • उनके प्रस्तुतिकरण बाहर खड़े थे क्योंकि उन्होंने कचरा बीनने वालों और स्वदेशी लोगों के दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी, मानवाधिकार और सार्वजनिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से संधि को अपनाया।
  • हालांकि, सदस्य देशों द्वारा अपने हितों के अनुसार सामग्री जोड़ने और हटाने के कारण मसौदा अब तीन गुना बड़ा हो गया है।

INC-3 से मुख्य बातें:

  • संश्लेषण रिपोर्ट और संभावित विषयों पर अंतर-सत्रीय कार्य पर चर्चा करने वाली एक बंद बैठक अंत तक किसी आम सहमति पर नहीं पहुंच पाई। परिणामस्वरूप अब से INC-4 के बीच कोई अंतर-सत्रीय कार्य नहीं होगा, जो प्लास्टिक प्रदूषण रोकने के प्रयासों में एक बड़ी बाधा है। कई देश INC-4 से पहले परिभाषाओं, लक्ष्यों और समयसीमा जैसे विवरणों को स्पष्ट करने के लिए इस अवधि पर भरोसा कर रहे थे।
  • देरी के कारण, INC-3 ने पहले ड्राफ्ट को विकसित करने के लिए किसी अधिदेश को नहीं अपनाया। इस संदर्भ में अफ़्रीकी समूह के एक प्रतिनिधि ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा, "किसी भी राज्य को दूसरों को बंधक बनाने का अधिकार नहीं है... जो लोग हमारे साथ आगे नहीं बढ़ना चाहते वे पीछे रहने के लिए स्वतंत्र हैं।" साथ ही INC-3 पर उद्योग लॉबी का भी पर्याप्त प्रभाव रहा इसलिए वार्ता में उन सदस्य देशों की पहचान की जो प्लास्टिक प्रदूषण को संबोधित करने के लिए एक मजबूत, बाध्यकारी संधि का विरोध करते हैं।

निष्कर्ष:

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा शुरू की गई प्लास्टिक-मुक्त दुनिया की यात्रा निस्संदेह चुनौतियों से भरी है। प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए एक बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय संधि पर बातचीत की बाधाओं को आईएनसी-3 ने प्रकट किया जिसमें आर्थिक हितों और पर्यावरणीय अनिवार्यताओं को संतुलित करते हुए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

जैसे-जैसे अंतर सरकारी वार्ता समिति (INC) की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी , उद्योग के प्रभाव को संबोधित करना, राष्ट्रीय मतभेदों पर नियंत्रण पाना और सर्वसम्मति-आधारित निर्णय लेने को बढ़ावा देना प्लास्टिक प्रदूषण संकट के व्यापक और प्रभावी वैश्विक समाधान को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण होगा। आईएनसी-3 की असफलताएं और सबक मिशन की तात्कालिकता और भावी पीढ़ियों के लिए ग्रह की सुरक्षा की सामूहिक जिम्मेदारी को रेखांकित करते हैं।

The document The Hindi Editorial Analysis- 7th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC is a part of the UPSC Course Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly.
All you need of UPSC at this link: UPSC
2206 docs|810 tests

Top Courses for UPSC

FAQs on The Hindi Editorial Analysis- 7th December 2023 - Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

1. इस लेख में क्या चर्चा की गई है?
उत्तर: इस लेख में हिंदी संपादकीय विश्लेषण के बारे में चर्चा की गई है। यह लेख 7 दिसंबर 2023 को प्रकाशित हुआ है।
2. इस लेख का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: इस लेख का मुख्य उद्देश्य हिंदी संपादकीय विश्लेषण को विस्तार से विश्लेषण करना है और मुख्य विषयों पर विचार-विमर्श करना है।
3. इस लेख की तिथि क्या है?
उत्तर: यह लेख 7 दिसंबर 2023 को प्रकाशित हुआ है।
4. यह लेख किस भाषा में लिखा गया है?
उत्तर: यह लेख हिंदी भाषा में लिखा गया है।
5. इस लेख के अनुसार, क्या लेख का विषय परीक्षा के साथ जुड़ा हुआ है?
उत्तर: नहीं, इस लेख के अनुसार, लेख का विषय और परीक्षा संबंधित नहीं है।
2206 docs|810 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

The Hindi Editorial Analysis- 7th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

mock tests for examination

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

Exam

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

Important questions

,

Free

,

Viva Questions

,

Semester Notes

,

MCQs

,

study material

,

Previous Year Questions with Solutions

,

shortcuts and tricks

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

The Hindi Editorial Analysis- 7th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Objective type Questions

,

ppt

,

practice quizzes

,

pdf

,

Extra Questions

,

Sample Paper

,

The Hindi Editorial Analysis- 7th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Summary

,

past year papers

,

video lectures

;