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वाक्य शुद्धि क्या है

वाक्य लिखने में प्रयुक्त वर्णों के क्रम को वर्तनी या अक्षरी कहा जाता है।

  • वाक्य भाषा की एक महत्वपूर्ण इकाई होती है, और इसे लिखते या बोलते समय यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि जो कुछ भी कहा या लिखा जा रहा है, वह स्पष्ट, सार्थक और व्याकरण की दृष्टि से सही हो। वाक्य के विभिन्न तत्वों को सही स्थान पर रखना चाहिए और विराम-चिह्नों का भी सही स्थान पर उपयोग होना चाहिए।
  • वाक्य-रचना में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, अव्यय आदि से संबंधित अशुद्धियाँ हो सकती हैं, और इन्हीं पर आधारित प्रश्न परीक्षा में पूछे जाते हैं।
  • अंग्रेजी में वाक्य सुधार को 'Sentence Correction' कहा जाता है, जबकि उर्दू में वर्तनी को 'हिज्जे' कहा जाता है।

वाक्य शुद्धि के नियम

1. हिंदी भाषा में विभक्ति चिन्ह सर्वनामों के अलावा शेष सभी शब्दों से अलग लिखे जाते हैं।
जैसे:

  • मोहन ने पुत्र को कहा।
  • श्याम को रुपये दे दो।

2. यदि सर्वनाम के साथ विभक्ति चिन्ह हो तो उसे सर्वनाम में मिलाकर लिखा जाना चाहिए।
जैसे: हमने, उसने, मुझसे, आपको, तुमसे, हमको, उसको, किससे, किसको, किसने, किसलिए आदि।

3. सर्वनाम के साथ दो विभक्ति चिन्ह होने पर पहला विभक्त चिन्ह सर्वनाम में मिलाकर लिखा जाएगा और दूसरा अलग लिखा जाएगा।
जैसे: आपके लिए, उसके लिए, इनमे से, आप में से, हम में से, आदि।

  • यदि सर्वनाम और विभक्ति के बीच ‘ही’ अथवा ‘तक’ आदि अव्यय हो तो विभक्ति सर्वनाम से अलग लिखी जाएगी।
    जैसे: आप ही के लिए, आप तक को, मुझ तक को, उस ही के लिए।

4. संयुक्त क्रियाओं के सभी अंगभूत क्रियाओ को अलग अलग लिखना चाहिए।
जैसे: पड़ा करता हैं, खा सकते हो आदि।

5. पूर्व कालिक प्रत्यय कर को क्रिया से मिलाकर लिखा जाता हैं।
जैसे: सोकर, उठकर, अपनाकर, खाकर, पीकर आदि।

6. द्वंद्व समास में पदों के बीच योजन चिन्ह (-) लगाया जाना चाहिए।
जैसे: माता-पिता, शिव-पार्वती, राधा-कृष्ण, रात-दिन आदि।

7. तक और साथ जैसे अव्ययों को पृथक लिखा जाना चाहिए 
जैसे: मेरे साथ, हमारे साथ, उसके साथ, अब तक, कब तक, यहाँ तक आदि।

8. जैसा और सा जैसे सामरूप्य शब्दों के पहले योजक चिन्ह (-) का प्रयोग करना चाहिए।
जैसे: चाकू-सा, तीखा-सा, प्यारा-सा, कन्हैया-सा, आप-सा आदि।

9. जब वर्णमाला के किसी भी पाँच अक्षर के बाद उसी वर्णमाला के प्रथम चार वर्णों में से कोई भी वर्ण हो तो पंचम वर्ण के स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग होता हैं।
जैसे: गंगा, चंचल, ठंड, कंकर, नन्दन, आदि।

10. जब नासिक्य व्यजंन वर्ण का पांचवा वर्ण उसी वर्ण के प्रथम चार वर्णों के अलावा अन्य किसी वर्ण के पहले आता हैं तो उसके साथ उस पंचम वर्ण का आधा रूप ही लिखा जाना चाहिए।
जैसे: सम्राट, सम्मान पूण्य, अन्य, सन्मार्ग, रम्य, जन्म, गन्ना, आदि।

11. अंग्रेजी से हिंदी में आए जिन शब्दों में आ एवं ओ के बीच की ध्वनि आँ की ध्वनि का प्रयोग होता हैं उनके ऊपर आधी चंद बिंदु लगानी चाहिए।
जैसे: कॉलेज, हॉस्पिटल, डॉक्टर, कॉपी, बॉलीवुड, बॉल, हॉलीबुड, हॉलर आदि।

12. संस्कृत भाषा के कुछ ऐसे शब्द होते हैं जिनके आगे विसर्ग (:) लगता हैं यदि हिंदी में उन शब्दों को तत्सम रूप में लिखे जाए तो उनमें विसर्ग लगाना चाहिए।
जैसे: दुःख, फलतः, प्रायः, अतः, मूलतः, आदि।

13. विसर्ग के पश्चात यदि श, ष, या, स आदि अक्षर आए तो या तो विसर्ग को यथावत लिखा जाता हैं उसके स्थान पर अगला वर्ण अपना रूप ग्रहण कर लेता हैं।
जैसे:

  • दुः + शासन = दुःशासन
  • निः + सन्देह = निःसन्देह

14. विराम चिन्हों का प्रयोग न होने पर भी अशुद्ध हो जाती हैं और अर्थ का अनर्थ हो जाता हैं।
जैसे:

  • रोको, मत जाने दो
  • रोको, मत जाने दो
  • रोको मत, जाने दो

इन वाक्यो में विराम चिन्ह की वजह से सभी वाक्यों का अर्थ बिल्कुल ही बदल गया हैं।

15. अक्षर रचना की जानकारी का अभाव देवनागरी लिपि में सयुक्त व्यजंनों में दो व्यंजन मिलाकर लिखे जाते हैं परंतु इनके लिखने पर गलती हो जाती हैं।
जैसे:
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वाक्य शुद्धि के उदाहरण

1. संज्ञा संबंधी वाक्य शुद्धि

वाक्य शुद्धि | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP)2. लिंग संबंधी अशुद्धियाँ
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3. वचन संबंधी अशुद्धियाँ
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4. कारक संबंधी अशुद्धियाँ
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5. सर्वनाम संबंधी अशुद्धियाँ
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6. विशेषण संबंधी अशुद्धियाँ

वाक्य शुद्धि | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP)7. क्रिया संबंधी अशुद्धियाँ
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8. अव्यय संबंधी अशुद्धियाँ
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9. पदक्रम संबंधी अशुद्धियाँ
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10. अधिकपदत्व संबंधी अशुद्धियाँ

  • मानव ईश्वर की सबसे उत्कृष्टतम कृति है।
  • हीन भावना से ग्रस्त मोहन अपने को दुनिया का सबसे निकृष्टतम व्यक्ति समझता है।
  • गीता नित्य राधा को पढ़ाती है।
  • उसने गुप्त रहस्य प्रकट कर दिये।
  • माली जल से पौधों को सींच रहा था।

11. शब्द ज्ञान संबंधी अशुद्धियाँ
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12. समास सम्बन्धी अशुद्धियां
दो या दो से अधिक पदों का समास करने पर प्रत्ययों का उचित प्रयोग न करने से जो शब्द बनता हैं उसमें कभी-कभी अशुद्धि रह जाती हैं।
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13. संधि संबंधी अशुद्धियां

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14. विशेष्य-विशेषण सम्बन्धी अशुद्धियां
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15. उपसर्ग-प्रत्यय संबंधी अशुद्धियाँ
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16. वर्तनी से संबंधी अशुद्धियां एवं उनमें वाक्य शुद्धि
उच्चारण दोष अथवा शब्द रचना और संधि के नियमों की जानकारी की अपर्याप्त के कारण सामान्यतः वर्तनी अशुद्धि हो जाती हैं।
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FAQs on वाक्य शुद्धि - Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP)

1. वाक्य शुद्धि क्या है ?
Ans. वाक्य शुद्धि का अर्थ है वाक्यों को सही और अर्थपूर्ण तरीके से प्रस्तुत करना। इसमें व्याकरण, शब्द चयन, और वाक्य संरचना का ध्यान रखा जाता है, ताकि वाक्य का अर्थ स्पष्ट और सही हो।
2. वाक्य शुद्धि के नियम कौन से हैं ?
Ans. वाक्य शुद्धि के नियमों में मुख्यतः निम्नलिखित शामिल हैं: 1. वाक्य का व्याकरण सही होना चाहिए। 2. शब्दों का सही चयन किया जाना चाहिए। 3. वाक्य में सही स्वरूप और क्रम होना चाहिए। 4. वाक्य में अर्थ की स्पष्टता होनी चाहिए।
3. वाक्य शुद्धि के उदाहरण क्या हैं ?
Ans. वाक्य शुद्धि के उदाहरण में जैसे: 1. गलत: "वह बगीचे में खेल रहा है।" (यदि "वह" का प्रयोग लड़के के लिए हो रहा है, तो सही होगा "वह बगीचे में खेल रही है।") 2. सही: "लड़का बगीचे में खेल रहा है।"
4. BPSC परीक्षा में वाक्य शुद्धि से संबंधित प्रश्न कैसे आते हैं ?
Ans. BPSC परीक्षा में वाक्य शुद्धि से संबंधित प्रश्नों में वाक्यों को सही रूप में प्रस्तुत करने, गलत वाक्यों को सही करने, और वाक्य के अर्थ को समझने से जुड़े प्रश्न शामिल होते हैं। यह प्रश्न प्रतियोगियों की भाषा और व्याकरण कौशल का परीक्षण करते हैं।
5. वाक्य शुद्धि सुधारने के लिए किन तरीकों का उपयोग कर सकते हैं ?
Ans. वाक्य शुद्धि सुधारने के लिए निम्नलिखित तरीकों का उपयोग किया जा सकता है: 1. नियमित रूप से पढ़ाई करें और व्याकरण के नियमों का अभ्यास करें। 2. लिखित कार्य को पुनः संपादित करें और सुधारें। 3. किसी विशेषज्ञ या शिक्षक से मार्गदर्शन प्राप्त करें। 4. सही वाक्य संरचना और शब्द चयन पर ध्यान दें।
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