Table of contents | |
निसार उपग्रह | |
तीसरा भारतीय अंतरिक्ष सम्मेलन और भारत का पहला एनालॉग मिशन | |
आरएनए संपादन | |
टार्डिग्रेड्स में नवाचार के लिए जीन | |
भारत के आगामी अंतरिक्ष स्टेशन के लिए जैव प्रौद्योगिकी प्रयोग |
चर्चा में क्यों?
नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) उपग्रह, राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (नासा) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के बीच एक संयुक्त परियोजना है, जिसे 2025 की शुरुआत में प्रक्षेपित किया जाना है। यह उपग्रह दो उन्नत रडार प्रणालियों को एकीकृत करने वाला अपनी तरह का पहला उपग्रह होगा: नासा का एल-बैंड रडार और इसरो का एस-बैंड रडार।
चर्चा में क्यों?
नई दिल्ली में आयोजित भारतीय अंतरिक्ष सम्मेलन में भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं पर प्रकाश डाला गया, जिसमें उपग्रह संचार (सैटकॉम) और भारत-यूरोपीय संघ अंतरिक्ष साझेदारी पर ध्यान केंद्रित किया गया। मुख्य चर्चाओं में डिजिटल इंडिया को आगे बढ़ाने और भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष उद्देश्यों का समर्थन करने में सैटकॉम की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया गया। इसके अतिरिक्त, भारत ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नेतृत्व में लेह, लद्दाख में अपने पहले मंगल और चंद्रमा एनालॉग मिशन का उद्घाटन किया , जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष आवास परीक्षण के लिए अलौकिक स्थितियों का अनुकरण करना था।
प्रश्न: भारत का मंगल और चन्द्रमा एनालॉग मिशन देश के अंतरिक्ष अन्वेषण लक्ष्यों में किस प्रकार योगदान देता है?
हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित जैव प्रौद्योगिकी कंपनी वेव लाइफ साइंसेज ने सुर्खियां बटोरीं, क्योंकि वह नैदानिक स्तर पर आरएनए संपादन के माध्यम से आनुवंशिक विकार का सफलतापूर्वक इलाज करने वाली पहली कंपनी बन गई।
शोधकर्ता वर्तमान में टार्डिग्रेड्स की उल्लेखनीय विशेषताओं की जांच कर रहे हैं ताकि चिकित्सा, जैव प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष अन्वेषण जैसे क्षेत्रों में सफलता प्राप्त की जा सके।
हाल ही में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( इसरो ) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग ( डीबीटी ) ने एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका उद्देश्य उन प्रयोगों को डिजाइन करना और संचालित करना है जिन्हें नियोजित भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) में एकीकृत किया जाएगा । इस स्टेशन के 2028 और 2035 के बीच विकसित होने की उम्मीद है।
सहयोग का उद्देश्य: साझेदारी का उद्देश्य अंतरिक्ष में प्रमुख चुनौतियों से निपटना है, जिनमें शामिल हैं:
संभावित प्रयोग: प्रयोगों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस): यह भारत का प्रस्तावित स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन है जिसे वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसकी मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
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