इस अध्याय में चाँद और चंद्रयान मिशन के बारे में एक रोचक बातचीत बताई गई है। इसमें अध्यापिका और विद्यार्थियों के बीच चाँद, चंद्रयान, और भारत के वैज्ञानिकों की उपलब्धियों पर चर्चा की गई है।
अध्यापिका जब कक्षा में आती हैं, तो बच्चों से चाँद के बारे में बातचीत शुरू करती हैं। बच्चे बताते हैं कि उन्होंने चाँद देखा है, लेकिन वे यह नहीं समझ पाते कि चाँद कभी दिखाई देता है और कभी नहीं। एक बच्चा मजाकिया ढंग से कहता है कि चाँद का मन है, वह कभी दिखता है और कभी नहीं। इसके बाद बातचीत चंद्रयान मिशन की ओर मुड़ती है। बच्चे बताते हैं कि वे चंद्रयान-1, 2 और 3 के बारे में जानते हैं। अध्यापिका उन्हें समझाती हैं कि चंद्रयान-3 के माध्यम से भारत ने चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की है, और यह हमारे देश के लिए गर्व की बात है।
बच्चों में यह जानने की उत्सुकता बढ़ती है कि चाँद पर क्या है। अध्यापिका उन्हें बताती हैं कि चाँद पर 'विक्रम लैंडर' और 'प्रज्ञान' नामक मशीनें भेजी गई हैं, जो चाँद की मिट्टी और अन्य जानकारियाँ इकट्ठा कर रही हैं। यह जानकर बच्चे और भी उत्साहित हो जाते हैं और कहते हैं कि उनका भी मन करता है कि वे चाँद पर जाएँ। वे गाने के माध्यम से अपनी भावनाएँ व्यक्त करते हैं और कल्पना करते हैं कि वे चंद्रयान से चाँद की सैर करेंगे।
अध्याय में बच्चों की चाँद के प्रति जिज्ञासा और विज्ञान के प्रति उनके बढ़ते आकर्षण को बड़े ही सरल और रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया है। यह अध्याय विज्ञान और खोज की भावना को बढ़ावा देता है।
यह अध्याय चाँद और चंद्रयान मिशन के बारे में बच्चों की बातचीत पर आधारित है। इसमें यह बताया गया है कि कैसे वैज्ञानिक प्रयासों और निरंतर मेहनत से बड़ी उपलब्धियाँ हासिल की जा सकती हैं। यह बच्चों में विज्ञान के प्रति रुचि और गर्व की भावना को जगाने वाला अध्याय है, जिसमें सरल शब्दों में बच्चों को चाँद और चंद्रयान की जानकारी दी गई है।
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1. चंद्रयान क्या है ? |
2. चंद्रयान के कितने मिशन हो चुके हैं ? |
3. चंद्रयान-2 की विशेषताएँ क्या हैं ? |
4. चंद्रयान के माध्यम से भारत को क्या लाभ हुआ है ? |
5. चंद्रयान का अगला मिशन कब होगा ? |
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