इस अध्याय में एक लड़के सौरभ की कहानी बताई गई है, जो अपने बगीचे में आम का पौधा लगाता है और उसकी देखभाल करता है। कहानी के माध्यम से यह सिखाया गया है कि धैर्य और देखभाल से किसी भी छोटे पौधे को बड़ा पेड़ बनाया जा सकता है।
गर्मियों के दिन थे जब सौरभ के चाचाजी ने उसे अपने बगीचे से एक टोकरी भर आम भेजे। आम बहुत मीठे थे, और सौरभ को वे बेहद पसंद आए। उसने यह सोचा कि वह अपने बगीचे में भी ऐसे ही आम उगाएगा।
सौरभ ने बगीचे में मिट्टी खोदकर एक आम की गुठली बोई। उसने उस पर मिट्टी डालकर पानी छिड़का और हर रोज़ पानी डालता रहा। कुछ दिनों तक पौधा नहीं निकला, जिससे निराश होकर उसने पानी डालना बंद कर दिया।
एक दिन जब हल्की बारिश हो रही थी, सौरभ बगीचे में गया और देखा कि उस जगह पर एक नन्हा-सा पौधा निकल आया था, जिसमें लाल-लाल कोंपलें थीं। यह देख सौरभ बहुत खुश हुआ और उसने अपनी बहन प्रिया को भी बुलाया। दोनों भाई-बहन पौधा देखकर बहुत खुश हुए।
सौरभ ने प्रिया को बताया कि यह आम का पौधा है और इसमें एक दिन मीठे आम लगेंगे। दोनों उत्साहित होकर पिताजी के पास पहुंचे और उन्हें यह खुशखबरी दी। पिताजी ने बताया कि इस छोटे पौधे को बड़ा होने में चार-पांच साल लगेंगे। तब जाकर यह पेड़ बनेगा और इसमें आम लगेंगे। यह सुनकर प्रिया थोड़ी उदास हो गई, पर सौरभ ने कहा कि वह इस पौधे की देखभाल करेगा और एक दिन वे अपने बगीचे के आम जरूर खाएंगे।
यह कहानी धैर्य, मेहनत और देखभाल का महत्व बताती है। पौधों की तरह ही, जीवन में भी किसी चीज़ को बड़ा करने के लिए समय और देखभाल की आवश्यकता होती है।
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1. आम के पेड़ की विशेषताएँ क्या हैं ? |
2. आम के पेड़ के फायदे क्या हैं ? |
3. आम के पेड़ की देखभाल कैसे करें ? |
4. आम का पेड़ कहाँ पाया जाता है ? |
5. आम के पेड़ से हमें कौन से फल मिलते हैं ? |
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